आर्थिक मामलों की मंत्रिमण्‍डलीय समिति (सीसीईए)

कैबिनेट ने रसायन एवं पेट्रोरसायन विभाग के अधीनस्‍थ केन्‍द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम ‘हिन्‍दुस्‍तान फ्लोरोकार्बन्‍स लिमिटेड (एचएफएल)’ को बंद करने को मंजूरी दी

Posted On: 22 JAN 2020 3:47PM by PIB Delhi

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में आर्थिक मामलों पर कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने निम्‍नलिखित को अपनी मंजूरी दे दी है :

1.      हिन्‍दुस्‍तान फ्लोरोकार्बन्‍स लिमिटेड (एचएफएल) के संयंत्र/यूनिट के परिचालन को बंद करने के साथ-साथ कंपनी को भी बंद करने की मंजूरी।

2.      सभी बकाया वेतन/पारिश्रमिक तथा वैधानिक बकाया रकम की अदायगी के बाद वीआरएस/वीएसएस के जरिये अधिशेष हो जाने वाले कर्मचारियों को अलग करने को मंजूरी। इनमें वे कर्मचारी शामिल नहीं हैंजो कंपनी को बंद करने की प्रक्रिया पर अमल के लिए आवश्‍यक हैं। वीआरएस को न अपनाने वाले कर्मचारियों की छंटनी औद्योगिक विवाद अधिनियम के अनुसार होगी।

3.      एचएफएल को बंद करने की प्रक्रिया से जुड़े विशेष व्‍यय के लिए इस कंपनी को सरकार की ओर से 77.20 करोड़ रुपये का ब्‍याज मुक्‍त ऋण देने को मंजूरी। इसमें वीआरएस/वीएसएस पर अमल,  बकाया वेतन एवं वैधानिक बकाया रकम इत्‍यादि, एचएफएल को बंद करने की प्रक्रिया पर अमल के लिए आवश्‍यक माने जाने वाले कर्मचारियों के वेतन/पारिश्रमिक तथा प्रशासनिक व्‍यय का भुगतान शामिल हैं।

4.      कंपनी को बंद करने से संबंधित सभी देनदारियों की अदायगी के बाद 77.20 करोड़ रुपये के उपर्युक्‍त ब्‍याज मुक्‍त ऋण का पुनर्भुगतान भारत सरकार को एचएफएल की जमीन एवं अन्‍य परिसंपत्तियों की बिक्री से प्राप्‍त राशि से किया जाएगा।  यदि जमीन/परिसम्‍पत्तियों की बिक्री से प्राप्‍त राशि उपर्युक्‍त ऋण की अदायगी के लिए पर्याप्‍त नहीं होगीतो शेष ऋण को बट्टे खाते में डाल दिया जाएगा।

5.      77.20 करोड़ रुपये के ऋण के पुनर्भुगतान और एचएफएल को बंद करने से संबंधित सभी देनदारियों की अदायगी के बाद जमीन/परिसम्‍पत्तियों की बिक्री से बचने वाली शेष अतिरिक्‍त राशि का उपयोग एचएफएल पर भारत सरकार के बकाया ऋणों (15.80 करोड़ रुपये) एवं ब्‍याज की अदायगी में किया जाएगा। इसके साथ ही 31 मार्च, 2019 तक देय ब्‍याज को स्थिर कर दिया जाएगा। बिक्री से प्राप्‍त राशि के अपर्याप्‍त होने पर समूचे या आंशिक मूलधन एवं उस पर देय बकाया ब्‍याज को बट्टे खाते में डाल दिया जाएगा/माफ कर दिया जाएगा।

6.      एचएफएल की जमीन संबंधी परिसम्‍पत्तियों की बिक्री में सुविधा के लिए एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड की नियुक्ति भूमि प्रबंधक एजेंसियों (एलएमए) के रूप में की जाएगी। हालांकिइसके तहत एचएफएल की जमीन खरीदने पर तेलंगाना सरकार/टीएसआईआईसी के निर्णय को ध्‍यान में रखना होगा।

7.      एचएफएल द्वारा संयंत्र/मशीनरी एवं चल परिसम्‍पत्तियों की बिक्री एमएसटीसी लिमिटेड की ओर से ई-नीलामी के जरिये की जाएगी। 

एचएफएल का एक ही संयंत्र/इकाई (यूनिट) है, जो तेलंगाना के सांगररेड्डी जिले के रुद्ररम में अवस्थित है।

  वित्‍तीय निहितार्थ : 

