जनजातीय कार्य मंत्रालय

स्थानीय कला और शिल्प परंपराओं के माध्यम से जनजातीय शिल्पकारों की आजीविका बढ़ाना: मध्य प्रदेश स्थित बाग प्रिंट प्रशिक्षण


पद्मश्री युसुफ खत्री ने ट्राइफेड परियोजना के तहत बड़वानी में जनजातीय शिल्पकारों को बाग मुद्रण का प्रशिक्षण दिया

Posted On: 17 SEP 2020 4:39PM by PIB Delhi

जनजातीय सशक्तीकरण की दिशा में काम करने वाली नोडल एजेंसी के रूप में, ट्राइफेड योद्धाओं की टीम जनजातीय लोगों को विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए तेजी से प्रयास कर रही है।

ट्राइफेड द्वारा जारी पहल के तहत मध्य प्रदेश के बड़वानी में कार्य किया जा रहा है, जहां स्थानीय जनजातीय लोगों को लगातार आजीविका सुनिश्चित करने के लिए बाग, माहेश्वरी और चंदेरी वस्त्र शिल्प कला में प्रशिक्षित किया जा रहा है। जनजातीय लाभार्थियों के पहले बैच को बाग परिवार (बाग मुद्रण में अग्रणी परिवार) के पद्मश्री युसुफ खत्री द्वारा प्रशिक्षित किया जा रहा है। प्रशिक्षण फरवरी, 2020 में शुरू हुआ था लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे रोक दिया गया था, लेकिन अब इसे फिर से हाल ही में शुरू किया गया है। इस प्रशिक्षण के तहत, अब तक इन जनजातीय शिल्पकारों ने चादर (बेडशीट) पर मुद्रण करना सीख लिया है। वे साड़ी और सूट पर मुद्रण की कला सीखने की प्रक्रिया में हैं। जनजातीय शिल्पकारों के दूसरे बैच की भी पहचान कर ली गई है।

A group of people swimming in a body of waterDescription automatically generated  A group of people on a beachDescription automatically generated

एक ऐसा क्षेत्र जहां जनजातीय आबादी प्रमुखता में है, मध्य प्रदेश के बड़वानी को सरकार द्वारा खराब सामाजिक-आर्थिक विकास की स्थिति के कारण आकांक्षीय जिले के रूप में चिह्नित किया गया है। इन आकांक्षीय जिलों की पहचान विकास के पथ पर निरंतर आगे बढ़ने के उद्देश्य से की गई है, जिनकी निगरानी केन्द्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की जाएगी। इस संबंध में सरकार ने विभिन्न विकास योजनाओं के कार्यान्वयन और निगरानी के लिए कई वरिष्ठ अधिकारियों को जिला प्रशासन के साथ तालमेल और मार्गदर्शन करने के लिए नामित किया है।  बड़वानी जिले में कोई पारंपरिक शिल्पकला नहीं हैं; हालांकि आसपास के खरगोन और धार जिलों में, माहेश्वरी शैली में बाग की छपाई तथा पारंपरिक बुनाई में स्थानीय जनजातीय शिल्पकारों की बड़ी संख्या कार्य कर रही है। स्थानीय जनजातियों की आजीविका सुनिश्चित करने के लिए कुछ परियोजनाएं जिला प्रशासन और अन्य हितधारकों के साथ विस्तृत बातचीत के बाद शुरू करने की योजना पर भी कार्य किया जा रहा है। ट्राइफेड के एमडी श्री प्रवीर कृष्ण द्वारा प्रस्तावित किया गया था कि बाग, माहेश्वरी और चंदेरी कला शैलियों में स्थानीय जनजातीय शिल्पकारों को प्रशिक्षण प्रदान किया जाए जिससे उनकी आजीविका में सुधार आएगा। इसके बाद, ट्राइफेड ने इन तीन शिल्प परंपराओं में प्रशिक्षण के लिए एक व्यापक प्रस्ताव तैयार किया। इस प्रस्ताव को तब  भारत पेट्रोलियम ने अपने सीएसआर कोटा के तहत वित्त पोषित किया और इसके लिए 4.52 करोड़ रुपए मंजूर भी किए।

A group of people in a roomDescription automatically generated

यह परियोजना बड़वानी जिला प्रशासन के माध्यम से कार्यान्वित की जा रही है जिसके तहत प्रशिक्षण के लिए 200 जनजातीय लाभार्थियों की पहचान की गई। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए, बाग मुद्रण में अत्यधिक प्रतिभाशाली तथा अनुभवी शिल्पकार बाग के श्री यूसुफ खत्री से प्रशिक्षण प्रदान करने का अनुरोध किया गया। खत्री परिवार इस शिल्प परंपरा में अग्रणी हैं और इसे पीढ़ियों से करते आ रहे हैं। उनका अनुभव निश्चित रूप से इसमें मददगार साबित होगा।

23 जनजातीय लाभार्थियों के साथ प्रशिक्षण का पहला बैच फरवरी, 2020 में रेहगुन गांव में शुरू किया गया था, लेकिन पूर्णबंदी के कारण इसे रोक दिया गया था। जुलाई, 2020 में इसको फिर से शुरू करने को कहा गया। बाग मुद्रण के दूसरे बैच के जल्द शुरू होने की उम्मीद है। बाग मुद्रण, चंदेरी और महेश्वर शैलियों में लगभग 1000 आदिवासी महिलाओं को 1 वर्ष की अवधि में प्रशिक्षित करने के लिए कुल 1.88 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। माहेश्वरी और चंदेरी परंपराओं के लिए उत्कृष्ट प्रशिक्षकों का भी चयन किया गया है। वर्तमान में, जिला प्रशासन इन प्रशिक्षणों के लिए जनजातीय शिल्पकारों की पहचान कर रहा है।

शिल्पकारों के इन समूहों द्वारा बनाए गए हस्तशिल्प और उत्पाद जो मास्टर शिल्पकारों की मदद से सीखकर अपने कौशल को निखारेंगे, उन्हें ट्राइफेड द्वारा ही खरीदा जाएगा और पूरे देश भर में फैले सभी ट्राइब्स इंडिया आउटलेट्स पर प्रदर्शित भी किया जाएगा। इसे ट्राइब्स इंडिया के ई-मार्केट प्लेटफॉर्म पर भी बिक्री के लिए उपलब्ध कराया जाएगा, जहां शिल्पकार खुद अपने उत्पादों को अपलोड और बेच सकते हैं।

तेजी से बदलते विश्व में, जहां आधुनिकता, प्रौद्योगिकी और विकास ने अतीत के पुराने तथा आदिम स्वदेशी जीवन के तरीकों को अपना लिया। यह कला और शिल्प परंपराओं के संरक्षण की दिशा में एक छोटा सा प्रयास है।

ट्राइफेड इन समुदायों के आर्थिक कल्याण को बढ़ावा देने और उन्हें मुख्यधारा में शामिल कर विकास की ओर ले जाने तथा सशक्त बनाने के अपने मिशन में प्रयास जारी रखे हुए है।

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एमजी/एएम/पीकेपी/डीके


(Release ID: 1656115)
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