उपभोक्‍ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय

भारतीय मानक अब नि:शुल्‍क उपलब्‍ध है


सूक्ष्‍म उद्योग और स्‍टार्टअप तथा महिला उद्यमियों के लिए न्‍यूनतम मुहरांकन शुल्‍क में 50 प्रतिशत की कटौती और पुराने लाइसेंसधारियों को अतिरिक्त 10 प्रतिशत की छूट

‘स्टार्टअप एवं महिला उद्यमियों’ के लिए प्रमुख प्रोत्साहन

लाइसेंस प्रदान करने, लाइसेंस का नवीकरण करने सहित प्रमाणन की संपूर्ण प्रक्रिया का स्‍वचालन (ओटोमेशन) और समावेशन को ई-बीआईएस के मानक ऑनलाइन पोर्टल के माध्‍यम से स्वचालित किया जाता है

लाइसेंसों का स्वचालित तरीके से नवीकरण, मोबाइल ऐप आधारित निगरानी प्रणाली

आयातित वस्‍तुओं की निगरानी के लिए सीमाशुल्‍क ‘आइसगेट’ का ई-बीआईएस के विदेशी विनिर्माता प्रमाणन माड्यूल के साथ समेकन

बाजार निगरानी की मोबाइल ऐप आधारित प्रणाली तथा एसेइंग और हॉलमार्किंग केन्‍द्रों का अंकेक्षण

उपभोक्ता मामले विभाग की सचिव और बीआईएस के महानिदेशक ने वर्चुअल माध्यम से पत्रकार सम्मेलन को संबोधित किया और बीआईएस सुधारों से संबंधित पुस्तिका को लॉन्च किया

Posted On: 13 APR 2021 6:03PM by PIB Delhi

उपभोक्ता मामले विभाग की सचिव श्रीमती लीना नंदन और भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के महानिदेशक श्री प्रमोद कुमार तिवारी ने आज बीआईएस की नई पहलों के बारे में वर्चुअल माध्यम से एक पत्रकार सम्मेलन को संबोधित किया।

बीआईएस की पहलों के बारे में मीडिया को संबोधित करते हुए उपभोक्ता मामले विभाग की सचिव श्रीमती नंदन ने कहा कि बीआईएस ने विकास की यात्रा के दौरान कई उपलब्धियां हासिल की हैं और हमारे देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि बीआईएस ने कई नई पहल की हैं और इन पहलों से हमारे विनिर्माण क्षेत्र की कार्यक्षमता, उत्पादों के मानकीकरण और उनकी गुणवत्ता में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि बीआईएस विभिन्न मंत्रालयों के साथ मिलकर कई नए मानकों के विकास के लिए काम कर रहा है। इस अवसर पर बीआईएस सुधारों से संबंधित एक पुस्तिका भी लॉन्च की गई।

भारतीय मानक ब्यूरो के महानिदेशक श्री पी.के.तिवारी ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि बीआईएस मानकों की सेवाएं अब सभी के लिए निःशुल्क उपलब्ध है। मानकीकरण के क्षेत्र में, इसे प्रोसेस इंजीनियरिंग, स्वचालन और मानवशक्ति में वृद्धि के संयोजन के माध्यम से हासिल करने की योजना है। अनुभागीय समितियों की तिमाही बैठक, विकास या पुनरीक्षण के अधीन प्रत्येक मानक के लिए स्तरवार समय-सीमा, इस प्रक्रिया का कार्य अनुसंधान एक अभिन्न अंग होना चाहिए। मंत्रालयों और उद्योग संघों में मानकीकरण प्रकोष्ठों के माध्यम से परामर्श प्रक्रिया की ब्रॉड-बैंडिंग, मानव संसाधन का बेहतर प्रावधान यह सुनिश्चित करने के लिए कि एक वैज्ञानिक अधिकारी साल भर में 30 से अधिक मानकों के लिए काम नहीं करेगा और शीघ्र सामंजस्य बनाने के लिए समनुरूपी आईएसओ/आईसी मानकों को तैयार करना या पुनरीक्षण के समानान्तर मानकों के पुनरीक्षण की शुरुआत जैसी कुछ पहलें की गई हैं।

