प्रधानमंत्री कार्यालय

अहमदाबाद में नए सिविल, कैंसर और नेत्र अस्पतालों के उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री के सम्बोधन का मूल पाठ

Posted On: 04 MAR 2019 10:25PM by PIB Delhi

सबसे पहले आप हमारे देश के वीर जवानों के नाम अपना मोबाइल फोन निकाल करके, इसकी बैटरी फ्लैश चला करके हम वीरों का सम्‍मान करेंगे। हर किसी के मोबाइल फोन की बैटरी, और उसको चालू रखिए। मैं तीन जयकारा बुलवाऊंगा। आप सबको, आप भी, आप सबको भी तीन जयकारा बोलना है। ये भारत माता के जयकारे हैं-

पराक्रमी भारत के लिए-

भारत माता की – जय

विजयी भारत के लिए-

भारत माता की – जय

देश के वीर जवानों के लिए-

भारत माता की – जय

बहुत-बहुत धन्‍यवाद आपका।

 

यहां पधारे हुए सभी उत्‍साही प्‍यारे भाइयो और बहनों।

 

मन करता है आज बहुत कुछ बता दूं। आज अहमदाबाद के विकास के लिए, यहां के जन-जन के लिए ऐतिहासिक दिन है। थोड़ी देर पहले अहमदाबाद मेट्रो के पहले फेज़ का लोकार्पण हुआ है और साथ-साथ दूसरे फेज का शिलान्‍यास भी हुआ है। और अभी यहां पर अहमदाबाद की ही नहीं, बल्कि गुजरात की, देश की एक बहुत बड़ी स्‍वास्‍थ्‍य सुविधा का लोकार्पण किया गया है। अहमदाबाद के जीवन को बदलने वाले इन projects के लिए मैं आप सबको बहुत‍-बहुत बधाई देता हूं।

साथियो, आप ही की तरह आज मेरा भी बरसों पुराना सपना पूरा हुआ है। यहां आने से पहले मैंने अहमदाबाद मेट्रो में सफर किया। उस दरम्‍यान लोगों का उत्‍साह और उनको खुशी का अनुभव किया, सच में मन आनंद से भर गया। उत्‍तरायण में जैसे लोग छत पर हो करके पतंग उड़ाते हैं, वैसे ही आज छत पर खड़े होकर लोग अपनी मेट्रो का स्‍वागत कर रहे थे। पूरे रास्‍तेभर शायद ही कोई छत ऐसी हो, जिस पर लोग न जमे हुए हों। मेट्रो अहमदाबाद-वासियों का बहुत बड़ा सपना, वो आज हकीकत में बदल गया है।

साथियो, पहले चरण पर तो मेट्रो चल पड़ी है, दूसरे चरण का शिलान्‍यास भी आज हो गया है; एक काम खत्‍म और दूसरे पर काम शुरू, ये भी हमारी सरकार की और एक विशेषता है। एक हो जाए तो हम सोते नहीं हैं, दूसरे के लिए तैयारी करते हैं।

आप क्‍या समझे, मैं क्‍या कह रहा था?अपने-अपने हिसाब से मतलब निकालना सिर्फ कांग्रेस को ही आता है, आप ऐसा मत कीजिए। दस हजार करोड़ रुपये से ज्‍यादा की लागत से बन रही इस मेट्रो से अहमदाबाद के लोगों के जीवन में बड़ा बदलाव आने वाला है। लाखों अहमदाबादियों को इसका लाभ होने वाला है। कल्‍पना कीजिए दफ्तर जाने वाले साथियों को, यहां के उद्यमियों को, स्‍कूल-कॉलेज जाने वाले विद्यार्थियों को कितनी राहत मिलने वाली है, समय की कितनी बचत होने वाली है।इससे अहमदाबाद में ट्रैफिक से जुड़ी समस्‍याएं तो कम होगी हीं, पर्यावरण का नुकसान भी कम होगा। और हमारा आप जानते हैं पुराना मंत्र- जिसका शिलान्‍यास हम करते हैं उसका उद्घाटन भी हम ही करते हैं। इसका मतलब क्‍या हुआ? नहीं, इसका मतलब क्‍या हुआ? इसका मतलब क्‍या हुआ? इसका मतलब ये हुआ कि आज जो मेट्रो का शिलान्‍यास किया है, तीन-चार-पांच साल, जब भी उसका काम पूरा होगा, हम मौजूद होंगे। और ये सब कैसे हो रहा है- आपके आशीर्वाद से हो रहा है।

