वित्‍त मंत्रालय

वर्षांत समीक्षा 2018 - वित्‍त मंत्रालय


अर्थव्यवस्था के समग्र विकास और भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति

नवोदित उद्यमियों से लेकर परिश्रमी किसानों तक सभी हितधारकों की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा किया गया

सरकार ने कई साहसिक सामाजिक-आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए अथक प्रयास किए

औपचारिक ऋणों तक किसानों की पहुंच बढ़ाते हुए किसान क्रेडिट कार्ड योजना को मजबूत किया गया

जीएसटी, विमुद्रीकरण एवं दिवाला व दिवालियापन संहिता से भारतीय अर्थव्यवस्था अब और अधिक पारदर्शी हो गई है

विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती उभरती अर्थव्यवस्था माना

भारत ने लगातार दूसरे वर्ष ‘कारोबार में सुगमता’ रैंकिंग में सर्वाधिक बेहतरी दर्शाई है

एमएसएमई को आसानी से ऋण मुहैया कराने के लिए 59 मिनट के लोन पोर्टल का शुभारंभ

सरकार के सुधार अभियान की सराहना स्टैंडर्ड एंड पुअर्स जैसे कई अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने की है

Posted On: 02 JAN 2019 12:41PM by PIB Delhi

भारत सरकार ने पिछले 4 वर्षों में देश के नागरिकों के कल्याण, अर्थव्यवस्था के समग्र स्‍वरूप एवं विकास और एक उभरती वैश्विक ताकत के रूप में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने की दृष्टि से भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है।

इस तरह की उपलब्धियों में और तेजी लाने के उद्देश्‍य से सरकार ने कई साहसिक और महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए अथक प्रयास किए हैं। सरकार ने समग्र विकास प्रक्रिया में हाशिए पर पड़े लोगों के साथ-साथ अब तक सामाजिक-आर्थिक दृष्टि से उपेक्षित वर्गों का भी समावेश करने की भावना के साथ अपना सुधार अभियान चलाया है। इसे ध्‍यान में रखते हुए सरकार ने अपने कार्यकाल की शुरुआत में ही वंचित वर्गों को औपचारिक बैंकिंग प्रणाली में लाने और वित्तीय समावेशन को अपना प्रमुख लक्ष्य बनाने के लिए अगस्त 2014 में प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) का आगाज कर दिया। प्रधानमंत्री जन धन योजना की सफलता से अत्‍यंत आवश्यक वित्तीय अवसंरचना का सृजन संभव हो पाया है, जो अटल पेंशन योजना (एपीवाई), प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई) जैसी अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाने में मददगार मार्ग के रूप में कार्य करती है।

उपेक्षित लोगों के उत्थान की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए सरकार ने समाज के कुछ वर्गों की विशेष जरूरतों को पूरा करने के लिए लक्षित कल्याणकारी सुधारों पर अमल की जरूरत महसूस की। इस दिशा में सरकार ने ‘प्रधानमंत्री सुकन्या समृद्धि योजना’ का शुभारंभ किया जो बालिकाओं के बड़े होने पर उन्‍हें वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती है।

‘स्टैंड अप इंडिया योजना’ के जरिए न केवल वित्तीय सुरक्षा, बल्कि महिलाओं की वित्तीय आजादी को भी ध्यान में रखा गया। यही नहीं, इसके दायरे का विस्तार कर अब इसमें अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को भी ला दिया गया है। स्टैंड अप इंडिया योजना के तहत सब्सिडी युक्‍त रियायती ऋण दिए जाते हैं, ताकि अब तक वंचित रहे समुदायों की अंतर्निहित छिपी हुई या सुप्‍त उद्यमशीलता को जगाकर उसका सकारात्‍मक उपयोग किया जा सके।

नवोदित उद्यमियों से लेकर परिश्रमी किसानों तक सभी हितधारकों की वित्तीय आवश्यकताओं को भी विभिन्न पहलों के जरिए पूरा किया गया है। इस दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल ‘प्रधानमंत्री मुद्रा योजना’है। वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान स्वीकृत ऋणों की संख्या 2,81,08,814 है, जिनके तहत कुल मंजूर राशि 1,48,503.57 करोड़ रुपये है और कुल वितरित राशि 1,42,009.91 करोड़ रुपये है।

इसके साथ ही किसानों की जरूरतों को भी पूरा किया गया है। औपचारिक ऋणों तक किसानों की पहुंच बढ़ाते हुए किसान क्रेडिट कार्ड योजना (केसीसी) को मजबूत किया गया, ताकि शोषण करने वाले साहूकारों के बंधनों से किसानों की मुक्ति की दिशा में उल्‍लेखनीय योगदान दिया जा सके।

विभिन्‍न सुधारों और पहलों जैसे कि जीएसटी, विमुद्रीकरण, ऑपरेशन क्लीन मनी और दिवाला एवं दिवालियापन संहिता ने भारतीय अर्थव्यवस्था को और अधिक कारगर एवं पारदर्शी बना दिया है और इसके साथ ही बेहतर अनुपालन के साथ वित्तीय अनुशासन भी सुनिश्चित कर दिया है।

सरकार की नीतियों की सफलता की पुन: पुष्टि तब जाकर हुई जब इसे रेखांकित करते हुए विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती उभरती अर्थव्यवस्था माना और भारत में सुदृढ़ता एवं स्‍थायित्‍व के साथ हो रहे विकास की सराहना की।

विश्व बैंक की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार भारत ने लगातार दूसरे वर्ष ‘कारोबार में सुगमता’ रैंकिंग में सर्वाधिक बेहतरी दर्शाई है। पिछले 4 वर्षों में भारत 65 पायदानों की ऊंची छलांग लगाकर इस सूचकांक में 142वें पायदान से चढ़कर 77वें पायदान पर पहुंच गया है जो अपने-आप में एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।

 वर्ष 2018 के दौरान की गई प्रमुख गतिविधियों का विभाग-वार विवरण निम्नानुसार है :

I . आर्थिक मामलों का विभाग (डीईए)

Ø  अर्थव्यवस्था के समग्र बुनियादी तत्‍व वर्ष 2018-19 में मजबूत बने रहे

वृहद आर्थिक संकेतक

वर्ष 2018-19 में

जीडीपी वृद्धि दर  (%)

7.1% (दूसरी तिमाही तक)  

सीपीआई

3.9% (दूसरी तिमाही)

डब्‍ल्‍यूपीआई

4.64% (नवंबर, 2017 में)

चालू खाता घाटा (सीएडी)

 15.8 अरब अमेरिकी डॉलर(पहली तिमाही)

 व्‍यापार घाटा

45.7 अरब अमेरिकी डॉलर (पहली तिमाही)

विदेशी कर्ज और जीडीपी का अनुपात (%)

20.5% ( मार्च 2018 तक)

देश में एफडीआई का प्रवाह

16,868 मिलियन अमेरिकी डॉलर (अप्रैल –जून, 2018)

विदेशी मुद्रा भंडार

 393.7 अरब अमेरिकी डॉलर  

(30 नवंबर, 2018 को स्थिति)

 (स्रोत : आरबीआई बुलेटिन, पीआईबी की वेबसाइट)

 

Ø  जीडीपी और अर्थव्यवस्था

मौजूदा वैश्विक परिवेश में उच्च विकास दर को बनाए रखने की दृष्टि से भारतीय अर्थव्यवस्था पटरी पर है।

विश्व में भारतीय अर्थव्यवस्था की हिस्सेदारी (इसे वर्तमान अमेरिकी डॉलर में भारत की जीडीपी और विश्‍व की जीडीपी के अनुपात के रूप में मापा जाता है) वर्ष 2014 के 2.6 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2017 में 3.2 प्रतिशत के स्‍तर पर पहुंच गई (विश्व विकास संकेतक डेटाबेस के अनुसार)। वर्ष 1960 से लेकर वर्ष 2013 तक की अवधि के दौरान विश्व में भारतीय अर्थव्यवस्था की औसत हिस्सेदारी 1.8 प्रतिशत थी। वर्ष 2014-15 से लेकर वर्ष 2017-18 तक की अवधि के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था की औसत विकास दर 7.3 प्रतिशत थी, जो दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक या तेज है।

यह अनुमान लगाया गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था ही वर्ष 2018-19 और वर्ष 2019-20 में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था होगी (अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का अक्टूबर 2018 डेटाबेस)। यह अनुमान वर्ष 2018-19 की पहली छमाही में दर्ज की गई 7.6 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर को ध्‍यान में रखते हुए लगाया गया है।

दूसरी तिमाही में 7.1 प्रतिशत की उल्‍लेखनीय जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर दर्ज की गई है। वर्ष 2018-19 की प्रथम छमाही में जीडीपी वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत आंकी गई है और प्रथम छमाही में जीवीए वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत दर्ज की गई है। पहली तिमाही में दर्ज की गई विकास दर की तुलना में  दूसरी तिमाही में विकास दर ‘उच्च आधार’ पर आंकी गई है।

वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में 7.1 प्रतिशत के आधार पर विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में 7.4 प्रतिशत रही है। निर्माण क्षेत्र ने 7.8 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज की है। सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के रूप में सकल अचल पूंजी निर्माण में पिछले वर्ष की दूसरी तिमाही की तुलना में लगभग 1.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। दूसरी तिमाही में निर्यात में 13.4 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। दूसरी तिमाही के दौरान सरकारी खपत में भी 12.7 प्रतिशत की उल्‍लेखनीय वृद्धि हुई है।  

 

 

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   इसकी पुष्टि विश्व आर्थिक फोरम जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की रिपोर्टों में की जाती है।

 

संयुक्त राष्ट्र की ‘विश्व आर्थिक परिदृश्‍य एवं संभावनाएं 2018 रिपोर्ट’ के अनुसार भारत की विकास संभावनाएं अब भी काफी हद तक सकारात्मक हैं, जिन्‍हें अच्‍छी-खासी निजी खपत और सार्वजनिक निवेश के साथ-साथ फि‍लहाल जारी ढांचागत सुधारों से काफी बल मिल रहा है।

विश्‍व बैंक की ‘कारोबार में सुगमता’ रिपोर्ट 2018 के अनुसार वर्ष 2018 में भारत की रैंकिंग 65 पायदान चढ़कर 77वें पायदान पर पहुंच गई।

भारत सरकार ने भारतीय अर्थव्यवस्था में विश्वास बढ़ाने और आर्थि‍क विकास की रफ्तार तेज करने के लिए कई पहल की हैं। इनमें अन्‍य बातों के अलावा ये शामिल हैं: विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा, परिवहन एवं बिजली क्षेत्रों के साथ-साथ अन्य शहरी और ग्रामीण बुनियादी ढांचे के लिए ठोस उपाय, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति में व्यापक सुधार, कपड़ा उद्योग के लिए विशेष पैकेज, किफायती आवास को अवसंरचना का दर्जा देकर बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के विकास पर विशेष जोर देना और तटीय कनेक्टिविटी पर फोकस करना।

2017-18 के दौरान मुद्रास्फीति की दर पिछले छह वर्षों में औसतन सबसे कम रही

देश में मुद्रास्फीति की दर वर्ष 2017-18 के दौरान भी निम्‍न स्‍तर पर बनी रही। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित प्रमुख मुद्रास्फीति या महंगाई दर इस अवधि में औसतन 3.3 प्रतिशत रही जो पिछले छह वित्त वर्षों में सबसे कम है। इसका उल्‍लेख केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री श्री अरुण जेटली द्वारा संसद के पटल पर रखे गए आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 में किया गया है।

महंगाई के मोर्चे पर यह बेहतरी सरकार द्वारा की गई अनेक पहलों और सुधारों का नतीजा है जिनका उल्‍लेख आने वाले पृष्‍ठों पर किया गया है।

 

Ø  काले धन पर अंकुश लगाना

 सरकार ने सबसे पहले भारत के बाहर छिपा कर रखे गए काले धन को निशाना बनाया। यह धन रखने वालों से दंडात्मक कर का भुगतान कर इसे स्‍वदेश वापस लाने के लिए कहा गया था।  जो लोग ऐसा करने में विफल रहे, उन पर ‘काला धन अधिनियम’ के तहत मुकदमा चलाया जा रहा है। विदेश में सभी खातों और परिसंपत्तियों का विवरण जो सरकार तक पहुंच गया है, उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई हुई। सरकार तक पहले ही पहुंच चुके विदेश में सभी खातों और परिसंपत्तियों के विवरण पर गौर करने के बाद उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की गई।

