जनजातीय कार्य मंत्रालय
वर्षांत समीक्षा – जनजातीय कार्य मंत्रालय
प्रधानमंत्री वन-धन योजना के अंतर्गत 676 वन-धन केन्द्र स्थापित करने के लिए लगभग 100 करोड़ रुपये की मंजूरी
एमएसपी तथा एमएफपी के लिए मूल्य श्रृंखला के माध्यम से छोटे वन उत्पाद की संख्या 23 से 49 की गई
जनजातीय लोगों के लिए फेलोशिप तथा छात्रवृत्ति पोर्टल डिजिलॉकर के साथ एकीकृत
जनजातीय कार्य मंत्रालय मैट्रिक पश्चात् छात्रवृत्ति के लिए डीबीटी पोर्टल विकसित करने वाला पहला मंत्रालय बना
‘डाटा शेयरिंग मॉड्यूल’ के माध्यम से 2017-18 तथा 2018-19 के लिए राज्यों द्वारा छात्रवृत्ति योजनाओं के लगभग 45 लाख लाभार्थियों का डाटा अपलोड किया गया
इस वर्ष लगभग 5,000 नये विद्यार्थियों के नामांकन के साथ 55 ईएमआरएस चालू किये गये
उत्तराखंड के देहरादून में राज्य जनजातीय अनुसंधान सह सांस्कृतिक केन्द्र और संग्रहालय का उद्घाटन
मणिपुर और मिजोरम में जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के संग्रहालय स्थापित करने के लिए परियोजनाओं को मंजूरी
Posted On:
30 DEC 2019 5:52PM by PIB Delhi
जनजातीय कार्य मंत्रालय जनजातीय लोगों के विकास के लिए समग्र नीति बनाने, नियोजन और कार्यक्रमों के समन्वय के लिए नोडल मंत्रालय है। जनजातीय कार्य मंत्रालय ने भारत सरकार के (कार्य आवंटन) नियम, 1961 के अंतर्गत आवंटित विषयों को लेकर अनेक गतिविधियों को सफल रूप दिया है।
इस वर्ष जनजातीय कल्याण के लिए छात्रवृत्ति योजनाओं तथा धन व्यय के लिए डिजिटल व्यवस्था और ऑनलाइन निगरानी प्रणालियों के बारे में काफी प्रगति हुई। जनजातीय अनुसंधान के साथ एक अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में जनजातीय औषधि उभरी। इस वर्ष एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों का विस्तार किया गया और वन-धन योजना जैसी योजनाओं के माध्यम से जनजातीय लोगों को सशक्त बनाया गया। आदि महोत्सव भी इस वर्ष अग्रणी रहा। इस वर्ष की महत्वपूर्ण विशेषताओं में जनजातीय लोगों के अधिकारों और वन विकास में उनकी भूमिका की पुष्टि रही।
जनजातीय कार्य मंत्रालय के 6,847.89 करोड़ रुपये के बजटीय आवंटन में से विभिन्न योजनाओं पर कुल 5160.97 करोड़ रुपये (यानी 75.37 प्रतिशत) खर्च किये जा चुके हैं।
छात्रवृत्ति योजनाओं के संबंध में परिवर्तनकारी पहल :
समर्पित पोर्टलों के माध्यम से छात्रवृत्ति योजनाओं के लिए चयन प्रक्रिया : जनजातीय कार्य मंत्रालय तीन केन्द्रीय क्षेत्र की छात्रवृत्ति योजनाएं चला रहा है, चयन प्रक्रिया पारदर्शी, मेधा आधारित है और डिजिटल इंडिया के प्रति सरकार के संकल्प के अनुरूप समर्पित पोर्टलों के माध्यम से प्रबंधित है।
अकादमिक वर्ष 2019-20 के लिए आवेदन सत्यापन के अधीन हैं और जनवरी 2020 तक अंतिम मेधा सूची तैयार की जाएगी।
डिजिलॉकर के साथ एकीकरण : वर्ष के दौरान फेलोशिप तथा विदेशी पोर्टल डिजिलॉकर के साथ एकीकृत किये गये। विद्यार्थी एक समान लॉगिन आईडी तथा पासवर्ड के साथ डिजिलॉकर तथा छात्रवृत्ति पोर्टल पर पंजीकरण करा सकते हैं। डिजिलॉकर पर उपलब्ध सभी दस्तावेज स्वत: आवेदन पत्र पर आ जाएंगे और देखे जा सकेंगे। यदि कुछ दस्तावेज डिजिलॉकर पर उपलब्ध नहीं है, तो विद्यार्थी के पास आवेदन पत्र में मानवीय रूप से इसे अपलोड करने का विकल्प होगा। इससे जाली और धोखाधड़ी वाले दस्तावेजों को अपलोड रूका है और सत्यापन प्रक्रिया सहज हो गई है।
