वित्‍त मंत्रालय

भारत और अमरीका के बीच वार्ता में देश-दर-देश(सीबीसी) रिपोर्ट के आदान-प्रदान के लिए द्विपक्षीय समझौते पर हस्‍ताक्षर

Posted On: 15 MAR 2019 3:05PM by PIB Delhi

आयकर अधिनियम 1961 की धारा 286 की उप-धारा 4 में अपेक्षित है कि भारत में निवासी किसी अन्‍तर्राष्‍ट्रीय समूह की वैकल्पिक रिर्पोटिंग संस्‍था या मूल संस्‍था के अलावा किसी अन्‍तर्राष्‍ट्रीय समूह की संघटक संस्‍था निर्धारित अवधि के अन्‍दर रिर्पोटिंग लेखा वर्ष के लिए उस अन्‍तर्राष्‍ट्रीय समूह के संबंध में देश-दर-देश(सीबीसी) रिपोर्ट प्रस्‍तुत करेगी, बशर्ते कि कथित अन्‍तर्राष्‍ट्रीय समूह की मूल संस्‍था किसी ऐसे देश या क्षेत्र की निवासी हो-

· जहां मूल संस्‍था को सीबीसी रिपोर्ट जमा करने की बाध्‍यता नहीं है,

· जिस देश के साथ भारत का सीबीसी रिर्पोट के आदान-प्रदान के लिए कोई समझौता नहीं है, या

· जहां देश या क्षेत्र की प्रणालीगत विफलता हुई है और ऐसी विफलता को निर्धारित प्राधिकारी द्वारा ऐसी संघटक संस्‍था को सूचित किया गया हो।

18 दिसम्‍बर, 2018 से प्रभावी अधिसूचना जीएसआर 1217(ई) दिनांक 18 दिसम्‍बर द्वारा  आयकर नियमावली 1962 (‘नियमावली’) में संशोधन किए गए हैं ताकि सीबीसी रिपोर्ट (स्‍थानीय रूप से दाखिल) जमा करने के लिए रिपोर्टिंग लेखा वर्ष के समाप्‍त होने के बाद से 12 महीने की अवधि उपलब्‍ध कराई जा सके।

इसके अलावा अधिनियम की धारा-119 के तहत प्रदत्‍त अधिकारों का प्रयोग करते हुए परिपत्र संख्‍या 9/2018, दिनांक 26 दिसम्‍बर 2018 के द्वारा एक बार के उपाय के रूप में रिपोर्टिंग लेखा वर्षों के संबंध में सीबीसी रिपोर्ट (स्‍थानीय रूप से) 28 फरवरी, 2018 या उससे पूर्व दाखिल करने की अवधि को 31 मार्च 2019 तक बढ़ा दिया गया है।

भारत और अमरीका के बीच अब तक ऐसा समझौता न होने से अब भारत में सीबीसी रिपोर्ट को स्‍थानीय रूप से जमा करने की संभावना बढ़ गई है। तथापि एक आधारभूत अंतर-सरकारी समझौते के साथ भारत और अमरीका में सीबीसी रिपोर्टो के आदान-प्रदान के लिए ‘द्विपक्षीय सक्षम प्राधिकरण प्रबंधन’ को अब अंतिम रूप दिया गया है और इस पर 31 मार्च 2019 को या इससे पहले हस्‍ताक्षर किये जायेंगे। इससे दोनों देश एक जनवरी, 2016 को या उसके बाद शुरू होने वाले वित्‍तीय वर्षों के संबंधित अधिकार क्षेत्र में अर्न्‍तराष्‍ट्रीय समूहों की  अंतिम मूल संस्‍थाओं द्वारा दाखिल सीबीसी‍ रिपोर्ट का आदान-प्रदान करने में सक्षम होंगे। जिसके परिणामस्‍वरूप अमरीका में मुख्‍यालय वाले अर्न्‍तराष्‍ट्रीय समूहों की वे भारतीय संघटक संस्‍थाएं, जिन्‍होंने अपनी सीबीसी रिपोर्ट पहले ही अमरीका में दाखिल कर दी हैं, उन्‍हें भारत में अपने अर्न्‍तराष्‍ट्रीय समूहों की सीबीसी रिपोर्ट स्‍थानीय रूप से दाखिल करने की जरूरत नहीं होगी।

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आर.के.मीणा/अर्चना/आईपीएस/आरएन-671

 



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