जल शक्ति मंत्रालय

जल जीवन मिशन: आंध्र प्रदेश ने अपनी वार्षिक कार्य योजना प्रस्तुत की


वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान राज्य द्वारा 32.47 लाख नल जल कनेक्शन प्रदान करने की योजना

Posted On: 30 APR 2021 3:56PM by PIB Delhi

आंध्र प्रदेश राज्य ने ग्रामीण इलाके के हर घर में नल जल कनेक्शन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए संतृप्ति योजना के विवरण के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए जल जीवन मिशन से संबंधित अपनी वार्षिक कार्य योजना प्रस्तुत की। राज्य में कुल 95.66 लाख ग्रामीण परिवार हैं, जिनमें से 44.91 लाख के पास नल के जरिए पानी की आपूर्ति की सुविधा है। फिलहाल राज्य में पाइप के जरिए पानी का कनेक्शनदेने का कवरेज 47.13 प्रतिशत है। वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान, राज्य द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में 32.47 लाख नल जल कनेक्शन प्रदान करने की योजना है।राज्य का लक्ष्य मौजूदा वित्तीय वर्ष में 13 जिलों और 17,044 गांवों में'हर घर जल' पहुंचाना है।

जल जीवन मिशन के तहत राज्यों / केन्द्र - शासित प्रदेशों की वार्षिक कार्य योजना (एएपी) को मंजूरी देने की व्यापक कवायदपेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सचिव की अध्यक्षता वाली एक राष्ट्रीय समिति, जिसमें अन्य मंत्रालयों / विभागों और नीति आयोग के सदस्यशामिल होते हैं, द्वारा की जाती है। इसके बाद, कार्य की तिमाही प्रगति और उसपर होने वाले व्यय के आधार पर समय-समय पर पूरे साल धनराशि जारी की जाती है। योजना निर्माण की यह विस्तृत कवायद राज्यों को 'हर घर जल' का लक्ष्य हासिल करने में मदद पहुंचाने के लिए की जाती है।

आंध्र प्रदेश में जल जीवन मिशन के तहत पिछले डेढ़ साल में 14.34 लाख नल कनेक्शन प्रदान किये गये हैं। अब तक आंध्र प्रदेश में 1,217 गांवों को ‘हर घर जल’ से लैस घोषित किया जा चुका है, जिसका अर्थ यह है कि इन गांवों के प्रत्येक घर में नल द्वारापानी की आपूर्ति होती है। यह समुदायों को सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है क्योंकि यह न केवल महिलाओं और युवा लड़कियों, जो मुख्य रूप से हर घर में पानी की प्रबंधक होती हैं,को 'जीवन जीने में आसानी' प्रदान करता है बल्कि उन्हें विभिन्न गतिविधियों को आगे बढ़ाने और परिवार के साथ समय बिताने का समय देता है, अन्यथा उन्हें परिवार के लिए पानी जुटाने के लिए लंबी दूरी तय करनी होती थी।

राष्ट्रीय समिति ने राज्यसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों यानी पानी की खराब गुणवत्ता से प्रभावित बस्तियों, अनुसूचित जातियों / अनुसूचित जनजातियों की बहुलता वाले क्षेत्रों, पेयजल पाने की आकांक्षा रखने जिलों, सूखे की आशंका वाले क्षेत्रों, सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत आने वाले गांवों आदि पर विशेष ध्यान केन्द्रित करने का आग्रह किया।

समिति ने 2 अक्टूबर 2020 को शुरू किए गए 100 - दिवसीय अभियान के तहत राज्य द्वारा 41,653 स्कूलों, 42,722 आंगनबाड़ी केन्द्रों, 152 आश्रमशालाओं, 11,948 ग्राम पंचायत भवनों और 14,383 स्वास्थ्य केंद्रों में पाइप द्वारा शत – प्रतिशत जलापूर्ति प्रदान करने के प्रयास की सराहना की।

जल जीवन मिशन के तहत, 2021-22 के दौरान, कुल 50,011 करोड़ रुपये के बजटीय आवंटन के अलावा, 15वें वित्त आयोग के आरएलबी / पीआरआई को पानी एवं स्वच्छता के लिए बंधे हुए अनुदान के तहत 26,940 करोड़ रुपये का कोष राज्य की हिस्सेदारी और बाहर से प्राप्त सहायता के साथ - साथ ही राज्य की वित्त पोषित परियोजनाओं के अनुरूप उपलब्ध है। इस प्रकार, वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान, देश में ग्रामीण घरों में नल के पानी की आपूर्ति के लिए 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किए जाने की संभावना है। ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह के निवेश से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।