फेलोशिप पोर्टल के साथ विश्वविद्यालयों का एकीकरण : 331 विश्वविद्यालयों में 4794 जनजातीय स्कॉलर्स फेलोशिप कार्यक्रम में काम कर रहे हैं। ‘सत्यापन मॉड्यूल’ के माध्यम से ऐसे सभी विश्वविद्यालय फेलोशिप पोर्टल के साथ एकीकृत किये गये हैं, जिसमें विश्वविद्यालय का पंजीकृत नोडल अधिकारी डिजिलॉकर पर उपलब्ध दस्तावेजों तथा स्कॉलर द्वारा अपलोड किये गये दस्तावेजों को देख सकेंगे और डिजिटल रूप से आवेदन को मंजूर या नामंजूर कर सकेंगे। विश्वविद्यालयों के पास लंबित आवेदनों की निगरानी की भी सुविधा है और सत्यापन में तेजी लाने के लिए जनजातीय कार्य मंत्रालय निरंतर रूप से विश्वविद्यालयों के साथ सम्पर्क रखता है।
शिकायत समाधान तथा संचार व्यवस्था : तेज संचार तथा शिकायत समाधान के लिए सभी हितधारकों यानी विद्यार्थियों, विश्वविद्यालयों, केनरा बैंक (वितरण के लिए अधिकृत बैंक) तथा डिजिलॉकर पोर्टल ‘कम्युनिकेशन मॉड्यूल’ के साथ पंजीकृत किये गये हैं। इससे न केवल तेजी से शिकायत समाधान में मदद मिलती है, बल्कि संदेश और मेल के माध्यम से सभी हितधारकों से फौरन सम्पर्क किया जा सकता है। ऊपर से नीचे के सभी अधिकारी पूछताछ/शिकायत के लंबित होने के मामले की निगरानी कर सकते हैं। यह सुनिश्चित किया गया है कि सभी प्रश्नों का समाधान 24 घंटे के अंदर कर दिया जाए। पूछताछ के आधार पर प्राय: पूछे जाने वाले प्रश्न अपडेट किये जाते हैं। विद्यार्थी यूजर मैनुअल, वीडियो क्लिपिंग, फोन हेल्पलाइन, ई-मेल और हेल्प डैक्स द्वारा रिमोट एक्सेस जुड़ सकते हैं। ई-मेल से शीर्ष वर्ग के विद्यार्थी से संबंधित लगभग 2500 प्रश्नों का समाधान किया गया।
जनजातीय प्रतिभा पूल : मंत्रालय चयनित विश्वविद्यालयों में फेलोशिप योजना के अंतर्गत एमफिल तथा पीएचडी करने के लिए 4794 फेलोशिप विद्यार्थियों का धन पोषण कर रहा है। जनजातीय प्रतिभा से जुड़े रहने और उनकी रूचि के क्षेत्रों को समझकर उन्हें मजबूत बनाने, उद्यमी और शोधकर्ता के रूप में विकसित करने के लिए उन्हें सशक्त बनाने और उनके कल्याण के लिए भारत सरकार की विभिन्न अन्य योजनाओं के प्रति उन्हें जागरूक बनाने के लिए मंत्रालय ने भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) के साथ एक विशिष्ट पहल की है। 3 से 5 दिसम्बर तक नई दिल्ली में शोधकर्ताओं के लिए पहली तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें जेएनयू, दिल्ली विश्वविद्यालय, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान और जामिया मिलिया जैसे सात विश्वविद्यालयों के 57 विद्यार्थियों ने भाग लिया। कार्यशाला में मंत्रालय के अधिकारियों, कॉरपोरेट, एनजीओ के साथ संवाद सत्र आयोजित किये गये, तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया, समूह चर्चा की गई और हरियाणा के रेवाड़ी (डिजिटल गांव) की फील्ड यात्रा की गई। कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों की शोध परियोजनाओं की गुणवत्ता का मूल्यांकन करना, उनके शोध कौशल में सुधार करना, विद्यार्थियों से संबंधित विषयों को समझना, उनकी रूचि के क्षेत्रों तथा आकांक्षाओं को जानना और क्षमता सृजन करना है। पूरे देश में विभिन्न विश्ववि़द्यालयों में आने वाले महीनों में इसी तरह के कार्यक्रम बनाये गये हैं। इन कार्यक्रमों के आधार पर मंत्रालय ने 500 जनजातीय स्कॉलरों के चयन की योजना बनाई है, जिन्हें अगले छह महीनों में कार्यक्रम की समाप्ति के बाद दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला में आमंत्रित किया जाएगा।
