कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) की जम्मू कश्मीर शाखा की 42वीं वार्षिक आम बैठक को संबोधित किया
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सिविल सेवाओं और शासन के क्षेत्रों में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिल रहे हैं: डॉ जितेंद्र सिंह
Posted On:
31 JAN 2021 7:21PM by PIB Delhi
भारतीय लोक प्रशासन संस्थान आईआईपीए की जम्मू कश्मीर शाखा की वार्षिक आम बैठक को आईआईपीए के राष्ट्रीय अध्यक्ष तौर पर उत्तर पूर्वी राज्य विकास मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन और परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह से आज कहा कि जम्मू में हो रही इस बैठक का समय दो अर्थों में बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है। पहला: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सिविल सेवा और शासन के क्षेत्रों में कई बड़े सुधार देखने को मिल रहे हैं जो अभी कुछ समय पहले तक कल्पना से भी परे थे। दूसरी उपलब्धि आज का जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के रूप में ज्यादा सक्रिय रुप से प्रतिक्रिया कर रहा है और कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग डीओपीटी), और प्रशासन सुधार तथा लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) द्वारा शुरू किए गए प्रशासनिक सुधारों को लागू किया जा रहा है, जो कि पहले की जम्मू कश्मीर सरकार द्वारा स्वीकार नहीं किया जाता था।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि आज का आईएएस बीते वर्षों का आईएएस नहीं है। प्राथमिकताएं तेजी से बदल रहीं हैं, सेवा की व्यवस्था बदल रही है। लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी में प्रशिक्षण का प्रारूप बदल रहा है। सबसे महत्वपूर्ण है कि इस समय नौकरशाहों से उम्मीदें बहुत ज़्यादा बढ़ गई हैं, और उस तक लोगों की पहुंच की अपेक्षा होती है, अधिकारियों से और अधिक पारदर्शिता तथा जवाबदेह होने की अपेक्षा की जाती है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए बीते 7 वर्षों में भारत में शासन के स्वरूप को बदलने के लिए व्यापक स्तर पर क्रांतिकारी फैसले किए गए हैं। इनमें से कुछ फैसलों का उल्लेख करते हुए डॉ सिंह ने कहा कि वर्ष 2014 में मोदी सरकार ने आने के तुरंत बाद दस्तावेजों और प्रमाणपत्रों के स्वतः प्रमाणन का आदेश जारी किया जिसके लिए पहले लोगों को राजपत्रित अधिकारी के पास जाना पड़ता था। इसके अलावा कुछ सरकारी नौकरियों में चयन के लिए साक्षात्कार की व्यवस्था को खत्म किया जाना, नवनियुक्त आईएएस अधिकारियों को उनके राज्य या केंद्र शासित क्षेत्र में उनके पद पर तैनाती से पहले केंद्र सरकार में 3 महीने की अनिवार्य सेवा की शुरुआत, भ्रष्टाचार रोधी अधिनियम 1988 में संशोधन कर घूस लेने वाले और घूस देने वाले दोनों को समान रूप से दोषी ठहराए जाने की व्यवस्था, पुरुष कर्मचारियों के लिए भी बाल देखभाल अवकाश शुरू किया जाना, महिला कर्मचारियों के लिए मातृत्व अवकाश को बढ़ाया जाना, तलाकशुदा बेटियों के लिए पारिवारिक पेंशन की शुरुआत, पेंशन भोगियों के लिए डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र की शुरुआत, सीपीजीआरएएमएस पोर्टल का शुभारंभ, प्रधानमंत्री उत्कृष्टता सम्मान का स्वरूप बदला गया और मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय अकादमी की प्रशिक्षण व्यवस्था में बदलाव इत्यादि विभिन्न सुधार किए गए।
डॉ सिंह ने कहा पिछले दो महीनों में लिए गए दो निर्णय सबसे महत्वपूर्ण रहे। उन्होंने इन फैसलों का उल्लेख करते हुए कहा कि एक निर्णय "मिशन कर्मयोगी" के नाम से शुरू किया गया जिसका उद्देश्य डिजिटल माध्यम से प्रत्येक अधिकारी में क्षमता निर्माण को निरंतर प्रक्रिया बनाया जा सके ताकि उसे सौंपे गए दायित्व के लिए वह तैयार हो सके, साथ ही साथ दायित्व सौंपने वाले अधिकारियों को भी वैज्ञानिक ढंग से हर एक नए काम के लिए उसके योग्य अधिकारी के चयन में सहूलियत हो। दूसरा निर्णय देश भर के नौकरी पाने वाले युवाओं को एक सही मंच उपलब्ध कराने के लिए कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (सीईटी) हेतु राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी यानी नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी की स्थापना का रहा।
डॉ जितेंद्र सिंह ने आईआईपीए से अधिकारियों में क्षमता निर्माण की प्रक्रिया में सहभागी की भूमिका निभाने के लिए आगे आने का आह्वान किया और मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई बेहतर प्रक्रियाओं के संबंध में सभी पक्षों को संवेदनशील बनाने को कहा। उन्होंने युवा अधिकारियों का नामांकन करने के लिए आईआईपीए से व्यापक सदस्यता अभियान चलाने का आह्वान किया ताकि आईआईपीए अपनी अकादमिक संसाधन क्षमता का पूर्णता में इस्तेमाल कर सके और 21वीं सदी के भारत को ध्यान में रखते हुए शासन और प्रशासन के उच्च मानकों के अनुरूप व्यवस्था कायम की जा सके।
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