साथियो, देश को ट्रांसपोर्ट की ये सुविधा देने के लिए हमारी सरकार कितनी गंभीरता से कार्य कर रही है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि साल 2014 तक...ये आंकड़ा याद रखना... कुछ बुद्धिमान लोग आंकड़े भूल जाते हैं। मेरे जैसे सादे-सीधे व्‍यक्ति की तरह आप भी याद रखिए। 2014 के पहले जब रिमोट कंट्रोल सरकार चलती थी; 2014 तक देश में मेट्रो का नेटवर्क सिर्फ पूरे देश में 250 किलोमीटर था। अब स्थिति ये है कि देश में मेट्रो का ऑपरेशनल नेटवर्क...और 55 महीने का एक हिसाब दे रहा हूं मैं...आज करीब-करीब 650 किलोमीटर तक पहुंचा है। कहां 250, रिमोट कंट्रोल वाली सरकार और कहां 650, 55 महीने में। और इतना ही नहीं, देश के अलग-अलग हिस्‍सों में करीब 800 किलोमीटर मेट्रो रूट पर आज काम चल रहा है।  सोचिए, आने वाले समय में urban transport  कितना ज्‍यादा बदलने जा रहा है।

साथियो, अब से कुछ देर पहले मैंने एक common mobility cardका भी शुभारंभ किया है, देश को अर्पण किया है और मेरी दृष्टि से आज अहमदाबाद को तो जो मिला, सो मिला; गुजरात को जो मिला, सो मिला, लेकिन इस कार्यक्रम से मैं पूरे हिन्‍दुस्‍तान को एक नई सौगात दे रहा हूं।और आपको भी उसकी बारीकी जान करके खुशी होगी। और ये जो रूपे कार्ड है, उसी से चलने वाला काम है। ये कार्ड यात्रा करते समयआपकी तमाम दिक्‍कतों को दूर करने जा रहा है। देशभर में लोग मेट्रो से जाते हैं, बस से जाते हैं, लोकल ट्रेन से जाते हैं; टोल का पैसा देते हैं, पार्किंग का पैसा देते हैं, भांति-भांति जगह पर पैसे देने पड़ते हैं। और इसमें आपको अक्‍सर बटुए से निकालकर पैसे देने होते हैं। कई बार खुले पैसे होते हैं, कई बार नहीं होते हैं। इसमें कितनी तरह की दिक्‍कतें आती हैं, समय जाता है; ये भी आपको भलीभांति पता है।

इस दिक्‍कत को दूर करने के लिए ही automatic fare collection system की व्‍यवस्‍था विकसित की गई है। लेकिन इसमें भी एक चैलेंज ये था कि ये सिस्‍टम भारत को विदेश से ही मंगवाना पड़ता था। अलग’-अलग कम्‍पनियों द्वारा बनाए गए सिस्‍टम की वजह से देश में एक integrated व्‍यवस्‍था विकसित नहीं हो पा रही थी। यानी एक शहर का कार्ड दूसरे शहर में नहीं चलता था, बेकार हो जाता था। इस चुनौती को दूर करने के लिए हमारी सरकार ने एक व्‍यापक स्‍तर पर एक task force बना करके टेक्‍नोलॉजी की दृष्टि से एक नया achievement करने के लिए काम शुरू किया। अनेक मंत्रालयों, अनेक विभागों को इस काम में लगाया गया। बैंकों को भी जोड़ा गया। सरकार ने उन्‍हें एक ही task दिया था, एक ऐसी व्‍यवस्‍था विकसित करें जो अलग-अलग कार्ड बनवाने की इस दिककत को दूर करे और डिजिटल लेनदेन को आसान बनाए।

सा‍थियो, तमाम प्रयासों के बाद अब देश में... अब आपको खुशी होनी चाहिए...अब देश में one nation one card.One nation one card का सपना अब साकार हो गया है।Common mobility card से आप पैसे भी निकाल पाएंगे, शॉपिंग भी कर पाएंगे और देशभर में...सिर्फ अहमदाबाद नहीं.... देश के किसी भी मेट्रो या ट्रांसपोर्ट के अन्‍य साधन में भी आपका वो ही रूपे कार्ड काम में आएगा। अगर मैं और आसान शब्‍दों में समझाऊं- तो अब आपके रूपे डेबिट कार्ड और mobility card को मिलाकर एक किया जा रहा है।

साथियो, इस व्‍यवस्‍था के साथ ही अब विदेशी तकनीक पर भारत की निर्भरता खत्‍म हो गई है, अब जो कुछ भी है वो Made in India है। अब भारत दुनिया के उन कुछ इने-गिने देशों की लिस्‍ट में शामिल हो गया है जिनके पास इस तरह की तकनीक है और जो अपने ट्रांसपोर्ट सिस्‍टम में One nation one card की व्‍यवस्‍था को लागू करने जा रहा है। देश के हर युवा को गर्व होगा कि हमारे नौजवानों ने अपने ही देश में बनी हुई ये तकनीक आज देश को समर्पित की है।मैं देश को और आप सभी को इसके लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं। वैसे गुजरात के लिए भी ये गर्व की बात है कि यहां बड़ोदरा के सावली में जो मेट्रो के कोच बन रहे हैं वो अब एक्‍सपोर्ट भी किए जा रहे हैं।

साथियो, ट्रांसपोर्ट सेक्‍टर को मजबूत करने के लिए आज...अभी आपने देखा होगा मैं हरी झंडी से ट्रेन को विदा कर रहा था। आज पाटन-भीलड़ी नई रेल लाइन का उद्घाटन और आणंद-गोधरा की रेलवे लाइन के दोहरीकरण का‍ शिलान्‍यास भी किया गया है। मैं छोटा था, हर एमपी पाटन-भीलड़ी रेलवे लाइन की बात करता था। बचपन से मैं सुनता आया था, पहली बार ये काम हुआ। आप बताइए कैसे चला होगा पहले?

