इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय
वर्षांत समीक्षा 2018 - प्रमुख उपलब्धियां
Posted On:
21 DEC 2018 12:51PM by PIB Delhi
- सरकार के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का उद्देश्य डिजिटल ऐक्सेस, डिजिटल समावेशन एवं डिजिटल सशक्तिकरण सुनिश्चित करने और डिजिटल विभाजन को दूर करने के साथ ही भारत को एक ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में बदलता और इसे एक डिजिटल संपन्न समाज बनाना है। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय ने सभी तबकों का डिजिटल समावेशन सुनिश्चित करते हुए लोगों के जीवन में बदलाव लाने के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी का प्रभावी तौर पर उपयोग किया गया है। सरकार हमारे नागरिकों को सबसे कम समय में किफायती एवं कुशल तरीके से शासन एवं सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
o आधार के माध्यम से सरकार ने 30 नवंबर 2018 तक देश में वयस्क आबादी के 99% कवरेज के साथ 122.9 करोड़ निवासियों को डिजिटल पहचान प्रदान की है। इससे पहले आबादी के एक उल्ल्ोखनीय हिस्से, विशेष रूप से आर्थिक रूप से गरीब एवं ग्रामीण, महिलाओं एवं बच्चों, के पास कोई पहचान पत्र नहीं था जिससे वे एक सेवाओं का लाभ उठा सकते थे। आधार ने लोगों को सरकारी की ओर से जारी आईडी कार्ड दिया है जिसका सत्यापन कहीं भी किसी भी समय किया जा सकता है। डिजिटल लॉकर, ईसाइन और डिजिटल भुगतान के विभिन्न तरीकों के साथ आधार आम लोगों के लिए सेवाएं अपने मोबाइल पर प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त किया है जबकि पहले उन्हें तमाम सरकारी कार्यालयों का चक्कर लगाना पड़ता था।
o डिजिटल भुगतान
· डिजिटल भुगतान वातावरण में वृद्धि होने से अर्थव्यवस्था में बदलाव होना तय है।
· भीम-यूपीआई और भीम-आधार जैसी भारत की अनोखी भुगतान प्रणाली को वैश्विक स्तर पर मान्यता दी गई है।
· पिछले चार वर्षों के दौरान डिजिटल भुगतान में कई गुना वृद्धि हुई है। वर्ष 2014-15 में यह 316 करोड़ लेनदेन था जो 2017-18 में बढ़कर 2,071 करोड़ लेनदेन तक पहुंच गया। आज भीम ऐप रकम भेजने और प्राप्त करने के अलावा विभिन्न यूटिलिटी बिलों के भुगतान के लिए प्रमुख डिजिटल भुगतान साधन बन गया है। नवंबर 2018 में भीम ऐप के जरिये 7,981 करोड़ रुपये मूल्य के 173 लाख लेनदेन किए गए।
विमुद्रीकरण के बाद प्रति महीने डिजिटल भुगतान की संख्या (आंकड़े करोड़ में)
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डिजिटल भुगतान का माध्यम
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अक्टूबर 2016
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नवंबर 2018
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% वृद्धि
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मोबाइल वॉलेट
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9.96
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36.84 (अक्टूबर2018)
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270%
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यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस + भीम + यूएसएसडी
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0.01
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52.49
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524800%