 विदेश में छिपा कर रखे गए काले धन पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए कदमों के सकारात्मक नतीजे सामने आए हैं।

भारत सरकार ने विदेश में छिपा कर रखे गए काले धन पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं जिनके सकारात्मक नतीजे सामने आए हैं। इन कदमों में निम्नलिखित शामिल हैं:

1.   ‘वित्तीय सूचनाओं’ को अत्‍यंत सक्रियतापूर्वक साझा करने के लिए बहुपक्षीय व्‍यवस्‍था करने के प्रयासों में भारत एक अग्रणी ताकत रहा है जो सूचनाओं के स्‍वत: आदान-प्रदान (एईओआई) के रूप में जानी जाती है। इससे कर चोरी से निपटने के वैश्विक प्रयासों में काफी मदद मिलेगी। आम रिपोर्टिंग मानक (सीआरएस) पर आधारित ‘एईओआई’ वर्ष 2017 से शुरू हो चुका है जिससे भारत अन्य देशों में भारतीय निवासियों के वित्तीय खातों से जुड़ी सूचनाएं प्राप्त करने में सक्षम हो गया है।  

2.    भारत ने अमेरिका के विदेशी खाता कर अनुपालन अधिनियम (एफएटीसीए) के तहत अमेरिका के साथ सूचना साझाकरण समझौता भी किया है। ‘एफएटीसीए’ के तहत आदान-प्रदान वित्त वर्ष 2014, 2015 और 2016 के लिए हुआ है।

3.    स्विस बैंक में भारतीयों का पैसा: स्विस नेशनल बैंक द्वारा बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (बीआईएस) के सहयोग से एकत्र किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि बैंकों को छोड़कर भारतीयों के ऋण और जमा  स्विस बैंकों में वर्ष 2016 की तुलना में वर्ष 2017 में 34.5 प्रतिशत कम हो गए। इसके अलावा, वर्ष 2013 से वर्ष 2017 के बीच भारतीयों के स्विस गैर-बैंक ऋणों और जमा में 80.2 प्रतिशत की उल्लेखनीय कमी आई है।

  बेनामी संपत्ति का पता लगाना 

§  आयकर विभाग ने बेनामी संपत्ति लेन-देन निषेध अधिनियम के तहत तेजी से कार्रवाई की : 900 से अधिक मामलों में 3,500 करोड़ रुपये से भी अधिक की बेनामी संपत्तियां जब्‍त कीं

कैबिनेट ने बेनामी संपत्ति लेन-देन निषेध अधिनियम, 1988 के तहत निर्णयन प्राधिकरण के गठन और अपीलीय न्यायाधिकरण की स्थापना को मंजूरी दी है। इस अनुमोदन से निर्णयन प्राधिकरण के सुपुर्द किए गए मामलों का कारगर एवं बेहतर निपटान संभव होगा और इसके साथ ही निर्णयन प्राधिकरण के आदेश के खिलाफ अपीलीय न्यायाधिकरण में दाखिल की गई अपीलों का शीघ्र निपटारा हो सकेगा।

§  आयकर विभाग द्वारा नई बेनामी लेन-देन मुखबिर इनाम योजना, 2018 शुरू की गई

बेनामी लेन-देन मुखबिर इनाम योजना, 2018 के तहत किसी भी व्यक्ति को बेनामी लेन-देन और संपत्तियों के साथ-साथ उन संपत्तियों से प्राप्‍त धनराशि के बारे में भी आयकर विभाग के जांच निदेशालयों में स्थित बेनामी निषेध इकाइयों (बीपीयू) के संयुक्त या अपर आयुक्तों को निर्धारित तरीके से विशिष्ट जानकारी देने के लिए एक करोड़ रुपये तक का इनाम मिल सकता है जो बेनामी संपत्ति लेन-देन अधिनियम, 1988 और बेनामी लेन-देन (निषेध) संशोधन अधिनियम, 2016 के तहत कार्रवाई योग्‍य हैं।

§  भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक

भारत के राष्ट्रपति से स्‍वीकृति मिल जाने पर भगोड़ा आर्थिक अपराधी अध्यादेश, 2018 जारी किया गया। नए कानून में आर्थिक अपराधियों से जुड़े अपराध की धनराशि और आर्थिक अपराधियों की संपत्तियों को कुर्क एवं जब्त करने के लिए भारतीय अधिकारियों को सशक्त बनाने के उपायों को निर्दिष्ट किया गया। 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संसद में भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक, 2018 पेश करने संबंधी वित्त मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह विधेयक उन उपायों को निर्दिष्‍ट करने में मदद करेगा जिनसे आर्थिक अपराधी भारतीय अदालतों के अधिकार क्षेत्र से बाहर रहकर भारतीय कानून की गिरफ्त में आने से नहीं बच पाएंगे।

ऐसे मामले जिनमें इस तरह के अपराधों से जुड़ी कुल राशि 100 करोड़ रुपये या उससे अधिक है, वे इस विधेयक के दायरे में आएंगे।

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 प्रभाव:      

इस विधेयक से भगोड़े आर्थिक अपराधियों के संबंध में कानून के शासन के फिर से स्थापित होने की उम्मीद है क्योंकि वे निर्दिष्‍ट अपराधों से जुड़े मुकदमे का सामना करने के लिए भारत लौटने पर विवश हो जाएंगे। इससे बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को भी अपनी अदायगी में डिफॉल्‍ट करने वाले भगोड़े आर्थिक अपराधियों से अपेक्षाकृत ज्‍यादा राशि की वसूली करने में मदद मिलेगी। ऐसे में इन संस्थानों की वित्तीय स्थिति में सुधार संभव हो पाएगा।

§  मुखौटा कंपनियां

मुखौटा कंपनियों पर गठित कार्यदल ने मुखौटा कंपनियों से जुड़े खतरे की रोकथाम के लिए अत्‍यंत सक्रिय और समन्वित कदम उठाए: कार्यदल की प्रमुख उपलब्धियों में एसएफआईओ द्वारा मुखौटा (शेल) कंपनियों से जुड़े एक डेटाबेस का संकलन करना भी शामिल है। इस डेटाबेस में अभी तक तीन सूचियां यथा पुष्टि सूची,  उत्‍पन्‍न सूची और संशय सूची शामिल हैं ‘पुष्टि सूची’ में अवैध गतिविधियों में लिप्त पाई गई कंपनियों की विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर पुष्टि की गई कुल 16,537 मुखौटा कंपनियां हैं। 

 

Ø  एमएसएमई क्षेत्र को बढ़ावा :

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने एमएसएमई क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक ‘सहयोग एवं संपर्क (आउटरीच) पहल’ का शुभारंभ किया

·       एमएसएमई के लिए ऋण तक आसान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए 59 मिनट का लोन पोर्टल

·         सीपीएसई द्वारा एमएसएमई से अनिवार्य 25 प्रतिशत की खरीद

·         कंपनी अधिनियम के तहत छोटे अपराधों से जुड़ी प्रक्रियाओं को सरल बनाने के लिए अध्यादेश

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक सहयोग एवं संपर्क (आउटरीच) कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस कार्यक्रम के एक भाग के रूप में प्रधानमंत्री ने 12 प्रमुख पहलों का उल्‍लेख किया जिनसे देश भर में एमएसएमई के विकास, विस्तार और सहूलियत में मदद मिलेगी। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए आर्थिक सुधारों की सफलता का अनुमान ‘कारोबार में सुगमता’ सूचकांक में भारत की रैंकिंग” से लगाया जा सकता है। भारत सिर्फ चार वर्षों में इस सूचकांक में 142वें पायदान  से ऊपर चढ़कर 77वें पायदान पर पहुंच गया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि एमएसएमई सेक्‍टर या क्षेत्र को सहूलियत देने के लिए पांच प्रमुख पहलू हैं। इनमें ऋण तक पहुंच, बाजार तक पहुंच, प्रौद्योगिकी का उन्नयन, कारोबार करने में आसानी और कर्मचारियों के लिए सुरक्षा की भावना शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि एमएसएमई सेक्टर के लिए ‘दिवाली उपहार’ के रूप में वह जो 12 घोषणाएं कर रहे हैं उनसे इन पांचों श्रेणियों में से प्रत्‍येक को सुनिश्चित करना संभव हो पाएगा।

 

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 ऋण तक पहुंच

प्रथम घोषणा के रूप में  प्रधानमंत्री ने ऋण तक एमएसएमई की आसान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए 59 मिनट के लोन पोर्टल का शुभारंभ करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि इस पोर्टल के जरिए केवल 59 मिनट में 1 करोड़ रुपये तक के ऋणों को सैद्धांतिक मंजूरी दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि इस पोर्टल के लिए एक लिंक जीएसटी पोर्टल के जरिए उपलब्ध कराया जाएगा। प्रधानमंत्री ने विशेष जोर देते हुए कहा कि ‘नए भारत’ में किसी भी व्‍यक्ति को किसी बैंक शाखा में बार-बार जाने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने सभी जीएसटी पंजीकृत एमएसएमई को नए या वृद्धिशील ऋणों पर 2 प्रतिशत ब्याज सब्सिडी देने के रूप में दूसरी घोषणा का उल्लेख किया। लदान-पूर्व और लदान-उपरांत अवधि में ऋण प्राप्त करने वाले निर्यातकों के लिए प्रधानमंत्री ने ब्याज छूट को 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 5 प्रतिशत करने की घोषणा की।

प्रधानमंत्री द्वारा की गई तीसरी घोषणा यह थी कि 500 करोड़ रुपये से अधिक के टर्नओवर वाली सभी कंपनियों को अब अनिवार्य रूप से ट्रेड रिसीवेबल्स ई-डिस्काउंटिंग सिस्टम (ट्रेड्स) पर लाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस पोर्टल से जुड़ने से उद्यमी अपनी आगामी प्राप्‍य राशियों (रिसीवेबल्स) के आधार पर बैंकों से ऋण प्राप्त कर सकेंगे। इससे नकद चक्र (कैश साइकिल) से जुड़ी उनकी समस्याओं का समाधान हो जाएगा।

बाजारों तक पहुंच

प्रधानमंत्री ने कहा कि बाजारों तक उद्यमियों की पहुंच पर केंद्र सरकार पहले ही कई कदम उठा चुकी है। इस संदर्भ में उन्होंने अपनी चौथी घोषणा की कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों से अब एमएसएमई से अपनी कुल खरीद के 20 प्रतिशत के बजाय 25 प्रतिशत की खरीद अनिवार्य रूप से करने के लिए कहा गया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी पांचवीं घोषणा महिला उद्यमियों से संबंधित है। उन्होंने कहा कि एमएसएमई से 25 प्रतिशत की अनिवार्य खरीद में से 3 प्रतिशत को अब महिला उद्यमियों के लिए आरक्षित किया जाना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 1.5 लाख से भी अधिक आपूर्तिकर्ताओं ने अब ‘जेम’ में अपना पंजीकरण करा लिया है, जिनमें से 40,000 एमएसएमई हैं। उन्होंने कहा कि अब तक 14,000 करोड़ रुपये से भी अधिक के लेन-देन ‘जेम’ के जरिए किए गए हैं।  उन्होंने कहा कि छठी घोषणा यह है कि केंद्र सरकार के सभी सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों को अब अनिवार्य रूप से ‘जेम’ का हिस्सा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें अपने सभी विक्रेताओं (‍वेंडर) को भी ‘जेम’ में पंजीकृत कराना चाहिए।  

 

प्रौद्योगिकी का उन्नयन

प्रौद्योगिकी के उन्नयन का उल्‍लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश भर में टूल रूम उत्पाद डिजाइन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उनकी सातवीं घोषणा यह थी कि पूरे देश में 20 हब बनाए जाएंगे,और टूल रूम के रूप में 100 स्पोक्स स्थापित किए जाएंगे।  

कारोबार में सुगमता

‘कारोबार में सुगमता’ के संदर्भ में प्रधानमंत्री की आठवीं घोषणा फार्मा कंपनियों से संबंधित थी। उन्होंने कहा कि फार्मा एमएसएमई के क्‍लस्‍टर स्‍थापित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इन क्‍लस्‍टरों को स्थापित करने की लागत का 70 प्रतिशत केंद्र सरकार वहन करेगी।

सरकारी प्रक्रियाओं के सरलीकरण पर प्रधानमंत्री की नौवीं घोषणा यह थी कि 8 श्रम कानूनों और 10 केंद्रीय नियमों के तहत रिटर्न अब निश्चित तौर पर वर्ष में केवल एक बार ही दाखिल किया जाना चाहिए।

