वित्‍त मंत्रालय

आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 206एबी और 206सीसीए के तहत विशेष सुविधा के उपयोग के लिए स्पष्टीकरण     

Posted On: 22 JUN 2021 7:16PM by PIB Delhi

वित्त अधिनियम, 2021 ने आयकर अधिनियम 1961 में दो नई धाराएं 206एबी और 206सीसीए शामिल की हैं, जिसका 1 जुलाई, 2021 से प्रभावी होना तय किया गया है। इन धाराओं के तहत टैक्‍स रिटर्न न भरने वाले कुछ विशेष लोगों (निर्दिष्ट व्यक्तियों) के मामले में कर कटौती या कर संग्रह ऊंची दर पर करने के लिए अधिकृत किया गया है। यह ऊंची दर दरअसल निर्दिष्‍ट दर से दोगुनी या 5%, जो भी अधिक हो, है।

इन दोनों प्रावधानों को लागू करने के लिए कर कटौतीकर्ता/संग्रहकर्ता के लिए खुद को संतुष्ट करने के लिए इस बारे में अतिरिक्‍त जांच-परख करना आवश्यक था कि भुगतान प्राप्तकर्ता/संग्रह प्राप्‍तकर्ता एक निर्दिष्ट व्यक्ति है या नहीं। इसके परिणामस्वरूप इस तरह के कर कटौतीकर्ता/संग्रहकर्ता पर अनुपालन का अतिरिक्त बोझ पड़ता। इस अनुपालन बोझ को कम करने के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने एक नई सुविधा ‘धारा 206एबी और 206सीसीए के लिए अनुपालन जांच’ शुरू की है। यह सुविधा पहले से ही आयकर विभाग के रिपोर्टिंग पोर्टल (https://report.insight.gov.in) के माध्यम से दी जा रही है।

कर कटौतीकर्ता/संग्रहकर्ता दरअसल भुगतान प्राप्तकर्ता/संग्रह प्राप्‍तकर्ता के एकल पैन (पैन सर्च) या एक से अधिक पैन (बल्क सर्च) को फीड कर सकता है और यदि यह भुगतान प्राप्तकर्ता/संग्रह प्राप्‍तकर्ता एक निर्दिष्ट व्यक्ति है, तो वह इस सुविधा के माध्‍यम से संबंधित प्रतिक्रिया या जवाब प्राप्त कर सकता है। पैन सर्च के लिए स्क्रीन पर संबंधित प्रतिक्रिया या जवाब दिखाई देगा जिसे पीडीएफ प्रारूप में डाउनलोड किया जा सकता है। बल्क सर्च के लिए संबंधित प्रतिक्रिया या जवाब डाउनलोड करने योग्य फाइल के रूप में होगा जिसे रिकॉर्ड के लिए सुरक्षित रखा जा सकता है।

 

इस सुविधा के औचित्‍य के बारे में 21 जून, 2021 के सीबीडीटी परिपत्र संख्या 11 के माध्यम से समझाया गया है, जो (https://www.incometaxindia.gov.in/communications/circular/circular_11_2021.pdf) पर उपलब्ध है। इस सर्कुलर ने यह सुनिश्चित करके कर कटौतीकर्ताओं/संग्रहकर्ताओं के बोझ को और कम कर दिया है कि कर कटौतीकर्ताओं/संग्रहकर्ताओं के लिए केवल वित्त वर्ष की शुरुआत में ही इस सुविधा में पैन की जांच करने की आवश्यकता है और उस वित्त वर्ष के दौरान फिर से गैर-निर्दिष्ट व्यक्ति के पैन की जांच करने की कोई आवश्यकता नहीं है।

इस नई सुविधा के जरिए सरकार ने करदाताओं के अनुपालन बोझ को कम करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।   

 

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