उप राष्ट्रपति सचिवालय

सरकार आम लोगों के कल्याण के लिए नीतियां बना रही है लेकिन इन नीतियों का प्रभावी कार्यान्वयन महत्वपूर्ण है-उप-राष्ट्रपति


उप-राष्ट्रपति ने आम लोगों की जरूरतों के लिए प्रभावी तरीके से कार्य करने हेतु कार्यान्वयन और वितरण प्रणाली को कारगर बनाने पर जोर दिया

सुशासन को निचले स्तर तक कार्य करना चाहिए तथा इसे जीवन का एक तरीका बनाया जाना चाहिए-उप-राष्ट्रपति

भारत रणनीतिक सतर्कता और त्वरित उचित कार्रवाई के साथ कोविड-19 महामारी से लड़ रहा है-उप-राष्ट्रपति

उप-राष्ट्रपति ने भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) के 66 वीं वार्षिक आम बैठक की अध्यक्षता की

आईआईपीए पुस्तकालय में सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति का अनावरण किया

सरदार पटेल एक वास्तविक कर्मयोगी थे, एक सर्वोत्कृष्ट दूरदर्शी प्रशासक थे: उप-राष्ट्रपति

श्री नायडू ने सरदार पटेल के जीवन और आदर्शों से सिविल सेवकों को प्रेरणा लेने को कहा

आईआईपीए को देश में प्रशासनिक सुधारों की नई लहर को उत्प्रेरित करने के लिए एक सही संस्थान बनाने का आह्वान किया

उप-राष्ट्रपति ने आईआईपीए को प्रशासकों को सीखने में और अधिक सक्षम बनाने के लिए अच्छी क्रियाकलापों का संकलन करने को कहा

Posted On: 31 OCT 2020 6:12PM by PIB Delhi

उप-राष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज ने आम लोगों की जरूरतों के लिए प्रभावी तरीके से कार्य करने हेतु कार्यान्वयन और वितरण प्रणाली को परिष्कृत एवं कारगर बनाने पर जोर दिया।

भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) की 66वीं वार्षिक आम बैठक की अध्यक्षता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए करते हुए उप-राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि सेवाओं का निष्पादन करते समय, न्याय करते समय तथा आम लोगों की जरूरतों के लिए शासन संरचनाओं में बदलाव किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, यह वही बदलाव है जिसकी आज देश जरूरत महसूस कर रहा है।

श्री नायडू ने कहा कि सरकार लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने तथा भारत के विकास को आगे ले जाने के लिए नीतियां और कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार कर रही है। उन्होंने कहा कि हालांकि, प्रशासनिक नेताओं और पेशेवरों द्वारा इन नीतियों एवं कार्यक्रमों का प्रभावी कार्यान्वयन सबसे महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर लोक प्रशासन के लिए कार्य करने वाले एवं सार्वजनिक नीति विश्लेषकों को नीतियों के प्रभावी कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका है।

यह देखते हुए कि हमारा देश स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में कई चुनौतियों का सामना कर रहा है, उप-राष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि प्रतिभाशाली पेशेवरों की एक पूरी पौध  भी उपलब्ध थी।

उन्होंने जोर दिया कि "क्या आवश्यक है, उचित मार्गदर्शन", और कहा कि प्रधानमंत्री अपने तीन-शब्दीय मंत्र 'सुधार, क्रियान्वयन और परिवर्तन' के अनुरूप अधिकतम सुधार लाने की कोशिश कर रहे हैं।

उन्होंने सिविल सेवकों को याद दिलाया कि उन्हें जन-धन, स्वच्छ भारत मिशन और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसे अभियानों और योजनाओं को सक्षम बनाने के लिए एक साथ मिलकर कार्य करना होगा।

श्री नायडू ने आईआईपीए को प्रशासकों को उनसे सीखने में सक्षम बनाने के लिए अच्छे अभ्यासों का संकलन बनाने को कहा। उन्होंने प्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिए सरकारी सेवाओं की ऑनलाइन निष्पादन सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला।

