वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय

फीस कम करके आईपीआर इको-सिस्टम को बेहतर बनाना; नवोन्मेष और रचनात्मकता को पोषण प्रदान करना ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में आवश्यक – पीयूष गोयल

Posted On: 16 SEP 2019 3:57PM by PIB Delhi

ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में नवोन्मेष और रचनात्मकता को पोषण प्रदान करने के महत्व को देखते हुए भारत ने बौद्धिक संपदा इको-सिस्टम को मजबूत करने के लिए गंभीर प्रयास किए हैं।

भारत के आर्थिक विकास में एमएसएमई की महत्वपूर्ण भूमिका को ध्यान में रखते हुए विभिन्न आईपीआर के लिए फीस को कम करने का प्रस्ताव दिया गया है।

 

आईपीआर

गतिविधि

श्रेणी

वर्तमान फीस

प्रस्तावित फीस

कमी (प्रतिशत)

पेटेंट

फाइलिंग

एमएसएमई

4000/ 4400

1600/ 1750

60

जांच के लिए अनुरोध

10000/ 11000

4000/ 4400

60

त्वरित जांच (केवल ई-फाइलिंग)

25000

8000

68

नवीकरण

2000 to 20000 (दस्तावेज फाइल करने पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त)

800 to 8000 (दस्तावेज फाइल करने पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त)

60

डिजाइन

फाइलिंग

एमएसएमई / स्टार्ट-अप

2000

1000

50

भौगोलिक संकेतक

पंजीयन

प्राधिकृत उपयोगकर्ता

500

शून्य

100

पंजीयन प्रमाणपत्र जारी करना

100

शून्य

100

नवीकरण

1000

शून्य

100

 

ई-फाइलिंग/दस्तावेज फाइलिंग की फीस संरचना। जीआई नियमों में संशोधन के लिए मसौदे को अधिसूचित किया गया।

सरकार ने 2016 में राट्रीय आईपीआर नीति लागू की थी। इससे देश में आईपीआर को मजबूत करने का मार्ग प्रशस्त हुआ। इससे पिछले पांच वर्षों के दौरान आईपी फाइलिंग की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई।

आईपी आवेदनों की फाइलिंग

2013-14 की तुलना में 2018-19 में वृद्धि (प्रतिशत)

पेटेंट

18

ट्रेडमार्क

69

 

पेटेंट के लिए घरेलू फाइलिंग की संख्या 2013-14 में 22 प्रतिशत थी जो 2018-19 में 34 प्रतिशत हो गई है। बौद्धिक संपदा के लिए स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों और औद्योगिक क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाए गए।

आईपीआर आवेदनों का निपटारा

2013-14 की तुलना में 2018-19 में वृद्धि (प्रतिशत)

पेटेंट

353

ट्रेडमार्क

395

 

 

 

 

 

 

 

   

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आर.के.मीणा/आरएनएम/एएम/जेके/डीए - 3052


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