रक्षा मंत्रालय

"बैटल रेडी फ़ॉर ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी" शीर्षक से पुस्तक सेंटर फॉर लैंड वॉरफेयर स्टडीज़ (कलॉज़) में लोकार्पित

Posted On: 17 MAR 2021 3:41PM by PIB Delhi

सेंटर फॉर लैंड वॉरफेयर स्टडीज़ (क्लाज़) के प्रतिष्ठित फेलो लेफ्टिनेंट जनरल ए के सिंह एवं विजिटिंग फेलो ब्रिगेडियर नरेन्द्र कुमार द्वारा सह-संपादित पुस्तक "बैटल रेडी फॉर ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी" का विमोचन सीडीएस जनरल बिपिन रावत और पूर्व सेना प्रमुख जनरल दीपक कपूर ने दिनांक 17 मार्च 2021 को सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज (कलॉज़) में किया।

"बैटल रेडी फ़ॉर ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी" शीर्षक से पुस्तक में संघर्ष के नवीन आयामों, उनके लिए वांछित क्षमताओं एवं उन सैद्धांतिक मुद्दों को परिभाषित करने का प्रयास किया गया है जिनको सावधानीपूर्वक परीक्षण की दरकार है। व्यावहारिक अनुभव एवं क्षेत्र में विशेषज्ञता वाले लेखकों ने भूमि, वायु, समुद्र, अंतरिक्ष, साइबर डोमेन और यहां तक कि संज्ञानात्मक डोमेन पर उभरती सुरक्षा चुनौतियों से भारत को सुरक्षित करने के लिए आवश्यक तरीकों और साधनों को परिभाषित करने और सुझाव देने का प्रयास किया है। यह पुस्तक भविष्य के उन संघर्षों का ज़िक्र कर रही है जिनका सामना भारत कर सकता है और आकस्मिक युद्धों को रोकने के लिए क्षमताओं का निर्माण करने की आवश्यकता है। इसका प्राक्कथन पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल अरुण प्रकाश ने लिखा है। पूर्व सेना प्रमुख जनरल एन सी विज और प्रो गौतम सेन ने भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों और निर्माण क्षमताओं की आवश्यकता के लिए अनुभवजन्य रूप से पहचान करने के लिए पुस्तक पर टिप्पणी की है

यह पुस्तक भविष्य के संघर्षों के रणनीतिक प्रबंधन के लिए वैचारिक ढांचे को निर्धारित करती है । भारतीय संदर्भ में पारंपरिक ज़मीनी बल इलाके में कब्ज़ा करने, अधिकारपूर्वक बने रहने तथा दुश्मन को कोई भी लाभ उठाने से रोकने में अब भी बेजोड़ हैं। नतीजतन, विशेष रूप से चीन और पाकिस्तान से खतरे से निपटने के दौरान ज़मीनी बलों पर ध्यान केंद्रित रहता है। इस संदर्भ में पुस्तक में लिखे गए लेखों में भारत को सुरक्षित करने के लिए गतिशील सैन्य रणनीतियों के साथ-साथ ग्रे जोन संघर्ष, शहरी युद्ध और पर्वतीय युद्ध को भी कल्पनाशीलता से शामिल किया गया है। "दो तरफ़ा युद्ध" की दुविधा अब भ्रम नहीं अपितु एक वास्तविकता है जो हमारे समक्ष बनी हुई है। बहुत लंबे समय से आईएसआर डोमेन भारत के लिए दुखती रग बना हुआ है, इस लेख के लेखक ने कमियों की पहचान की है और इन्हें दूर करने के लिए व्यावहारिक उपाय सुझाए हैं।

सैद्धांतिक नवाचार का महत्वपूर्ण आयाम दूरदर्शी नेतृत्व से सही तरीके से जोड़ा गया है तथा यह पेशेवर सैन्य शिक्षा से संबंधित है। यह पुस्तक इंटीग्रेटेड थियेटर कमानों के रूप में सशस्त्र बलों के पुनर्गठन तथा क्रोस डोमेन ऑपेरशनों को देखते हुए काफी महत्वपूर्ण है। यह पुस्तक उच्च रक्षा संगठन के सदस्यों, सैन्य पेशेवरों और शिक्षाविदों के लिए अवश्य पढ़ने लायक है।

 

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