इस मिशन ने प्रत्येक गांव के लिए ग्राम कार्य योजना (वीएपी) के विकास और पानी समिति के गठन पर ध्यान केंद्रित किया है, ताकि दीर्घकालिक रूप से गांव वाले जल जीवन मिशन (जेजेएम)के तहत निर्मित जलापूर्ति की अवसंरचनाओं के संचालन और रखरखाव की ज़िम्मेदारी लें। आंध्र प्रदेश ने 18,650 गांवों में से 7,131 गांवों में वीडब्ल्यूएससी का गठन किया है। जल जीवन मिशन (जेजेएम)के तहत, गांवों में स्थानीय ग्राम समुदाय / ग्राम पंचायत और या उपयोगकर्ता समूह गांवों में जलापूर्ति प्रणाली की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए योजना, कार्यान्वयन, प्रबंधन, संचालन और रखरखाव में भागीदारी करते हैं, जिससे पेयजल सुरक्षा प्राप्त करने में मदद मिलती है।

एमजीएनआरईजीएस, एसबीएम, पंचायती राज संस्थाओं को 15वां वित्त आयोग का अनुदान, सीएएमपीए फंड, लोकल एरिया डेवलपमेंट फंड्स इत्यादि जैसे विभिन्न कार्यक्रमों कोएक साथ मिलाने के जरिए सभी उपलब्ध संसाधनों को एकत्रित करने के प्रयास कियेजाते हैं। राज्य को ग्रे वाटर मैनेजमेंट और वाटर हार्वेस्टिंगआदि के लिए अपने कन्वर्जेन्स फंड का उपयोग करने कीसलाह दी गई।

जल जीवन मिशन (जेजेएम) केन्द्र सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य 2024 तक हर ग्रामीण घर में पाइप के जरिए नल का जल उपलब्ध कराना है। वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान, नल के जल की सुनिश्चितआपूर्ति प्रदान करने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा राज्य को 790 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। मौजूदा वित्त वर्ष 2021-22 में, केन्द्र सरकार ने जल आपूर्ति के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 2,000 करोड़ रुपये आवंटित कियेहैं।

इस वार्षिक कार्य योजना (एएपी) में पीने के पानी के स्त्रोत को मजबूत बनाने/बेहतर करने, मटमैले जल के शोधन व उसके दोबारा उपयोग और गांव में जलापूर्ति प्रणाली के संचालन और रख-रखाव पर जोर दिया है। राज्य नेराज्य, जिला, और अनुमंडल स्तर पर 408 विशेषज्ञों को जोड़ने की योजना बनायी है। इसके अलावा, वे इंजीनियरिंग कैडर, राज्य/जिला/ब्लॉक स्तर के अधिकारियों, वीडब्ल्यूएससी सदस्यों, स्वयं सहायता समूह आदि के 54,568 लोगों को प्रशिक्षित करने का इरादा रखते हैं। वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान, राज्य द्वारा 18,536 कर्मियों को पलम्बर, इलेक्ट्रिशियन, राजमिस्त्री और पम्प ऑपरेटर के रूप में प्रशिक्षित करने की योजना है। इन प्रशिक्षित मानव संसाधनों का उपयोग पानी की आपूर्ति के बुनियादी ढांचे के काम के साथ-साथ उनके संचालन और रख-रखाव के लिए किया जाएगा।

जल जीवन मिशन के तहत, पानी की गुणवत्ता का पता लगाने के लिए समय-समय पर जल स्त्रोतों और जल पहुंचने के स्थानों की निगरानी करने के लिए समुदाय को प्रोत्साहित किया जा रहा है। पीएचई विभाग समुदाय को स्थानीय लोगों को साथ जोड़ने और सशक्त बनाने की सुविधा प्रदान कर रहा है। इसके लिए, पंचायतों को फील्ड टेस्ट किट की समय पर खरीद और आपूर्ति, सामुदायिक भागीदारी के लिए हर गांव में से कम से कम पांच महिलाओं की पहचान, फील्ड टेस्ट किट का उपयोग करने और जांच के परिणाम के निष्कर्षों की रिपोर्टिंग करने के लिए  महिलाओं को प्रशिक्षण देने को प्राथमिकता दी जा रही है। 9 जिला प्रयोगशालाओं ने एनएबीएल प्रमाणन के लिए आवेदन किया है और उन्हें मंजूरी मिलने का इंतजार है। राज्य ने अनुमंडल स्तर पर 69 जल परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना करने की योजना बनायी है।

राज्य को गांवों में जलापूर्ति के मापन और निगरानी के लिए आईटी आधारित सेंसर का उपयोग परीक्षण के आधार पर करने की सलाह दी गई है।

 

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