एचएफएल को बंद करने के प्रस्‍ताव के वित्‍तीय निहितार्थों में इस कंपनी को बंद करने संबंधी देनदारियों की अदायगी के लिए ब्‍याज मुक्‍त ऋण के रूप में एचएफएल को 77.20 करोड़ रुपये (नकद) की वित्‍तीय सहायता देना शामिल है। इन देनदारियों में ये शामिल हैं – (क) वीआरएस/वीएसएस पर अमलबकाया वेतन एवं वैधानिक बकाया रकम की अदायगी, आपूर्तिकर्ताओं/ठेकेदारों/विभिन्‍न निकायों की बकाया रकम की अदायगी और एसबीआई के कार्यशील पूंजी ऋण का पुनर्भुगतान और (ख) एचएफएल को बंद करने की प्रक्रिया पर अमल के लिए आवश्‍यक माने जाने वाले कर्मचारियों के वेतन/पारिश्रमिक तथा प्रशासनिक व्‍यय का दो साल तक भुगतान। उपर्युक्‍त ब्‍याज मुक्‍त ऋण का पुनर्भुगतान उस राशि से करने का प्रस्‍ताव है, जो इस कंपनी को बंद करने से संबंधित सभी देनदारियों की अदायगी के बाद एचएफएल की जमीन एवं अन्‍य परिसम्‍पत्तियों की बिक्री से शेष बचेगी। यदि जमीन/परिसम्‍पत्तियों की बिक्री से प्राप्‍त राशि उपर्युक्‍त ऋण की पूर्ण अदायगी के लिए पर्याप्‍त नहीं होगी, तो शेष ऋण को बट्टे खाते में डाल दिया जाएगा।

 कार्यान्‍वयन संबंधी कार्यक्रम :

 सीसीईए की मंजूरी की तिथि को ‘टी’ मानें –

1.      वीआरएस/वीएसएस के लिए कर्मचारियों को नोटिस : टी+ 10 दिन।

2.      व्‍यय विभाग से बजटीय सहायता/ब्रिज लोन के लिए अनुरोध : टी+ 15 दिन।

3.      एचएफएल एवं एचओसीएल के बोर्ड तथा शेयरधारकों द्वारा मंजूरी और बीएसई को संबंधित निर्णय की सूचना देना : टी+ 80 दिन।

4.      कर्मचारियों के वेतन/पारिश्रमिक एवं वैधानिक बकाया रकम का निपटान और वीआरएस/वीएसएस के जरिये कर्मचारियों (एचएफएल को बंद करने की प्रक्रिया पर अमल के लिए आवश्‍यक माने जाने वाले कर्मचारियों एवं वीआरएस/वीएसएस को न अपनाने वाले कर्मचारियों को छोड़कर) को अलग करना : टी+ 120 दिन।

5.      वीआरएस/वीएसएस को न अपनाने वाले कर्मचारियों की छंटनी : टी+ 180 दिन।

6.      एमएसटीसी द्वारा ई-नीलामी के जरिये चल परिसम्‍पत्तियों/संयंत्र एवं मशीनरी की बिक्री : टी+ 180 दिन।

7.      एनबीसीसी (एलएमए) के जरिये जमीन परिसम्‍पत्तियों की बिक्री, जिसके तहत जमीन खरीदने पर तेलंगाना सरकार के निर्णय को ध्‍यान में रखना होगा : टी+ 240 दिन। 

8.      शेयरधारकों को इससे बाहर निकलने के विकल्‍प के लिए सेबी/बीएसई के यहां आवेदन करने और कंपनी अधिनियम, दिवाला एवं दिवालियापन संहिता तथा सेबी नियमनों के प्रावधानों के तहत स्‍वैच्‍छिक परिसमापन एवं सूचीबद्धता समाप्‍त करना : टी+ 400 दिन। 

प्रभाव : 

