शिक्षा मंत्रालय
शैक्षणिक सामग्री को भारतीय सांकेतिक भाषा में बदलने के लिए आईएसएलआरटीसी और एनसीईआरटी के बीच ऐतिहासिक एमओयू पर हस्ताक्षर
एनसीईआरटी के 60वें स्थापना दिवस में केंद्रीय शिक्षा मंत्री और केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वर्चुअली (वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए) शामिल हुए
Posted On:
06 OCT 2020 7:40PM by PIB Delhi
आज एनसीआईआरटी के 60वें स्थापना दिवस में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ और केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत वर्चुअली (वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए) शामिल हुए।
इस अवसर पर बधिर बच्चों के लिए सभी तरह की शैक्षणिक सामग्री को उनके समझने योग्य प्रारूप जैसे- भारतीय सांकेतिक भाषा के रूप में उपलब्ध कराने के लिए भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र-आईएसएलआरटीसी (डीईपीडब्ल्यूडी का राष्ट्रीय संस्थान, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय) और एनसीईआरटी (शिक्षा मंत्रालय का राष्ट्रीय संस्थान) ने एक ऐतिहासिक समझौता-पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।
इस एमओयू पर केंद्रीय मंत्रियों, डीईपीडब्ल्यूडी की सचिव श्रीमती शकुंतला डॉले गैमलिन और शिक्षा मंत्रालय की सचिव (स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता) श्रीमती अनीता करवाल की वर्चुअल मौजूदगी में हस्ताक्षर किए गए। प्रबोध सेठ, संयुक्त सचिव, डीईपीडब्ल्यूडी और निदेशक, आईएसएलआरटीसी और प्रो. हृषिकेश सेनपति, निदेशक, एनसीईआरटी ने संबंधित संस्थानों की तरफ से एमओयू पर हस्ताक्षर किए। इस कार्यक्रम के दौरान ‘‘निष्ठा’’ प्रशिक्षण के ऑनलाइन फॉर्मेट (प्रारूप) को भी जारी किया गया।
अपने संबोधन में श्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने एनसीईआरटी को उसके 60वें स्थापना दिवस की बधाई दी और कहा कि एनसीईआरटी की शैक्षिक सामग्री को भारतीय सांकेतिक भाषा में बदलने करने के लिए एनसीईआरटी और आईएसएलआरटीसी के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर से भारतीय सांकेतिक भाषा का शैक्षणिक मानकीकरण सुनिश्चित होता है, जैसा कि नई शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 में भी कहा गया है। उन्होंने कहा कि पिछले छह वर्षों में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत डीईपीडब्लूडी ने देश के दिव्यांगजनों के कल्याण और उत्थान के लिए उल्लेखनीय कार्य किये हैं और इनकी उपलब्धियों पर कई नए रिकॉर्ड भी बने हैं। निश्चित रूप से यह एमओयू हमारे देश में श्रवण बाधित (बधिर) बच्चों को सशक्त बनाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि नई शिक्षा नीति, 2020 समावेशी है और हमारे देश में परिवर्तन लाएगी।
श्री पोखरियाल ने कहा कि आज एनसीईआरटी और आईएसआरटीसी के बीच हुआ यह एमओयू सिर्फ दो संस्थानों के बीच साझेदारी का समझौता नहीं है, बल्कि यह दो मंत्रालयों, शिक्षा मंत्रालय और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के बीच बेहतर समन्वय की दिशा में उठाया गया कदम भी है। श्री निशंक ने आगे कहा कि इस एमओयू के माध्यम से हम शिक्षा के अधिकार (आरटीई)-2009, विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम (आरपीडब्ल्यूडी)-2016 के अधिकारों और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 में उल्लिखित प्रावधानों को सच्चाई बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, जैसे कि संचार के उचित और वैकल्पिक साधनों का उपयोग, जिसमें सांकेतिक भाषा (साइन लैंग्वेज) का एक महत्वपूर्ण स्थान है।
‘निष्ठा’ प्रशिक्षण के ऑनलाइन प्रारूप को जारी किए जाने के मौके पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि भारत में शिक्षा व्यवस्था 85 लाख शिक्षकों और 26 करोड़ छात्रों के साथ बहुत विशाल है। सभी को न्यायसंगत और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना हमारी जिम्मेदारी है। कोविड-19 ने सभी स्कूलों/कॉलेजों को नियमित तौर पर होने वाले टीचिंग-लर्निंग-मूल्यांकन (शिक्षण-अभ्यास-मूल्यांकन) प्रक्रियाओं और आमने-सामने (एफटीएफ) के शिक्षक प्रशिक्षण को बंद करने के लिए मजबूर कर दिया है। प्रारंभिक शिक्षा (कक्षा 1 से 8) के स्तर पर 42 लाख शिक्षकों (फेस-टू-फेस मोड के जरिए) की ट्रेनिंग के लिए बनाया गया अतिमहत्वाकांक्षी ‘निष्ठा’ एकीकृत प्रशिक्षण भी ठप पड़ गया है।