साथियो, आज से दो दशक पहले गुजरात जिस स्थिति में था, वो आज की नई पीढ़ी को शायद ही पता होगा। हालत ये थी कि राज्‍य के बहुत से इलाके पानी के लिए तरसते थे, इलाज के लिए लोगों को शहर-शहर भटकना होता था, 24 घंटे बिजली एक सपने की बात थी। ज्‍यादातर इलाकों में जीना इतना कठिन था कि लोग पलायन करने पर मजबूर थे। विशेषकर मेरे आदिवासी भाई-बहनों को तो कोई पूछने वाला ही नहीं था। अब आज गुजरात जहां है, वो गुजरात में रहने वाले प्रत्‍येक व्‍यक्ति के परिश्रम का परिणाम है। कुछ ही वर्षों में गुजरात के लोगों ने अपने गुजरात की तस्‍वीर बदल दी है।

भाइयो और बहनों, गुजरात के विकास को और ऊंचाई देने वाले, गुजरात के संतुलित विकास के लिए हमारी सरकार चाहे केन्‍द्र में हो या राज्‍य में हो, हम चौतरफा विकास के काम करते हुए आगे बढ़ रहे हैं। बीते 55 महीनों में सरकार ने उमर गांव से अम्‍बाजी तक, यानी राज्‍य की पूर्व पट्टी; आदिवासी बाहुल्‍य इलाकाउमरगांव से जाखोर, यानी हमारे समुद्री तट वाला तटीय इलाका और आबू से दहानू तक, राजस्‍थान से महाराष्‍ट्र तक ये हमारे गुजरात का मध्‍य पूरी पट्टी, यानी केन्‍द्रीय गुजरात की आवश्‍यकताओं को ध्‍यान में रखते हुए विकास के अनेक कार्य शुरू किए हैं। और एक बड़ा उसका planning करके किया है।

पूर्व में आदिवासी पट्टी, पश्चिम में आदिवासी लोग और बीच में हमारा अहमदाबाद-बड़ौदा-पालनपुर, वाप्‍ती-ताप्‍ती सब। अगर मैं पहले उमरगांव से अम्‍बाजी की बात करूं तो सरकार ने इस क्षेत्र में आदिवासी भाई-बहनों के जीवन को आसान बनाने पर विशेष जोर दिया। इस क्षेत्र के सभी गांवों को all weather connectivity दी जा चुकी है। यहां पानी की समस्‍या को दूर करने के लिए 2800 करोड़ रुपये की water supply योजना पर काम चल रहा है। नर्मदा जल पर आधारित दाहोद-छोटाउदयपुर water supply scheme हो, नर्मदा और तापी जिले के लिए पेयजल परियोजना हो, मयसागर जिले के लिए कड़ाना बांध पर आधारित water supply scheme हो या फिर संखेड़ा-पावीजीत पुर रीजनल water supply scheme हो, इसका लाभ उमरगांव से अम्‍बाजी बेल्‍ट के लाखों लोगों को मिला है।इस क्षेत्र में डेयरी उद्योग को बढ़ावा देने का प्रयास भी किया जा रहा है। साबरकांठा में इजरायल के साथ मिलकर आधुनिक एग्रीकल्‍चर सेंटर पर भी काम हो रहा है।

साथियो, सरकार के प्रयासों की वजह से आज गुजरात के पूरे आदिवासी इलाके कीसिकल सेल एनीमिया की जांच के लिए स्‍क्रीनिंग की जा चुकी है। इससे आदिवासी लोगों को तमाम चुनौतियों से निपटने में मदद मिल रही है। सरकार ने आदिवासी बच्‍चों की शिक्षा पर भी विशेष ध्‍यान दिया है। आप जान करके हैरान हो जाएंगे इतनी बड़ी-बड़ी बातें करने वाले लोग, बड़े-बड़े वादे करने वाले लोग गुजरात के आदिवासी क्षेत्र में, एक भी तहसील में जब तक मैं मुख्‍यमंत्री नहीं बना, तब तक एक भी XII Science की स्‍कूल नहीं थी बताइए। 2001 तक आदिवासी पट्टी में एक भी tribal बच्‍चों के लिए XII Science की स्‍कूल नहीं थी। आज वहां मेडिकल कॉलेज बन रहे हैं, यूनिवर्सिटियां बन रही हैं। विकास कैसे होता है, सपने कितने बड़े होते हैं और संकल्‍प को ले करके कैसे सिद्धि प्राप्‍त की जा सकती है, गुजरात एक case study का विषय है दोस्‍तो।