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डेबिट कार्ड
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14.06
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39.34 (अक्टूबर2018)
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180%
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तत्काल भुगतान प्रणाली (आईएमपीएस)
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4.21
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14.99
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256%
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आधार समर्थ भुगतान प्रणाली
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2.57
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13.71
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433%
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o मोबाइल एवं स्मार्टफोन के विकास ने सेवाओं की डिजिटल डिलिवरी के लिए एक माहौल तैयार किया है। जनधन बैंक खाते, मोबाइल फोन और आधार के जरिये डिजिटल पहचान के मेल से गरीबों को सीधे अपने बैंक खाते में लाभ प्राप्त करने में मदद मिली है। पिछले चार वर्षों के दौरान 433 सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों के बीच आधार आधारित डीबीटी के माध्यम से कुल 5.49 लाख करोड़ रुपये वितरित किए गए जिससे फर्जी दावेदारों को हटाकर 90,000 करोड़ रुपये की बचत हुई है।(1)
o डिजिटल भुगतान के विकास में मोबाइल फोन ने भी काफी बढ़ावा दिया है। पिछले चार वर्षों के दौरान डिजिटल भुगतान लेनदेन में कई गुना वृद्धि हुई है। भीम ऐप रकम भेजने, प्राप्त करने और विभिन्न यूटिलिटी बिलों के भुगतान के लिए प्रमुख डिजिटल भुगतान साधन बन गया है। इस प्रवृत्ति की व्याख्या निम्नलिखित तालिका के माध्यम से की जा सकती है:
क्रम संख्या
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माध्यम
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नवंबर, 2016
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अक्टूबर, 2018
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1
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भीम/यूपीआई
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1000 / दिन
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160.79 लाख / दिन
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2
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मोबाइल वॉलेट
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46.03 लाख / दिन
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122.82 लाख / दिन
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3
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डेबिट कार्ड
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78.83 लाख / दिन
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131.13 लाख / दिन
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o आम लोगों के लिए डिजिटल डिलिवरी सर्विस अब डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिये आसानी से उपलब्ध हैं, जैसे:
§ नेशनल स्कॉलर्शिप पोर्टल: पिछले तीन शैक्षणिक वर्षों (2015-18) में नेशनल स्कॉलर्शिप पोर्टल को 3.57 करोड़ आवेदन प्राप्त हुए और 1.8 करोड़ छात्रों के बीच 5,276 करोड़ रुपये वितरित किए गए।
