सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्‍वयन मंत्रालय

जीडीपी का आकलन – एक स्‍पष्‍टीकरण

Posted On: 08 MAY 2019 7:06PM by PIB Delhi

मीडिया के एक वर्ग में आंकड़ों (डेटा) के उपयोग, सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) के अनुमानों में संशोधनों और जीडीपी से जुड़ी बैक-सीरीज सहित संबंधित संकेतकों के संबंध में रिपोर्ट पेश की गई हैं जिसके लिए निम्‍नलिखित के बारे में सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्‍वयन मंत्रालय की ओर से स्‍पष्‍टीकरण आवश्‍यक है :

  • किसी भी अर्थव्‍यवस्‍था में जीडीपी का आकलन एक जटिल प्रक्रिया है जिसके तहत अर्थव्‍यवस्‍था के प्रदर्शन को बेहतर ढंग से मापने के लिए अनेक पैमाने एवं मानदंड विकसित किए जाते हैं। वैश्विक मानकीकरण एवं तुलनीयता के उद्देश्‍य से विभिन्‍न देश संयुक्‍त राष्‍ट्र में व्‍यापक सलाह-मशविरा के बाद विकसित राष्‍ट्रीय लेखा प्रणाली का अनुसरण करते हैं। राष्‍ट्रीय लेखा प्रणाली 2008 यानी ‘2008 एसएनए’ दरअसल वर्ष 2009 में संयुक्‍त राष्‍ट्र सांख्यिकी आयोग (यूएनएससी) द्वारा अपनाए गए राष्‍ट्रीय लेखा से जुड़े अंतरराष्‍ट्रीय सांख्यिकी मानक का नवीनतम वर्जन है और इसके साथ ही यह पूर्ववर्ती ‘1993 एसएनए’ का अद्दतन वर्जन है। राष्‍ट्रीय लेखा पर गठित अंतर-सचिवालय कार्यदल (आईएसडब्‍ल्‍यूजीएनए) को सदस्‍य देशों के साथ गहन चर्चाएं एवं सलाह-मशविरा करके ‘2008 एसएनए’ विकसित करने की जिम्‍मेदारी सौंपी गई थी। भारत ने भी सलाहकार विशेषज्ञ समूह के विचार-विमर्श में भाग लिया था। यूएनएससी ने ‘2008 एसएनए’ को अपनाते समय सदस्‍य देशों, क्षेत्रीय और उप-क्षेत्रीय संगठनों को अपनी सिफारिशें लागू करने और राष्‍ट्रीय लेखा सांख्यिकी की राष्‍ट्रीय एवं अंतरराष्‍ट्रीय रिपोर्टिंग हेतु इसके उपयोग के लिए प्रोत्‍साहित किया था।
  • जैसा कि अन्‍य अंतरराष्‍ट्रीय मानक के साथ होता है, इसके लिए भी डेटा संबंधी आवश्‍यकताएं अत्‍यंत ज्‍यादा हैं और विकास‍शील देश एसएनए संबंधी जरूरतों के साथ समन्‍वय स्‍थापित करने से पहले विभिन्‍न डेटा स्रोतों को विकसित करने के लिए काफी समय लेते हैं। डेटा के अभाव में वैकल्पिक छद्म (प्रॉक्‍सी) स्रोतों अथवा सांख्यिकीय सर्वेक्षणों का उपयोग जीडीपी/जीवीए (सकल मूल्‍य वर्धित) में विभिन्‍न क्षेत्रों (सेक्‍टर) के योगदान का आकलन करने के लिए किया जाता है। एसएनए में इस बात का भी उल्‍लेख किया गया है कि अनुमानों के आधार वर्ष को समय-समय पर संशोधित किया जा सकता है, ताकि आर्थिक परिवेश में हुए बदलावों, पद्धतिमूलक अनुसंधान में हुई प्रगति और उपयोगकर्ताओं (यूजर) की जरूरतों को इसमें समुचित ढंग से दर्ज या समायोजित किया जा सके।
  • अर्थव्‍यवस्‍था में हो रहे ढांचागत बदलावों के मद्देनजर वृहद आर्थिक संकेतकों जैसे कि सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी), औद्योगिक उत्‍पादन सूचकांक (आईआईपी), उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक (सीपीआई) इत्‍यादि के आधार वर्ष में समय-समय पर परिवर्तन करना आवश्‍यक है, ताकि ये संकेतक प्रासंगिक बने रहें तथा अर्थव्‍यवस्‍था में हुए ढांचागत बदलावों को और भी ज्‍यादा सटीक ढंग से दर्शाया जा सके। इस तरह के संशोधनों के तहत न केवल विभिन्‍न संगणनाओं और सर्वेक्षणों के नवीनतम आंकड़ों का उपयोग किया जाता है, बल्कि इनमें समय के साथ अत्‍यंत उपयुक्‍त हो चुके