दीनबंधु कल्‍याण योजना के तहत सैंकड़ो मॉडल आवासीय स्‍कूल, आश्रम स्‍कूल, एकलव्‍य स्‍कूल बनाए गए हैं। 1100 से ज्‍यादा होस्‍टल का भी निर्माण हुआ है, जिसका लाभ दो लाख से ज्‍यादा आदिवासी बच्‍चों को मिल रहा है। इतना ही नहीं, नर्मदा जिले में 300 करोड़ रुपये की लागत से  birasamundatribal university की भी स्‍थापना की गई। सरकार द्वारा आदिवासी विद्यार्थियों के लिए स्‍पेशल कोचिंग क्‍लासेज भी चलाई जा रही हैं। पहले आदिवासी छात्रों के लिएरिजर्व  मेडिकल सीट खाली चली जाती थी, अब लगभग सभी सीटें भर रही हैं।

दाहोद और पालनपुर में बनाए गए मेडिकल कॉलेज से इस इलाके में स्‍वास्‍थ्‍य सुविधा भी बहुत मजबूत हुई है।सरकार दाहोद के रेलवे वर्कशॉप के विस्‍तारीकरण पर भी काम कर रही है। अभी आपने टीवी पर देखा होगा, हमारे जसवंत सिंह जी भामोर वहां रेलवे के यार्ड में थे और मैं यहां से उसको रिमोट से चालू कर रहा था। दाहोद रेलवे वर्कशॉप की क्षमता दाहोद में एक परेल करके जगह है, मैं कभी उन जंगलों में काम करता था, जब बहुत 30-40 साल पहले की बात है, ऐसे ही वीरान पड़ा था रेलवे का पूरा इलाका।

हमने अब इसको फिर से जिंदा कर दिया और उसकी वर्कशॉप की क्षमता में चार गुना बढ़ोत्‍तरी की गई है, ताकि यहां के लोगों को रोजगार मिले। अब तक वहां मालगाड़ी के सिर्फ साढ़े चार सौ वैगनों की overhauling की जा सकती थी, अब इस क्षमता को साल में 1800 वैगन तक पहुंचा दिया गया है। अब आप कल्‍पना कर सकते हैं कि एक दिन में 6 वैगन का काम, यानी कितने लोगों को रोजगार मिलेगा।

इसके अलावा सरकार पर्यटन से जुड़ी सुविधाओं को भी विकसित कर रही है। केवड़िया में Statue of Unity सरदार वल्‍लभ भाई पटेल का यहां स्‍मारक, दुनिया का सबसे ऊंचा Statue है। Statue of Liberty से उसकी height डबल है। ये भी गुजरात कर सकता है और उस Statue of Unity के दर्शन के लिए देशभर में कितना उत्‍साह है, ये आप भलीभांति जानते हैं। अम्‍बाजी में भी विकास से जुड़ी अनेक परियोजनाएं जारी हैं। इसी तरह सरकार राजपिपलां में tribal museum पर भी तेजी से काम करवा रही है।

भाइयो और बहनों, स्‍वतंत्रता के आन्‍दोलन में अपना महत्‍वपूर्ण योगदान देने वाले आदिवासी समूह को वो सम्‍मान नहीं मिला था, जिसके वो हकदार थे।Tribal Museum बनवाकर सरकार आदिवासियों ने आजादी के जंग में जो योगदान दिया, उसके प्रति लोगों को जाग्रत करने का काम कर रही है।

साथियो, गुजरात की सामुद्रिक ताकत से दुनिया भलीभांति परिचित है। उमरगांव से ले करके  जखोर कच्‍छ में तक पूरा क्षेत्र हिन्‍दुस्‍तान का सबसे लम्‍बा समुद्री तट गुजरात के पास है, आज भी हमारी सामुद्रिक ताकत को बढ़ाता है। इस इलाके के विकास के लिए अनेक परियोजनाओं पर काम किया जा रहा है।गोगा से दहेज के बीच रोरोफेरी चलाने से लोगों के लिए आना-जाना आसान हुआ है और उनके समय और पैसे की भी बचत हो रही है।

सोनी योजना पर आधारित सिंचाई और पेयजल परियोजनाओं ने इस इलाके में पानी का संकट काफी हद तक कम किया है। अब सरकार ने समुद्री जल से साफ पानी निकालने की योजनाओं को भी गति दी है। जोड़िया समेत छह और जगहों पर distillation का काम शुरू हो रहा है। इस पूरी coastal belt के विकास के लिए यहां की connectivity सुधारने के लिए सरकार ने सागरमाला कार्यक्रम के तहत 75 हजार करोड़ रुपये से ज्‍यादा की परियोजना स्‍वीकृत की है। अकेले गुजरात के समुद्री तट पर 75 हजार करोड़ रुपया। सरकार ने दवारका में मरीन पुलिस एकेडमी की भी स्‍थापना की है।

