वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय
प्रेस नोट संख्या 4 (2019 श्रृंखला)
विभिन्न सेक्टरों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति की समीक्षा
Posted On:
18 SEP 2019 6:02PM by PIB Delhi
भारत सरकार ने विभिन्न सेक्टरों में वर्तमान एफडीआई नीति की समीक्षा की है और ‘समेकित एफडीआई नीति सर्कुलर 2017 (एफडीआई नीति)’ में निम्नलिखित संशोधन किए हैं, जो 28 अगस्त 2017 से प्रभावी है, और जैसा कि इसमें समय-समय पर संशोधन किया गया है :
कोयला खनन
एफडीआई नीति के पैराग्राफ 5.2.3.2 को संशोधित किया गया है जिसे निम्नलिखित रूप में पढ़ा जाना चाहिए:
सेक्टर / गतिविधि
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इक्विटी का प्रतिशत/एफडीआई सीमा
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निवेश किस तरह से
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5.2.3.2
कोयला एवं लिग्नाइट
- विद्युत परियोजनाओं, लोहा एवं इस्पात और सीमेंट यूनिटों द्वारा स्व-उपभोग के लिए कोयले एवं लिग्नाइट का खनन और कोयला खनन (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 तथा खान एवं खनिज (विकास व नियमन) अधिनियम, 1957 के प्रावधानों के तहत अनुमति प्राप्त अन्य उपयुक्त गतिविधियां।
- कोयला प्रसंस्करण संयंत्रों जैसे कि वाशरी की स्थापना, जिसके तहत यह शर्त होगी कि कंपनी कोयला खनन नहीं करेगी और कंपनी अपने कोयला प्रसंस्करण संयंत्रों से प्राप्त धुले हुए कोयले तथा सही आकार वाले कोयले की बिक्री खुले बाजार में नहीं करेगी तथा कंपनी उन पार्टियों या निकायों को धुले हुए अथवा सही आकार वाले कोयले की आपूर्ति करेगी जो धुलने अथवा सही आकार देने के उद्देश्य से कोयला प्रसंस्करण संयंत्रों को कच्चे कोयले की आपूर्ति कर रहे हैं।
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100%
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स्वत:
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(3) कोयले की बिक्री, संबंधित प्रसंस्करण अवसंरचना सहित कोयला खनन गतिविधियों के लिए, जिसके तहत कोयला खनन (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 तथा खान एवं खनिज (विकास व नियमन) अधिनियम, 1957 के प्रावधान लागू होंगे, जैसा कि समय-समय पर संशोधन होता रहा है। इससे जुड़े अन्य संबंधित अधिनियमों के प्रावधान भी लागू होंगे।
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100%
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स्वत:
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एफडीआई नीति के पैराग्राफ 5.2.3.3.2 की अन्य शर्तों के तहत निम्नलिखित नया अनुच्छेद 5.2.3.3.2 (iii) जोड़ा गया है:
"संबंधित प्रसंस्करण अवसंरचना’’, जैसा कि उपर्युक्त पैराग्राफ 5.2.3.2 में उल्लेख किया गया है, में कोल वाशरी, क्रशिंग, कोयला संचालन एवं पृथक्करण (चुंबकीय और गैर चुंबकीय) शामिल हैं।
अनुबंध पर विनिर्माण
एफडीआई नीति के पैराग्राफ 5.2.5.1 को संशोधित किया गया है, जिसे निम्नलिखित रूप में पढ़ा जाना चाहिएः
एफडीआई नीति के प्रावधानों के तहत विनिर्माण सेक्टर में विदेशी निवेश स्वतः रूट के जरिए संभव है। विनिर्माण या तो निवेश प्राप्तकर्ता निकाय द्वारा स्व-उत्पादन के जरिए किया जा सकता है अथवा कानूनन तर्कसंगत अनुबंध के जरिए भारत में ठेके या अनुबंध पर उत्पादन के जरिए हो सकता है, चाहे वह संबंधित पक्षों (प्रिंसिपल या पार्टी) के बीच अनुबंध के आधार पर हो अथवा संबंधित पक्ष और एजेंट के बीच अनुबंध के आधार पर हो। इसके अलावा, सरकारी मंजूरी के बगैर किसी विनिर्माता को थोक और/अथवा रिटेल (खुदरा) के जरिए भारत में निर्मित उत्पादों की बिक्री करने की अनुमति दी जाती है। इसमें ई-कॉमर्स के जरिए बिक्री करना भी संभव है।
सिंगल ब्रांड रिटेल ट्रेडिंग
एफडीआई नीति के पैराग्राफ 5.2.15.3 को संशोधित किया गया है जिसे निम्नलिखित रूप में पढ़ा जाना चाहिएः
सेक्टर/गतिविधि
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इक्विटी का प्रतिशत/एफडीआई सीमा
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निवेश किस तरह से