प्रधानमंत्री की दसवीं घोषणा यह थी कि अब किसी भी इंस्पेक्टर द्वारा प्रतिष्ठानों का निरीक्षण करने के बारे में निर्णय कम्प्यूटरीकृत क्रमरहित (रैन्‍डम) आवंटन के जरिए लिया जाएगा।

प्रधानमंत्री ने यह बात रेखांकित की कि किसी यूनिट की स्थापना के लिए  किसी भी उद्यमी को दो मंजूरियों यथा पर्यावरणीय मंजूरी और स्थापित करने की सहमति की आवश्यकता होती है। उनकी ग्यारहवीं घोषणा यह थी कि वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण कानूनों के तहत अब इन दोनों को एकल सहमति के रूप में आपस में मिला दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि रिटर्न को अब स्व-प्रमाणन के जरिए स्वीकार किया जाएगा।

बारहवीं घोषणा के रूप में प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि एक अध्यादेश जारी किया गया है जिसके अंतर्गत कंपनी अधिनियम के तहत मामूली उल्लंघनों के लिए उद्यमी को अब अदालत जाने की जरूरत नहीं है, बल्कि वे उन्हें सरल प्रक्रियाओं के जरिए ही दुरुस्‍त कर सकते हैं।  

एमएसएमई सेक्‍टर के कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा

प्रधानमंत्री ने एमएसएमई सेक्‍टर के कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा का भी उल्‍लेख किया। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए एक मिशन शुरू किया जाएगा कि उनके पास जन धन खाते,भविष्य निधि और बीमा अवश्‍य हो।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इन निर्णयों से भारत में एमएसएमई सेक्‍टर को मजबूत करने में  काफी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि अगले 100 दिनों के दौरान इस संपर्क (आउटरीच) कार्यक्रम के कार्यान्वयन पर करीबी नजर रखी जाएगी।  

Ø  सिडबी ने राष्ट्रीय स्तर के उद्यमिता जागरूकता अभियान ‘उद्यम अभिलाषा’ का शुभारंभ किया : इसे 28 राज्यों में नीति आयोग द्वारा चिन्हित 115 आकांक्षी जिलों में लगभग 15,000 युवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए शुरू किया गया।

Ø  सॉवरेन गोल्ड बांड योजना 2018 -19: भारत सरकार ने  भारतीय रिजर्व बैंक के परामर्श से सॉवरेन गोल्ड बांड 2018-19 जारी करने का निर्णय लिया है। सॉवरेन गोल्ड बांड अक्टूबर 2018 से लेकर फरवरी 2019 तक हर महीने जारी किए जाएंगे।

Ø   पंद्रहवें वित्त आयोग ने स्वास्थ्य क्षेत्र का संतुलित विस्तार सुनिश्चित करने हेतु क्षमताओं और कमजोरियों का आकलन करने के लिए एक उच्चस्तरीय समूह का गठन किया 
पंद्रहवें वित्त आयोग ने एक उच्च स्तरीय समूह का गठन किया है जिसमें देश भर के स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े प्रख्‍यात विशेषज्ञ शामिल हैं। नई दिल्ली स्थित एम्‍स के निदेशक डॉ.रणदीप गुलेरिया इसके संयोजक होंगे।

 

Ø  अंतर्राष्ट्रीय समझौते और सहभागिता

ऐसे कई अंतर्राष्ट्रीय समझौतों के साथ-साथ सहभागिता भी सुनिश्चित हुई है जिनसे भारत को अपनी वैश्विक उपस्थिति बढ़ाने में मदद मिली है।

इनमें से कुछ अंतर्राष्ट्रीय समझौते और सहभागिता निम्‍नलिखित हैं:

·        जुलाई, 2018 से जून, 2020 तक के दो वर्षों की अवधि के लिए भारत विश्व सीमा शुल्क संगठन (डब्ल्यूसीओ) के एशिया-प्रशांत क्षेत्र का उपाध्यक्ष बन गया।

·         एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (एआईआईबी)  ने इस क्षेत्र में समृद्धि और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए अपनी उधार क्षमता बढ़ाने की उम्‍मीद के साथ अपनी तीसरी वार्षिक बैठक संपन्न की। एआईआईबी ने भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए 140 मिलियन डॉलर का निवेश करने का फैसला किया।

 

कुछ महत्वपूर्ण ऋण समझौते:

1.      भारत सरकार और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने हिमाचल प्रदेश में युवाओं की रोजगार क्षमता बढ़ाने में मदद करने के लिए 80 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए।

2.      भारत सरकार और विश्व बैंक ने तमिलनाडु की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए 100 मिलियन डॉलर की परियोजना पर हस्ताक्षर किए।

3.      भारत सरकार और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने ‘पीएमजीएसवाई’ के तहत 5 राज्यों यथा असम, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में ग्रामीण कनेक्टिविटी को बेहतर करने के लिए 250 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए।

4.      भारत सरकार और एशियाई विकास बैंक (एडीबी)  ने कर्नाटक के 4 नगरों में शहरी सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए 75 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए।

5.      भारत सरकार और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने बिहार में राज्‍य राजमार्गों को बेहतर बनाने के लिए 200 मिलियन डॉलर के ऋण करार पर हस्ताक्षर किए।

6.       भारत सरकार और विश्व बैंक ने झारखंड के नागरिकों को चौबीसों घंटे विश्वसनीय, गुणवत्तापूर्ण और सस्ती बिजली मुहैया करने के उद्देश्‍य से झारखंड विद्युत प्रणाली सुधार परियोजना के लिए 310 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए। 

7.      भारत सरकार और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने हिमाचल प्रदेश में पनबिजली पारेषण (ट्रांसमिशन) में आवश्‍यक सहयोग देने के लिए 105 मिलियन डॉलर के ऋण करार पर हस्ताक्षर किए।

8.      भारत सरकार और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने भारत में इंडिया इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी लिमिटेड (आईआईएफसीएल) को आवश्‍यक सहयोग देने के लिए 300 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए।

9.      भारत सरकार और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने तमिलनाडु में जल एवं स्वच्छता सेवाएं मुहैया कराने के लिए 169 मिलियन डॉलर के ऋण करार पर हस्ताक्षर किए।

10.   भारत और जापान ने ‘तुर्गा पंप्‍ड स्टोरेज (I) के निर्माण के लिए परियोजना’ हेतु 1817 करोड़ रुपये के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए जो पश्चिम बंगाल में औद्योगिक विकास और जीवन स्तर को बेहतर करने में योगदान दे रही है।  

11.   75 अरब डॉलर की द्विपक्षीय मुद्रा अदला-बदली व्यवस्था के लिए भारत-जापान समझौते।

12.   कैबिनेट ने फिनटेक पर एक संयुक्त कार्यदल के गठन पर भारत और सिंगापुर के बीच एक सहमति पत्र (एमओयू) को मंजूरी दी।

13.  कैबिनेट ने ताइपे में भारत-ताइपे संघ और भारत में ताइपे आर्थिक एवं सांस्कृतिक केंद्र के बीच द्विपक्षीय निवेश समझौते पर हस्ताक्षर करने को मंजूरी दी।

14.   भारत और एडीबी ने मध्य प्रदेश में ग्रामीण कनेक्टिविटी में बेहतरी के लिए 110 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए।

15.  भारत सरकार और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने कोलकाता में सीवरेज एवं जल निकास (ड्रेनेज) कवरेज का विस्तार करने के लिए 100 मिलियन डॉलर के ऋण करार पर हस्ताक्षर किए।

16.   भारत सरकार और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने मध्य प्रदेश में भारत के पहले ‘वैश्विक कौशल पार्क’ को आवश्‍यक सहयोग प्रदान करने के लिए 150 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए।

17.   भारत और एडीबी ने पश्चिम बंगाल के 3  जिलों में सुरक्षित पेयजल सेवा मुहैया कराने के लिए 240 मिलियन डॉलर के ऋण करार पर हस्ताक्षर किए।

18.  एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और भारत ने क्षेत्रीय संपर्क (कनेक्‍टि‍विटी) को बेहतर बनाने के लिए 150 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए।

19. भारत और जापान ने मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल प्रोजेक्ट (I) और कोलकाता ईस्ट वेस्ट मेट्रो प्रोजेक्ट (III) के निर्माण के लिए जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जेआईसीए) के साथ ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए।

20.   भारत ने उत्तराखंड कार्यबल विकास परियोजना (यूकेडब्ल्यूडीपी) हेतु 74 मिलियन अमेरिकी डॉलर के लिए विश्व बैंक के साथ ऋण वित्तपोषण समझौते पर हस्ताक्षर किए।

21.   कैबिनेट ने ब्रिक्स अंतर-बैंक सहयोग व्‍यवस्‍था के तहत एक्जिम बैंक द्वारा डिजिटल अर्थव्यवस्था के विकास के संदर्भ में वितरित खाता-बही और ब्लॉक चेन तकनीक पर सहयोगात्मक अनुसंधान से संबंधित एमओयू को मंजूरी दी।

22.   भारत सरकार और एडीबी ने कर्नाटक में राज्य राजमार्गों को बेहतर बनाने के लिए 346 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए।

23.  भारत सरकार और एडीबी ने मध्य प्रदेश में सिंचाई दक्षता को बेहतर बनाने के लिए 375 मिलियन डॉलर के ऋण करार पर हस्ताक्षर किए।

24.   कैबिनेट ने बीमा नियामक क्षेत्र में भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच सहमति पत्र को मंजूरी दी।

25.   भारत सरकार और विश्व बैंक ने भारत के ऊर्जा दक्षता कार्यक्रम का स्‍तर बढ़ाने में मदद करने के लिए 300 मिलियन डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए।  

26.  भारत सरकार, राजस्थान सरकार और विश्व बैंक ने राजस्थान में बिजली वितरण क्षेत्र में सुधार को आगे बढ़ाने में सहयोग के लिए  250 मिलियन डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए। 

27.  वित्तीय सहयोग और तकनीकी सहयोग 2017 के संबंध में 653.7 मिलियन यूरो (लगभग 5253 करोड़ रुपये) के भारत-जर्मन सरकार समग्र समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।

28.   भारत ने राजस्थान परियोजना में सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन को मजबूत करने हेतु 21.7 मिलियन अमेरिकी डॉलर के लिए विश्व बैंक के साथ ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए।

29.   कैबिनेट ने तुर्की से खसखस के आयात हेतु त्वरित और पारदर्शी प्रसंस्करण सुनिश्चित करने के लिए खसखस के व्यापार पर भारत और तुर्की के बीच सहमति पत्र (एमओयू) को मंजूरी दी।

30.   सीबीडीटी ने भारत और कुवैत के बीच हुए दोहरा कराधान निवारण समझौते (डीटीएए) में संशोधन करने वाले प्रोटोकॉल को अधिसूचित किया।

31.   भारत ने ‘समावेशी परियोजना के लिए भारत में नवाचार’ हेतु 125 मिलियन अमेरिकी डॉलर के लिए विश्व बैंक के साथ ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए।

32.   भारत सरकार और विश्व बैंक ने मध्य प्रदेश में ग्रामीण सड़क नेटवर्क में सुधार के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए।

33.   भारत ने मेघालय समुदाय की अगुवाई वाली परिदृश्य प्रबंधन परियोजना हेतु 48 मिलियन अमेरिकी डॉलर के लिए विश्व बैंक के साथ ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए।

34.  भारत सरकार, महाराष्ट्र सरकार और विश्व बैंक ने महाराष्ट्र में 25 मिलियन से भी अधिक छोटे और सीमांत किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए एक नई परियोजना पर हस्ताक्षर किए।

35.   भारत और एडीबी ने रेल बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए 120 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए।

36.   कैबिनेट ने भारत और ईरान के बीच दोहरे कराधान से बचने और राजकोषीय चोरी की रोकथाम के लिए समझौते को मंजूरी दी।

37.   कैबिनेट ने सीमा शुल्क से जुड़े मामलों में सहयोग और पारस्परिक प्रशासनिक सहायता पर भारत और जॉर्डन के बीच समझौते को मंजूरी दी।

38.   एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और भारत सरकार ने बिहार राज्य में जलापूर्ति में सुधार और विस्तार के लिए 84 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए।