सार्थक कदम : शीर्ष वर्ग विद्यार्थी छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत प्रत्येक वर्ष 1000 विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति दी जाती है। 2017-18 तक काफी आवेदन नहीं आए और सभी 1000 स्लॉट नहीं भरे जा सके। पहली बार 2018-19 में लगभग 2400 विद्यार्थियों ने आवेदन किया, जिसमें से 1400 विद्यार्थी छात्रवृत्ति नहीं प्राप्त कर सके। प्रधानमंत्री कार्यालय की पहल पर ‘सार्थक कदम’ के बारे में जनजातीय कार्य मंत्रालय के सचिव ने सीआईआई, फिक्की, एसोचैम तथा डीआईसीसीआई के साथ बैठकें कीं। फिक्की ने जनजातीय कार्य मंत्रालय को अभिरूचि वाले उन कॉरपोरेट से जोड़ा, जिन्होंने मेडिकल शिक्षा प्राप्त करने वाले 25 विद्यार्थियों को मदद देने का प्रस्ताव किया। अनेक कॉरपोरेट घरानों और स्वयं-सेवी संगठनों ने समर्थन देने और ऐसी प्रतिभा के लिए मार्गदर्शक के रूप में काम करने की दिलचस्पी व्यक्त की है और अभिरूचि वाले स्कॉलरों को इंटर्नशिप प्रदान करने का प्रस्ताव किया है। कॉरपोरेट और एनजीओ ने आजीविका, प्रतिभा पूल, जनजातीय चिकित्सा, जनजातीय संस्कृति और समारोह के क्षेत्र में जनजातीय लोगों के कल्याण कार्य करने के लिए जनजातीय कार्य मंत्रालय के साथ साझेदारी की पेशकश की है और ‘सार्थक कदम’ का हिस्सा बनने में दिलचस्पी जाहिर की है।
डीबीटी के माध्यम से छात्रवृत्ति : धनराशि पीएफएमएस (डीबीटी मोड) माध्यम से केनरा बैंक द्वारा फेलोशिप विद्यार्थी के बैंक खाते में सीधे हस्तांतरित की जाती है। शीर्ष वर्ग विद्यार्थियों के खाते में धनराशि मंत्रालय द्वारा भेजी जाती है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि विद्यार्थी अपने अध्ययन में नियमित हैं और शोध गतिविधियों में शामिल है, उन्हें तिमाही निरंतरता प्रमाण-पत्र दाखिल करना होता है और अगली किस्त जारी करने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा इसका सत्यापन किया जाता है।
मैट्रिक पश्चात् के लिए डीबीटी पोर्टल : डीबीटी मिशन-मंत्रिमंडल सचिवालय द्वारा दिये गये कार्य के अनुसार जनजातीय कार्य मंत्रालय मैट्रिक पश्चात् छात्रवृत्ति के लिए डीबीटी-पोर्टल (dbttribal.gov.in) विकसित करने वाला पहला मंत्रालय बन गया है। पोर्टल में डाटा शेयरिंग सुविधा है, कम्युनिकेशन की सहजता है और सुधार की गई निगरानी प्रणाली है, जिससे बजट जारी करने की प्रक्रिया में तेजी आई। जनजातीय कार्य मंत्रालय ने 2000 करोड़ रुपये की अपने सम्पूर्ण बजट राशि का उपयोग किया। मंत्रालय ने ऐसा सितम्बर, 2019 में बीई में उपलब्ध धनराशि राज्यों के लिए जारी करके किया।