प्रशासनिक डेटा से प्राप्‍त सूचनाओं को भी शामिल किया जाता है। भारत में जीडीपी सीरीज के आधार वर्ष को 2004-05 से संशोधित कर 2011-12 कर दिया गया और ‘2008 एसएनए’ के अनुरूप संबंधित स्रोतों एवं प्रक्रियाओं को अपनाने के बाद 30 जनवरी, 2015 को इसे जारी किया गया। राष्‍ट्रीय लेखा सांख्यिकी पर गठित सलाहकार समिति (एसीएनएस) द्वारा वृहद संग्रहों के संकलन की कार्यप्रणाली पर विस्‍तार से विचार-विमर्श किया जाता है। इस समिति में राष्‍ट्रीय सांख्यिकी आयोग, भारतीय सांख्यिकी संस्‍थान (आईएसआई), भारतीय रिजर्व बैंक, वित्‍त, कॉरपोरेट मामले एवं कृषि मंत्रालयों, नीति आयोग और चुनिंदा राज्‍य सरकारों के विशेषज्ञ एवं शिक्षाविद शामिल हैं।
  • यह बात दोहराई जा रही है कि राष्‍ट्रीय लेखा सांख्यिकी के संकलन के लिए विस्‍तृत स्रोतों और पद्धतियों को सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्‍वयन मंत्रालय की वेबसाइट[1] पर ‘राष्ट्रीय लेखा की नई सीरीज में प‍द्धति और डेटा स्रोतों में परिवर्तन, आधार वर्ष 2011-12’ शीर्षक के तहत उपलब्‍ध कराया गया है। इसी तरह जीडीपी से जुड़ी बैक-सीरीज के लिए विस्‍तृत प‍द्धति मंत्रालय की वेबसाइट[2] पर उपलब्‍ध है।
  • राष्‍ट्रीय लेखा सांख्यिकी की 2011-12 सीरीज में डेटा स्रोतों में बदलाव, विभिन्‍न गतिविधियों की कवरेज में विस्‍तार और उपलब्‍ध डेटा के अनुसार उन प्रक्रियाओं में सुधार शामिल हैं जिन्‍हें संयुक्‍त राष्‍ट्र की राष्‍ट्रीय लेखा प्रणाली 2008 की नवीनतम सिफारिशों के अनुरूप कर दिया गया है। इसके तहत वित्‍तीय निगमों, स्‍थानीय निकायों और स्‍वायत्‍त संस्‍थानों की बेहतर कवरेज सुनिश्चित की गई है जिनमें से सभी का सकल मूल्‍य वर्धित (जीवीए) के अनुमानों पर उल्‍लेखनीय असर पड़ता है। 2011-12 की राष्‍ट्रीय लेखा सीरीज के तहत इसके अनुमानों में कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय से उपलब्‍ध होने वाले कॉरपोरेट क्षेत्र के डेटा का उपयोग भी शुरू कर दिया गया। सेवा क्षेत्र (सर्विस सेक्‍टर) पर तकनीकी रिपोर्ट पेश करने के लिए राष्‍ट्रीय नमूना सर्वेक्षण की हालिया प्रक्रिया मंत्रालय द्वारा शुरू की गई थी, ताकि डेटा में अंतर को समझा जा सके और प्रस्‍तावित 2017-18 सीरीज के लिए आधार वर्ष में नये परिवर्तन की कवायद शुरू करते वक्‍त सुधारात्‍मक कदम उठाये जा सकें।
  • दरअसल, मंत्रालय सभी आर्थिक प्रति‍ष्‍ठानों के लिए 7वीं आर्थिक गणना भी शुरू कर रहा है, ताकि न केवल प्रतिष्‍ठानों के स्‍वरूप एवं विस्‍तार का आकलन किया जा सके, बल्कि एक राष्‍ट्रीय बिजनेस रजिस्‍टर भी तैयार किया जा सके जिसे समय-समय पर अपडेट किया जा सकता है। आर्थिक गणना के लिए क्षेत्र संबंधी कार्य जून, 2019 में शुरू किया जाएगा।
  • भारत ने अंतरराष्‍ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के विशेष डेटा प्रसार मानकों पर भी हामी भरी है जिसके तहत वृहद आर्थिक डेटा को निर्धारित अवधि और समयसीमा के भीतर प्रसारित करना आवश्‍यक है। इसे निर्धारित डेटा मानकों के साथ-साथ विस्तृत सांख्यिकीय प्रथाओं से जुड़ी सूचनाओं या मेटाडेटा के अनुरूप होना चाहिए। तदनुसार, मंत्रालय ने एक ‘एडवांस रिलीज कैलेंडर’ पेश किया है जिसमें विभिन्‍न अनुमानों को जारी करने की निर्दिष्‍ट तिथियों का उल्‍लेख किया गया है। उदाहरण के लिए वर्ष 2018-19 के जीडीपी/जीवीए अनुमानों को निम्‍नलिखित तरीके से जारी किया जाएगा।

