पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय

श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि सरकार द्वारा इथेनॉल आसवन क्षमता को बढ़ावा देने के लिए ब्याज अनुदान योजना का विस्तार करने का फैसला हमारे अन्नदाता को उर्जादाता में परिवर्तित करेगा, उन्होंने इसे आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक कदम बताया

Posted On: 30 DEC 2020 6:55PM by PIB Delhi

केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और इस्पात मंत्री, श्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज कहा कि माननीय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शीरा आधारित भट्टी के साथ-साथ अनाज आधारित भट्टी से इथेनॉल आसवन क्षमता को बढ़ावा देने हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए ब्याज अनुदान योजना के विस्तार को मंजूरी प्रदान की गई है। ब्याज अनुदान योजना के अंतर्गत कुल परिव्यय राशि 8,460 करोड़ रुपये अनुमानित की गई है। उन्होंने कहा कि ब्याज अनुदान योजना में विस्तार होने से इथेनॉल मूल्य श्रृंखला में लगभग 40,120 करोड़ रुपये का निवेश मिलेगा, जिससे 'ऊर्जा-खेती' को बढ़ावा मिलेगा और किसानों की आय बढ़ेगी, इससे हमारे 'अन्नदाता' को 'उर्जादाता' में परिवर्तित हो जाएंगे और इससे आत्मनिर्भर भारत के समग्र दृष्टिकोण को बढ़ावा मिलेगा।

इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम (ईबीपी) की शुरूआत 2003 में हुई जिसे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नए सिरे से बल प्राप्त हुआ। विगत 6 वर्षों में प्रगतिशील, सुधारोन्मुखी दृष्टिकोण और उठाए गए कदमों की श्रृंखला के परिणामस्वरूप, जहां चीनी वर्ष 2013-14 में इथेनॉल खरीद 38 करोड़ लीटर थी और जिसका मूल्य लगभग 1500 करोड़ रुपये था वह चीनी वर्ष 2020-21 में बढ़कर 325 करोड़ लीटर हो गई है, जिसकी अनुमानित मूल्य 19,000 करोड़ रूपये है। इथेनॉल खरीद की कीमत भी चीनी वर्ष 2013-14 में लगभग 39 रुपये प्रति लीटर से बढ़कर चीनी वर्ष 2020-21 में औसतन 58 रुपये प्रति लीटर हो गई है। कीमतों में हुई इस प्रगतिशील वृद्धि के द्वारा किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिली है।

पेट्रोल में इथेनॉल का सम्मिश्रण प्रतिशत 2013-14 में 1.53 प्रतिशत था जो कि 2019-20 में बढ़कर 5 प्रतिशत हो गया है और 2020-21 में इसे 8.5 प्रतिशत होने का अनुमान है। सरकार द्वारा इथेनॉल सम्मिश्रण 2022 तक 10 प्रतिशत करने और 2030 तक 20 प्रतिशत करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा गया है, जिसके लिए अतिरिक्त क्षमता जोड़ने की आवश्यकता होगी। आज के इस निर्णय से क्षमता वृद्धि में सुगमता आएगी और अधिक इथेनॉल सम्मिश्रण के माध्यम से आयात प्रतिस्थापन, विदेशी मुद्रा में बचत और पर्यावरण स्थिरता में बहुत हद तक मदद मिलेगी।

 

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