राज्यों को वेब सेवाओं, एक्सेल/सीएसवी फाइल तथा राज्यों की आईटी क्षमता के आधार पर मानवीय डाटा एंट्री के माध्यम से ऑनलाइन लाभार्थी डाटा शेयर करने की सुविधा दी गई है। विभिन्न राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के पोर्टल विभिन्न प्लेटफॉर्म पर हैं और अलग-अलग डाटाबेस का उपयोग करते हैं और अलग-अलग फॉर्मेट में हैं, इसलिए 31 फील्ड का एक साझा फॉर्मेट राज्यों द्वारा डाटा शेयरिंग के लिए तैयार किया गया है। यह पोर्टल जून, 2019 में चालू किया गया। ‘डाटा शेयरिंग मॉड्यूल’ के माध्यम से राज्यों द्वारा वित्त वर्ष 2017-18 तथा 2018-19 के लिए लगभग 45 लाख लाभार्थियों का डाटा अपलोड किया गया है।
वर्ष के दौरान मानवीय रूप से छात्रवृत्तियों की प्रोसेसिंग करने वाले 9 राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश राष्ट्रीय छात्रवृति पोर्टल पर लाए गए हैं। इनमें जम्मू और कश्मीर, मणिपुर, अंडमान और निकोबार, दमन दीव, दादरा नगर हवेली, गोवा आदि शामिल हैं।
डीबीटी पोर्टल ने राज्यों को पूछे गए प्रश्नों, दस्तावेज उपयोगीकरण प्रमाण पत्र, खर्च का ब्यौरा ऑनलाइन अपलोड करने की सुविधा दी गई है। सभी नोटिस और पत्र पोर्टल के जरिए भेजे जाते हैं और राज्यों से बेहतर संचार स्थापित करने के लिए भारी संख्या में संदेश भेजने की सुविधा है। ‘कम्युनिकेशन मॉडयूल’ से पहले की तुलना में लगने वाले समय में काफी कमी आई है।
पोर्टल में विभिन्न एमआईएस रिपोर्ट प्राप्त करने की सुविधा है। इन रिपोर्टों में राज्यवार, संस्थानवार, लिंग के अनुसार, विषयानुसार, लाभार्थियों की रिपोर्ट शामिल है। इन ई-पहलों से परिवर्तनकारी बदलाव हुआ है। अब कागज आधारित यूसी निगरानी प्रणाली की जगह डाटा आधारित ऑनलाइन निगरानी प्रणाली है। डाटा एकत्र करने की प्रक्रिया को मानक बनाया गया है और धनराशि जारी करने के लिए डाटा शेयरिंग अनिवार्य है। जारी धनराशि और उसके उपयोग की मैपिंग की जाती है। फिर भी राज्यों को संपूर्ण तथा सही डाटा अपलोड करने के लिए एकसाथ काम करने, समझाने-बुझाने की आवश्यकता है।
डाटा एनालिटिक्स तथा एमआईएस रिपोर्ट :
एनआईसी के अंतर्गत सेंटर फॉर डाटा एनालिटिक्स (सीईडीए) को 4 छात्रवृत्ति पोटर्लों पर लिये गये डाटा के विश्लेषण का कार्य सौंपा गया है। दो वर्षों में सीएस तथा सीएसएस योजनाओं से छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले 45 लाख विद्यार्थियों का डाटा बैंक बना है। डीबीटी-ट्राइबल पोर्टल पर ऑनलाइन रूप से राज्यों के साथ राज्यवार डाटा विश्लेषण रिपोर्ट साझा की जाती है और वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से नियमित रूप से राज्यों के साथ बैठकें की जाती हैं। जनजातीय कार्य मंत्रालय के अधिकारी और राज्य के अधिकारी एक-दूसरे के यहां यात्रा करते हैं। डाटा को मानक बनाना और स्वच्छ तथा सही डाटा प्राप्त करना विशाल कार्य है। इसके लिए निरंतर रूप से निगरानी करने वाली समर्पित टीम की आवश्यकता है। विश्वविद्यालयों तथा विद्यार्थियों की निगरानी और समन्वय के लिए राज्यवार, संस्थानगत और लिंग के अनुसार विभिन्न एमआईएस रिपोर्टें बनाने की क्षमता डाटाबेस में होती हैं।
प्रधानमंत्री वन-धन योजना
प्रधानमंत्री वन-धन योजना (पीएमवीडीवाई) एक बाजार से जुड़ा जनजातीय उद्यमिता विकास कार्यक्रम है। इसका उद्देश्य जनजातीय स्वयं सहायता समूहों का क्लस्टर बनाना है और उन्हें जनजातीय उत्पाद कंपनियों के रूप में मजबूत बनाना है। यह योजना देश के सभी 27 राज्यों की सहभागिता से लांच की गई है।
