जल शक्ति मंत्रालय
केंद्र ने राज्यों को गंगा में शवों की डंपिंग रोकने, उनके सुरक्षित निपटान पर ध्यान देने तथा सम्मानजनक दाह संस्कार सुनिश्चित करने हेतु सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया
शवों की डंपिंग पर रोक के साथ उनके सुरक्षित निपटान और पानी की गुणवत्ता की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर युद्ध स्तर पर ध्यान देना होगा: सचिव, जल शक्ति
Posted On:
16 MAY 2021 5:54PM by PIB Delhi
देश एक असाधारण स्थिति का सामना कर रहा है जिसमें हाल ही के दिनों में कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अनेक कोविड-19 मामले और इसके परिणाम स्वरूप होने वाली मौतें बढ़ रही हैं। गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों में शवों/आंशिक रूप से जली हुई या विघटित लाशों को फेंकने की सूचना हाल ही में दी गई है। यह सबसे अवांछनीय और चिंताजनक कृत्य है।
जल शक्ति मंत्रालय के सचिव पंकज कुमार ने दिनांक 15 मई को यूपी और बिहार प्रदेशों की स्थिति और उठाए गए कदमों की समीक्षा की जिसमें राज्यों ने नवीनतम स्थिति का मूल्यांकन किया और आगे उठाए जाने वाले कदमों के बिंदुओं पर निर्णय लिया गया। सचिव ने पहले से दिए गए निर्देशों पर प्रकाश डाला और शीघ्र कार्यवाही करनी चाही और गंगा तथा अन्य नदियों के साथ शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसी घटनाओं पर एक समान ध्यान देने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया। शवों की डंपिंग को रोकने के साथ-साथ उनके सुरक्षित निपटान और पानी की गुणवत्ता की सुरक्षा को युद्ध स्तर पर सुनिश्चित करना होगा। उन्होंने कहा कि राज्यों से प्रगति जानने के बाद सीडब्ल्यूसी, सीपीसीबी और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी अपना फीडबैक एवं कार्ययोजना देंगे।
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्र ने बताया कि उन्नाव, कानपुर ग्रामीण, गाजीपुर, बलिया तथा बिहार के बक्सर एवं सारण जैसे अनेक जिलों के साथ स्थिति को देखा जा रहा है। हालांकि कुछ मामले दूसरे जिलों से भी सामने आ रहे हैं। उन्होंने राज्य मिशनों से सभी जिलों के साथ उठाए गए कदमों की देखरेख करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि शवों के दाह संस्कार के लिए परिवारों की सुविधा और सहायता के लिए प्रवर्तन को मजबूत करने, निगरानी बनाए रखने और सक्रिय रूप से कदम उठाने की जरूरत है और राज्य मिशनों से इस पर विशेष रूप से रिपोर्ट करने को कहा गया है। यदि आवश्यक हो तो परियोजना निदेशक एनएमसीजी को सूचित करते हुए उनके पास उपलब्ध एनएमसीजी निधियों में से इसके लिए जिला गंगा समितियों को सूचित करते हुए सहायता भी दे सकते हैं ।
उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व शहरी विकास विभाग के मुख्य सचिव श्री रजनीश दुबे और उत्तर प्रदेश सरकार के जल शक्ति प्रमुख सचिव और राज्य गंगा मिशन के परियोजना निदेशक श्री अनुराग श्रीवास्तव ने किया। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि राज्य के सभी जिलाधिकारियों को इस मुद्दे के बारे में सतर्क कर दिया गया है और एनएमसीजी के निर्देशों को साझा किया गया है। ये जिलाधिकारी गंगा में शवों को फेंकने से रोकने के लिए गश्त करवा रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि नमामि गंगे के तहत मौजूदा श्मशानों के अतिरिक्त 13 श्मशान शवों के दाह संस्कार के लिए उपलब्ध कराए गए हैं। बताया गया कि शहरी क्षेत्रों में आर्थिक मदद के लिए आदेश जारी कर दिए गए हैं। श्री दुबे ने बताया कि पंचायती राज विभाग द्वारा शहरी क्षेत्रों के समान ग्रामीण क्षेत्रों के लिए भी 5000 रुपये की वित्तीय सहायता के लिए इसी प्रकार के आदेश जारी किए गए हैं और एसडीआरएफ और अन्य बलों को भी गश्त करने के लिए कहा गया है। प्राधिकरण पंचायतों और शहरी स्थानीय निकायों यानी यूएलबी के संपर्क में है।