उन्होंने बताया कि हमारे पास लगभग 21000 भारतीय मानक हैं। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और उपभोक्ताओं के लिए प्रासंगिक प्रत्येक उत्पाद के लिए सबसे बेहतर मानक सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि उद्योगों खासकर एमएसएमई क्षेत्र के लाभ के लिए भारतीय मानक अब निःशुल्क उपलब्ध है और ई-बीआईएस के मानक पोर्टल से डाउनलोड किया जा सकता है।

उन्होंने यह भी बताया कि विभिन्न संगठनों में चल रहे मानक तैयारी के कार्य में सामंजस्य बनाने के लिए एक राष्ट्र, एक मानक योजना की शुरू की गई। आरडीएसओ, इंडियन रोड कांग्रेस और रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत मानकीकरण महानिदेशालय जैसे एसडीओ के साथ परामर्श की प्रक्रिया जारी है।

अनुरूपता आकलन के संदर्भ में, उन्होंने बताया कि हितधारकों पर अनुपालन के बोझ को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं जैसे-प्रमाणन की पूरी प्रक्रिया का स्वचालन, लाइसेंस प्रदान करना, लाइसेंस का नवीनीकरण और समावेशन। इन कदमों को ई-बीआईएस के मानक पोर्टल के माध्यम से शामिल किया गया है। आवेदन-पत्रों के निस्‍तारण के लिए सख्‍त समय-सीमा और अनुपालन की वास्‍तविक समय आधारित निगरानी, लाइसेंसों के स्वतः नवीकरण की प्रणाली की शुरुआत, न्यूनतम मुहरांकन शुल्क में पर्याप्त कमी यानी सूक्ष्म उद्योग और स्टार्टअप एवं महिला उद्यमियों को 50 प्रतिशत की कटौती तथा पुराने लाइसेंस धारकों को 10 प्रतिशत की अतिरिक्त छूट, 80 प्रतिशत से अधिक उत्पादों को सरलीकरण प्रक्रिया के अंतर्गत लाया जा रहा है। इसका मतलब यह है कि इन उत्पादों के विनिर्माण के लिए लाइसेंस एक महीने की अवधि के भीतर प्रदान किया जाएगा, प्रोसेसिंग में देरी को कम करने के लिए आवेदन-पत्र की जांच के स्‍तर पर आवेदकों के साथ परामर्श करने की प्रणाली शुरू की गई। उन्होंने बताया कि इन पहलों के परिणामस्वरूप निर्धारित समय-सीमा के भीतर 90 प्रतिशत से अधिक आवेदनों का निपटान करना संभव हो गया है।

उन्होंने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि देश में गुणवत्ता के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए कारखाने और बाजार की निगरानी महत्वपूर्ण है और निगरानी प्रणाली को सुदृढ़ करने के लिए निम्‍नलिखित पहलें की गई हैं:

कारखाने की निगरानी के लिए एनएबीसीबी द्वारा मान्यता प्राप्त पांच एजेंसियों का नियोजन।

बाजार की निगरानी के लिए दो बाहरी एजेंसियों का नियोजन।

तेज गति और पार‍दर्शिता के लिए मोबाइल ऐप आधारित निगरानी प्रणाली का विकास।

आयातित वस्‍तुओं की निगरानी के लिए सीमाशुल्‍क आइसगेटका ई-बीआईएस के विदेशी विनिर्माता प्रमाणन माड्यूल के साथ समेकन।

उत्‍पादन और प्राप्त करने वाले के ब्‍यौरों की नियमित फीडिंग के लिए मानक ऑनलाइन में माड्यूल की शुरुआत की गई।