जनजातीय कार्य मंत्रालय ने 26.02.2019 को वन-धन योजना दिशा-निर्देशों को स्वीकृति दी। यह योजना ट्राइफेड द्वारा लागू की जाएगी। आजीविका सृजन के लिए 200, 740 लाभार्थियों को कवर करते हुए 18 राज्यों में 676 वीडीवीके स्थापित करने के लिए इस वर्ष लगभग 100 करोड़ रुपये मंजूर किये गये हैं।
ट्राइफेड ने राष्ट्रीय स्तर की दो कार्यशालाओं तथा राज्य स्तर की पांच कार्यशालाओं का संचालन किया। ट्राइफेड डाटा एकत्रित करने तथा पीएमवीडीवाई के अंतर्गत सभी गतिविधियों की निगरानी के लिए एक मजबूत वेब आधारित आईटी प्लेटफॉर्म तथा मोबाइल एप्लिकेशन विकसित कर रहा है।
नगालैंड में लौंगलेंग वीडीवीके ने मूल्यवर्धन तथा पर्वतीय घास के झाडू बनाने के लिए पर्वतीय घास में प्रसंस्करण कार्य प्रारंभ किया है। महाराष्ट्र में मालेगांव वीडीवीके तथा वाशिम जिले के रेसोड़ वीडीवीके ने अखरोट बनाने के लिए प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन कार्य प्रारम्भ किये हैं। छत्तीसगढ़ में धमतारी जिले में बीरगुडी वीडीवीके तथा जगदलपुर जिले में गोतिया वीडीवीके साल और इमली के पत्तों का प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन कार्य प्रारम्भ किये हैं।
वन-धन केन्द्रों में छोटे वन उत्पादों का प्रसंस्करण तथा मूल्यवर्धन
छोटे वन उत्पाद
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तथा छोटे वन उत्पाद के लिए मूल्य श्रृंखला विकसित करके छोटे वन उत्पादों के विपणन के लिए छोटे वन उत्पादों की संख्या संशोधित कर 23 से 49 करके इसे अधिसूचित किया गया है।
एनजीओ के धन पोषण को सुव्यवस्थित करना
मंत्रालय स्वास्थ्य और शिक्षा पर कम सेवा वाले क्षेत्रों, चरमपंथ प्रभावित क्षेत्रों तथा सीमावर्ती क्षेत्रों में 350 परियोजनाओं के लिए लगभग 250 से स्वयंसेवी संगठनों का धन पोषण कर रहा है। एनजीओ को जारी की जाने वाली धनराशि में पारदर्शिता और सक्षमता लाने के लिए समर्पित एनजीओ पोर्टल ( https://ngograntsmota.gov.in.) के माध्यम से आवेदन आमंत्रित किये जाते हैं, उनका सत्यापन किया जाता है और धनराशि जारी की जाती है। प्रत्येक एनजीओ अब अपने आवेदन की स्थिति जान सकता है। दिये गये उद्देश्य के लिए एनजीओ के धन उपयोग को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से ईएटी मॉड्यूल के माध्यम से निगरानी की जाती है। पोर्टल पर एनजीओ को कम्युनिकेशन मॉड्यूल के माध्यम से प्रश्नों, दस्तावेजों तथा शिकायतों को अपलोड करने की सुविधा दी गई है। विभिन्न क्षेत्रीय कार्यशालाएं आयोजित की गई है। जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा नई दिल्ली के अंबेडकर भवन में 12 जून, 2019 को अनुसूचित जनजाति कल्याण योजनाओं के लिए कुछ ई-गवर्नेंस कार्यक्रम लॉन्च किये गये।
मंत्रालय ने परिभाषित मानक के आधार पर एनजीओ की ग्रेडिंग की प्रक्रिया प्रारम्भ की है। मानक से कम प्रदर्शन करने वाले स्वयंसेवी संगठनों को सुधार करने के लिए समय दिया जाएगा। यदि एनजीओ जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा निर्धारित मानकों का परिपालन नहीं करते, तो उनके अनुदान का नवीनीकरण नहीं किया जाएगा। वित्तीय पारदर्शिता के लिए नई दिल्ली में ईएटी मॉड्यूल के उपयोग पर स्वयंसेवी संगठनों को प्रशिक्षित करने के लिए तीन दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई।