39.  भारत सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में कनाडा के अंतर्राष्ट्रीय विकास अनुसंधान केंद्र (आईडीआरसी) के साथ एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।

40.   भारत और ईरान ने नई दिल्ली में दोहरे कराधान से बचने (डीटीएए) और आय पर करों के संबंध में राजकोषीय चोरी की रोकथाम के समझौते पर हस्ताक्षर किए।

41.  कैबिनेट ने दोहरे कराधान से बचने और राजकोषीय चोरी की रोकथाम के लिए भारत एवं चीन के बीच हुए समझौते में संशोधन करने वाले प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर एवं पुष्टि करने को मंजूरी दी।  

42.  कैबिनेट ने प्रतिनियुक्ति या अन्यत्र अस्थायी विशेष नियुक्ति कार्यक्रम के लिए भारत-ऑस्ट्रेलिया सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने को मंजूरी दी।

 

II . राजस्व विभाग

Ø  जीएसटी

  इस वर्ष 1 जुलाई, 2018 को भारत सरकार ने प्रथम जीएसटी दिवस मनाया।

 जीएसटी राजस्व संग्रह:

नवंबर 2018 में जीएसटी राजस्व संग्रह 97 हजार करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर गया है। नवंबर, 2018 में सकल जीएसटी राजस्व संग्रह 97,637 करोड़ रुपये का रहा है जिसमें सीजीएसटी 16,812 करोड़ रुपये, एसजीएसटी 23,070 करोड़ रुपये, आईजीएसटी 49,726 करोड़ रुपये (आयात पर एकत्रि‍त 24,133 करोड़ रुपये सहित) और उपकर (सेस) 8,031 करोड़ रुपये (आयात पर एकत्रि‍त 842 करोड़ रुपये सहित) है।   


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Ø  जीएसटी परिषद: महत्वपूर्ण निर्णय

जीएसटी परिषद की 31वीं बैठक:

वस्तुओं पर जीएसटी दरों में कटौती

जीएसटी परिषद ने नई दिल्ली में 22 दिसंबर, 2018 को आयोजित 31वीं बैठक में जीएसटी दरों में बदलावों और स्पष्टीकरण (वस्‍तुओं पर) से संबंधित निम्‍नलिखित अहम निर्णय लिए। जीएसटी परिषद के निर्णयों को आसानी से समझने के लिए प्रस्तुत किया गया है। इन निर्णयों को राजपत्र अधिसूचनाओं/परिपत्रों (सर्कुलर) के जरिए प्रभावी किया जाएगा जो कानूनन मान्‍य होंगे।

 

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  1. उन वस्तुओं पर जीएसटी दरों में कटौती जिन पर पहले 28% जीएसटी देय था:

ए. 28% से घटकर 18%

·         एचएस कोड 8483 के दायरे में आने वाली घिरनियां, ट्रांसमिशन शाफ्ट एवं क्रैंक, गियर बॉक्स इत्‍यादि  

·         32 इंच तक के स्‍क्रीन आकार वाले टीवी और मॉनिटर

·         नए रबर चढ़े या इस्तेमाल किए गए वायवीय टायर

·         लिथियम आयन बैटरियों के पावर बैंक। लिथियम आयन बैटरियों पर पहले से ही 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है। इससे पावर बैंक और लिथियम आयन बैटरी पर देय जीएसटी में समानता आएगी।

·         डिजिटल कैमरा एवं वीडियो कैमरा रिकॉर्डर

·         वीडियो गेम कंसोल और एचएस कोड 9504 के दायरे में आने वाले अन्य गेम और खेल संबंधी आवश्यक वस्तुएं।

बी. 28% से घटकर 5%

·         दिव्यांगजनों के वाहनों के पुर्जे एवं सहायक उपकरण

  1. अन्य वस्तुओं पर जीएसटी दरों में कटौती-

ए. 18% से घटकर 12%

·         लगभग चौकोर या हटाया हुआ कॉर्क

·         प्राकृतिक कॉर्क की सामग्री

·         समूह के रूप में कॉर्क

 बी. 18% सं घटकर  5%

·         संगमरमर का मलबा

सी. 12% से घटकर  5%

·         प्राकृतिक कॉर्क

·         चलने में मददगार छड़ी

·         फ्लाई ऐश से बना सांचा

डी. 12% से घटकर शून्‍य:

·         संगीत पुस्तकें

ई. 5% से घटकर शून्‍य

·         सब्जियां (कच्ची या भाप अथवा उबलते पानी में पकी), शीत से जमी हुई, ब्रांडेड और यूनिट कंटेनर में रखी गईं

·         सब्जियां जो अस्थायी रूप से संरक्षित की गई हों (जैसे कि सल्फर डाईऑक्साइड गैस द्वारा, नमकीन पानी में, सल्फर के पानी में या अन्‍य परिरक्षक घोल में), लेकिन उस अवस्था में तत्‍काल उपभोग के लिए अनुपयुक्त हो।

एफ. विविध

·         नामित एजेंसियों द्वारा स्‍वर्णाभूषण के निर्यातकों को सोने की आपूर्ति पर जीएसटी से छूट।  

·          राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल या किसी राज्य के मुख्यमंत्री और नौकरशाहों को मिले उपहारों की नीलामी से सरकार को हुई आमदनी पर जीएसटी से छूट, इस तरह की आय का उपयोग सार्वजनिक या परोपकारी कार्य के लिए किया जाता है।

·         निजी सड़क वाहनों के अस्थायी आयात पर सीमा शुल्क संविदा (कार्नेट डी पैसेजेज-आं-डुआन - सीपीडी) के तहत अस्थायी उद्देश्यों के लिए आयातित वाहनों पर आईजीएसटी / मुआवजा उपकर से छूट।

·         फुटवियर के लेन-देन मूल्य के आधार पर 5% / 18% की दर लागू की जाएगी।

·  मौजूदा 5% / 12% (मूल्य के आधार पर) की दर वाले फ्लेक्सिबल इंटरमीडिएट थोक कंटेनर (एफआईबीसी)  पर 12% की समान जीएसटी दर लागू।  

 III. सौर ऊर्जा उत्पादक संयंत्र और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों पर जीएसटी

·         5 प्रतिशत की जीएसटी दर नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणों और उनके निर्माण में काम आने वाले कलपुर्जों (बायो गैस प्लांट / सौर ऊर्जा आधारित उपकरण, सौर ऊर्जा उत्पादक प्रणाली (एसजीपीएस)इत्‍यादि पर निर्धारित की गई है [टैरिफ के अध्याय 84, 85 या 94 के अंतर्गत आने वाले]। इन संयंत्रों में उपयोग की जाने वाली अन्य वस्‍तुओं या सेवाओं पर पहले से ही लागू जीएसटी अदा करना पड़ता है।

·         जीएसटी दरों के बारे में कुछ विवाद उन मामलों में उत्पन्न हुए हैं जिनमें 5% जीएसटी वाली निर्दिष्ट वस्‍तुओं की आपूर्ति सौर ऊर्जा संयंत्र के लिए अन्य वस्‍तुओं और निर्माण से जुड़ी सेवाओं इत्‍यादि के साथ की जाती है।

·         इस विवाद को हल करने के लिए  परिषद ने सिफारिश की है कि इस तरह के सभी मामलों में सकल मूल्य के 70 प्रतिशत को 5 प्रतिशत की दर वाली संबंधित वस्तुओं की आपूर्ति का मूल्य माना जाएगा और इस तरह के ईपीसी (इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण) अनुबंध के कुल मूल्य के शेष हिस्से (30 प्रतिशत) को मानक जीएसटी दर वाली कर योग्य सेवा की आपूर्ति का मूल्य माना जाएगा। 

 

सेवाओं पर जीएसटी दरों में कटौती

जीएसटी परिषद ने 22 दिसंबर, 2018 को नई दिल्ली में हुई 31वीं बैठक में जीएसटी दरों में बदलावों, आईटीसी पात्रता मानदंड, छूट और स्पष्टीकरण से जुड़े मुद्दों के बारे में निम्नलिखित निर्णय लिए। जीएसटी परिषद के निर्णयों को सरल भाषा में इस नोट में प्रस्तुत किया गया है, ताकि उन्‍हें आसानी से समझा जा सके। इन निर्णयों को राजपत्र अधिसूचनाओं/परिपत्रों (सर्कुलर) के जरिए प्रभावी किया जाएगा जो कानूनन मान्‍य होंगे।  

 

 सेवाओं पर जीएसटी दरों में कटौती/ छूट:

  1. 100 रुपये से अधिक मूल्‍य के सिनेमा टिकटों पर जीएसटी दर 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत की जाएगी और 100 रुपये मूल्‍य तक के सिनेमा टिकटों पर जीएसटी दर 18 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत की जाएगी।
  2. माल ढोने वाले वाहनों के थर्ड पार्टी बीमा प्रीमियम पर जीएसटी दर 18% से घटाकर 12% की जाएगी।
  3. प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) के तहत बैंकों द्वारा बेसिक बचत बैंक जमा (बीएसबीडी) खाताधारकों को दी जाने वाली सेवाओं पर इससे छूट दी जाएगी।
  4. भारतीय पुनर्वास परिषद अधिनियम, 1992 के तहत मान्यता प्राप्त पुनर्वास प्रोफेशनलों द्वारा चिकित्सा प्रतिष्ठानों, शैक्षणिक संस्थानों, केंद्र सरकार/राज्य सरकार या केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा स्थापित पुनर्वास केंद्रों या आयकर अधिनियम की धारा 12एए के तहत पंजीकृत इकाई को दी जाने वाली सेवाओं पर इससे छूट दी जाएगी।
  5.  जीटीए द्वारा सरकारी विभागों/स्थानीय प्राधिकरणों, जिन्होंने केवल धारा 51 के तहत कर में कटौती के उद्देश्य से पंजीकरण कराया है, को प्रदान की जाने वाली सेवाओं को आरसीएम के तहत कर के भुगतान से बाहर रखा जाएगा और इसे छूट दी जाएगी।
  6. केंद्र या राज्य सरकार या केंद्र शासित प्रदेश की सरकार द्वारा अपने उपक्रमों या सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (पीएसयू) को वित्तीय संस्थानों से लिए गए ऋणों पर गारंटी देने के माध्यम से दी जाने वाली सेवाओं पर छूट अब बैंकों से लिए गए इस तरह के ऋणों की गारंटी पर भी दी जाएगी। 
  7. भारत सरकार द्वारा द्विपक्षीय व्यवस्थाओं के तहत धार्मिक तीर्थयात्रा के लिए गैर-अनुसूचित/चार्टर परिचालनों द्वारा तीर्थयात्रियों की हवाई यात्रा पर ठीक उतना ही जीएसटी लगेगा जितना इकोनॉमी क्लास में समान उड़ानों पर लगता है (यानी इनपुट सेवाओं के आईटीसी के साथ 5 प्रतिशत)।

 युक्तिसंगत बनाना

  1. संसद और राज्य विधानसभाओं को आरसीएम (रिवर्स चार्ज व्‍यवस्‍था) के तहत कर के भुगतान के संबंध में ठीक वैसी ही कर सुविधा दी जाएगी जैसी कि केंद्र और राज्य सरकारों के लिए उपलब्ध है।
  2. सरकारी विभागों , जिन्होंने टीडीएस के लिए पंजीकरण लिया है, और कंपोजीशन स्कीम के तहत पंजीकृत निकायों को छोड़कर किसी भी पंजीकृत व्यक्ति को मुहैया कराई गई सुरक्षा सेवाओं (सुरक्षा कर्मियों की आपूर्ति) को आरसीएम के तहत रखा जाएगा।
  3. अपंजीकृत बिजनेस फैसिलिटेटर (बीएफ) द्वारा किसी बैंक को और बिजनेस कॉरस्‍पोंडेंट (बीसी) के एजेंट द्वारा किसी बीसी को मुहैया कराई गई सेवाओं को आरसीएम के तहत रखा जाएगा।

 

जीएसटी परिषद की 30वीं बैठक :

जीएसटी परिषद की 30वीं बैठक के दौरान पुनर्वास और बाढ़ प्रभावित कार्यों के लिए एसजीएसटी पर उपकर लगाने संबंधी केरल राज्य के प्रस्ताव पर विस्तार से चर्चा की गई। परिषद ने इस मुद्दे पर गहराई से गौर करने के लिए सात सदस्यीय मंत्री समूह (जीओएम) का गठन करने का निर्णय लिया। तदनुसार, केंद्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने 28 सितंबर, 2018 को ‘प्राकृतिक आपदाओं और विपत्ति की स्थिति में राजस्व जुटाने की विधियों’ पर गौर करने के लिए एक मंत्री समूह के गठन को मंजूरी दी थी।