भाइयो और बहनों, हम देश को 21वीं सदी में नई ऊंचाई पर ले जाने के साथ-साथ अपनी पुरानी विरासत को संजोने का भी काम कर रहे हैं। गांधीजी के नमक सत्‍याग्रह को समर्पित दांडी स्‍मारक का अभी कुछ हफ्ते पहले ही लोकार्पण करने का मुझे सौभाग्‍य मिला था और आज, आज एक ऐसी चीज का शिलान्‍यास हो रहा है, जिसकी पूरी दुनिया में गूंज होने वाली है। ये छोटी बात नहीं बता रहा हूं मैं। पूरे विश्‍व में सबसे पहला, हजारों साल पुराना सबसे पहला बंदर ये गुजरात के लोथल का बंदर। पांच हजार साल पुराना बंदर, अगर दुनिया के किसी के पास ऐसी कोई जगह होती तो पूरी दुनिया को पागल करके छोड़ देता दोस्‍त।

लेकिन अब, जब मुझे भारत सरकार में बैठ करके सेवा करने का मौका मिला है तो आज लोथल में National maritime heritage complex का शिलान्‍यास भी किया गया है। हिन्‍दुस्‍तान की सामुद्रिक शक्ति, दुनिया के संदर्भ में सामुद्रिक शक्ति, पांच हजार साल का हमारा सामुद्रिक जीवन को ले करके ये ऐतिहासिक म्‍यूजियम बनने वाला है। आप कल्‍पना कर सकते हैं- पूरे विश्‍व का कितना बड़ा टूरिज्‍म हमारे लोथल में आने को मजबूर हो जाएगा। गुजरात को रोजी-रोटी के लिए कितनी बड़ी सुविधाएं हो जाएंगी।

साथियो, लोथल हमारी सामुद्रिक ताकत का प्रतीक रहा है। दुनिया के अनेक देशों के लोग वहां नजदीक में वल्‍लभी यूनिवर्सि‍टी से वहां लोग आया करते थे, अध्‍ययन करने के लिए पहुंचते थे‍ कि कैसे ये पोर्ट काम कर रहा है और इस क्षेत्र के व्‍यापार को बढ़ाने में मदद कर रहा है। कहते हैं एक समय था जब सैंकड़ों की तादाद में वहां झंडे फहरते थे और दुनिया के कई देश के झंडे वहां फहराया करते थे।National maritime heritage complex हमें उसी गौरव का एहसास कराएगा। और ये भी मैं बता दूं आज मैंने इसका शिलान्‍यास किया है, उद्घाटन कौन करेगा? कौन करेगा? मुझे विश्‍वास है देश का आशीर्वाद मेरे साथ है, उसका उद्घाटन भी हमीं करेंगे।

इस कॉम्‍पलेक्‍स में म्‍यूजियम भी होंगे, theme park भी होंगे, रिसर्च सेंटर भी होगा, होटल और रिसोर्ट भी होंगे, यानी ये भारत के समृद्ध सामुद्रिक विरासत से दुनिया को परिचित कराने का माध्‍यम तो बनेगा ही साथ ही टूरिज्‍म को बढ़ावा देने का भी जरिया बनेगा। इस कॉम्‍पलेक्‍स के तौर पर भारत को ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को एक नई विरासत मिलने जा रही है।

साथियो, हमारी सरकार द्वारा जो मैं मध्‍य गुजरात कहता था, एक पूर्वी पट्टी, एक पश्चिमी पट्टी और एक पूरा राजस्‍थान और महाराष्‍ट्र को जोड़ने वाला हमारा बीच का इलाका जिसको हम सेंट्रलविस्‍टा कह सकते हैं। इस मध्‍य भाग के विकास की आवश्‍यकताओं को देखते हुए विकास की अनेक परियोजनाओं पर काम किया जा रहा है। अहमदाबाद-मुम्‍बई बुलेट ट्रेन का काम तेजी से जारी है। ये ट्रेन गुजरात को एक नई पहचान देगी और हिन्‍दुस्‍तान का गौरव बढ़ाएगी। यहां के उद्यमियों की मुम्‍बई से connectivity और आसान करेगी।

आज अहमदाबाद को मेट्रो का उपहार तो मिल ही चुका है, इसके अलावा बड़ोदरा–मुम्‍बई एक्‍सप्रेस वे भी सेंटर गुजरात के लोगों और यहां के उद्योगों को बहुत फायदा होगा, साथ ही सरकार साणंद को ऑटोमोबाइल हब की तरह विकसित करने पर काम कर रही है, वहीं धोलेरा को world class commercial hub की तरह विकसित किया जा रहा है। इसमें धोलेरा एयरपोर्ट भी शामिल है। राजकोट में ग्रीन फील्‍ड एयरपोर्ट के लिए काम किया जा रहा है।

भाइयो और बहनों, सेंट्रल गुजरात की पानी की दिक्‍कत को दूर करने के लिए सरकार ने तमाम प्रयास करके नर्मदा बांध का काम पूरा कराया और उससे जुड़ी सिंचाई परियोजनाओं पर जोर दिया है। सुजलाम-सुफलाम स्‍कीम के तहत भी अनेक योजनाएं शुरू की जा रही हैं। इसकी वजह से उत्‍तर और सेंट्रल गुजरात को नर्मदा के पानी का फायदा मिल रहा है।