मंत्रालय ने केन्द्रीय मंत्रालयों/विभागों की 330 योजना के अंतर्गत एसटीसी के क्रियान्वयन का अध्ययन करने के लिए प्राइस वाटरहाउस कूपर (पीडब्ल्यूसी) को शोध और मूल्यांकन परियोजना का कार्य सौंपा है, ताकि प्रासंगिकताओं को समझा जा सके। जनवरी 2020 तक इस अध्ययन के पूरा होने की संभावना है। परियोजना के परिणाम के आधार पर एसटीसीएमआईएस पोर्टल को संशोधित किया जाएगा, ताकि जनजातीय लाभार्थियों को दी जाने वाली राशि के उपयोग पर नजर रखी जा सके और यह पता किया जा सके कि आवंटित धन से जनजातीय क्षेत्रों में आधारभूत संरचना कार्य किये जा रहे है या नहीं।
मंत्रालय केन्द्रीय मंत्रालयो/विभागों द्वारा उपयोग किये जाने वाले एसटीसी फंड के नियमन के लिए एसटीसी अधिनियम बनाने के उद्देश्य से विधेयक लाने पर विचार कर रहा है, ताकि अनुसूचित जनजाति के लोगों तथा अनुसूचित जनजाति वाले बाहुल्य क्षेत्रों के लिए अधिकतम परिणाम प्राप्त किये जा सकें। एसटीसी अधिनियम का प्रारूप नीति आयोग के विचाराधीन है।
स्वास्थ्य, जल तथा जनजातीय लोगों की आजीविका
मंत्रालय ने जनजातीय क्षेत्रों की जल समस्या तथा आजीविका की समस्या के समाधान के लिए अनूठी पहल की है। एसईसीएमओएल-लद्दाख को कार्य शोध परियोजना दी गई है, जिसके अंतर्गत 50 गांवों में बर्फ के स्तूप बनाए जाएंगे, जिससे पेयजल तथा पेयजल की समस्या का समाधान होगा और कृषि के लिए जल मिलेगा। एसईसीएमओएल सामूहिक भागीदारी के माध्यम से पौधरोपण का कार्य करेगा। टाटा फाऊंडेशन द्वारा प्रबंधित हीमोत्थान सोसायटी को भेड़ पालन-पोषण, खुबानी तथा मटर की पैकेजिंग परियोजना दी गई है, क्योंकि ये चीजे नष्ट हो जाती हैं और स्थानीय लोग अपने उत्पादों का उचित मूल्य प्राप्त नहीं पाते।
मंत्रालय ने जनजातीय बाहुल्य क्षेत्रों में स्वास्थ्य अवसंरचना तथा अन्य स्वास्थ्य सेवाओं की खाई को पाटने के लिए एक स्वास्थ्य कार्य योजना तैयार की है। स्वास्थ्य कार्य योजना प्रारूप पर नीति आयोग विचार कर रहा है।
शहद, बांस तथा लाह पर फोकस के साथ जनजातीय उद्यम पर एकदिवसीय कार्यशाला नई दिल्ली में 08.08.2019 को आयोजित की गई, ताकि इन तीनों महत्वपूर्ण उत्पादों के उत्पादन में सुधार लाया जा सके, अधिक से अधिक लाभ सुनिश्चित किया जा सके तथा जनजातीय लोगों की आजीविका के लिए बेहतर अवसर बनाया जा सके।
जनजातीय चिकित्सा तथा जनजातीय औषधियां
जनजातीय लोगों में स्थानीय उपलब्ध औषधीय पौधों से बीमारियों का ईलाज करने का पारम्परिक ज्ञान रहा है। इस ज्ञान को संरक्षित बनाए रखने के लिए पंतजलि शोध संस्थान को उत्तराखंड में जनजातीय चिकित्सा और औषधीय पौधों पर शोध परियोजना दी गई है। इसी तरह की परियोजनाएं एम्स जोधपुर, परवरा चिकित्सा संस्थान तथा राजस्थान, महाराष्ट्र तथा केरल के लिए माता अमृतामयी संस्थान को दी गई है। टीआरआई उत्तराखंड को विभिन्न सीओई तथा टीआरआईएस द्वारा जनजातीय औषधियों पर शोध कार्य में समन्वय के लिए नोडल टीआरआई बनाया गया है, ताकि विषय पर केन्द्रीय नॉलेज हब बनाया जा सके। जनजातीय कार्य मंत्रालय का उद्देश्य अन्य टीआरआई को ऐसे विषयों पर कार्य सौंपना है। मंत्रालय का उद्देश्य इस विषय पर समन्वय और केन्द्रीकृत सूचना प्रणाली के प्रबंधन के लिए पीएसी को कार्य सौंपना है।