· जीवन प्रमाण ने आधार डिजिटल पहचान के उपयोग से पेंशनभोगियों के सत्यापन में सुगमता को बेहतर किया है। इसे 10 नवंबर 2014 को शुरू किया गया था और उसके बाद से अब तक 239.24 लाख पेंशनभोगियों ने जीवन प्रमाण पत्र जमा किए हैं। अब तक 1.73 करोड़ डीएलसी प्रॉसेस किए जा चुके हैं। चालू वर्ष में 1 नवंबर 2018 से 62.58 लाख पेंशनभोगियों ने जीवन प्रमाण पत्र जमा किए।
§ डिजिलॉकर नागरिकों को उनके दस्तावेजों को इलेक्ट्रॉनिक तौर पर सुरक्षित रखने और उचित अनुमति दिए जाने के बाद सेवा प्रदाताओं को इलेक्ट्रॉनिक तरीके से दस्तावेज साझा करने के लिए मुफ्त में असीमित डिजिटल स्पेस मुहैया कराने वाले एक प्लेटफॉर्म के तौर पर काम करता है। अब तक 1.69 करोड़ से अधिक पंजीकृत उपयोगकर्ता, 68 से अधिक जारीकर्ता, 27 से अधिक अनुरोधकर्ताओं को डिजिलॉकर ने एक ही प्लेटफॉर्म पर 347 करोड़ से अधिक डिजिटल प्रमाण पत्रों तक पहुंच सुनिश्चित किया है।
§ जीईएम: 31,212 क्रेता संगठन, 170,062 विक्रेता एवं सेवा प्रदाता।(2)
§ मृदा स्वास्थ्य कार्ड: 9.5 करोड़ कार्ड बने
- चक्र 1 - 10.73 करोड़ से अधिक कार्ड भेजे गए।
- चक्र 2 - 6.20 करोड़ से अधिक कार्ड भेजे गए।
§ ईएनएएम: 30 नवंबर 2018 तक करीब 1.35 करोड़ पंजीकृत किसान।(3) 16 राज्यों एवं 2 केंद्र शासित प्रदेशों के 585 बाजार ईएनएएम नेटवर्क से जुड़ चुके हैं। (4)
o लोगों को शासन की आसान पहुंच सुनिश्चित करने और उन्हें उच्च गुणवत्ता की डिजिटल डिलीवरी सेवा प्रदान करने के लिए सरकार ने उमंग यानी यूएमएएनजी (यूनिफाइड मोबाइल एप्लिकेशन फॉर न्यू एज गवर्नेंस) प्लेटफॉर्म तैयार किया है जो नागरिकों को उनके मोबाइल फोन के माध्यम से विभिन्न सरकारी सेवाओं तक पहुंचने में समर्थ बनाता है। यूएमएएनजी पर 19 दिसंबर 2018 तक 325 सेवाएं, 17 राज्यों के 72 आवेदन को उपलब्ध थे।
o सामान्य सेवा केंद्र (सीएससी) किफायती तरीके से ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के दरवाजे पर ईसेवा ला रहे हैं। ये बदलाव एजेंटों के रूप में मौजूद हैं जो ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देते हैं और ग्रामीण क्षमता एवं आजीविका का निर्माण करते हैं। वर्तमान में ग्राम पंचायत स्तर सहित लगभग 3.05 लाख सीएससी कार्यरत हैं, जबकि ग्राम पंचायत स्तर पर 2.11 लाख सीएससी कार्यरत हैं और वे 350 से अधिक डिजिटल सेवाएं मुहैया करा रहे हैं। सीएससी डिजिटल सशक्तिकरण केंद्र बन गए हैं जो डिजिटल साक्षरता में सक्रिय भागीदारी कर रहे हैं। इन सेवाओं में शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और प्रमाणपत्र से संबंधित सेवाएं शामिल हैं। सीएससी के माध्यम से महिला वीएलई डिजिटल इंडिया मूवमेंट में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। सरकार महिला उद्यमियों को प्रोत्साहित कर रही है। सरकार स्वयं-सहायता समूह के सदस्यों को आम सेवा केंद्र स्थापित करने और राष्ट्र के निर्माण में योगदान के लिए उन्हें सशक्त बनाने के उद्देश्य से वीएलई बनने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
o ई-टीएएएल (इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन एग्रीगेशन एंड एनालिटिक्स लेयर): विभिन्न ई-गवर्नेंस सेवाओं में इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन (ई-ट्रांजेक्शन) में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इसकी शुरुआत के बाद 9 दिसंबर 2018 तक 8,718.65 करोड़ ई-लेनदेन दर्ज किए गए जबकि वित्त वर्ष 2017-18 में नवंबर तक 3,085.13 करोड़ लेनदेन दर्ज किए गए थे। वर्तमान में ई-टीएएएल के तहत देश भर में 3,646 ई-सेवाओं को एकीकृत किया है।
