विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
सामाजिक प्रभाव के लिए एआई और रोबोटिक्स में उद्योग, अकादमी और सरकार की साझेदारी के एक नए मॉडल की शुरुआत के लिए एआरटीपीएआरके
उद्योग, अकादमी और सरकार के ट्रिपल हेलिक्स ने प्रौद्योगिकी के अग्रिम मोर्चे वाले क्षेत्रों में साझेदारी का एक ढांचा तय किया है – एक ऐसा विषय, जिस पर बहुत जल्द जारी होने वाली एसटीआईपी 2020 में ध्यान दिया जाएगा: प्रोफेसर आशुतोष शर्मा, डीएसटी सचिव
इनमें से कुछ सुविधाएं प्रौद्योगिकियों, उत्पादों और सेवाओं की एक पूरी नई श्रेणी के लिए मुख्य सहायताकर्ता होंगी
ऐसी ही एक सेवा भाषासेतु होगी, जो भारतीय भाषाओं का, स्पीच टु स्पीच और स्पीच टु टेक्स्ट दोनों में, रियल टाइम अनुवाद को सक्षम बनाएगी
Posted On:
29 NOV 2020 5:46PM by PIB Delhi
बेंगलुरु में स्थापित एक एआई एंड रोबोटिक्स टेक्नोलॉजी पार्क (एआरटीपीएआरके), स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन, बुनियादी ढांचे, कृषि, खुदरा कारोबार और साइबर-सुरक्षा में भारत की अनोखी चुनौतियों को ध्यान में रखकर महत्वाकांक्षी मिशन मोड की आर एंड डी परियोजनाओं को लागू करके सामाजिक प्रभाव को बढ़ाने वाली एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और रोबोटिक्स प्रौद्योगिकी में नए प्रयोगों को प्रोत्साहित करेगा।
सार्वजनिक-निजी मॉडल में एआई फाउंड्री की मदद के साथ एआरटीपीएआरके, भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बेंगलुरु द्वारा स्थापित एक अनोखा गैर-लाभकारी फाउंडेशन है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार से नेशनल मिशन ऑन इंटर डिसिप्लिनरी साइबर-फिजिकल सिस्टम्स (एनएम-आईसीपीएस) के तहत 170 करोड़ रुपये (22 मिलियन डॉलर) अनुदान के साथ, यह उद्योग, अकादमी और सरकारी संस्थाओं से भागीदारों का सहयोगी संघ बनाएगा। यह नई प्रौद्योगिकियों, मानकों, उत्पादों, सेवाओं और बौद्धिक संपदा के रूप में अत्याधुनिक नवाचारों को बढ़ावा देगा।
हाल ही में एआरटीपीएआरके के उद्घाटन के मौके पर प्रोफेसर आशुतोष शर्मा, डीएसटी सचिव, ने कहा था, “अपने 25 हब के साथ राष्ट्रीय मिशन आईसीपीएस के पास एक अनोखा ढांचा है, जो उद्योग, अकादमी और सरकार के ट्रिपल हेलिक्स (तिहरी संरचना) के बीच पूर्ण लचीलेपन के साथ ठोस सहयोग और सह-स्वामित्व की परिकल्पना करता है। एआरटीपीएआरके हब को कर्नाटक सरकार से मिलने वाला उदारतापूर्ण अतिरिक्त सहयोग इसकी प्रभावशीलता, पहुंच और इस्तेमाल को बढ़ाने में असाधारण महत्व लाता है। यह प्रौद्योगिकी के अग्रिम मोर्चे के क्षेत्रों में केंद्र-राज्य भागीदारी का ढांचा भी तय करता है, एक ऐसा विषय है जिस पर बहुत जल्द जारी होने वाली विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति 2020 में ध्यान दिया जाएगा।”