 

संख्‍या

2018-19 के लिए जीडीपी/जीवीए अनुमान 

जारी करने की तिथि

व्यापक दृष्टिकोण 

1

प्रथम अग्रिम अनुमान

(एफएई)

07 जनवरी, 2019

बेंचमार्क, सरकारी बजट (बजट अनुमान) के रूप में संकेतकों  (अप्रैल- सितंबर) और 2017-18 के पीई पर आधारित

2

द्वितीय अग्रिम अनुमान (एसएई)

28 फरवरी , 2019

बेंचमार्क, सरकारी बजट (बजट अनुमान) के रूप में संकेतकों  (अप्रैल- दिसंबर) और 2017-18 के प्रथम आरई पर आधारित

3

अंतरिम अनुमान (पीई)

31 मई , 2019

बेंचमार्क, सरकारी बजट (संशोधित अनुमान) के रूप में संकेतकों  (अप्रैल- मार्च) और 2017-18 के प्रथम आरई पर आधारित

4

प्रथम संशोधित अनुमान  (एफआरई)

31 जनवरी, 2020

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक, एमसीए (संक्षिप्‍त नमूना) , कंपनियों की वार्षिक रिपोटों, सरकारी बजट (संशोधित अनुमान) पर आधारित

5

द्वितीय संशोधित अनुमान  

(एसआरई)

29 जनवरी, 2021

विस्तृत तालिकाओं जैसे कि अनंतिम एएसआई 2018-19, एमसीए (बड़ा नमूना), कंपनियों की वार्षिक रिपोटों, राज्य स्तरीय डेटा, सरकारी बजट (वास्तविक अनुमान) पर आधारित

6

तृतीय संशोधित अनुमान  (टीआरई)

31 जनवरी, 2022

विस्तृत डेटा अंतिम एएसआई 2018-19, इत्‍यादि, कंपनियों की वार्षिक रिपोटों, राज्य स्तरीय डेटा पर आधारित 

 

‘राष्ट्रीय लेखा की नई सीरीज में प‍द्धति और डेटा स्रोतों में परिवर्तन, आधार वर्ष 2011-12’ और जीडीपी से जुड़ी बैक-सीरीज के बारे में विस्‍तृत जानकारी प्राप्‍त करने के लिए अंग्रेजी का अनुलग्‍नक यहां जारी करें।

[1] http://www.mospi.gov.in/sites/default/files/press_releases_statements/Changes%20in%20Methodology%20NS%202011-12%20June%202015.pdf

[2] http://www.mospi.gov.in/sites/default/files/publication_reports/Methodology_back_series_base_2011_12_9jan19.pdf

***

आर.के.मीणा/आरएनएम/एएम/आरआरएस/एनआर–1152    



(Release ID: 1571811) Visitor Counter : 1438


Read this release in: English , Urdu , Bengali