o ई-डिस्ट्रिक्ट मिशन मोड प्रोजेक्ट (एमएमपी): ई-डिस्ट्रिक्ट एक मिशन मोड प्रोजेक्ट (एमएमपी) है जिसका उद्देश्य पहचान की गई उच्च मात्रा वाली नागरिक केंद्रित सेवाओं की जिला या उप-जिला स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक डिलिवरी सुनिश्चित करना है। ई-डिस्ट्रिक्ट परियोजना का उद्देश्य सेवाओं की बिजनेस प्रॉसेस री-इंजीनियरिंग (बीपीआर) के जरिये कहीं भी और किसी भी समय सरकारी सेवाओं तक आसान पहुंच के लिए आद्योपांत कार्य प्रवाह सुनिश्चित करना है। वर्तमान में 33 राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों के कुल 721 जिलों में से 687 जिलों में नागरिकों के लिए 2,651 से अधिक ई-सेवाएं उपलब्ध हैं।
o डिजिटाइज्ड इंडिया प्लेटफॉर्म (डीआईपी): डिजिटाइज्ड इंडिया प्लेटफॉर्म (डीआईपी) डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत भारत सरकार की एक पहल है। यह किसी भी संगठन के लिए स्कैन किए गए दस्तावेजों या भौतिक दस्तावेजों के लिए डिजिटलीकरण सेवाएं प्रदान करती है। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य सरकारी अभिलेखों के डिजिटलीकरण के लिए आईटी ढांचा आधारित आद्योपांत कार्य प्रवाह सुनिश्चित करना है ताकि नागरिकों के लिए सेवाओं की डिलिवरी बेहतर की जा सके और विभिन्न स्वयंसेवकों, अंशकालिक श्रमिकों, गृहिणियों, छात्रों एवं आम जनता को सशक्त बनाया जा सके। ये बेहतर परिणाम हासिल करने के लिए क्राउड सोर्सिंग ढांचे के जरिये अपना योगदान करते हैं। 30 नवंबर 2018 तक कुल 5.10 लाख योगदानकर्ताओं को डीआईपी के तहत पंजीकृत किया गया और इसके परिणामस्वरूप 1.06 करोड़ से अधिक दस्तावेज एवं 3.91 करोड़ स्निपेट डिजिटलीकृत किए गए हैं।
o रैपिड असेसमेंट सिस्टम (आरएएस): भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा डिलिवर की गई ई-सेवाओं पर निरंतर प्रतिपुष्टि प्रणाली। नागरिक आरएएस का उपयोग कर विभिन्न चैनलों- वेब पोर्टल,मोबाइल ऐप और एसएमएस के माध्यम से अपनी प्रतिपुष्टि दे सकता है। आरएएस के तहत स्थानीय भाषाओं- हिंदी, गुजराती, बंगाली, कन्नड़, मलयालम, मराठी, पंजाबी, तमिल और तेलुगू- में स्थानीयकृत फीडबैक फॉर्म उपलब्ध कराए गए हैं। वर्तमान में आरएएस देश भर में 283 विभागों की 1,645 ई-सेवाओं के साथ एकीकृत है। इस पर 9 दिसंबर 2018 तक 6.72 करोड़ प्रतिपुष्टि अनुरोध भेजे गए।
o ओपन गवर्नमेंट डेटा (ओजीडी): ओपन गवर्नमेंट डेटा (ओजीडी) प्लेटफॉर्म इंडिया (https://data.gov.in) की स्थापना भारत की ओपन डेटा नीति के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय के अधीन नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) द्वारा की गई है। इस नीति का उद्देश्य साझा करने योग्य सरकारी डेटा तक इससे संबंधित तमाम सरकारी कानूनों, नियमों एवं नीतियों के दायरे में सक्रिय पहुंच सुनिश्चित करना है। देश भर में व्यापक नेटवर्क के जरिये डेटा को खुले/ मशीन द्वारा पठनीय प्रारूप में उपलब्ध कराया जा रहा है जिसे समय-समय पर अद्यतन भी किया जाता है। हाल में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय द्वारा भारत के ओपन गवर्नमेंट डेटा लाइसेंस को अनुमोदित किया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जारी किए गए डेटा सेट का दुरुपयोग या गलत व्याख्या (उदाहरण के लिए, विशेष तौर पर जोर देते हुए) न की जा सके और सभी उपयोगकर्ताओं को डेटा के इस्तेमाल के लिए समान एवं स्थायी अधिकार दिए गए हैं। इस लाइसेंस को भारत के राजपत्र में 13 फरवरी 2017 को अधिसूचित किया गया। 