विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
सीएसआईआर-सीएमआरआई, दुर्गापुर ने एमएसएमई,-डीआई, अहमदाबाद के साथ सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम के लिए जल शोधन प्रौद्योगिकी पर वेबिनार का आयोजन किया
सीएसआईआर-सीएमईआरआई प्रकृति में विकेंद्रीकृत हरित जल शोधन अभिनवों के विकास पर ध्यान केंद्रित करता है और इसके परिणाम प्रभावी है: प्रो (डॉ.) हरीश हिरानी
एमएसएमई-डीआई, अहमदाबाद के निदेशक ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम को सभी संभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया
Posted On:
05 JAN 2021 7:27PM by PIB Delhi
एमएसएमई-डीआई, अहमदाबाद के निदेशक श्री के. एच शाह ने आज सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम के लिए जल शोधन प्रौद्योगिकी पर सीएसआईआर-सीएमईआईआर, दुर्गापुर और एमएसएमई-डीआई, अहमदाबाद द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक बेबिनार का उद्घाटन करते हुए कहा कि सीएसआईआर-सीएमईआरआई की जल शोधन प्रौद्योगिकी अन्य उपलब्धियों के साथ सामाजिक रूप से काफी प्रभावी रही है। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में जल के सस्ते और प्रभावी शोधन के लिए संगठन निरंतर प्रौद्योगिकी विकसित कर रहा है और एमएसएमई इसके प्रति समुदाय के बीच पर्याप्त रुचि और जागरूकता भी जगा रहा है। उन्होंने व्यवसायिक समुदाय को सीएसआईआर-सीएमईआरआई जैसे उत्कृष्ट संस्थानों की अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों तक एमएसएमई क्षेत्र की आसान पहुँच बनाने के लिए आवश्यक समन्वय और सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया।
सीएसआईआर-सीएमईआरआई, दुर्गापुर के निदेशक प्रो. (डॉ.) हरीश हिरानी ने मुख्य वक्ता के रूप में अपने संबोधन में कहा कि भारत की साठ प्रतिशत आबादी कृषि पर प्राथमिक व्यवसाय के रूप में निर्भर है। इस प्रकार, कृषि संसाधन के रूप में जल एक अत्यंत प्रभावपूर्ण कारक है। उन्होंने कहा कि सीएसआईआर-सीएमईआरआई प्रकृति में विकेंद्रीकृत हरित जल शोधन अभिनवों के विकास पर ध्यान केंद्रित करता है और इसके परिणाम प्रभावी है। जल शोधन प्रौद्योगिकियों ने जल की ऊर्जा क्षमता विशेषता को बढ़ाते हुए इसके शोधन को व्यापक रूप से बढ़ाने की दिशा में निरंतर रूप से विकास किया है। अभिनव जैविक-रासायनिक-भौतिक निस्पंदन आसानी से और स्थानीय रूप से सक्षम स्रोत है। उन्होंने कहा कि मॉड्यूलर प्रौद्योगिकियां में विभिन्न स्तरों पर की जाने वाली निरंतर छनाई को शामिल किया गया है। चूंकि भारत के 54 प्रतिशत लोग जल से संबंधित उच्च कमी का सामना करते हैं और 100 मिलियन से अधिक का जीवन जल संकट से प्रभावित हैं। सीएमईआरआई प्रौद्योगिकियों के माध्यम से जल शोधन की लागत 1 पैसे प्रति लीटर से लेकर 10 पैसे प्रति लीटर तक होती है और इससे इस कार्य क्षेत्र में अत्यधिक वृद्धि किए जाने की भी क्षमता है। सीएसआईआर-सीएमईआरआई द्वारा विकसित जल शोधन तकनीक को पहले से ही 56 व्यावसायिक संस्थाओं को हस्तांतरित किया जा चुका है। इन प्रौद्योगिकियों को एमएसएमई भागीदारों से अत्यधिक सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है और इस प्रतिक्रिया के अनुसार यह पहले ही एक मिलियन से अधिक भारतीयों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करते हुए एक प्रभावी और आर्थिक जल शोधन विकल्प भी उपलब्ध कराती हैं। विश्व बैंक, न्यू डेवलपमेंट बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक आदि से सहायता के रूप में जल शोधन/ उपचार और बाढ़ प्रबंधन के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन उपलब्ध हैं और इसे एमएसएमई द्वारा प्रभावी रूप से बैंक से सहायता से जोड़े जाने की आवश्यकता है।
ग़ौरतलब है कि सीएसआईआर-सीएमईआरआई ने नालों की सफाई के लिए यंत्र चालित प्रणाली विकसित की है जिसके तहत बंद नालों की प्रभावी और तत्काल सफाई के लिए सेल्फ-प्रोपेलिंग नोजल और रोबोट एवं एक मोबाइल फिल्ट्रेशन यूनिट का उपयोग किया जा रहा है। हाल ही में विकसित प्रवाही शोधन संयंत्र में एक अत्याधुनिक बहुत स्तरीय मल्टी-छनाई प्रणाली है, जो कृषि उद्देश्यों के लिए सीएमईआरआई आवासीय कॉलोनी से उत्पन्न अपशिष्ट जल का पुनर्शोधन करता है। सीएसआईआर-सीएमईआरआई ने दूर-दराज के क्षेत्रों में आसानी से लगाए जाने वाले एक सौर ऊर्जा संचालित उच्च प्रवाही आर्सेनिक निष्कासन फ़िल्टर को भी विकसित किया है।
अन्य वक्ताओं में आईईडीएस, एमएसएमई अहमदाबाद के उपनिदेशक श्री पी. एन. सोलंकी शामिल थे। उन्होंने सभी सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों से राष्ट्र के जल संकट के समाधान की दिशा में सीएसआईआर-सीएमईआरआई की गतिविधियों को प्रोत्साहन देने और इनमें सक्रिय रूप से भाग लेने का आग्रह किया। श्री सोलंकी ने कहा कि गुजरात में औद्योगिक जल प्रदूषण को, सीएसआईआर-सीएमईआरआई की जल प्रौद्योगिकी क्षमता का उपयोग करते हुए एमएसएमई के द्वारा एक स्वस्थ क्षेत्रीय पारिस्थितिकी बनाने में भागीदारी के लिए दोहन किया जा सकता है।
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एमजी/एएम/एसएस/डीसी
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