विधि एवं न्‍याय मंत्रालय

न्याय विभाग ने राष्ट्रपति के नेतृत्व में संविधान की उद्देशिका का पाठ करके संविधान दिवस मनाया


विभाग ने ‘संविधान दिवस’ पर वेबिनार का भी आयोजन किया

​​​​​​​न्याय बंधु एप के आईओएस वर्जन और इसे उमंग पर जारी करने का वर्चुअल उद्घाटन किया गया

Posted On: 26 NOV 2020 7:23PM by PIB Delhi

न्याय विभाग द्वारा 71वें कांस्टीट्यूशन डे या संविधान दिवस के अवसर पर, एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 11 बजे राष्ट्रपति के नेतृत्व में संविधान की उद्देशिका के पाठ के साथ हुई, जिसका राष्ट्रपति भवन से लाइव टेलीकास्ट किया गया। इस अवसर पर कर्तव्यों को लेकर महात्मा गांधी के उद्धरण वाले एक बैज का वितरण किया गया। न्याय विभाग ने इस अवसर पर क्रॉसवर्ड क्विज प्रतियोगिता का भी आयोजन किया।

संविधान की उद्देशिका के पाठ के बाद दोपहर 12 बजे संविधान दिवसपर एक वेबिनार का आयोजन किया गया। इसके दौरान न्याय बंधु’ (प्रो बोनो लीगल सर्विसेज प्रोग्राम) के आईओएस एप्लीकेशन और इसे एमईआईटीवाई के उमंग प्लेटफॉर्म पर वर्चुअल तरीके से जारी किया गया। वेबिनार में सचिव (न्याय), जो कार्यक्रम के मुख्य वक्ता थे, के अलावा श्री अजय बहल, मैनेजिंग पार्टनर, एजेडबी एंड पार्टनर्स, श्री सचिन मल्हान, सह-संस्थापक, अगामी फाउंडेशन और श्री अशोक कुमार जैन, सदस्य सचिव, नाल्सा जैसे जाने-माने कानूनविदों ने मुख्य वक्ता के रूप में भाग लिया।

न्याय बन्धुआईओएस एप के वर्चुअल उद्घाटन के अवसर पर श्री नीरज कुमार गयागी, संयुक्त सचिव (एक्सेस टू जस्टिस) ने भारतीय विधिक क्षेत्र में जनकल्याण की संस्कृति विकसित करने के लिए संस्थागत रूपरेखा बनाने की जरूरत पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस संबंध में न्याय विभाग ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जैसे कि प्रोबो क्लब योजना की शुरूआत। उन्होंने यह भी कहा कि उमंग पर इस ऐप को लॉन्च किए जाने से देश भर में विधिक सेवाओं की जरूरत वाले लोगों की इन ऐप्स तक पहुंच हो सकेगी।

चर्चा की शुरुआत करते हुए, नाल्सा के सदस्य सचिव, श्री अशोक कुमार जैन ने मोबाइल एप्लिकेशन के लिए विभाग द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की। उन्होंने देश में न्याय तक पहुंच को बढ़ावा देने में विधिक साक्षरता के महत्व पर जोर दिया।

श्री अजय बहल, मैनेजिंग पार्टनर, एजेबी एंड पार्टनर्स, ने जनकल्याण की सेवाएं देने के लिए लॉ फर्मों को भौगोलिक निकटता के आधार पर मामलों को चुनने की आजादी देने, मामलों के चुनाव को फर्मों के विवेक पर छोड़ने, जनकल्याण की सेवाएं देने वाले अधिवक्ताओं (अगर कोई है) के लिए प्रोत्साहन को पेश करने के बारे में बात की। उन्होंने इस दिशा में पहल करने पर जोर दिया ताकि देश के बाकी हिस्सों के लिए एक मॉडल विकसित किया जा सके।

अगामी फाउंडेशन से श्री सचिन मल्हान ने, नागरिक समाज संगठनों (सीएसओ) का प्रतिनिधित्व करते हुए, न्याय प्रणाली में आपूर्ति के अंतर को सामने रखा, जिसकी वजह से देश में जनकल्याण की विधि सेवाएं देने के लिए एक बेहतर रणनीति को अपनाने की जरूरत है, जो सीएसओ और अन्य मध्यवर्तियों (सामुदायिक संगठनों), संबद्ध लॉ स्कूल को शामिल करते हुए एक औपचारिक प्रणाली बनाए और इसमें लाभार्थियों व मध्यवर्तियों दोनों को सशक्त बनाने के लिए जमीनी स्तर पर विधिक साक्षरता के लिए एक अंतर्निहित घटक भी शामिल हो।

श्री बरुणमित्र, सचिव (न्याय) ने न्याय उपलब्ध कराने की नागरिक-केंद्रित व्यवस्था और इसके लिए तकनीक को एक सुविधा प्रदाता, विशेष तौर पर टेली-लॉ स्कीम के रूप में लाने पर जोर दिया, जो हाशिए पर खड़े लोगों को वीडियो/टेली कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पैरा-लीगल वॉलंटियर्स और सूचीबद्ध वकीलों से जोड़े। वर्तमान में, देश भर में 260 जिलों के 29,860 कॉमन सर्विस सेंटर में संचालित टेली लॉ ने 4.43 लाख लाभार्थियों को कानूनी सलाह उपलब्ध कराई है। उन्होंने अधिवक्ता समुदाय के बीच जनकल्याण विधिक सेवाओं को संस्थागत बनाने के लिए विभाग के न्याय बंधु कार्यक्रम की चर्चा की और भारत में जनकल्याण आधारित वकालत के लिए भविष्य की रूपरेखा और रणनीति बनाने के लिए निरंतर कार्यशालाएं आयोजित करने का भी सुझाव दिया।

****

एमजी/एएम/आरकेएस/डीसी



(Release ID: 1676386) Visitor Counter : 188


Read this release in: English , Urdu , Tamil