 

जीएसटी परिषद: 28वीं बैठक:

जीएसटी परिषद ने अपनी 28वी बैठक में वस्‍तुओं और सेवाओं पर जीएसटी दर के बारे में निम्नलिखित निर्णय लिए।

 

वस्तुओं पर जीएसटी दर:

  1. 28% वस्तुओं पर जीएसटी दरों में कटौती:

ए. 28% से घटकर  18%

· पेंट और वार्निश (तामचीनी और रोगन सहित)

·  ग्लेज़ियर्स पुटी, ग्राफ्टिंग पुटी, रेसिन सीमेंट

· रेफ्रिजरेटर, फ्रीजर, वाटर कूलर सहित अन्य रेफ्रिजरेटिंग या फ्रीजिंग उपकरण, मिल्क कूलर, चमड़ा उद्योग के लिए रेफ्रिजरेटिंग उपकरण, आइसक्रीम फ्रीजर इत्‍यादि।

·  वाशिंग मशीन

·  लिथियम-आयन बैटरियां

·  वैक्यूम क्लीनर

·   घरेलू विद्युत उपकरण जैसे कि फूड ग्राइंडर एवं मिक्सर और खाद्य पदार्थ या सब्जी का रस निकालने वाला एक्सट्रैक्टर, शेवर, हेयर क्लिपर, इत्‍यादि

·  स्‍टोरेज वाटर हीटर एवं इमर्सन हीटर, हेयर ड्रायर,  हैंड ड्रायर, इलेक्ट्रिक स्‍मूथनिंग आयरन, इत्‍यादि।

·  68 सेमी तक के आकार के टेलीविजन

·  विशेष प्रयोजन वाले मोटर वाहन जैसे कि क्रेन लॉरी, अग्निशमन वाहन, कंक्रीट मिक्सर लॉरी, स्‍प्रेइंग लॉरी

·  अल्‍प दूरी तक वस्‍तुओं की ढुलाई के लिए कारखानों, गोदामों, गोदी क्षेत्रों या हवाई अड्डों में उपयोग किए जाने वाले विशेष प्रकार के वर्क्‍स ट्रक [स्वचालित, उत्तोलन या संचालन उपकरणों से सुसज्जित नहीं]।

·  ट्रेलर और अर्ध-ट्रेलर

·   विभिन्न सामग्री जैसे सुगंधित स्प्रे और इसी तरह के टॉयलेट स्प्रे, पाउडर-पफ और सौंदर्य प्रसाधन के उपयोग के लिए पैड।

बी. 28% से घटकर 12%

· फ्यूल सेल व्‍हीकल। इसके अलावाफ्यूल सेल व्‍हीकल पर मुआवजा उपकर में भी छूट दी जाएगी।

  1. कपड़ा निर्माताओं को इन्‍वर्टेड ड्यूटी मद में संचित क्रेडिट को रिफंड करना:  कपड़े पर 5% की दर से जीएसटी को इस शर्त के साथ लगाया जाता है कि इन्‍वर्टेड ड्यूटी मद में संचित आईटीसी को रिफंड करने की अनुमति नहीं होगी। हालांकि, इस शर्त के कारण फैब्रिक क्षेत्र को हुई कठिनाई को ध्‍यान में रखते हुए जीएसटी परिषद ने इन्‍वर्टेड ड्यूटी मद में कपड़ा निर्माताओं को रिफंड की अनुमति देने की सिफारिश की है। संचित आईटीसी के रिफंड की अनुमति केवल संभावित प्रभाव से अधिसूचना जारी होने के बाद की गई खरीद पर होगी।

III. जीएसटी दरों को नीचे लाने की सिफारिश की गई थी-

   ए. 18%12%/5% से घटकर शून्‍य:

o    पत्थर/संगमरमर/लकड़ी की प्रतिमाएं

o     राखी [अध्याय 71 की कीमती या अर्ध-कीमती सामग्री को छोड़कर अन्य]

o    सैनिटरी नैपकिन,

o    कॉयर पिथ कम्पोस्ट

o    साल पत्‍ते, सियाली पत्ते और उनके उत्पाद एवं सबाई रस्सी

o    फूलभरी झाड़ू [झाड़ू के लिए कच्चा माल]

o    खली दोना

o    सर्कुलेशन और स्मारक सिक्के, जो सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड [एसपीएमसीआईएल] द्वारा वित्त मंत्रालय को बेचे गए।

   बी. 12% से घटकर 5%:

o   5801 शीर्षक के तहत सेनील कपड़े और अन्य कपड़े

o    हथकरघा दरी

o    फॉस्फोरिक एसिड (केवल उर्वरक श्रेणी)

o    बुनी हुई टोपी / टोपी, जिसका खुदरा बिक्री मूल्य 1,000  रुपये से अधिक नहीं है

  सी. 18% से घटकर 12%: 

o    बांस का फर्श

o    पीतल का केरोसीन प्रेशर स्टोव

o    हस्‍त संचालित रबर रोलर

o    ज़िप और स्लाइड फास्टनर

  1. 18% से घटकर 5%:

o     ईंधन के साथ सम्मिश्रण के लिए तेल विपणन कंपनियों को बेचे जाने वाला एथनॉल

o    जैव ईंधन के ठोस छर्रे

 

IV. फुटवियर के संबंध में दर में किए गए बदलाव

o    5% जीएसटी उस फुटवियर पर भी लगाया जा रहा है, जिसका खुदरा बिक्री मूल्‍य 1000 रुपये प्रति जोड़ी तक है

o    1000 रुपये प्रति जोड़ी से अधिक के खुदरा बिक्री मूल्‍य वाले फुटवियर पर आगे भी 18 प्रतिशत जीएसटी लगता रहेगा 

V.  जीएसटी दरों को निर्दिष्ट हस्तशिल्प वस्तुओं के लिए कम करने की सिफारिश की गई थी [हस्तशिल्‍प की परिभाषा के अनुसार,  जैसा कि जीएसटी परिषद द्वारा अनुमोदित किया गया]

ए. 18% से घटकर 12%:

o    थैला और पर्स सहित हैंडबैग; आभूषण रखने का डिब्बा

o    पेंटिंग, फोटोग्राफ, दर्पण इत्‍यादि के लिए लकड़ी के फ्रेम

o     कॉर्क के कलात्‍मक सामान [शोलापिथ की सामग्री सहित]

o    पत्थर के कलात्‍मक सामान, पत्थर जड़ाई का काम

o    सजावटी फ्रेम वाले दर्पण

o    कांच की मूर्तियां [क्रिस्टल को छोड़कर अन्य]

o    कांच के कलात्‍मक सामान [मटका, जार, बर्तन, पीपा, केक कवर, ट्यूलिप बोतल, फूलदान सहित]  

o    लोहे के कलात्‍मक सामान

o     पीतल, तांबे / तांबे की मिश्र धातु के कलात्‍मक सामान, निकल/चांदी के साथ बिजली द्वारा मुलम्मा चढ़ाना 

o    अल्युमिनियम के कलात्‍मक सामान

o    दस्तकारी लैंप (पंचलोग दीपक सहित)

o     सब्जी या खनिज की नक्काशी, उससे तैयार सामग्री, मोम, स्टीयरिन, प्राकृतिक गोंद या प्राकृतिक रेजिन या मॉडलिंग पेस्ट इत्‍यादि से तैयार सामग्री, (लाख, लाह की सामग्री सहित)

o    गंजिफा कार्ड

    बी. 12% से घटकर 5%:

o     हस्तनिर्मित कालीन और अन्य हस्तनिर्मित कपड़ा फर्श कवरिंग (नमदा / गब्बा सहित)

o    हस्तनिर्मित फीता

o    हाथ से बुने हुए कशीदे

o     हस्त-निर्मित चोटियां और टुकड़े में सजावटी झालर

o    तोरण

  1. किसी आपूर्ति के मूल्यांकन से संबंधित विविध परिवर्तन

o    निर्धारणीय मूल्य प्लस सीमा शुल्‍क के बजाय सीधे कृषि क्षेत्र में उपयोग के लिए सरकार के खाते में आयातित यूरिया की पूल इश्यू प्राइस (पीआईपी) पर 5 प्रतिशत की दर से आईजीएसटी

o    वाशरी से निकले कोयले के बुरादे (रिजेक्‍ट्स) पर मुआवजा उपकर से छूट [कोयले पर अदा किए गए उपकर से उत्पन्न, जिस पर आईटीसी नहीं लिया गया है]।

सेवाओं पर जीएसटी दर

जीएसटी परिषद ने अपनी 28वीं बैठक में छूट /जीएसटी दरों में बदलाव/ आईटीसी पात्रता मानदंड, दरों / छूट को युक्तिसंगत बनाने और सेवाओं पर जीएसटी लगाने के बारे में स्पष्टीकरण से संबंधित निम्‍नलिखित निर्णय लिए।

यह ध्यान दिया जाएगा कि सेवाओं की निम्नलिखित श्रेणियों के लिए जीएसटी कराधान से कई राहतें प्रदान की गई हैं -

(i) कृषि, खेती-बाड़ी और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग

(ii) शिक्षा, प्रशिक्षण और कौशल विकास,

(iii) पेंशन, सामाजिक सुरक्षा और वृद्धावस्‍था में सहायता

यह प्रावधान करके होटल उद्योग को बड़ी राहत दी गई है कि उसके कमरों में ग्राहकों के ठहरने (एकोमोडेशन) की सेवा पर कर की दर घोषित टैरिफ के बजाय लेन-देन मूल्य पर आधारित होगी।

बैंकिंग और आईटी जैसे क्षेत्रों में उपलब्ध कराई गई सेवाओं पर राहत प्रदान की गई है। इसके तहत भारत में किसी व्यक्ति के किसी प्रतिष्ठान द्वारा भारत के बाहर उसी व्यक्ति के किसी भी प्रतिष्ठान [संबंधित पार्टी] को दी गई सेवाओं पर छूट दी गई है।

हरित पहल के रूप में ई-बुक की आपूर्ति पर जीएसटी को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है।

 

 जीएसटी दरों और सेवाओं में छूट / परिवर्तन

 सेक्टर- किसान/कृषि/खाद्य प्रसंस्करण

1.          पशुधन (घोड़ों के अलावा) के कृत्रिम गर्भाधान के जरिए दी जाने वाली सेवाओं पर छूट दी गई।

2.          कृषि उपज को दी जाने वाली छूट की तर्ज पर लघु वन उपज के भंडारण पर छूट प्रदान की गई।

3.         कृषि उपयोग के लिए किसान / कृषि विशेषज्ञ के नलकूप तक बिजली वितरण नेटवर्क का विस्तार करने के लिए डिस्‍कॉम/विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा स्‍थापना एवं चालू करने के कार्यों पर छूट दी गई।

4.         खाद्य व्‍यवसाय संचालकों को एफएसएसएआई द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं पर छूट दी गई।

शिक्षा / प्रशिक्षण / कौशल विकास

5.         केवल उन ई-बुक की आपूर्ति पर जीएसटी की दर 18% से घटाकर 5% कर दी गई, जिनका प्रिंट संस्करण उपलब्‍ध है।

सामाजिक सुरक्षा / पेंशन सुरक्षा / वरिष्ठ नागरिक

6.         ईपीएफओ की तर्ज पर कोयला खान भविष्य निधि संगठन द्वारा पीएफ सदस्‍यों को मुहैया कराई जाने वाली सेवाओं पर जीएसटी से छूट दी गई।

7.        राज्य/केंद्र सरकार या आयकर अधिनियम की धारा 12एए  के तहत पंजीकृत निकाय द्वारा चलाए जा रहे वृद्धाश्रम द्वारा अपने यहां रहने वाले लोगों (60 वर्ष या उससे अधिक की आयु) को प्रति सदस्‍य प्रति माह 25 हजार रुपये तक की धनराशि के बदले में दी जाने वाली सेवाओं को इससे छूट दी गई है, बशर्ते कि इस रकम में बोर्डिंग, लॉजिंग और रखरखाव के प्रभार भी शामिल हों।

8.         राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली ट्रस्ट द्वारा एकत्रित किए जाने वाले प्रशासनिक शुल्क पर जीएसटी से छूट।