उप-राष्ट्रपति ने कहा कि सुशासन सुशासन को निचले स्तर तक कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह हमारे देश के शासन के जरिए स्थापित संस्थानों के लिए जीवन का एक तरीका बन जाना चाहिए।

कोविड-19 महामारी का उल्लेख करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत इसे रणनीतिक सतर्कता और त्वरित उचित कार्रवाई के साथ लड़ रहा है तथा संयुक्त राष्ट्र एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं भी इस महामारी से लड़ने में भारत की सराहना कर रहा है।

उन्होंने कहा कि भारत सार्वजनिक स्वास्थ्य के आघारभूत ढांचे को उन्नत करने, चिकित्सा उपकरणों एवं आवश्यक दवाओं का उत्पादन बढ़ाने, और स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित कर इस विघटनकारी क्षण को रचनात्मकता के अवसर में बदल रहा है।

असंख्य सिविल सेवकों, चिकित्सा पेशेवरों, सुरक्षा कर्मियों और शिक्षण संकाय के प्रति आभार व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे सभी सरकार और संसद द्वारा लागू किए गए प्रगतिशील प्रावधानों द्वारा आम लोगों के जीवन बदलने के लिए कार्य कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि लोक प्रशासन के प्रमुख संस्थान के रूप में आईआईपीए को भी इस बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए।

उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि आईआईपीए ने अपनी गतिविधियों को जारी रखा है और डिजिटल अवसंरचना का निर्माण करके महामारी के दौरान भी प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किए हैं। उन्होंने आईआईपीए द्वारा शुरू की गई नई वेबसाइट की भी सराहना की।

इस अवसर पर, श्री नायडू ने आईआईपीए पुस्तकालय में पूर्व उप-प्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति का अनावरण भी किया।

इसके लिए संस्थान के निदेशक और कर्मचारियों को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि यह प्रतिमा भारत के शासन में सुधार लाने हेतु हम सभी के लिए प्रेरणास्वरूप कार्य करेगी।  

उप-राष्ट्रपति ने कहा, सरदार पटेल एक वास्तविक कर्मयोगी तथा एक दूरदर्शी प्रशासक थे, जिन्होंने अखंड भारत का सपना देखा और इस सपने को साकार करने के लिए उन्होंने अथक प्रयास भी किया।

सरदार पटेल के जीवन को सार्वजनिक सेवा में कार्य करने वाले सभी के लिए एक बहुमूल्य  सबक करार देते हुए उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए निस्वार्थ समर्पण, सुशासन और लोक कल्याण का बेहतरीन उदाहरण है।

श्री नायडू ने सिविल सेवकों से सरदार पटेल के जीवन और आदर्शों से प्रेरणा  लेने को कहा।  उन्होंने उनसे सरदार पटेल के सभी भाषणों को पढ़ने और देश को आगे ले जाने के लिए इस महापुरुष के गुणों को आत्मसात करने के लिए भी कहा।

1950 में सरदार पटेल द्वारा स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिए गए अंतिम संदेश को उद्धृत करते देते हुए, उप-राष्ट्रपति ने कहा कि इन्होंने हमारे नेताओं द्वारा दिए गए बलिदान के प्रति कृतज्ञता के महत्व को रेखांकित किया, तथा साथ ही एकता, अनुशासन और पिछले अनुभव से सीखने के विचारों पर भी प्रकाश डाला।

नए कार्यक्रम- मिशन कर्मयोगीको सेवाओं के निष्पादन में सुधार के लिए सबसे बड़ी पहल करार देते हुए, श्री नायडू ने खुशी व्यक्त की कि आईआईपीए इस पहल के तहत सिविल सेवकों को डिजिटल रूप से सक्षम बनाने के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम चला कर रहा है।

समाज में सामाजिक सामंजस्य और शांति का आह्वान करते हुए, उपराष्ट्रपति ने अपने हितों को आगे बढ़ाने के लिए जाति, संप्रदाय, क्षेत्र और धर्म का उपयोग करने की कोशिश करने के लिए कुछ ताकतों की आलोचना की।

