आयुष

औषधीय पौधे

Posted On: 05 FEB 2021 7:32PM by PIB Delhi

राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड (एनएमपीबी) वर्तमान में पूरे देश में औषधीय पौधों के संरक्षण, विकास और सतत प्रबंधन पर केंद्रीय क्षेत्र योजना लागू कर रहा है । इस योजना के अंतर्गत संयुक्त वन प्रबंधन समितियों (जेएफएम)/ पंचायतों/ वन पंचायतों/ स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी)/ जैव विविधता प्रबंधन समितियों (बीएमसी) को मूल्य संवर्धन, ड्राइंग, भंडारण एवं विपणन अवसंरचना इत्यादि की बेहतरी के लिये परियोजना आधारित सहायता प्रदान की जाती है जिसका उद्देश्य संयुक्त वन प्रबंधन समितियों (जेएफएम)/ वन पंचायतों/ स्थानीय स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी)/ जैव विविधता प्रबंधन समितियों (बीएमसी) इत्यादि के क्षमता निर्माण के माध्यम से उत्पादन को चैनलाइज़ करना एवं टिकाऊ खेती को प्रोत्साहित करना तथा औषधीय पौधों की आपूर्ति करना है । 57 स्वयं सहायता समूहों के राज्य वन विभाग के माध्यम से समर्थित किया गया है, जिसका विवरण नीचे दिया गया है:

 

 

क्रम संख्या

प्रदेश का नाम

स्वयं सहायता समूहों की संख्या

1.

महाराष्ट्र

10

2.

पंजाब

36

3.

उत्तराखंड

11

 

 

आयुष मंत्रालय इस समय निम्नलिखित योजनाओं को कार्यान्वित कर रहा है:

  1. "राष्ट्रीय आयुष मिशन (एनएएम) की केंद्र प्रायोजित योजना"

प्रदेशों के चयनित जिलों के चिह्नित क्लस्टर/ ज़ोन्स में 140 प्राथमिकता वाले औषधीय पौधों की बाजार चालित खेती को सहारा देने वाले एनएएम योजना के औषधीय पौधों वाले घटक को मिशन मोड में कार्यान्वित किया जा रहा है । योजना दिशानिर्देश के अनुसार, सहायता प्रदान की गई है:

 

  1. किसानों की भूमि पर प्राथमिकता वाले औषधीय पौधों की खेती ।
  2. गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री को बढ़ाने और आपूर्ति के लिए पिछले लिंकेज के साथ नर्सरियों की स्थापना।
  3. आगे के संपर्कों के साथ फसल कटाई के बाद प्रबंधन इकाइयों की स्थापना।
  4. प्राथमिक प्रसंस्करण, विपणन अवसंरचना आदि की स्थापना।

 

औषधीय पौधों की खेती के लिए 140 प्रजातियों की प्राथमिकता सूची में से 30 प्रतिशत, 50 प्रतिशत और इसकी खेती की लागत का 75 प्रतिशत की दर से सब्सिडी प्रदान की जाती है । इस योजना के तहत गुजरात राज्य में पिछले तीन वर्षों के दौरान औषधीय पौधों की खेती गतिविधियों के लिए कुल 467.41 लाख रुपये (राज्य के हिस्से सहित) को मंजूरी दी गई है ।

 

  1. औषधीय पौधों के संरक्षण, विकास और सतत प्रबंधन" पर केंद्रीय क्षेत्र योजना जिसमें निम्नलिखित गतिविधियों का समर्थन किया जाता है:
  1. स्वस्थान संरक्षण/ परोक्ष संरक्षण
  2. संयुक्त वन प्रबंधन समितियों (जेएफएमसी) /पंचायतों/ वन पंचायतों/ जैव विविधता प्रबंधन समितियों (बीएमसी)/ स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के साथ आजीविका संबंध ।
  3. आईईसी गतिविधियां जैसे प्रशिक्षण/ कार्यशाला/ सेमिनार/ सम्मेलन आदि ।
  4. अनुसंधान और विकास ।
  5. औषधीय पौधों के उत्पाद का संवर्धन, विपणन और व्यापार ।

 

इस योजना के तहत अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी) गतिविधियों के संबंध में परियोजना आधारित सहायता के लिए कुल 277.311 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की गई है ।

 

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