जनजातीय शोध संस्कृति तथा संग्रहालय
मंत्रालय ने ज्ञान केन्द्र के रूप में कार्य करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर जनजातीय शोध संस्थान और अनुसूचित जनजातियों से संबंधित सूचनाओं का भंडार बनाने का प्रस्ताव किया है। एनटीआरआई जनजातीय विषयों पर शोध और मूल्यांकन अध्ययनों को बढ़ावा देगा और राज्यों के टीआरआई को उनके कार्यों में समर्थन प्रदान करेगा। नीति आयोग ने सिद्धान्त रूप में एनटीआरआई की मंजूरी दे दी है।
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में 21.08.2019 को राज्य जनजातीय शोध-सह-संस्कृति केन्द्र और संग्रहालय का उद्घाटन किया गया। जनजातीय मंत्रालय द्वारा जारी 12 करोड़ रुपये की राशि से इसे बनाया गया है। दो मंजिला यह केन्द्र शोध गतिविधियों के अतिरिक्त उत्तराखंड की समृद्ध जनजातीय संस्कृति और परम्पराओं के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
टीआरआई उत्तराखंड को विभिन्न सीओई तथा टीआरआईएस द्वारा जनजातीय औषधियों पर शोध कार्य में समन्वय के लिए नोडल टीआरआई बनाया गया है, ताकि विषय पर केन्द्रीय नॉलेज हब बनाया जा सके। जनजातीय कार्य मंत्रालय का उद्देश्य अन्य टीआरआई को ऐसे विषयों पर कार्य सौंपना है। मंत्रालय का उद्देश्य इस विषय पर समन्वय और केन्द्रीकृत सूचना प्रणाली के प्रबंधन के लिए पीएसी को कार्य सौंपना है।
राज्यों में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ संघर्ष करने वाले जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों का संग्रहालय बनाने के सरकार के संकल्प के अनुरूप संग्रहालय स्थापित किया जा रहा है, ताकि आने वाली पीढ़ी को यह बताया जा सके कि भारत माता के गौरव के लिए किस तरह जनजातीय लोगों ने अपनी कुर्बानियां दीं। पिछले वर्ष तक जनजातीय कार्य मंत्रालय ने गुजरात, झारखंड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और केरल में जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय स्थापित करने के लिए स्वीकृति दी। चालू वर्ष के दौरान मंत्रालय ने मणिपुर तथा मिजोरम में जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय स्थापित करने के लिए परियोजनाओं की स्वीकृति दी है।
मंत्रालय ने टीआरआई के लिए कार्यशालाएं चलाने के बारे में आईआईपीए को परियोजना दी है, ताकि आशा के अनुरूप परिणामों की दिशा में उनके कामकाज को नया रूप देने की आवश्यकता का मूल्यांकन किया जा सके।
मंत्रालय ने 14 राज्यों में जनजातीय उत्सवों के आयोजन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की है। इनमें नगालैंड का होर्नबिल उत्सव, मिजोरम का पोल कुट उत्सव तथा तेलंगाना में सम्मकासरक्कामेदारामजात्रा शामिल है।
एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय
प्रधानमंत्री द्वारा 12 सितम्बर, 2019 को झारखंड की राजधानी रांची में पूरे देश में 462 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) स्थापित करने के लिए कार्यक्रम लॉन्च किया गया। 4833 नये विद्यार्थियों के नामांकन के साथ इस वर्ष 55 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय कार्य करने लगे। समूचे रूप से अभी तक 72,839 विद्यार्थियों के नामांकन के साथ 284 विद्यालय कार्य कर रहे हैं।