9.         वर्तमान में लागू किसी भी कानून के तहत पंजीकृत ऐसे किसी गैर-निगमित निकाय या किसी गैर-लाभकारी संस्था द्वारा अपने सदस्‍यों को प्रति सदस्य प्रति वर्ष एक हजार रुपये तक की राशि के सदस्यता शुल्क के बदले में दी जाने वाली सेवाओं को इससे छूट दी गई है जो औद्योगिक या कृषि श्रमि‍क या किसान के कल्याण;  व्यापार, वाणिज्य, उद्योग, कृषि, कला, विज्ञान,साहित्य, संस्कृति, खेल, शिक्षा, सामाजिक कल्याण, परोपकारी कार्यों को बढ़ावा देने और पर्यावरण के संरक्षण से जुड़ी गतिविधियों में संलग्‍न हो।  

 बैंकिंग / वित्त / बीमा

10.       सरकार द्वारा वित्त पोषित प्रधानमंत्री राष्ट्रीय सुरक्षा मिशन (पीएमआरएसएसएम) (आयुष्मान भारत) जैसी निर्दिष्ट बीमा योजनाओं के लिए प्रदान की गई पुनर्बीमा सेवाओं पर छूट दी गई। 

सरकारी सेवाएं

11.       खनन पट्टा धारकों से रॉयल्टी, डीएमएफटी इत्‍यादि एकत्र करने के अधिकार के रूप में ईआरसीसी को सरकार द्वारा प्रदान की गई सेवाओं पर छूट दी गई।

12.       केंद्र / राज्य सरकार / केन्द्र शासित प्रदेश के प्रशासन द्वारा अपने उपक्रमों / सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों को दी गई गारंटी पर छूट दी गई।

विविध

13.       विदेशी राजनयिक मिशनों/संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा पारस्परिकता के आधार पर सेवाओं के आयात पर जीएसटी से छूट दी गई।

14.        भारत में किसी व्यक्ति के किसी प्रतिष्ठान द्वारा भारत के बाहर उसी व्यक्ति के किसी भी ऐसे प्रतिष्ठान को दी गई सेवाओं पर छूट दी गई, जिन्हें आईजीएसटी अधिनियम की धारा 8 के स्पष्टीकरण I के अनुसार अलग-अलग व्यक्तियों के प्रतिष्ठानों के रूप में माना जाता है, बशर्ते कि आपूर्ति का स्थान आईजीएसटी अधिनियम की धारा 13 के अनुसार भारत के कर योग्य क्षेत्र से बाहर हो।

15.       घोषित टैरिफ के बजाय लेन-देन मूल्य के आधार पर निवास (एकोमोडेशन) सेवा पर जीएसटी दर स्लैब निर्धारित किए गए जिससे होटल उद्योग को काफी राहत मिलने की संभावना है।

16.       मल्टीमोडल परिवहन की समग्र आपूर्ति के लिए आवक माल प्रभार (फॉरवर्ड चार्ज) के तहत पूर्ण आईटीसी के साथ 12% की जीएसटी दर निर्धारित की गई।

17.       उस अधिसूचना प्रविष्टि को युक्तिसंगत बनाया गया जिसके तहत सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकरण द्वारा अपने संप्रभु कार्यों के दौरान प्राप्त किए गए कार्य अनुबंध की समग्र आपूर्ति पर जीएसटी दर को कम किया गया।

18.      रेस्तरां, मेस एवं कैंटीन में भोजन और पेय की समग्र आपूर्ति और अनुबंध के आधार पर विभिन्‍न संस्थानों (शैक्षणिक, कार्यालय, कारखाना, अस्पताल) को इस तरह की आपूर्ति से संबंधित प्रविष्टि को 5% की जीएसटी दर पर युक्तिसंगत बनाया गया। इसके साथ ही यह स्‍पष्‍ट किया गया कि 7(v) के तहत आउटडोर खानपान का दायरा उन आउटडोर/इनडोर कार्यों के मामले में आपूर्ति तक सीमित है जो आयोजन या कार्यक्रम आधारित और सामयिक हैं।

इसके साथ ही जीएसटी परिषद ने अपनी 28वीं बैठक में रिटर्न के नए प्रारूपों और कानून में संबंधित परिवर्तनों को मंजूरी दी थी। उल्‍लेखनीय है कि परिषद ने 4 मई, 2018 को आयोजित 27वीं बैठक में जीएसटी रिटर्न के स्‍वरूप के बुनियादी सिद्धांतों को मंजूरी दे दी थी और इसके साथ ही विधि समिति को रिटर्न के प्रारूप और कानून में बदलावों को अंतिम रूप देने का निर्देश दिया था। 28वीं बैठक में अनुमोदित प्रारूप और कारोबारी प्रक्रिया बुनियादी सिद्धांतों के अनुरूप थी। हालांकि, इसमें एक बड़ा बदलाव भी शामिल था जिसके तहत छोटे करदाताओं को सरल रिटर्न प्रारूप में कर का मासिक भुगतान करने के साथ त्रैमासिक या तिमाही रिटर्न दाखिल करने का विकल्प भी दिया गया।

 

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जीएसटी रिफंड

अब तक प्राप्त कुल 97,202 करोड़ रुपये के रिफंड दावों में से 91,149 करोड़ रुपये का कुल जीएसटी रिफंड सीबीआईसी और राज्यों के प्राधिकरणों द्वारा किया गया है। इस प्रकार  93.77 प्रतिशत की निपटान दर हासिल की गई है। 6,053 करोड़ रुपये के लंबित जीएसटी रिफंड दावों को निपटाने पर तेजी से काम किया जा रहा है, ताकि पात्र दावेदारों को राहत मिल सके। बिना किसी कमी वाले रिफंड दावों को बड़ी तेजी से मंजूरी दी जा रही है।

 

 

जीएसटी की चोरी

 

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Ø  ई-वे बिल प्रणाली

ई-वे बिल प्रणाली को माल की अंतर-राज्य आवाजाही के लिए 1 अप्रैल, 2018  से राष्ट्रव्यापी स्‍तर पर शुरू किया गया था, जबकि राज्यों को प्रदेश के भीतर आपूर्ति के लिए ई-वे बिल प्रणाली को लागू करने के लिए 3 जून, 2018 तक किसी भी तारीख को चुनने का विकल्प दिया गया था। ई-वे बिल प्रणाली के उद्देश्य निम्‍नलिखित हैं:

ए. माल की अंतर-राज्य आवाजाही के साथ-साथ राज्य के भीतर माल की आवाजाही के लिए एकल और एकीकृत ई-वे बिल पूरे देश में ‘स्वयं सेवा मोड’ में हो।

बी. सभी राज्यों में माल की निर्बाध आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए कागज रहित (पेपरलेस) और पूरी तरह से ऑनलाइन प्रणाली सुनिश्चित करना।

सी. संपूर्ण आपूर्ति श्रृंखला में त्वरित बदलाव के साथ सेवा वितरण में सुधार करना और कभी भी, कहीं भी डेटा/सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करना।

डी. देश भर में अंतर-राज्य चेक पोस्टों को समाप्त करके माल की बाधा मुक्त आवाजाही को सुविधाजनक बनाना।

 

Ø  विमुद्रीकरण और काले धन का पता लगना  

विमुद्रीकरण का बड़ा उद्देश्य भारत को ‘गैर-कर अनुपालन वाले समाज’ से ‘कर अनुपालन वाले समाज’ की ओर अग्रसर करना था। इसके लिए अर्थव्यवस्था को औपचारिक स्‍वरूप प्रदान करना और काले धन पर प्रहार करना आवश्‍यक हो गया।

विमुद्रीकरण ने अपने पास व्‍यापक कैश रखने वालों को यह नकद राशि बैंकों में जमा करने पर विवश किया। ऐसे में बड़ी मात्रा में कैश जमा कराए जाने के साथ-साथ उसे अपने पास रखने वाले लोगों की पहचान भी हो जाने से 17.42 लाख संदिग्ध खाताधारकों के बारे में पता चला और फि‍र उनसे सहज ढंग से ऑनलाइन जवाब प्राप्‍त किया गया है। बैंकों में विशाल धनराशि जमा कराए जाने से बैंकों की ऋण देने की क्षमता बढ़ गई। इस रकम के एक बड़े हिस्‍से को  आगे निवेश करने के लिए म्यूचुअल फंडों में लगा दिया गया। इसके बाद यह औपचारिक प्रणाली का एक हिस्सा बन गया।  

विमुद्रीकरण का सकारात्‍मक असर व्यक्तिगत आयकर के संग्रह पर भी पड़ा है। इसका संग्रह पिछले वर्ष की तुलना में वित्त वर्ष 2018-19 (31 अक्‍टूबर, 2018 तक) में 20.2% अधिक रहा है। यहां तक कि कॉरपोरेट टैक्स का संग्रह भी 19.5% अधिक रहा है। विमुद्रीकरण से दो साल पहले की अवधि के दौरान प्रत्यक्ष करों के संग्रह में क्रमशः 6.6% और 9% की वृद्धि दर्ज की गई। उधर, विमुद्रीकरण के बाद अगले दो वर्षों के दौरान प्रत्यक्ष करों के संग्रह में 14.6% की वृद्धि (2016-17 में विमुद्रीकरण के प्रभाव से पहले वर्ष का हिस्सा) और वर्ष 2017-18 में 18% की वृद्धि आंकी गई है।

विमुद्रीकरण की योजना के दुरुपयोग में शामिल लोगों के खिलाफ आयकर विभाग (आईटीडी) और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा समुचित कार्रवाई की गई है।

नवंबर, 2016 से मार्च, 2017 तक की अवधि के दौरान आयकर विभाग ने विभिन्न गतिविधियों और व्यवसाय में संलग्‍न 900 समूहों के यहां तलाशियां लीं। इसके परिणामस्‍वरूप 900 करोड़ रुपये की जब्ती की गई जिनमें 636 करोड़ रुपये की नकदी की जब्‍ती भी शामिल है। इसी अवधि के दौरान 8239 तलाशियां ली गईं जिससे 6745 करोड़ रुपये की अघोषित आय का पता चला।

काले धन का पता लगाने और कर चोरी में कमी लाने के लिए आयकर विभाग द्वारा किए जा रहे प्रयासों में लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से आयकर विभाग द्वारा ‘आयकर मुखबिर इनाम योजना, 2018’ नामक एक नई इनाम योजना शुरू की गई है जिसने वर्ष 2007 में शुरू की गई पूर्ववर्ती इनाम योजना का स्‍थान लिया है।

 

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी)

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने जुलाई, 2018 के दौरान नौ और एकपक्षीय अग्रिम मूल्य निर्धारण समझौते (यूएपीए) किए हैं। इन समझौतों पर हस्ताक्षर करने के साथ ही सीबीडीटी द्वारा किए गए एपीए की कुल संख्या बढ़कर 232 हो गई है, जिनमें 20 द्विपक्षीय अग्रिम मूल्य निर्धारण समझौते (बीएपीए) भी शामिल हैं।  

  

Ø  प्रत्यक्ष कर

पिछले तीन कर निर्धारण वर्षों (एवाई) के दौरान सभी श्रेणियों के करदाताओं द्वारा दाखिल किए गए रिटर्न में घोषित कुल आय में निरंतर वृद्धि दर्ज की गई है। वित्त वर्ष 2013-14 (आधार वर्ष) की तुलना में कर निर्धारण वर्ष 2014-15 के लिए रिटर्न दाखिल करने वालों ने कुल मिलाकर 26.92 लाख करोड़ रुपये की आय घोषित की थी, जो कर निर्धारण वर्ष 2017-18 के लिए 67 प्रतिशत बढ़कर 44.88 लाख करोड़ रुपये के स्‍तर पर पहुंच गई है। यह अनुपालन के उच्च स्तर को दर्शाता है। यह सरकार द्वारा किए गए विभिन्न विधायी और प्रशासनिक उपायों से संभव हो पाया है जिनमें  कर चोरी के खिलाफ किए गए कारगर प्रवर्तन उपाय भी शामिल हैं।

अप्रैल, 2018 से नवंबर, 2018 के दौरान कुल मिलाकर 1.23 लाख करोड़ रुपये के रिफंड जारी किए गए हैं, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में जारी किए गए रिफंड से 20.8 प्रतिशत अधिक है।

जहां तक कॉरपोरेट आयकर (सीआईटी) और व्यक्तिगत आयकर (पीआईटी) में वृद्धि का सवाल है, सीआईटी के लिए सकल संग्रह की वृद्धि दर 17.7% है, जबकि पीआईटी (एसटीटी सहित) के लिए सकल संग्रह की वृद्धि दर 18.3% है।