साथियो, आज का दिन मेरे लिए एक और वजह से खास है। आज medi-city के विस्‍तार का सपना, अहमदाबाद के लोगों को सारी स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं एक ही छत के नीचे देने का सपना भी पूरा हुआ है। एक साथ चार अस्‍पतालों का यहां लोकार्पण किया गया है। महिलाओं और बच्‍चों के लिए एक विशेष super specialty अस्‍पताल, कैंसर अस्‍पताल, eye hospital और dental hospital एक ही जगह पर आपकी सेवा के लिए, गुजरातवासियों की सेवा के लिए तैयार है।

साथियो, अहमदाबाद के दशकों पुराने civil hospital को medi-city के रूप में विकसित करने के लिए 2008 में काम शुरू किया गया था। मुझे खुशी है कि एक दशक के भीतर देश की सबसे बड़ी health care facility medi-city के रूप में आज यहां बन करके तैयार है। उसका स्‍केल देखिए, जो लोग ये टीवी पर सुनते होंगे देश में, उनको भी सुन करके अचरज होगा; ये ऐसा कैम्‍पस जिसमें लगभग 10 हजार डॉक्‍टर, मेडिकल स्‍टूडेंट, पेरामेडिकल स्‍टॉफ, sport staff मिलकर हर दिन लगभग 10 हजार मरीजों को यहां सेवा देने वाले हैं।

आप कल्‍पना कर सकते है, यानी एक प्रकार से 20 हजार की जनसंख्‍या वाला ये गांव बन गया ये। आज के लोकार्पण के बादmedi-city में बेड की क्षमता बढ़कर 5,500 हो गई है और बात यहां तक ने वाली नहीं है, इसमें और भी विस्‍तार होने वाला है। मुझे विश्‍वास है कि जिन बाकी अस्‍पतालों पर काम चल रहा है, वो भी बहुत जल्‍द बन करके तैयार होंगे।

साथियो, लोगों का स्‍वास्‍थ्‍य हमेशा से हमारी सरकार की प्राथमिकता रही है। आज सुबह मैं जामनगर में था, वहां पर भी 700 बेड के अस्‍पताल का उद्घाटन किया है। उत्‍तर हो, दक्षिण हो, पूर्व हो या पश्चिम; स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़े infrastructure और health education के संस्‍थानों में अभूतपूर्व विकास आज देश अनुभव कर रहा है। आज देशभर में 22 एम्‍स या तो काम कर रहे हैं या उसका construction का काम चल रहा है।

इनमें से 15 एम्‍स पर बीते 5 वर्षों में ही काम हुआ है। 22 में से 15 इस 55 महीने में। हमारा प्रयास कि देश के छोटे से छोटे कस्‍बे तक बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाओं को ले जाया जाए। इसके लिए wellness centreसे ले करके medical college तक एक सिलसिला चलाया जा रहा, एक chain चलाया जा रहा है।

साथियो, एक वो भी समय था जब गरीब और निम्‍न-मध्‍य वर्ग को भाग्‍य के भरोसे छोड़ दिया गया था। न पर्याप्‍त अस्‍पताल थे और न ही इलाज में सहयोग देने के लिए कोई अच्‍छी योजनाएं। इलाज के खर्च की वजह से देश के करोड़ों गरीब अस्‍पताल ही नहीं जाते थे। देशभर में आयुष्‍मान भारत PM-JAY, ये PM-JAY योजना, लोग उसको मोदी केयर भी कहते हैं। ऐसे अनेक लाभार्थी, उनसे मैं मिलता रहता हूं। आज भी यहां आने से पहले मैं मिला हूं। आजकल मैं देशभर में जब भी ऐसे लाभार्थियों से मिलता हूं, उनसे बातें करता हूं। आयुष्‍मान भारत योजना उनके लिए जीवनदान बनकर आई है।

साथियो, इस योजना को पांच महीने से कुछ ही ज्‍यादा वक्‍त हुआ है, लेकिन अब तक 14 लाख से अधिक गरीब मरीजों को इलाज मिल चुका है। आज गरीब से गरीब को भी अच्‍छे इलाज का विश्‍वास मिला है, तो वो उसके पीछे कैसे संभव हुआ? ये आज गरीब को इतनी सुविधा मिल पाई, इसके पीछे किसकी ताकत है बताइए किसकी वजह से हुआ है? किसकी वजह से हुआ है? किसकी वजह से हुआ है? अरे दोस्‍तों, ये मोदी की वजह से नहीं हो पा रहा है, ये हो पा रहा है इसलिए कि आपने 2014 में सही निर्णय किया था, सही जगह पर वोट दिया था। 2014 में आपने सही नीयत वाली एक मजबूत सरकार के पक्ष में मत दिया था, उसी का परिणाम- आज देश का हमारा गरीब और मध्‍यम वर्ग का परिवार उसका फायदा उठा रहा है, उसको जिंदगी में नई आशा पैदा हुई है।

