पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय

2021 में दक्षिण पश्चिम मानसून के दौरान वर्षा के पूर्वानुमान का सारांश

Posted On: 16 APR 2021 3:24PM by PIB Delhi

 

2021 में दक्षिण पश्चिम मानसून के दौरान वर्षा का दीर्घकालीन पूर्वानुमान

 

2021 में दक्षिण पश्चिम मानसून के दौरान वर्षा के पूर्वानुमान का सारांश

  • दक्षिण पश्चिम मानसून के मौसम (जून से सितंबर) के दौरान देशभर में ज्यादातर सामान्य वर्षा (दीर्घकालीन औसत का 96 से 104 प्रतिशत) होने का अनुमान।
  • मात्रा की दृष्टि से, मानसून के मौसम (जून से सितंबर) के दौरान दीर्घकालीन औसत का 98 प्रतिशत वर्षा होने का अनुमान है । इसमें 5 प्रतिशत की कमी या वृद्धि हो सकती है । 1961 से 2010 के दौरान देश भर में 88 सेमी. वर्षा का दीर्घकालीन औसत रहा।
  • प्रशांत महासागर के ऊपर न्यूट्रल ईएनएसओ स्थितियां बन रही हैं और हिंद महासागर के ऊपर न्यूट्रल हिंद महासागर डिपोल बना हुआ है । ताज़ा वैश्विक पूर्वानुमान मॉडल से संकेत मिलता है कि भूमध्यसागरीय प्रशांत क्षेत्र में ईएनएसओ स्थिति के बने रहने की संभावना है और हिंदमहासागर क्षेत्र में नकारात्मक आईओडी स्थितियां बनने की संभावना है।
  • प्रशांत महासागर और हिंद महासागर के ऊपर समुद्री सतह के तापमान का क्योंकि भारतीय मानसून पर भारी असर होता है इसलिए भारतीय मौसम विभाग समुद्र की सतह पर होने वाली उथल पुथल पर सावधानीपूर्वक नज़र रख रहा है।
  • भारतीय मौसम विभाग मई 2021 के अंतिम सप्ताह में एक अद्यतन पूर्वानुमान जारी करेगा। वह अप्रैल के पूर्वानुमान के अतिरिक्त चार समान क्षेत्रों में मानसून (जून से सितंबर) के दौरान होने वाली वर्षा का पूर्वानुमान और जून माह का पूर्वानुमान जारी करेगा।

 

 

  1. पृष्ठभूमि  

भारतीय मौसम विभाग वर्ष 2003 से दक्षिण पश्चिम मानसून मौसम (जून से सितंबर ) के लिए दो चरणों में देशभर में औसत वर्षा का दीर्घकालीन परिचालन पूर्वानुमान जारी करता है। पहले चरण का पूर्वानुमान अप्रैल में और दूसरे चरण का अद्यतन पूर्वानुमान मई के अंत में जारी किया जाता है। ये पूर्वानुमान अत्याधुनिक स्टेट ऑफ दि आर्ट स्टेटिस्टिकल एन्सेम्बल फोरकास्टिंग सिस्टम(एसईएफएस) का इस्तेमाल कर तैयार किए जाते हैं । इस सिस्टम का विकास भारतीय मौसम विभाग ने स्वदेशी तौर पर किया है । दूसरे चरण में अप्रैल का पूर्वानुमान अद्यतन करने के साथ साथ जुलाई और अगस्त में देशभर में होने वाली वर्षा का महीने वार पूर्वानुमान और मानसून मौसम (जून से सितंबर) के चार महीनों में देशभर में होने वाली वर्षा का पूर्वानुमान भी जारी किया जाता है। वर्ष 2017 से भारतीय मौसम विभाग मौसम का हाल बताने के लिए उच्च रेसोल्यूशन वाले डायनैमिक ग्लोबल क्लाइमेट फोरकास्टिंग सिस्टम (सीएफएस) का भी उपयोग कर रहा है । इस सिस्टम का विकास पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के मानसून मिशन के तहत किया गया है।

 

  1. पूर्वानुमान की नई रणनीति

 