बिहार सरकार के राज्य गंगा मिशन के परियोजना निदेशक एवं शहरी विकास में प्रधान सचिव श्री आनंद किशोर ने बताया कि राज्य ने निर्णय लिया है कि कोविड-19 के कारण मरने वाले लोगों का दाह संस्कार या दफन किया जाए और उपरोक्त स्थितियों में इस कार्य को बिहार सरकार वहन करेगी। उन्होंने कहा कि भले ही मृतक के पास संक्रमण की 'पॉज़िटिव' रिपोर्ट नहीं है और उसने कोरोना के लक्षण दिखाए हैं तो परिवार को यह सहारा प्रदान किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि नदी में शवों को फेंकने से रोकने के लिए गश्त की जा रही है, खासकर बक्सर और सारण (छपरा) जैसे संवेदनशील जिलों में। बक्सर में एक महाजाल का इस्तेमाल कर शवों को बाहर निकालने का काम किया जा रहा है। उन्हें जिलों के अनुप्रवाह समेत पुलों और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों पर निगरानी रखने को कहा गया था।
केन्द्रीय जल आयोग के अध्यक्ष श्री हल्दर ने यह भी बताया कि वे अपने स्टेशनों के माध्यम से प्रवाह और पानी की गुणवत्ता की निगरानी कर रहे हैं और इससे फ्रिक्वेंसी में और वृद्धि होगी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव श्री प्रशांत गरगवा ने अवगत कराया कि बोर्ड ने गंगा और उसकी सहायक नदियों के किनारे सभी जल निगरानी स्टेशनों को आगाह किया है। पानी की गुणवत्ता की जांच की समय-समय पर वृद्धि भी की गई है। एनएमसीजी के ईडी, तकनीक श्री डीपी मथुरिया ने और अधिक जानकारी दी एवं वह सीडब्ल्यूसी और सीपीसीबी के साथ समन्वय स्थापित करेंगे।
जल शक्ति मंत्रालय की अपर सचिव सुश्री देबश्री मुखर्जी ने कहा कि पीसीबी द्वारा नदी किनारे समुदायों के जोखिमों का तत्काल आकलन करने के अलावा नदी के पानी के उपयोग के लिए और नदी में शवों को फेंकने की ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए नदी के किनारे समुदायों में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है।
उक्त स्थिति और अब तक उठाए गए कदमों को ध्यान में रखते हुए यह भी निर्णय लिया गया कि नदी में शवों को फेंकने से रोकने की कार्यवाही के साथ-साथ नदी के किनारे रेत में शवों को दफनाने से भी रोका जाना चाहिए। ऐसी प्रथाओं के दुष्प्रभावों के खिलाफ एक उपयुक्त जागरूकता सृजन कार्यक्रम शुरू किए जाने की आवश्यकता है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को स्वास्थ्य विभाग के साथ परामर्श में अधिक बार पानी की गुणवत्ता की निगरानी करने का निर्देश दिया गया था। सीपीसीबी को ओवरऑल मॉनिटरिंग और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को मार्गदर्शन देने और इस मामले में उन्नत विश्लेषण करने का काम सौंपा गया था। दाह संस्कार के लिए सहायता को सुरक्षित और सम्मानजनक दाह संस्कार के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता दिए जाने की जरूरत है। सरकारी आदेशों का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किए जाने की आवश्यकता है और कार्यान्वयन में समय व्यर्थ नहीं किया जाना चाहिए।
इस सप्ताह की शुरुआत में जल शक्ति मंत्रालय के राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने जिला प्रशासनों और राज्य सरकारों को सचेत करने के लिए कदम उठाए थे। एनएमसीजी के महानिदेशक द्वारा जिलाधिकारियों को, जो जिला गंगा समितियों के अध्यक्ष भी हैं, दिनांक 11 मई को एक निर्देश और परामर्श जारी किया गया था जिसके बाद मुख्य सचिवों को दिनांक 12 मई को एक पत्र दिया गया है, ताकि नदी में शवों को फेंकने की रोकथाम की दिशा में काम किया जा सके और संक्रमित लोगों के दाह संस्कार पर सरकारी दिशा-निर्देशों को लागू करने में सुधार किया जा सके। पत्र में राज्यों को दाह संस्कार को प्रेरित करने, वित्तीय सहायता प्रदान करने के साथ-साथ श्मशान/दफन प्रक्रिया और सामग्रियों की दरों को विनियमित करने की भी सलाह दी गई है ।
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