भाइयो और बहनों, हमारी सरकार ने एक बुनियादी बदलाव देश की राजनीति में करने का प्रयास किया है। जो भी करना है, साफ-सुथरा और डंके की चोट पर करना है। राष्‍ट्रहित में, जनहित में बड़े से बड़ा फैसला लेना हो और कड़े से कड़ा फैसला लेना हो, हम पीछे नहीं रहते। आप देख रहे हैं बात चाहे भ्रष्‍टाचार से लड़ने की हो या फिर आतंकवाद से, हमारी नीति और नीयत, दोनों मेरे देशवासियो आपके सामने हैं।

याद करिए दोस्‍तो, इस सिविल अस्‍पताल में क्‍या हुआ था। ये अस्‍पताल इंसान को जिंदगी देता है और राक्षसों ने.. मैं जब यहां मुख्‍यमंत्री था, इसी सिविल अस्‍पताल में बम धमाके किए थे और निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। याद है कि नहीं है? सीमा के उस पार से आतंक होता था। क्‍या उस समय दिल्‍ली में बैठे हुए लोगों का दायित्‍व नहीं था कि हिसाब चुकता करें?

भाइयो और बहनों, ऐसी-ऐसी चीजें मेरे दिल में पड़ी हुई हैं और मैंने उस दिन भी कहा था, पुलवामा के बाद मैं publically कहा था कि जो आग देशवासियों के दिल में है, वो आग मेरे दिल में भी है। अगर उस समय सरकार में दम होता तो अहमदाबाद के सिविल अस्‍पताल में निर्दोषों की जान लेने वालों को वहां जा करके भी हिसाब चुकता कर देते वहीं।

मुम्‍बई में 26/11 हुआ, निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। और हम, कुछ दिन के बाद- चलो अब ठीक हो गया है, सब लोग काम में लग गए। आप मुझे बताइए दोस्‍तो- आतंकवाद के खिलाफ लड़ना चाहिए कि नहीं लड़ना चाहिए? आतंकवाद को जड़-मूल से उखाड़ना चाहिए कि नहीं उखाड़ना चाहिए? आप मुझे बताइए, कौन पार्टी है जो ये काम कर सकती है?ईमानदारी से बताइए, कौन कर सकता है? हम एक तरफ गलत करने वालों को सजा दे रहे हैं तो वहीं ईमानदारी से काम करने वालों का सम्‍मान भी कर रहे हैं।और भाइयो-बहनों मैं आज अहमदाबाद की धरती पर आया हूं और सिविल अस्‍पताल में आया हूं; वो दृश्‍य मैं भूल नहीं सकता हूं। और इसलिए मैं आपको कहना चाहूंगा- सातवें पाताल में होंगे,‍ फिर भी मैं उनको छोड़ने वाला नहीं हूं। और देश का दुर्भाग्‍य देखिए- कुछ लोगों को तो पता नहीं क्‍या हो गया है। आज पाकिस्‍तान के अखबार की हेडलाइन देख लीजिए- भारत के नेता जो भी बयानबाजी करते हैं वो पाकिस्‍तान के न्‍यूज की पेपर की हेडलाइन बन जाती है। ऐसे नेता, ऐसी बातें करते हैं जो पाकिस्‍तान के टीवी पर दिखा रहा है, पाकिस्‍तान की पार्लियामेंट में चर्चा हो रही है।

क्‍या ये देश हित का काम है क्‍या? आप ऐसी बात बोलोगे, जिसमें पाकिस्‍तान तालियां बजाए? अरे देश की सेना ने पराक्रम किया है, देश की सेना ने हिम्‍मत दिखाई है और मैं दोस्‍ता इंतजार लम्‍बा नहीं कर सकता हूं। चुन-चुन करके हिसाब लेना, ये मेरी फितरत है। कब तक निर्दोष लोगों को मारने देंगे? आप दोस्‍तो बताइए मुझे, आपको हमारे देश की सेना पर भरोसा है? उनकी बातों पर भरोसा है? वो जो कहते हैं, उस पर आप विश्‍वास करते हैं? सेना जो कहे, उस पर मुझे विश्‍वास करना चाहिए? सेना जो कहे, उसको मुझे मानना चाहिए? लेकिन कुछ लोग हैं जिनको सेना की बात भी पसंद नहीं थी।

अरे मोदी की बात मत मानो भाई, मैं नहीं कहता हूं मेरी बात मानो; कम से कम सेना पर तो अविश्‍वास मत करो। उनके पराक्रम पर तो दाग मत लगाओ। वो जान की बाजी लगा करके खेलता है, वो देश के लिए मर-मिटने के लिए निकलता है और सफल हो करके आता है तो आपकी नींद हराम हो जा रही है। और मान लीजिए, ये हमारे सेना के लोग गए थे, और मान लीजिए वहां कुछ हमारी योजना के हिसाब से न हुआ होता और कुछ उलटा हो गया होता, तो ये लोग क्‍या करते? क्‍या करते, मुझे बताइए। किसका इस्‍तीफा मांगते? किसका इस्‍तीफा मांगते? क्‍यों भई? मतलब राजनीति आप कर रहे हो, अब सफल हो रहे हैं तो चिल्‍ला रहे हैं कि मोदी ने तो आर्मी का नाम ही नहीं देना चाहिए, जय जवान-जय किसान भी नहीं बोलना चाहिए। क्‍यादेश के सेना के जवानों का गौरव करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए? उनका सम्‍मान करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए?, लेकिन इनके पेट में दर्द हो रहा है।