‘निष्ठा’ के तहत आमने-सामने के प्रशिक्षण में आठ महीनों के दौरान 33 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के सरकारी स्कूलों के 23,137 एसआरजी और 17,74,728 अध्यापकों को जोड़ लिया गया था। लॉकडाउन का सामना करने के लिए तैयारियों की कमी या विविधता और विशाल आबादी की वजह से शिक्षकों और छात्रों के सीखने की निरंतरता को नहीं सीमित किया जा सकता है। इसलिए एनसीईआरटी ने दीक्षा प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हुए ‘निष्ठा’- एकीकृत शिक्षक प्रशिक्षण को जारी रखने और प्राथमिक विद्यालय के 42 लाख शिक्षकों तक पहुंचने व इसे आगे सभी तक विस्तार देने की भी योजना बनाई है।
इस अवसर पर अपने संबोधन में डॉ. थावरचंद गहलोत ने कहा कि इस एमओयू पर हस्ताक्षर होना एक ऐतिहासिक कदम है, क्योंकि भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) में एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों की उपलब्धता से सुनिश्चित होगा कि अब श्रवण बाधित बच्चे भी भारतीय सांकेतिक भाषा में शैक्षिक संसाधनों तक पहुंच सकते हैं और यह श्रवण बाधित छात्रों, शिक्षकों, शिक्षक शिक्षकों के प्रशिक्षकों, माता-पिता और श्रवण बाधित समुदाय के लिए बहुत उपयोगी और अतिआवश्यक संसाधन होगा, जिससे देश में श्रवण बाधित बच्चों की शिक्षा पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा।
इस एमओयू के बाद एनसीईआरटी की शैक्षिक पुस्तकें और सामग्रियां भारतीय सांकेतिक भाषा में उपलब्ध होंगी, जो पूरे भारत में एक जैसी है, जिसका अर्थ है कि भारत के सभी श्रवण बाधित छात्र, चाहे वे पूर्व से हों या पश्चिम या उत्तर या दक्षिण से, सभी एक ही भाषा यानी भारतीय सांकेतिक भाषा में एनसीईआरटी की पुस्तकें पढ़ेंगे। भारतीय सांकेतिक भाषा अनेकता में एकता को दर्शाती है, जिसकी व्याख्या हाथों से होती है और आंखों से समझा जाता है और यह हमारे देश के सभी श्रवण बाधित लोगों को आपस में जोड़ता है।
श्री गहलोत ने कहा कि इस एमओयू के हिस्से के तौर पर शैक्षणिक प्रिंट सामग्री, जैसे कक्षा I-XII तक सभी विषयों की अंग्रेजी और हिंदी दोनों माध्यमों की एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकें, शिक्षकों की हैंडबुक और अन्य पूरक सामग्री व संसाधनों को भारतीय सांकेतिक भाषा में डिजिटल प्रारूप में बदला जाएगा।
अपने संबोधन में श्रीमती अनीता करवाल ने कहा कि नई शिक्षा नीति, 2020 बहुभाषी शिक्षा पर केंद्रित है। अब एनसीईआरटी, शिक्षा मंत्रालय के तहत भारतीय सांकेतिक भाषा के लिए एक सांकेतिक भाषा मॉड्यूल विकसित करेगा। उन्होंने एनसीईआरटी को 60वें स्थापना दिवस के साथ-साथ एनसीआईआरटी की शैक्षिक सामग्रियों को भारतीय सांकेतिक भाषा में बदलने के लिए आईएसएलआरटीसी के साथ इस ऐतिहासिक एमओयू पर हस्ताक्षर होने के लिए बधाई दी।
श्रीमती शकुंतला डी गैमलिन ने अपने संबोधन में कहा कि बचपन के दिनों में बच्चों के संज्ञानात्मक कौशल का विकास होता है और यह बहुत जरूरी है कि उन्हें उनकी सीखने की जरूरतों के हिसाब से शैक्षिक सामग्री उपलब्ध कराई जाए। अब तक श्रवण बाधित बच्चे सिर्फ मौखिक या लिखित माध्यम से अध्ययन करते थे, लेकिन इस एमओयू पर हस्ताक्षर होने के बाद अब वे एक ही भारतीय सांकेतिक भाषा के मध्यम से अध्ययन कर सकते हैं। यह न केवल उनकी शब्दावली को बढ़ाएगा, बल्कि अवधारणाओं को समझने की उनकी क्षमताओं को भी विस्तार देगा। एमओयू पर यह हस्ताक्षर यूनिसेफ की पहल "सभी के लिए सुलभ डिजिटल पाठ्यपुस्तकें" पर आधारित है और यह एक यादगार निर्णय है।
भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र (आईएसएलआरटीसी) डीईपीडब्लूडी, एमएसजेई के तहत एक स्वायत्त राष्ट्रीय संस्थान है, जो भारतीय सांकेतिक भाषा के उपयोग को लोकप्रिय बनाने, भारतीय सांकेतिक भाषा में शिक्षण और शोध के लिए मानव-शक्ति के विकास के लिए समर्पित है।
एनसीईआरटी, एमएचआरडी के तहत एक स्वायत्त संस्थान है, जो स्कूल शिक्षा से संबंधित क्षेत्रों में शोध कराने और प्रोत्साहित करने, मॉडल पाठ्यपुस्तकें, पूरक सामग्री, न्यूजलेटर (समाचार पत्र) और जर्नल तैयार करने और प्रकाशित करने और शैक्षणिक किट्स, मल्टीमीडिया डिजिटल सामग्री आदि के विकास के द्वारा स्कूली शिक्षा में गुणात्मक सुधार सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है। नई शैक्षिक तकनीकों और कार्यव्यवहार को बनाने और उसे प्रसारित करने के साथ-साथ प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण के लक्ष्यों को पाने के लिए एक नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करें।
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