जनजातीय कार्य मंत्रालय

सहभागिता मॉडल के माध्यम से आदिवासियों की आजीविका को बढ़ावा देने के लिए ट्राईफएड ने ग्रामीण विकास मंत्रालय के डीएवाई - एनआरएलएम के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए

Posted On: 31 DEC 2020 5:24PM by PIB Delhi

आदिवासी लोगों की आजीविका में सुधार करने (वनवासी और शिल्पकार दोनों) और उनके सशक्तीकरण की दिशा में काम करने के मिशन के तहत जनजातीय कार्य मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत ‘ट्राईफेड’समान विचार वाले ऐसे संगठनों की खोज कर रहा है, जो ट्राईफेड के साथ भागीदारी करके आदिवासियों की आजीविका में सुधार और उनके सशक्तीकरण में मदद कर सकें। इस संबंध में, ट्राईफेड ने दीन दयाल अन्त्योदय-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई - एनआरएलएम) के साथ हाथ मिलाया है। अब दोनों संगठन सहभागिता के मॉडल पर काम करते हुए आदिवासियों को आर्थिक सहायता मुहैया कराने वाले कार्यक्रम संचालित करेंगे, जिससे देशभर के आदिवासी लोगों के अलावा विशेषरूप से स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) से जुड़ी महिलाओं की आजीविका को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।

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ट्राईफेड और डीएवाई - एनआरएलएम ने आज इस सहयोग और सहकारी प्रयास को मज़बूती देने के लिए एक साथ हाथ मिलाया। ट्राईफेड के प्रबंध निदेशक श्री प्रवीर कृष्णा और ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव श्री नगेन्द्र नाथ सिन्हा ने इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

इस समझौते के महत्व और आदिवासियों की आजीविका को सुधारने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बोलते हुए श्री प्रवीर कृष्णा ने कहा कि ट्राईफेड कौशल विकास और आदिवासियों की आजीविका के क्षेत्र में विभिन्न मंत्रालयों और संगठनों के साथ मिलकर कंवर्जेंस मॉडल पर काफी सक्रियता के साथ काम कर रहा है। यह समझौता हमें समाज के दो वंचित वर्ग- आदिवासी और महिलाओं के जीवन और उनकी आजीविका में सुधार करने के लिए एक साथ मिलकर काम करने में मदद करेगा।

श्री नगेन्द्र नाथ सिन्हा ने कहा मुझे बेहद खुशी है कि हमारे समाज के इन वंचित वर्गों की आजीविका को सुधारने और इन्हें लाभान्वित करने के लिए ये दोनों संगठन एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करेंगे।

दोनों संगठन ने इस बात पर सहमत जताई कि इन संगठनों की ओर से पहले से ही संचालित किए जा रहे विभिन्न कार्यक्रम और योजनाओं को सहभागिता के मॉडल पर क्रियान्वित करने के लिए ये दोनों एकसाथ मिलकर काम करेंगे, ताकि समाज के वंचित वर्गों (आदिवासी लाभार्थी और महिलाओं) की आजीविका में सुधार करने के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। बैठक के दौरान जिन क्षेत्रों में कार्य किया जाना है, उसके कार्यक्षेत्र पर भी विस्तार से चर्चा कि गई। जिन क्षेत्रों में काम किया जाना है, उसमें विशेषरूप से ये दो कार्यक्षेत्र महत्वपूर्ण हैं –

लघु वन उत्पादः एमएफपी के लिए एमएसपी और दलालों के द्वारा बीच में किए जाने वाले अनुचित व्यवहार से आदिवासी आबादी को बचाने के लिए राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एसआरएलएम) को लागू करने वाली राज्य कार्यान्वयन एजेंसियों के बीच बाज़ार संचालित सहभागिता को बढ़ाने पर सहमति बनी। एसआरएलएम वन धन योजना को लागू करने में भी सक्रिय भूमिका निभाएगा, जिसमें ट्राईफेड उसे पर्याप्त तकनीकी एवं अन्य मदद प्रदान करेगा। एसआरएलएम के माध्यम से एनआरएलएम एक स्थायी मॉडल बनाने के लिए वन धन केंद्रों को स्थापित करने में मदद करेगा। दोनों संगठनों ने भंडारण के लिए भंडारगृह, मनरेगा के अंतर्गत कृषि, बागवानी और लघु वन उत्पादों (एमएफपी) का प्राथमिक प्रसंस्करण और अन्य योजनाओं को लागू करने के लिए सामान्य सुविधा केन्द्र स्थापित करने और साथ मिलकर काम करने पर भी सहमति जताई।

हथकरघा/हस्तशिल्पः ट्राईफेड बहुसंख्यक आदिवासी सदस्यों वाले एसएचजी अथवा एफपीओ को सूचीबद्ध करेगा (एनआरएलएम द्वारा चिन्हित) और अपने ऑनलाइन तथा ऑफलाइन नेटवर्क के माध्यम से इनके उत्पादों की बिक्री को सुनिश्चित करेगा। आवश्यकता पड़ने पर इन एसएचजी अथवा एफपीओ को क्षमता निर्माण कार्यक्रम के अलावा पर्याप्त प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, जिससे ये हथकरघा/हस्तशिल्प अथवा पैकिंग वाले खाद्य/ऑर्गेनिक उत्पादों जैसे बेहतर उत्पादों का निर्माण करने में सक्षम बनेंगे।इसके अतिरक्त, ये संगठन आदिवासी एसएचजी सदस्यों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से सहयोग के कई अन्य क्षेत्रों की पहचान भी करेंगे।

साथ ही, इन आदिवासियो के लिए स्थायी आजीविका और आय के अवसरों में सुधार करने के उद्देश्य से विभिन्न मंत्रालयों तथा विभागों और ग्रामीण विकास मंत्रालय, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमिता मंत्रालय, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, डीएमएफ, आईसीएआर, आयुष मंत्रालय जैसे विशेषज्ञ संगठनों द्वारा संचालित की जा रही विभिन्न योजनाओं और पहलों को एकसाथ जोड़ (कन्वर्जेंस) दिया गया है। इसका दायरा विकासात्मक गतिविधियों के विभिन्न पहलुओं तक है।

 

ट्राईफेड को भरोसा है कि दोनों संगठनों के बीच सहभाहगिता के सफल क्रियान्वयन और कई अन्य आगामी कन्वर्जेंस से इन लोगों की आजीविका और आय को बढ़ाने में मदद मिलेगी। इस सहभागिता से देशभर के आदिवासियों के जीवन और उनकी आजीविका में प्रभावशाली तरीके से सकारात्मक बदलाव लाने में मदद मिलेगी।

 

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