विभिन्न उपयोगकर्ताओं और सरकार के अधिकारियों की ओर से यह मांग उठती रही है कि क्षेत्रीय स्तर पर बेहतर कार्ययोजना बनाने के लिए जरूरी है कि मौसम की वर्षा के पूर्वानुमान में स्थान विशेष पर होने वाली वर्षा और क्षेत्रीय तौर पर औसत वर्षा का पूर्वानुमान भी दिया जाए । इस विशिष्ट उद्देश्य से भारतीय मौसम विभाग ,पुणे के ऑफिस ऑफ दि क्लाइमेट रिसर्च ने अब एक मल्टीमॉडल एन्सेंबल (एमएमई) मौसम पूर्वानुमान व्यवस्था का विकास किया है जो अलग अलग वैश्विक जलवायु पूर्वानुमानों और मौसम मिशन सीएफएस (एमएमसीएफएस) जैसे अनुसंधान केंद्रों के कपल्ड ग्लोबल क्लाइमेट मॉडल्स (सीजीसीएम्स) पर आधारित है। मल्टी मॉडल एन्सेंबल (एमएमई) एक वैश्विक रूप से स्वीकृत तकनीक है जिसका उपयोग एकल मॉडल आधारित दृष्टिकोण से तुलना करने पर पूर्वानुमानों की कुशलता बढ़ाने और पूर्वानुमान संबंधी त्रुटियों को कम करने में होता है । प्रदर्शन कुशलता पूरी तरह एमएमई पूर्वानुमान व्यवस्था में इस्तेमाल होने वाले सभी मॉडलों से एकत्र जानकारी पर निर्भर करती है ।

 

पहले चरण के पूर्वानुमान के लिए मौजूदा स्टेटिस्टिकल पूर्वानुमान प्रणाली और नई एमएमई आधारित प्रणाली का उपयोग किया जाता है। एमएमई आधारित पूर्वानुमान प्रणाली का उपयोग मई में दूसरे चरण में देशभर के लिए और देश के चार एक जैसे क्षेत्रों के लिए किए जाने वाले संभावित पूर्वानुमान में किया जाता है ।

हर महीने किए जाने वाले पूर्वानुमानों के लिए अब मौसम विभाग मौजूदा स्टेटिस्टिकल मॉडल के स्थान पर गतिशील एमएमई प्रारूप का उपयोग करेगा । हर महीने किए जाने वाले चारों महीनों (जून से सितंबर ) के पूर्वानुमान एमएमई प्रणाली का उपयोग कर पिछले महीने के अंत में तैयार किए जाएंगे ।

 

मौसम विभाग हर मानसून कोर ज़ोन (एमसीज़ेड) के लिए,जिसमें देश के ज्यादातर वर्षा आधारित खेती करने वाले क्षेत्र आते हैं, अलग पूर्वानुमान जारी करने का प्रयास कर रहा है । एमसीजेड के लिए अलग पूर्वानुमान से खेती संबंधी योजना बनाने और फसल की पैदावार का अनुमान लगाने में मदद होगी। मई में होने वाले दूसरे चरण के पूर्वानुमान में मौसम विभाग एमएसजेड के लिए एक पृथक संभावित पूर्वानुमान जारी करेगा जोकि एमएमई प्रणाली और एक नए स्टैटिस्टिकल म़ॉडल पर आधारित होगा।

 

  1. 2021 दक्षिण पश्चिम मानसून (जून से सितंबर) के दौरान देशभर में वर्षा का पूर्वानुमान

   3 ए. आपरेशनल स्टैटिस्टिकल एन्सेंबल पूर्वानुमान व्यवस्था (एसईएफएस) पर आधारित पूर्वानुमान

एसईएफएस आधारित पूर्वानुमान के अनुसार मात्रात्मक रूप से मानसून के मौसम में वर्षा दीर्घकालीन औसत का 98 प्रतिशत रहने की संभावना है और इसमें 5 प्रतिशत की कमी या वृद्धि हो सकती है । 1961 से 2010 तक की अवधि में देशभर में मौसमी वर्षा का दीर्घकालीन औसत 88 सेमी. था ।