सीबीडीटी द्वारा जारी प्रत्यक्ष कर से जुड़े आंकड़ों के अनुसार:

·         पिछले तीन वर्षों में प्रत्यक्ष कर-जीडीपी अनुपात में निरंतर वृद्धि दर्ज की गई है और वित्त वर्ष 2017-18 में आंका गया 5.98% का अनुपात पिछले 10 वर्षों में सर्वोत्‍तम प्रत्यक्ष कर-जीडीपी अनुपात है।

·          पिछले चार वित्त वर्षों में दाखिल किए गए रिटर्न की संख्या में 80% से भी अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है। यह आंकड़ा वित्त वर्ष 2013-14 (आधार वर्ष) के 3.79 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2017-18 में 6.85 करोड़ हो गया है।

·         इस अवधि के दौरान आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले लोगों की संख्या में भी लगभग 65% की वृद्धि दर्ज की गई है। यह आंकड़ा वित्त वर्ष 2013-14 के 3.31 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2017-18 में 5.44 करोड़ हो गया है।

 

III. वित्तीय सेवा विभाग

Ø  सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) या फंसे कर्जों की समस्‍या से निपटने के लिए सुधार:

सरकार ने एनपीए में वृद्धि की समस्‍या से निपटने के लिए कई अहम उपायों और सुधारों को दृढ़ता के साथ लागू किया है, जिनका विवरण नीचे दिया गया है:

1.      सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) का पुनर्पूंजीकरण :

सरकार ने आर्थिक विकास की गति तेज करने तथा इसके साथ ही दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में भारत की स्थिति और मजबूत करने के उद्देश्‍य से चालू वित्त वर्ष में बैंक पुनर्पूंजीकरण परिव्यय को 65,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1,06,000 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव संसद में रखा है। इससे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) में 83,000 करोड़ रुपये से भी अधिक की नई पूंजी लगाई जा सकेगी।

 

बढ़ाए गए पूंजीगत प्रावधान के उद्देश्य निम्‍नलिखित हैं : 

(1)  नियामकीय पूंजीगत मानकों को पूरा करना। 

(2)  बेहतर प्रदर्शन करने वाले पीसीए बैंकों को पूंजी उपलब्ध कराना, ताकि वे 9 प्रतिशत के पूंजी- जोखिम भारित परिसंपत्ति अनुपात (सीआरएआर); 1.875 प्रतिशत के पूंजी संरक्षण बफर और 6% की शुद्ध एनपीए सीमा को प्राप्‍त कर सकें। इससे उन्‍हें त्वरित सुधारात्मक कार्यवाही (पीसीए) के दायरे से बाहर आने में सहूलियत होगी।

(3)  उन गैर-पीसीए बैंकों को सुविधा प्रदान करना जो कुछ पीसीए सीमाओं का उल्लंघन करने के कगार पर पहुंच चुके हैं, ताकि वे इनका उल्‍लंघन न करें।

(4)  नियामकीय और विकास पूंजी मुहैया कराके आपस में विलय कर रहे बैंकों को मजबूत बनाना।

सरकार के ‘4आर’ यथा रिक्‍गनिशन (पहचान), रिजोल्‍यूशन (समाधान), रि‍कैपिटलाइजेशन (पुनर्पूंजीकरण) और रिफॉर्म (सुधार) से जुड़े विजन के तहत बैंकिंग प्रणाली का व्यापक परिशोधन या सुदृढ़ीकरण हो जाने के बाद बैंक परिकल्पित या निर्धारित पुनर्पूंजीकरण की बदौलत वित्‍तीय दृष्टि से वैश्विक मानदंडों की तुलना में कहीं बेहतर स्थिति‍ में पहुंच जाएंगे। इस संबंध में यह बिल्‍कुल उचित ही है कि भारत में बैंकों के लिए पूंजीगत मानक वैश्विक बेसल- III  रूपरेखा के तहत अनुशंसित मानकों से 1% अधिक हैं। इसके अलावा, अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के आरंभिक उपायों वाली व्‍यवस्‍था के विपरीत  भारत में कमजोर बैंकों के लिए तैयार की गई पीसीए रूपरेखा में कहीं ज्‍यादा कठिन सीमाएं यथा अपेक्षाकृत ज्‍यादा पूंजी की सीमा  और शुद्ध एनपीए सीमा तय की गई हैं।  ऐसे में एनपीए के प्रावधान के कारण पूंजी की आवश्यकता और ज्‍यादा बढ़ जाती है। आज का प्रस्ताव सरकार की इस प्रतिबद्धता को अभिव्यक्त करता है कि प्रत्येक पीएसबी पर दृढ़ विश्वास है और इसका उद्देश्य यहां तक कि उच्च नियामकीय मानकों का अनुपालन भी सुनिश्चित करना है।

2.      सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से उधारी के लिए एकल बाजार स्थल 

‘बेहतर पहुंच और सेवा की उत्कृष्टता (ईज)’  के लक्ष्‍य वाले सुधार एजेंडे में विवेकपूर्ण एवं पारदर्शी उधारी, बेहतर उपभोक्‍ता सेवा, ज्‍यादा ऋण उपलब्धता, सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) पर फोकस और बेहतर गवर्नेंस सुनिश्चित करने वाले सामंजस्‍यपूर्ण दृष्टिकोण को समाहित किया गया है।   

3.      क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) का विलय!

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) को अपने अतिरिक्‍त खर्चों को न्‍यूनतम करने, प्रौद्योगिकी के उपयोग के अनुकूलन, पूंजी का आधार एवं संचालन का दायरा बढ़ाने और अपनी उधारी राशि (एक्‍सपोजर) को बढ़ाने में समर्थ बनाने के उद्देश्‍य से सरकार ने किसी भी राज्य में कार्यरत आरआरबी के विलय के रोडमैप पर संबंधित राज्य सरकारों और प्रायोजक बैंकों से अपनी राय देने को कहा है। इन उपायों के अलावा  कई अन्य कदम भी उठाए गए हैं। इसके परिणामस्वरूप वित्त वर्ष 2015-16 से 2017-18 के दौरान पीएसबी ने 1,58,259 करोड़ रुपये की राशि वसूल की।

ए. पुनरावृत्ति से बचने और वसूली में सख्‍ती के लिए दिवाला एवं दिवालियापन संहिता, 2016 (आईबीसी) को कानून का रूप दिया गया है, ताकि दिवाला एवं दिवालियापन से जुड़े मसलों को सुलझाने के लिए एकीकृत रूपरेखा बनाई जा सके।  

बी. बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 में संशोधन किया गया, ताकि भारतीय रिज़र्व बैंक को आईबीसी के तहत दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू करने के लिए बैंकों को आवश्‍यक निर्देश जारी करने का अधिकार दिया जा सके। इसके तहत ‘क्रेडिटर-इन-सैडल’ अवधारणा अपनाकर कानूनी प्रणाली के दुरुपयोग का सहारा लेने का रास्‍ता बंद कर दिया गया है क्‍योंकि इसके तहत अंतरिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल सबसे पहले संबंधित कर्जदार कंपनी के प्रबंधन की कमान संभाल लेता है। इसके अलावा, जानबूझकर डिफॉल्‍ट करने वालों और एनपीए खातों से जुड़े व्यक्तियों को समाधान प्रक्रिया से अलग कर देने या निकाल देने से भी ऋणदाता-कर्जदार संबंधों में मूलभूत बदलाव आया है।

सी. इसके अलावा, आरबीआई के निर्देशों के अनुसार 39 बड़े डिफॉल्टरों के संबंध में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में आईबीसी के तहत मामले दायर किए गए हैं जिनमें लगभग 2.69 लाख करोड़ रुपये का वित्त पोषित ऋण या एक्‍सपोजर (दिसंबर 2017 तक) अंतर्निहित है।

डी.  इसके अलावा, सरकार द्वारा घोषित और शुरू किए गए सार्वजनिक बैंकों (पीएसबी) के पुनर्पूंजीकरण से अग्रिम प्रावधान करना अब संभव हो गया है, जिससे समाधान प्रक्रिया को सक्रियतापूर्वक आगे बढ़ाने से जुड़ी आशंकाएं दूर हो गई हैं।

ई. वित्तीय परिसंपत्तियों के प्रतिभूतिकरण एवं पुनर्निर्माण और प्रतिभूति हित अधिनियम, 2002 (सरफेसी अधिनियम) में संशोधन किया गया है, ताकि तेजी से ऋण वसूली संभव हो सके। इसमें कर्जदार द्वारा परिसंपत्ति का ब्योरा उपलब्ध नहीं कराने और ऋणदाता को 30 दिनों के भीतर गिरवी रखी गई संपत्ति पर कब्जा न मिलने की स्थिति में तीन महीने के कारावास का प्रावधान है। इसके अलावा, वसूली में तेजी लाने के लिए छह नए ऋण वसूली न्यायाधिकरण स्थापित किए गए हैं।  

एफ. सरकार द्वारा घोषित ‘पीएसबी सुधार एजेंडे’ के तहत पीएसबी ने गैर निष्‍पादित परिसंपत्ति‍यों से जुड़ी प्रबंधन इकाइयों की स्थापना कर ऋण वसूली व्‍यवस्‍था को मजबूत करने की प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त की है। इसके अलावा, 250 करोड़ रुपये और उससे अधिक के ऋणों के लिए विशेष निगरानी हेतु विभिन्‍न एजेंसियों के साथ गठजोड़ करके बड़े-मूल्य वाले खातों के लिए मंजूरी उपरांत पारदर्शी एवं कारगर व्‍यवस्‍था करने और ज्‍यादा जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए मंजूरी पूर्व और मंजूरी बाद भूमिकाओं को सख्‍ती के साथ अलग करने की प्रतिबद्धता भी पीएसबी द्वारा व्‍यक्‍त की गई है।

जी. जानबूझकर डिफॉल्‍ट करने वालों (विलफुल डिफॉल्टर) द्वारा किए जाने वाले डिफॉल्ट में कमी लाने और जानबूझकर डिफॉल्‍ट करने वालों से वसूली सुनिश्चित करने के लिए आरबीआई के निर्देशों के अनुसार अब जानबूझकर डिफॉल्‍ट करने वालों को बैंकों या वित्तीय संस्थानों द्वारा कोई भी अतिरिक्त सुविधा नहीं दी जाती है, उनकी इकाई (यूनिट) पर पांच साल तक नए उपक्रम शुरू करने पर रोक लगा दी जाती है और ऋणदाता, जहां भी आवश्यक हो, उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू कर सकते हैं।  

एच.  विलफुल डिफॉल्टरों के साथ-साथ प्रवर्तक/निदेशक के रूप में विलफुल डिफॉल्टरों वाली कंपनियों पर भी धन जुटाने हेतु पूंजी बाजार में उतरने से रोक लगाने के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के नियमों में संशोधन किया गया है।

आई. इसके अलावा, विलफुल डिफॉल्टरों को दिवाला समाधान प्रक्रिया में भाग लेने से रोकने के लिए दिवाला एवं दिवालियापन संहिता में संशोधन किया गया है।

 

Ø  सरकार के सुधार अभियान की विश्‍वव्‍यापी सराहना

सरकार के सुधार अभियान की सराहना विश्‍व स्‍तर पर कई अंतर्राष्ट्रीय संगठनों जैसे कि स्टैंडर्ड एंड पुअर्स द्वारा की गई है जिनका, अन्‍य बातों के अलावा, यह कहना है कि  ‘भारत के बैंकों का सबसे खराब दौर लगभग समाप्‍त हो गया है’। इन संगठनों का कहना है कि  सरकार बैंकिंग सेक्‍टर की वित्‍तीय स्थिति बेहतर करने के लिए इस चार-आयामी रणनीति पर काम कर रही है: रिक्‍गनिशन (पहचान), रिजोल्‍यूशन (समाधान), रि‍कैपिटलाइजेशन (पुनर्पूंजीकरण) और रिफॉर्म (सुधार) (‘4आर’)। इन संगठनों का यह भी कहना है कि बैंकों के बारे में उनका ‘स्थिर’ आउटलुक या नजरिया उनकी इस धारणा को दर्शाता है कि ‘4आर’ और सरकार एवं भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा की गई अन्य पहलों से अगले दो वर्षों में बैंकिंग प्रणाली मजबूत हो जाएगी।

   

Ø  राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) को सुव्यवस्थित बनाना   

 

 

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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 6 दिसंबर, 2018 को अपनी बैठक में निम्नलिखित को मंजूरी दी।

 