प्रो. गोविंदन रंगराजन, निदेशक, आईआईएससी ने कहा, “भारतीय अकादमिक क्षेत्र विभिन्न क्षेत्रों में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी शोध कर रहा है। हालांकि, हमारे पास विश्वविद्यालय की प्रयोगशालाओं से इस शोध के परिणामों को बाहरी दुनिया तक लाने में व्यवस्थागत मुद्दे हैं। एआरटीपीएआरके, इस जरूरत को पूरा करने वाला एक ढाचा बनाने में लंबे समय तक मदद करेगा।”
उमाकांत सोनी, सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने कहा, “यह महत्वाकांक्षी प्रयास न केवल भारत को सक्षम बनाएंगे, बल्कि विकासशील देशों की छह अरब आबादी के लिए प्रौद्योगिकी आधारित समाधानों को तैयार करेंगे।”
एआरटीपीएआरके, प्रौद्योगिकी नवाचारों में मदद करने के लिए एआई और रोबोटिक्स सुविधाएं विकसित करेगा। इसके साथ-साथ इन क्षेत्रों में छात्रों और पेशेवरों को उन्नत कौशल प्रशिक्षण देकर क्षमता निर्माण भी करेगा। इनमें से कुछ सुविधाएं प्रौद्योगिकियों, उत्पादों और सेवाओं की पूरी नई श्रेणी के लिए मुख्य सहायक का काम करेंगी। यह डेटा सेतु का विकास करेगा- जो डेटा साझा करने और डेटा-शेयरिंग इकोसिस्टम को बढ़ाने के लिए एनालिटिक्स के संचालन और एआई के इस्तेमाल और समाधान को बढ़ाने के लिए डेटा बाज़ार बनाने के लिए गोपनीयता और निजता को सुरक्षित रखने वाले ढांचे को प्रभावी बनाएगा।
ऐसी ही एक सेवा होगी भाषा सेतु होगी- जो भारतीय भाषाओं का रियल टाइम में स्पीच टू स्पीच और स्पीच टू टेक्स्ट अनुवाद को सुलभ बनाएगी। यह आगे देश की संभावित आर्थिक क्षमताओं के द्वार को खोलेगी और सभी भारतीय नागरिकों, उनकी भाषा जो भी हो, को आर्थिक उन्नति में समान रूप से भाग लेने के लिए सक्षम बनाएगी।
प्रो. भारद्वाज अमृतुर, अनुसंधान प्रमुख और निदेशक, एआरटीपीएआरके ने बताया कि कैसे एआरटीपीएआरके, आईआईएससी में रॉबर्ट बॉश सेंटर फॉर साइबर फिजिकल सिस्टम्स, बॉश समूह की कंपनियों की आर्थिक मदद में आईआईएससी का एक अंतर्विषयी शोध और शैक्षणिक केंद्र, का प्राकृतिक विकास का परिणाम है।
विशाल धूपर, एमडी, एनवीआईडीआईए दक्षिण एशिया, ने “मानवता के सामने मौजूद बड़ी चुनौतियों के समाधान में प्रौद्योगिकी को सक्षम बनाने” के लिए एनवीआईडीआई और एआरटीपीएआरके के बीच साझेदारी के बारे में बताया।
रॉबिन सुखिया, महासचिव और अध्यक्ष, स्वीडन इंडिया बिजनेस काउंसिल, ने बताया कि कैसे गैर-लाभकारी संगठन प्रौद्योगिकी के अनूठे इस्तेमाल से वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों को हल करने में मदद करने के लिए उच्च और गहरे स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय सह-निर्माण को सक्षम बनाएगा।
एआरटीपीएआरके, एआई फाउंड्री के साथ मिलकर, एक नए तरह का एआरटीपीएआरके वेंचर स्टूडियो चलाएगा, जो टेक्नोप्रिनर्स का मार्गदर्शन करेगा, जो मिशन मोड की परियोजनाओं के परिणाणों को नए स्टार्टअप्स की शुरुआत करने की तरफ ले जाएंगे।
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