एलआईएमएस प्रणाली के बारे जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि प्रयोगशाला से संबंधित गतिविधियों को और अधिक कुशल बनाने के लिए बीआईएस और मान्यता प्राप्त निजी प्रयोगशालाओं में उत्‍पाद नमूनों के परीक्षण की पूरी प्रक्रिया को स्वचालित बनाने के लिए प्रयोगशाला सूचना प्रबंधन प्रणाली (एलआईएमएस) का विकास, एलआईएमएस वास्‍तविक समय आधार पर प्रत्‍येक नमूने की प्रगति की ट्रैकिंग सुनिश्चित करता है, एलआईएमएस का मानक ऑनलाइन और सीआरएस पोर्टलों के साथ समेकन, प्रयोगशाला को मान्‍यता देने की स्‍कीम का स्‍वचालन (ओटोमेशन), एनएबीएल और बीआईएस का प्रत्यायन और मान्यता प्रक्रियाओं का समेकन, बीआईएस प्रयोगशाला के बुनियादी ढांचे को बेहतर करना, वैज्ञानिक अंतराल के आधार पर परीक्षण सुविधाओं के विस्तार और उन्नयन के लिए कार्य योजना, जैसे कदम उठाए गए हैं। बीआईएस के महानिदेशक ने क्लस्टर आधारित प्रयोगशालाओं और संबंधित सहायक प्रयोगशालाओं की स्थापना के लिए जारी दिशा-निर्देशों के बारे में भी जानकारी दी।

इन पहलों के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि सोने के गहने और कलाकृतियों की हॉलमार्किंग की प्रक्रिया को विश्वसनीय और पारदर्शी प्रक्रिया बनाने के लिए बीआईएस ने ज्वेलरों के पंजीकरण की ऑनलाइन और स्वचालित प्रणाली, एसेइंग और हॉलमार्किंग की संपूर्ण प्रक्रिया को स्वचालित बनाना, एसेइंग और हॉलमार्किंग केन्द्रों का अंकेक्षण और बाजार की निगरानी के लिए मोबाइल ऐप आधारित प्रणाली और अर्हता प्राप्त मानवशक्ति की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए हॉलमार्किंग में सर्टिफिकेट कोर्स की शुरुआत करने जैसे निम्न कदम उठाए हैं।

उन्होंने बताया कि देश में मानकों से जुड़ी मांग को सृजित करने के लिए उपभोक्ताओं, उद्योग जगत, सरकारी विभागों, शैक्षिक एवं अनुसंधान संस्थानों के बीच गुणवत्ता संबंधी जागरूकता पैदा करना प्राथमिक रूप से महत्वपूर्ण है। उन्होंने आगे कहा कि मंत्रालयों और उद्योग संघों में मानकीकरण प्रकोष्ठ की स्थापना, व्यवस्थित तरीके से उद्योग जगत के साथ परामर्श में वृद्धि पर ध्यान देना, आईआईटी, आईआईएम, एनएलयू जैसे प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापन, इंजीनियरिंग और पेशेवर संस्थानों के पाठ्यक्रम के बीच एकरूपता के लिए एक विशेषज्ञ समूह का गठन, उच्च विद्यालयों और कॉलेजों में मानकों से जुड़े क्लबों का सृजन जैसे विभिन्न कदम उठाए हैं। ई-बीआईएस के हिस्से के रूप में उपभोक्ताओं को जोड़ने और प्रशिक्षण देने वाले पोर्टलों का विकास करना, बीआईएस टॉक्‍स शीर्षक के तहत शैक्षिक वीडियो का निर्माण, बीआईएस द्वारा सरकारी संगठनों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को केवल भारतीय मानक और प्रमाणन का उपयोग करने हेतु निर्देशित करना तथा गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ) के तहत और अधिक उत्‍पादों को लाने हेतु मंत्रालयों के साथ मानकों की सूची साझा की गई है।   

बीआईएस के महानिदेशक ने अपनी समापन टिप्पणी में कहा कि बीआईएस राष्‍ट्रीय अर्थव्‍यवस्‍था की उभरती जरूरतों और उपभोक्‍ता के हितों के प्रति सजग है और इन जरूरतों को पूरा करने के लिए उसके पास एक रोडमैप है।

 

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