Ø  वित्तीय समावेश

वित्त मंत्रालय ने वित्तीय समावेश के एक भाग के रूप में मोबाइल एप्लिकेशन ‘जन धन दर्शक’ लांच किया।

वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) ने वित्तीय समावेश (एफआई) पहल के तहत संयुक्त रूप से ‘जन धन दर्शक’ नामक मोबाइल एप विकसित किया है। जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है, यह एप देश में किसी भी बताए या निर्दिष्‍ट किए गए स्थान पर किसी वित्तीय सेवा केंद्र (टच प्‍वाइंट) का पता लगाने में आम लोगों के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करेगा।

 

Ø  प्रमुख योजनाएं और उनमें सुधार:

किसान क्रेडिट कार्ड जारी करना

वर्ष 2017-18 के दौरान व्यक्तिगत पॉलिसियों के साथ-साथ प्रथम वर्ष के प्रीमियम दोनों ही के संदर्भ में उल्‍लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। ब्याज दरों के अलावा भी कई ऐसे अन्य कारक हैं जो जीवन बीमा क्षेत्र के विकास पर असर डालते हैं जैसे कि समग्र आर्थिक विकास, बिक्री से जुड़े कार्यबल, उत्पाद पोर्टफोलियो, अन्य वित्तीय उत्पादों के साथ प्रतिस्पर्धा का स्तर इत्‍यादि।

 

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प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई): प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत अब तक 33.4 करोड़ों लाभार्थियों को बैंकिंग सुविधाएं दी गई हैं। 17 दिसंबर, 2018 तक लाभार्थियों के खातों में कुल 85,494.69 करोड़ रुपये का बैलेंस आंका गया।  

प्रधानमंत्री वय वंदना योजना मार्च 2020 तक विस्तारित की गई: जमा पर ब्याज आय की छूट बढ़ाकर 50,000 रुपये की गई। पीएमवीवीवाई के तहत निवेश पर मौजूदा सीमा बढ़ाकर 15 लाख रुपये की गई। .

सुकन्या समृद्धि खाता योजना30 जून, 2018 तक देश भर में 1.39 करोड़ से भी अधिक खाते बालिकाओं के नाम पर खोले जा चुके हैं जिनमें 25,979.62 करोड़ रुपये की राशि हासिल हुई है।

अटल पेंशन योजनाएपीवाई के तहत सदस्‍य संख्‍या 1.24 करोड़ का आंकड़ा पार कर गई है। चालू वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान (2 नवंबर, 2018 तक) 27 लाख से भी अधिक नए ग्राहक इस योजना में शामिल हुए हैं। इस योजना को समझना बहुत आसान है और यह अत्‍यंत पारदर्शी है। एपीवाई के तहत नामांकन में उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों ने सर्वाधिक योगदान दिया है। इस योजना से 18-40 वर्ष के आयु समूह का कोई भी भारतीय नागरिक ऐसे बैंक या डाकघर की शाखाओं के जरिए जुड़ सकता है जिसमें उसका बचत बैंक खाता है।

प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई)

·         प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना: बैंकों द्वारा अपलोड किए गए आंकड़ों के अनुसार, 31.10.2018 तक प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) के तहत नामांकित व्यक्तियों की संख्या 14.27 करोड़ आंकी गई है। 

·         प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना: प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई) के तहत 5.47 करोड़ सदस्‍य। 2,206.28 करोड़ रुपये की राशि के 1.10 लाख दावों को निपटाया गया है (8 सितंबर, 2018 तक)।

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) गैर-कॉरपोरेट, गैर-कृषि लघु/सूक्ष्म उद्यमों को 10 लाख रुपये तक का ऋण प्रदान करने के लिए माननीय प्रधानमंत्री द्वारा 8 अप्रैल, 2015 को शुरू की गई एक योजना है। इन ऋणों को पीएमएमवाई के तहत मुद्रा ऋणों के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान स्वीकृत ऋणों की संख्या  2,92,30,665 रही जिनके तहत 1,53,783.83 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं और 1,47,115.20 करोड़ रुपये की कुल राशि वितरित की गई है (14 दिसंबर, 2018 तक)।

 

स्टैंड अप इंडिया स्कीम

स्टैंड अप इंडिया स्‍कीम के तहत प्रगति निम्नानुसार है:

 

 

स्टैंड अप इंडिया स्‍कीम के तहत प्रगति

 

(राशि करोड़ रुपये में

 

 

 

 

 

 एससी

 

 

एसटी

 

 

 

      महिला

 

 

कुल

 

तिथि

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

स्‍वीकृत राशि

 

 

स्‍वीकृत राशि

 

 

स्‍वीकृत राशि

 

 

 

स्‍वीकृत राशि

 

 

 

 

 

 

 

 

खातों की संख्‍या

 

 

खातों की संख्‍या

 

 

खातों की संख्‍या

 

 

 

खातों की संख्‍या

 

 

 

 

31.10.2018

9175

1776.87

 

2770

557.35

54135

 

12096.91

 

66080

 

14431.14

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 वित्त वर्ष 2018-19 के लिए लघु बचत योजनाओं की दरों में वृद्धि की गई।

 

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Ø  सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) ने डिजिटल लेन-देन में नया ऐतिहासिक कीर्तिमान बनाया

सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है जिसे लेखा महानियंत्रक, वित्त मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है। पीएफएमएस प्रधानमंत्री के ‘डिजिटल इंडिया’ विजन की दिशा में एक सुदृढ़ डिजिटल प्‍लेटफॉर्म साबित हुआ है।

28 मार्च, 2018 को महज एक ही दिन में कुल मिलाकर 98, 19,026 लेन-देन के लिए पीएफएमएस पोर्टल के जरिए 71,633.45 करोड़ रुपये की ऐतिहासिक राशि डिजिटल रूप से लेन-देन की गई/भेजी गई है।

 

IV.  विनिवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम)

·         11 दिसंबर, 2018 तक सरकार को चालू वित्त वर्ष (2018-19) के दौरान 80,000 करोड़ रुपये के बजट अनुमान के सापेक्ष 34,005.05 करोड़ रुपये विनिवेश राशि के रूप में हासिल हुए।

·          नवंबर 2018 में सीपीएसई-ईटीएफ का एफएफओ 3 दरअसल ईटीएफ के जरिए सबसे बड़ा विनिवेश लेन-देन था जिससे 17,000 करोड़ रुपये जुटाए गए।

·         वर्ष 2017-18 के दौरान कुल विनिवेश राशि 1,00,000 करोड़ रुपये के संशोधित लक्ष्‍य के सापेक्ष 1,00,056.91 करोड़ रुपये थी। 

   सीपीएसई की हिस्‍सेदारी क्रमशः बीएसई और एनएसई में सूचीबद्ध कंपनियों के कुल बाजार पूंजीकरण का 8.81% और 8.89% है (7 दिसंबर, 2018 तक)।

·          सीपीएसई इरकॉन का आरंभिक पब्लिक इश्‍यू (आईपीओ) 9.5 गुना सब्सक्राइब हुआ था। सरकार को इस इश्यू से 466 करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद थी। इरकॉन चालू वित्‍त वर्ष में आईपीओ लाने वाला दूसरा सीपीएसई है। इसके अलावा इरकॉन इस साल जून में राइट्स के बाद शेयर बाजारों में सूचीबद्ध होने वाला दूसरा रेलवे सीपीएसई है।

·          

सीपीएसई के नाम

भारत सरकार के शेयर विनिवेश किए गए (प्रतिशत में)

प्राप्तियां(करोड़ रुपये में)

विनिवेश के बाद भारत सरकार की शेयरधारिता

  मिश्र धातु निगम लिमिटेड (मिधानी)

25

434.14

75%

भारत 22 ईटीएफ

-

8325.26

-

राइट्स

12.60

460.51

87.40%

गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड

25.5

342.90

74.5%

कोल इंडिया लिमिटेड

3.19

5218.30

75.46%

केआईओसीएल लिमिटेड

1.983

205.34

99.06%

एचएससीसी (इंडिया) लिमिटेड

100

285.00

-

सीपीएसई-एक्सचेंज ट्रेडेड फंड

(एफएफओ 3)

17000.00

-

नेशनल अल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड

1.80

260.41

56.77%

एनएलसी इंडिया लिमिटेड

-

989.86

-

कोल इंडिया लिमिटेड

0.01

17.33

75.12%

(स्रोत– दीपम की वेबसाइट)

   

    भारत 22 ईटीएफ’ के फर्दर फंड ऑफर (एफएफओ) को विदेशी संस्‍थागत निवेशकों (एफआईआई) की मजबूत भागीदारी की बदौलत शानदार सफलता मिली थी।

·         इसके अलावा, प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने डीसीआईएल में भारत सरकार के 100% शेयरों का रणनीतिक विनिवेश चार बंदरगाहों  यथा विशाखापत्‍तनम पोर्ट ट्रस्ट, पारादीप पोर्ट ट्रस्ट, जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट और कांडला पोर्ट ट्रस्ट के कंसोर्टियम को करने की ‘सैद्धांतिक’ मंजूरी दे दी थी।

·         जनवरी में भारत सरकार ने 36,915 करोड़ रुपये में एचपीसीएल में अपनी 51.11% इक्विटी शेयरधारिता की रणनीतिक बिक्री करने के लिए ओएनजीसी के साथ एक समझौते पर हस्‍ताक्षर किए थे।  

·     

V . व्‍यय विभाग

     वित्त मंत्री ने कहा कि संशोधित राजकोषीय प्रवाह पथ के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को निर्विवाद विश्वसनीयता प्रदान करने के लिए उन्होंने ऋण नियम को अपनाने और केंद्र सरकार के ऋण एवं जीडीपी के अनुपात को घटाकर 40% पर लाने से संबंधित राजकोषीय सुधार एवं बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) समिति की प्रमुख सिफारिशों को स्वीकार करने का प्रस्ताव रखा। सरकार ने भी प्रमुख परिचालन मापदंड के रूप में राजकोषीय घाटा लक्ष्य का उपयोग करने की सिफारिश को स्वीकार कर लिया।

·        केंद्रीय बजट 2018-19 को यहां संसद में पेश करते हुए केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री श्री अरुण जेटली ने कहा कि 279 कार्यक्रमों में एससी के लिए कुल निर्धारित आवंटन को वर्ष 2016-17 के 34,334 करोड़ रुपये से बढ़ाकर संशोधित अनुमान 2017- 18 में 52,719 करोड़ रुपये कर दिया गया था। इसी तरह 305 कार्यक्रमों में एसटी के लिए कुल आवंटन को वर्ष 2016-17 के 21,811 करोड़ रुपये से बढ़ाकर संशोधित निर्धारित अनुमान 2017-18 में 32,508 करोड़ रुपये कर गया था। वित्त मंत्री ने कहा कि बजट अनुमान 2018-19 में अनुसूचित जातियों (एससी) के लिए निर्धारित आवंटन को और ज्‍यादा बढ़ाकर 56,619 करोड़ रुपये एवं अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के लिए बढ़ाकर. 39,135 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

·          प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मूल्य वृद्धि की भरपाई के लिए 01 जुलाई, 2018 से केंद्र सरकार के कर्मचारियों को महंगाई भत्ते (डीए) की अतिरिक्त किस्त और पेंशनभोगियों को महंगाई राहत (डीआर) जारी करने की मंजूरी दे दी है जो मूल वेतन/पेंशन के 7% की मौजूदा दर की तुलना में 2% अधिक है।

·          प्रत्यक्ष लाभ हस्‍तांतरण (डीबीटी) को देश भर में लागू कर दिया गया है। इसके लिए वित्‍त मंत्रालय का दिनांक 12.12.2014 का कार्यालय ज्ञापन (ओएम) देखें। 15 फरवरी 2018 तक 366 ऐसी योजनाओं / घटकों की पहचान की गई जिनके तहत नकद राशि सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में हस्तांतरित की गई। 15 फरवरी 2018 तक नकद योजनाओं में लाभार्थियों को 2,64,113 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए।

·         कुल कृषि ऋण वितरण वर्ष 2015-16 के 9,15,509.92 करोड़ रुपये से बढ़कर वर्ष 2017-18 में 11,68,502.84 करोड़ रुपये हो गया।

·         वित्तीय सलाहकारों का कौशल बढ़ाने और वैश्विक परिवेश में हुए बदलावों के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए व्यय विभाग ने वित्तीय सलाहकारों के क्षमता निर्माण में मुख्य भूमिका निभाई।

***

आर.के.मीणा/अर्चना/आरआरएस 

 



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