अब ये कहते हैं ये तो चुनाव वाला खेल है।जब सर्जिकल स्‍ट्राइक हमने पहली बार की, तब कहां चुनाव था भाई? ये हमारा सिद्धान्‍त है, हम घर में घुसकर मारेंगे। कोई देश ऐसी असहाय अवस्‍था में नहीं रह सकता है। 40 साल से आतंकवाद हिन्‍दुस्‍तान के सीने में गोलियां दाग रहा है जी। भारत मां के सीने में गोलियां दागी जा रही हैं, बम धमाके किए जा रहे हैं, निर्दोषों को मारा जा रहा है, लेकिन वोट बैंक की राजनीति में डूबे हुए लोग कदम उठाने से डरते हैं। मुझे सत्‍ता की, कुर्सी की परवाह नहीं है, मुझे चिंता मेरे देश की है। मुझे चिंता मेरे देश की है, मेरे देश के लोगों की सुरक्षा की है। और इसलिए मेहरबानी करके इन सब मसलों पर राजनीति मत करो। अरे मोदी कहता है कि मैंने इतने घर बनाए, उस पर विवाद करो ना- मोदी सच बोल रहा है, झूठ बोल रहा है, सही कह रहा है, नहीं कह रहा है; करो ना विवाद। नहीं कर रहे हैं, सेना को ले करके करते हैं विवाद।

मैं कहता हूं मेट्रो रेल लाया, आपको कहना होगा भई, चलो नहीं लाया,  मोदी झूठ बोल रहा है। करो विवाद कौन मना करता है भाई। मैं कहता हूं medi-city बनाया, आप बोलो- मोदी झूठ बोलता है, medi-city नहीं बनाया। बोलो ना, कौन मना करता है तुम्‍हें। मोदी को गाली देने के लिए कोई कम जगह है क्‍या, पूरा मैदान खाली पड़ा है। और मोदी को कोई एतराज नहीं है। सेना को क्‍यों गाली देते हो? देश के वीर जवानों को क्‍यों बदनाम करते हो? उनका मनोबल क्‍यों तोड़ते हो?और इसलिए भाइयो-बहनों, मैंने पहले भी कहा था मैं ऐसी धरती पर आया हूं जहां हमने उस दिन लोगों की लाशें देखी हैं जी। घायल हुए डॉक्‍टरों को देखा है, खून से लथपथ नर्सों को देखा है। इसलिए मैंने कहा था, मैं यहां आया हूं खुल करके बोलूंगा।

दोस्‍तो, जिस प्रकार से हम देश की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं और ये लड़ाई हमने छेड़ी है जी। ये आप मानकर चलिए हम देश हित में जो भी आवश्‍यक होगा, उसको करनी हमारी प्राथमिकता रहेगी, मैं देश को विश्‍वास दिलाना चाहता हूं। आपने देखा होगा, इस‍ बार हमारा बजट- अंतरिम बजट है, अभी पूरा बजट तो, जब दोबारा आप मुझे प्रधानमंत्री बनाओगे, फिर से आने वाला है। लेकिन इस अंतरिम बजट में भी हमने मिडिल क्‍लास के लिए अनेक महत्पूर्ण निर्णय हमने किए हैं। पांच लाख रुपये तक का taxable income को टैक्‍स के दायरे से बाहर कर दिया है। तीन करोड़ से अधिक लोगों को सीधा राहत देने वालाकाम किया है।

साथियो, बीते पांच वर्षों में हमने नए भारत की नींव रखी है, नए भारत के नए संस्‍कारों को गढ़ने का प्रयास किया है। राष्‍ट्रहित में ईमानदारी और निष्‍ठा के साथ हर व्‍यक्ति काम पाए, कामकाज का ऐसा कल्‍चर विकसित करने का प्रयास किया है। आने वाले पांच वर्ष अब नए भारत की इस नींव पर वैभवशाली भारत बनाने का, एक मजबूत इमारत बनाने का, मजबूत इरादा कर-करके हम आगे बढ़ रहे हैं। हम सभी इसी दिशा में मिल करके आगे बढ़ेंगे। इस विश्‍वास के साथ आप सभी को आज जितनी-जितनी सुविधाएं-योजनाएं मिलीं हैं, उसके लिए मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं और आप लोगों ने जो प्‍यार दिखाया है, उस प्‍यार को मेरे सिर-आंखों पर लेते हुए मेरे साथ बोलिए-

भारत माता की – जय

भारत माता की – जय

भारत माता की – जय

वंदे – मातरम

वंदे – मातरम

वंदे – मातरम

धन्‍यवाद।

 

*****

अतुल तिवारी/शाहबाज़ हसीबी/बाल्‍मीकि महतो/निर्मल शर्मा

 



(Release ID: 1567549) Visitor Counter : 809


Read this release in: Assamese , English