मंत्रिमण्‍डल

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने मवेशी पालन करने वाले किसानों की सहायता के लिए खुरपका और मुंहपका (एफएमडी) तथा ब्रुसेलोसिस को नियंत्रित करने की नई पहल को मंजूरी दी


पशुपालन क्षेत्र से जुड़े किसान इस कदम से होंगे लाभांवित

Posted On: 31 MAY 2019 8:41PM by PIB Delhi

2019 के लोकसभा चुनाव के बाद प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की पहली बैठक में एक नई पहल को मंजूरी दी गई, जिससे करोड़ों किसान लाभांवित होंगे और मवेशियों की सेहत में सुधार होगा।

यह पहल मवेशी पालन करने वाले किसानों की सहायता के लिए खुरपका और मुंहपका (एफएमडी) तथा ब्रुसेलोसिस को नियंत्रित करने से संबंधित है। मंत्रिमंडल ने अगले पांच वर्षों में देश से मवेशियों की इन बीमारियों को पूरी तरह नियंत्रित करने और उसके बाद इन्हें जड़ से मिटाने के लिए 13,343 करोड़ रुपये के कुल खर्च को मंजूरी दी है।

यह निर्णय पशुओं के प्रति करूणा की भावना को दर्शाता है, जो हमारे ग्रह का बहुमूल्य अंग हैं, लेकिन बेज़ुबान हैं।

खुरपका और मुंहपका (एफएमडी) तथा ब्रुसेलोसिस का खतरा-

ये बीमारियां मवेशियों- गाय- बैल, भैंस, भेड़, बकरी, सूअर आदि में बहुत आम हैं।

यदि गाय या भैंस एफएमडी बीमारी से पीड़ित होती हैं, तो दूध-उत्पादन 100 प्रतिशत तक कम हो जाता है और यह स्थिति 4 से 6 महीनों तक बनी रह सकती है। इसके अलावा ब्रुसेलोसिस से पीड़ित होने की स्थिति में मवेशी के पूरे जीवनचक्र के दौरान दूध-उत्पादन 30 प्रतिशत तक घट जाता है। ब्रुसेलोसिस के कारण पशुओं में बांझपन भी हो जाता है। मवेशियों की देखभाल करने वाले और मवेशियों के मालिक भी ब्रुसेलोसिस से संक्रमित हो सकते हैं। इन दोनों बीमारियों का दूध और अन्य मवेशी उत्पादों के व्यापार पर सीधे नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

मंत्रिमंडल के आज के इस निर्णय से घोषणा-पत्र में किया गया एक प्रमुख वादा पूरा हो गया है, क्योंकि यह मवेशी पालन करने वाले देश के करोड़ो किसानों को बेहद राहत पहुंचाने का प्रावधान करता है।

पशुओं की देखभाल और उनके प्रति करूणा-

एफएमडी की स्थिति में यह योजना बछियों के प्राथमिक टीकाकरण के साथ 30 करोड़ गोजातीय पशुओं (गाय- बैल, भैंस) और 20 करोड़ भेड़/बकरियों तथा एक करोड़ सूअरों का 6 महीने के अंतराल पर टीकाकरण कराने की परिकल्पना करती है, जबकि ब्रुसेलोसिस नियंत्रण कार्यक्रम 3.6 करोड़ बछियों को 100 प्रतिशत का टीकाकरण कवरेज उपलब्ध कराएगा।

यह कार्यक्रम अब तक केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच लागत की साझेदारी के आधार पर कार्यान्वित किया जाता रहा है। इन रोगों का पूरी तरह से उन्मूलन तथा देश में मवेशी पालन करने वाले किसानों को आजीविका के बेहतर अवसर सुनिश्चित कराने के लिए केन्द्र सरकार ने लीक से हटकर कदम उठाते हुए अब इस कार्यक्रम की पूरी लागत वहन करने का निर्णय लिया है।

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अतुल कुमार तिवारी/आर.के.मीणा/आरएनएम/एएम/आरके/एमएस– 1350



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