      परिचालन का स्‍तर अपेक्षा के अनुरूप न रहने, संयंत्रों एवं प्रौद्योगिकी के काफी पुराने पड़ जाने और बगैर किसी रणनीतिक महत्‍व के केवल एक ही राजस्‍व अर्जन उत्‍पाद (एचसीएफसी-22) रहने के कारण एचएफएल का टिकाऊ पुनरुद्धार आर्थिक दृष्टि से लाभप्रद नहीं है। यही नहीं, वर्ष 2020 में एचएफएल के एचसीएफसी-22 कोटे में अपरिहार्य कटौती होने से कंपनी का परिचालन मार्च 2020 से पूरी तरह अलाभप्रद हो जाएगा। कंपनी का परिचालन बंद कर देने से न केवल किसी भी भावी जोखिम/देनदारियों से बचा जा सकेगा, बल्कि इसके साथ ही एचएफएल के कर्मचारियों को वीआरएस/वीएसएस के जरिये अलग कर देने से उनके हितों का संरक्षण एवं कल्‍याण भी सुनिश्चित होगा। इसके बाद कंपनी की जमीन परिसम्‍पत्तियों की बिक्री कर देने से उसका उपयोग ऐसे अपेक्षाकृत अधिक उत्‍पादक कार्यों में किया जा सकेगा, जो घरेलू एवं विदेशी निवेश दोनों को ही आकर्षित कर सकते हैं। हालांकि, कंपनी को बंद कर देने से अधिशेष हो जाने वाले कर्मचारियों के कल्‍याण के साथ-साथ उनके हितों का संरक्षण उनके बकाया वेतन एवं सभी वैधानिक बकाया रकम की अदायगी करके तथा डीपीई के दिशा-निर्देशों के अनुसार उन्‍हें वीआरएस/वीएसएस संबंधी मुआवजा देकर किया जाएगा। 

पृष्‍ठभूमि :

हिन्‍दुस्‍तान फ्लोरोकार्बन्‍स लिमिटेड (एचएफएल) दरअसल हिन्‍दुस्‍तान ऑर्गेनिक केमिकल्‍स लिमिटेड (एचओसीएल) की एक सहायक कंपनी है। यह रसायन एवं पेट्रोरसायन विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण वाला एक केन्‍द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (सीपीएसई) है। एचएफएल पॉली टेट्रा फ्लोरो इथिलीन (पीटीएफई) और क्‍लोरो डी फ्लोरो मिथेन (एचसीएफसी-22 अथवा सीएफएम-22) का उत्‍पादन करती है। कंपनी को वर्ष 2013-14 से ही निरंतर घाटा हो रहा है और कंपनी की शुद्ध संपत्ति (नेटवर्थ) ऋणात्‍मक हो गई है। 31 मार्च, 2019 तक कंपनी का संचित घाटा 62.81 करोड़ रुपये आंका गया। इसी तरह उसकी शुद्ध संपत्ति 31 मार्च, 2019 तक 43.20 करोड़ रुपये ऋणात्‍मक आंकी गई। इतना ही नहीं, यह पूर्ववर्ती औद्योगिक और वित्तीय पुनर्निर्माण बोर्ड (बीआईएफआर) में एक रुग्‍ण कंपनी के रूप में पंजीकृत थी।  

      एचएफएल दरअसल एचसीएफसी- 22 का उत्‍पादन करती है और इसके साथ ही पीटीएफई में तब्‍दील करने के लिए इसका उपयोग करती है। संयंत्र की क्षमता अपेक्षा के अनुरूप न रहने और पुरानी प्रौद्योगिकी का इस्‍तेमाल करने के कारण एचसीएफसी-22 से पीटीएफई में तब्‍दील करना वित्‍तीय दृष्टि से लाभप्रद नहीं है। कंपनी बड़ी मात्रा में एचसीएफसी-22 की बिक्री सीधे प्रशीतक गैस के रूप में बेचने के लिए विवश है। ओजोन का क्षय करने वाले पदार्थों को चरणबद्ध ढंग से समाप्‍त करने से संबंधित मांट्रियल प्रोटोकॉल के प्रावधानों के तहत एचएफएल का एचसीएफसी-22 गैर-फीडस्‍टॉक उत्‍पादन कोटा प्रति कैलेंडर वर्ष केवल लगभग 392 एमटी ही है, जिसे इस विभाग के छूट संबंधी अनुरोध को ध्‍यान में रखते हुए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा पिछले तीन वर्षों के दौरान बढ़ाकर 1100 एमटी कर दिया गया। एचसीएफसी-22 कोटे में 25 प्रतिशत की और कमी कैलेंडर वर्ष 2020 से की जानी है तथा एचएफएल को कोई और रियायत देने पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सहमत होने की संभावना नहीं है। लगभग 282 एमटी का घटा हुआ एचसीएफसी-22 कोटा केवल मार्च/अप्रैल, 2020 तक ही संबंधित संयंत्र के परिचालन के लिए पर्याप्‍त हो पाएगा और इसके बाद एचएफएल चालू कैलेंडर वर्ष के शेष महीनों के दौरान अपने संयंत्र को बंद रखने पर विवश हो जाएगी। चूंकि एचएफएल का परिचालन मार्च, 2020 के बाद से ही लाभप्रद न रहने की संभावना है, इसलिए कंपनी के परिचालन को बंद करने और वीआरएस/वीएसएस के जरिये इसके कर्मचारियों को अलग करने में तेजी लाना आवश्‍यक है।

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