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सिंगल ब्रांड प्रोडक्ट रिटेल ट्रेडिंग
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100%
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स्वतः
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- सिंगल ब्रांड प्रोडक्ट की रिटेल ट्रेडिंग या खुदरा कारोबार में विदेशी निवेश के उद्देश्य ये हैं- उत्पादन एवं विपणन में निवेश आकर्षित करना, उपभोक्ताओं के लिए इस तरह की वस्तुओं की उपलब्धता बढ़ाना, भारत से वस्तुओं की ज्यादा प्राप्ति को बढ़ावा देना और वैश्विक डिजाइनों, प्रौद्योगिकियों एवं प्रबंधन के बेहतरीन तौर-तरीकों तक पहुंच के जरिए भारतीय उद्यमों की प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ाना।
(2) सिंगल ब्रांड प्रोडक्ट की रिटेल ट्रेडिंग या खुदरा कारोबार में एफडीआई पर निम्नलिखित शर्तें लागू होंगीः
- बेचे जाने वाले उत्पाद केवल ‘सिंगल या एकल ब्रांड’ के ही होने चाहिए।
- उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में समान ब्रांड के तहत ही बेचा जाना चाहिए, अर्थात उत्पादों को भारत से बाहर एक या एक से अधिक देशों में उसी अथवा समान ब्रांड के तहत ही बेचा जाना चाहिए।
- ‘सिंगल ब्रांड’ उत्पाद की रिटेल ट्रेडिंग में केवल उन्हीं उत्पादों को कवर किया जाएगा, जिनकी ब्रांडिंग विनिर्माण के दौरान की जाती है।
- अनिवासी निकाय अथवा निकायों, चाहे वे ब्रांड के मालिक हों अथवा कोई और, को विशिष्ट ब्रांड के लिए देश में ‘सिंगल ब्रांड’ उत्पाद की रिटेल ट्रेडिंग करने की अनुमति दी जाएगी, चाहे वह सीधे ब्रांड के मालिक द्वारा की जाए अथवा सिंगल ब्रांड रिटेल ट्रेडिंग करने वाले भारतीय निकाय और ब्रांड के मालिक के बीच हुए कानूनन तर्कसंगत समझौते के जरिए हो।
- पारम्परिक स्टोरों के जरिए अपना परिचालन करने वाला सिंगल ब्रांड रिटेल ट्रेडिंग (एसबीआरटी) निकाय ई-कॉमर्स के जरिए भी रिटेल ट्रेडिंग या खुदरा कारोबार कर सकता है। हालांकि, पारम्परिक स्टोरों को खोलने से पहले भी ई-कॉमर्स के जरिए रिटेल ट्रेडिंग की जा सकती है, जिससे एक शर्त जुड़ी हुई है। इस शर्त के तहत संबंधित निकाय को ऑनलाइन रिटेल शुरू करने की तिथि से लेकर दो साल के भीतर पारम्परिक स्टोर खोलने होंगे।
नोटः
- पैराग्राफ 5.2.15.3 (2) (बी) और 5.2.15.3 (2) (डी) में उल्लिखित शर्तें भारतीय ब्रांडों की एसबीआरटी (सिंगल ब्रांड रिटेल ट्रेडिंग) पर लागू नहीं होंगी।
- भारतीय ब्रांडों का स्वामित्व और नियंत्रण निवासी भारतीय नागरिकों और/अथवा ऐसी कम्पनियों के हाथों में होना चाहिए जिनका स्वामित्व एवं नियंत्रण निवासी भारतीय नागरिकों के पास हो।
- सिंगल ब्रांड रिटेल ट्रेडिंग करने वाले उन निकायों द्वारा प्रथम स्टोर खोले जाने अथवा ऑनलाइन रिटेल की शुरुआत किए जाने, इनमें से जो भी पहले हो, अर्थात कारोबार शुरू करने की तिथि से लेकर अगले तीन वर्षों तक सामान प्राप्ति (सोर्सिंग) के मानक लागू नहीं होंगे जिनके पास अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी होगी और जहां स्थानीय स्तर पर सोर्सिंग संभव नहीं होगी। अतः पैराग्राफ 5.2.15.3 (2) (ई) के प्रावधान लागू होंगे।
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डिजिटल मीडिया
एफडीआई नीति के पैराग्राफ 5.2.7.2 के तहत निम्नलिखित नया अनुच्छेद 5.2.7.2.3 जोड़ा गया हैः
5.2.7.2.3
डिजिटल मीडिया के जरिए समाचारों एवं समसामयिक मामलों (करेंट अफेयर्स) की अपलोडिंग/स्ट्रीमिंग
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26%
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सरकार
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मौजूदा पैराग्राफ 5.2.7.2.3 का नया नम्बर 5.2.7.2.4 होगा।
6. उपर्युक्त निर्णय फेमा अधिसूचना की तिथि से प्रभावी होगा।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग, नई दिल्ली, 18 सितंबर, 2019
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आर.के.मीणा/आरएनएम/एएम/आरआरएस/डीके – 3104
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