राजस्थान के उदयपुर में 28 से 30 नवम्बर, 2019 तक राष्ट्रीय एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय सांस्कृतिक उत्सव का दूसरा संस्करण आयोजित किया गया, ताकि समृद्ध जनजातीय संस्कृति और विरासत को दिखाया जा सके।
मध्य प्रदेश के भोपाल में राष्ट्रीय ईएमआरएस खेल स्पर्धा 2019 आयोजित की गई, जिसमें देश के 21 राज्यों के ईएमआरएस विद्यार्थियों ने भाग लिया। इसका आयोजन 9 से 13 दिसम्बर, 2019 तक किया गया, ताकि खेल की विभिन्न विधाओं में जनजातीय विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया जा सकें।
जनजातीय कार्य मंत्रालय ने एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय उत्तराखंड के विद्यार्थियों को सम्मानित करने के लिए समारोह का आयोजन किया। विद्यार्थियों को स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में आयोजित समारोह में कार्यक्रम प्रस्तुत करने के लिए राष्ट्रपति भवन में आमंत्रित किया गया।
जनजातीय लोगों का सशक्तिकरण
जनजातीय कार्य मंत्रालय के अंतर्गत ट्राइफेड (ट्राइबल कोऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड) देश के जनजातीय समुदायो के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने का कार्य विपणन विकास तथा जनजातीय समुदायों के कौशल और उत्पादों के निरंतर उन्नयन के माध्यम से यह कार्य करता है।
ट्राइफेड द्वारा जनजातीय सशक्तिकरण की अग्रणी योजना पीएमवीडीवाई लागू की जा रही है।
नई दिल्ली के दिल्ली हाट आईएनए में 16 से 30 नवम्बर, 2019 तक ट्राइफेड के सहयोग से जनजातीय कार्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय जनजातीय उत्सव ‘जनजातीय महोत्सव’ का आयोजन किया, ताकि समृद्ध जनजातीय संस्कृति, विरासत तथा परम्पराओं का प्रचार-प्रसार किया जा सके। महोत्सव का उद्घाटन केन्द्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह ने किया। देश के विभिन्न 20 स्थानों पर इसी तरह के महोत्सव आयोजित करने के लिए ट्राइफेड को धनराशि स्वीकृत की गई है। इन स्थानों में केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख का लेह शामिल है, जहां महोत्सव 17.08.2019 को आयोजित किया गया।
जनजातीय लोगों के सशक्तिकरण के लिए ट्राइफेड द्वारा प्रारम्भ की गई प्रमुख गतिविधियों में नए ट्राइब्स इंडिया आउटलेट खोलना, जनजातीय उत्पादों की खरीद, देशव्यापी प्रदर्शनी के माध्यम से जनजातीय उत्पादों की बिक्री, ई-कॉमर्स के माध्यम से घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय बिक्री को प्रोत्साहित करना, जनजातीय दस्तकारी मेला आदि शामिल हैं।
ट्राइफेड की गतिविधियों के ब्यौरों के लिए यहां क्लिक करें –
जनजातीय वन अधिकार
जनजातीय कार्य मंत्रालय के परामर्श पर पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा प्रारूप संशोधन आईएफए, 2019 पूरी तरह वापस लिया गया। पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कहा कि जनजातीय लोगों के अधिकारों को पूरी तरह सुरक्षित रखा जाएगा और वन विकास में वे महत्वपूर्ण हितधारक के रूप में कार्य करते रहेंगे।
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आर.के.मीणा/आरएनएम/एएम/एजी/जीआरएस/वाईबी – 5063
(Release ID: 1598102)
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