मानसून के मौसम के दौरान देशभर में होने वाली वर्षा का एलईएफसी आधारित पूर्वानुमान पांच श्रेणियों में नीचे के टेबल में दिया गया है । इसके अनुसार मानसून के दौरान वर्षा सामान्य (एलपीए का 96-104 प्रतिशत) रहने का अनुमान है ।

श्रेणी

वर्षा की मात्रा

(एलपीए का % )

पूर्वानुमान की संभाव्यता  (%)

क्लाइमेटोलॉजी संभाव्यता  (%)

न्यून

< 90

14

16

सामान्य से कम

90 – 96

25

17

सामान्य

96 -104

40

33

सामान्य से ज्यादा

104 -110

16

16

अधिक

> 110

5

17

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

3 बी. मल्टी मॉडल एन्सेंबल फोरकास्टिंग सिस्टम पर आधारित पूर्वानुमान

2021 के दक्षिण पश्चिम मानसून मौसम में एमएमई पूर्वानुमान प्राप्त करने के लिए मार्च पूर्व की स्थिति का उपयोग किया गया। भारतीय मानसून क्षेत्र के बारे में उच्च पूर्वानुमान कुशलता तक पहुंचने के लिए एमएमसीएफएस समेत मॉडलों का उपयोग किया गया ।

एमएमई पूर्वानुमान के अनुसार 2021 मानसून मौसम (जून से सितंबर ) में देशभर में सामान्य वर्षा होगी (एलपीए का 96 से 104 प्रतिशत)

टरसाइल श्रेणी (सामान्य से अधिक, सामान्य और सामान्य से कम) के लिए स्थानिक संभावित पूर्वानुमान मौसमी वर्षा (जून से सितंबर) आकृति 1 में दर्शाया गया है । इसके अनुसार देश के ज्यादातर भागों में सामान्य या सामान्य से अधिक वर्षा हो सकती है। 

  1. भूमध्य रेखा से लगे प्रशांत और हिंद महासागर में समुद्र की सतह के तापमान (एसएसटी) की स्थिति

 

पिछले साल के दूसरे हिस्से में लॉ नीना स्थिति (भूमध्यरेखा के समीप के प्रशांत सागर में सामान्य एसएसटी से अधिक ठंड) बनी  जो नवंबर में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। हालांकि 2021 की शुरूआत में यह कमजोर पड़नी शुरू हो गई और अब यह ईएनएसओ तटस्थ स्थिति की ओर बढ़ रही है।

भूमध्यरेखा के समीप के प्रशांत सागर में सतह से ऊपर का तापमान क्रमश गर्म हो रहा है । ताज़ा एमएमसीएफसी और अन्य वैश्विक मॉडल पूर्वीनुमानों के अनुसार इसके और गर्म होने का अंदेशा है और आने वाले मानसून मौसम की शुरूआत में ईएनएसओ न्यूट्रल स्थिति बनने की उम्मीद है।

वर्तमान में, हिंद महासागर के ऊपर न्यूट्रल हिंद महासागर डिपोल (आईओडी) स्थितियां कायम हैं । एमएमसीएफसी तथा अन्य वैश्विक मॉडल्स से संकेत मिले हैं कि आगामी मानसून मौसम में न्यूट्रल  आईओडी स्थितियों के नकारात्मक आईओडी में बदलने की संभावना है।

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आकृति 1. 2021 के दक्षिण पश्चिम मानसूम मौसम (जून से सितंबर) के दौरान देशभर में वर्षा की स्थिति टरसाइल श्रेणी (सामान्य से कम, सामान्य और सामान्य से अधिक) में रहेगी। आकृति में दिखाया गया है कि इसकी बहुत संभावित श्रेणी क्या होगी और उसकी संभावना क्या होगी। सफेद दिख रहे इलाकों में क्लाइमेटोलॉजिकल संभाव्यता है। ये संभाव्यताएं सर्वश्रेष्ठ कपल्ड क्लाइमेट मॉडल्स के समूह से तैयार एमएमई पूर्वानुमान का उपयोग कर प्राप्त की गई हैं । (टरसाइल श्रेणी में भी समान क्लाइमेटोलॉजिकल संभाव्यता प्रत्येक में 33.33 प्रतिशत होती है) 

 

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