उपराष्ट्रपति ने भी संतोष व्यक्त किया कि पिछले पांच वर्षों में आईआईपीए की वित्तीय स्थिति में सुधार हुआ है और यह संस्थान गुणवत्ता से बिना समझौता किए अपने खर्च को भी कम कर रहा है।

आईआईपीए की कार्यकारी परिषद द्वारा वर्तमान और उभरती चुनौतियों के मद्देनजर इसे फिर से आगे लाने के लिए शुरू किए गए कदमों पर ध्यान देते हुए, श्री नायडू ने जोर देकर कहा हमें संस्थागत सुधारों के लिए एक मत से रणनीति के साथ आगे आना होगा और देश में शासन व्यवस्था में सुधार की नई लहर के लिए आईआईपीए को उत्प्रेरित करने करते हुए एक उत्तम संस्थान बनाना होगा।

राज्य और स्थानीय स्तर पर संस्थानों के मजबूत नेटवर्क के लिए आईआईपीए की प्रशंसा करते हुए उप-राष्ट्रपति ने नेटवर्क को और अधिक मजबूत बनाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा, "राज्य सरकारों को बोर्ड में लाया जाना चाहिए और सक्रिय भागीदार बनाना चाहिए, जैसे कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय निकाय हैं।"

उन्होंने कहा, मैं अगले कुछ महीनों में आईआईपीए को नए महत्वाकांक्षी लक्ष्यों की ओर अग्रसर होते देखना चाहता हूं, जो विश्व भर में इसी तरह के शासनादेश के साथ सर्वश्रेष्ठ संस्थान के रूप में आगे बढ़ते हुए कार्य करते रहे।

उन्होंने केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह का स्वागत किया, जिन्होंने हाल ही में आईआईपीए की कार्यकारी परिषद के अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला है और आशा व्यक्त की कि उनका अनुभव और क्षमता आईआईपीए के कद को और आगे बढ़ाएगा। उपराष्ट्रपति ने डॉ. सिंह को आईआईपीए की आजीवन-सदस्यता के द्वार खोलने जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए भी बधाई दी। उन्होंने कहा कि अनुभवी सिविल सेवकों और शिक्षाविदों को आईआईपीए में सदस्य के रूप में शामिल होने से यह अधिक सक्षम हो जाएगा और इससे आईआईपीए की ताकत एवं क्षमता में काफी वृद्धि होगी।

उप-राष्ट्रपति ने आईआईपीए के पूर्व अध्यक्ष श्री टी. एन. चतुर्वेदी को भी श्रद्धांजलि अर्पित की, जिनका इस वर्ष जनवरी में निधन हो गया था। 1950 बैच के एक आईएएस अधिकारी श्री चतुर्वेदी भारत के कैग, दो बार राज्यसभा सांसद और कर्नाटक तथा केरल के राज्यपाल सहित कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे। 

इस अवसर पर बोलते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले 5 से 6 वर्षों में सरकार द्वारा कई सुधार किए गए हैं। पिछले कुछ वर्षों के दौरान लिए गए कुछ बॉक्स निर्णयों में से एक का उल्लेख करते हुए, उन्होंने कहा कि एक राजपत्रित अधिकारी द्वारा सत्यापित दस्तावेजों को प्राप्त करने की जगह स्वयं-सत्यापन तथा निचले स्तर के बी एवं सी समूह की नौकरियों में साक्षात्कार को खत्म करने जैसे महत्वपूर्ण निर्णय सुधार की इसी प्रक्रिया का हिस्सा हैं।

केन्द्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रधानमंत्री कार्यालय, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार), कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्‍य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, आईआईपीए के अध्यक्ष श्री शेखर द्त्त, निदेशक श्री एस. एन. त्रिपाठी और अन्य गणमान्यों ने इस वर्चुअल बैठक में भाग लिया।  

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