9 दिसंबर 2018 तक ओजीडी इंडिया पर 2,42,413 डेटासेट उपलब्ध थे जिसमें 142 मंत्रालय/ विभागों द्वारा 4,438 कैटलॉग, 1,539विजुअलाइजेशन, 8,448 ऐप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई) बनाए गए। डेटा जारी करने के लिए कुल 204 मुख्य डेटा अधिकारी नामित किए गए हैं। ओजीडी इंडिया को अब तक 1.975 करोड़ बार देखा गया और वहां से 63.5 लाख डेटासेट डाउनलोड किए गए हैं।
- माईजीओवी एक नागरिक केंद्रित डिजिटल सहकार्यता प्लेटफॉर्म है जो लोगों को सरकार से जुड़ने और सुशासन में योगदान करने के लिए सशक्त बनाता है। इसे 26 जुलाई 2014 को शुरू किया गया और पहले वर्ष इसके उपयोगकर्ताओं की संख्या महज 8.74 लाख थी लेकिन आज माईजीओवी के 64 समूहों के तहत 71 लाख से अधिक सक्रिय उपयोगकर्ता हैं जो 790 परिचर्चा समूहों के जरिये अपने विचार रखते हैं। वर्ष 2016 में 36 लाख सक्रिय उपयोगकर्ताओं ने 794 निर्धारित कार्यों के जरिये इसमें भाग लिया।
- राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (एनकेएन): एनकेएन का उद्देश्य ज्ञान साझा करने और सहयोगात्मक शोध सुनिश्चित करने के लिए उच्च शिक्षा एवं अनुसंधान के सभी संस्थानों को हाई स्पीड डेटा संचार नेटवर्क के साथ एक दूसरे से जोड़ना है। अब तक संस्थानों के लिए 1,675 लिंक चालू किए गए हैं। इसमें सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (एनएमईआईसीटी) के माध्यम से शिक्षा पर राष्ट्रीय मिशन के तहत संस्थानों के 388 लिंक शामिल हैं जिन्हें एनकेएन पर स्थानांतरित कर दिया गया है।
o देश भर के विभिन्न जिलों को जोड़ने के लिए एनकेएन के तहत 498 जिला लिंकों का परिचालन शुरू हो चुका है।
o एनकेएन कनेक्टिविटी का दायरा 33 राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों में एसडब्ल्यूएएन तक और 30 राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों में एसडीसी तक बढ़ा दिया गया है।
o एनकेएन उन ग्राहकों के लिए डीडीओएस (डिस्ट्रिब्यूटेड डेनायल ऑफ सर्विस) द्वारा प्रबंधित सुरक्षा सेवा उपलब्ध कराता है जो डीडीओएस के हमले से अपनी सेवाओं को बचाने के लिए एनकेएन से जुड़े हैं।
o राष्ट्रीय स्तर पर अपनी मौजूदगी को सुदृढ़ करते हुए एनकेएन अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी में सुधार करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है ताकि भारतीय शोधकर्ताओं एवं छात्रों को वैश्विक शोध एवं शिक्षा समुदाय तक पहुंच सुनिश्चित हो सके। एनकेएन ने एशिया प्रशांत में एशिया@कनेक्ट, यूरोप में जीईएएनटी, अमेरिका में इंटरनेट2, श्रीलंका में एलईएआरएन और नॉर्डिक देशों यानी डेनमार्क,आइसलैंड, नॉर्वे, स्वीडन एवं फिनलैंड में एनओआरडीयूनेटट जैसे अनुसंधान एवं शैक्षणिक नेटवर्क्स (आरईएन) के साथ साझेदारी की है। इसके अलावा एनकेएन ने गूगल, अकामाई, माइक्रोसॉफ्ट और फेसबुक जैसी सामग्री प्रदाताओं के साथ भी साझेदारी की है।
o एनकेएन ने एम्स्टर्डम, सिंगापुर और जेनेवा में अपना अंतर्राष्ट्रीय पीओपी भी चालू कर दिया है।
- डिजिटल साक्षरता विशेष तौर पर ग्रामीण भारत के संदर्भ में एक सशक्त समाज के निर्माण के लिए सरकार के दृष्टिकोण का एक मुख्य हिस्सा है। यह स्वास्थ्य की देखभाल, आजीविका के साधनों का सृजन और शिक्षा के क्षेत्रों में कई सामाजिक-आर्थिक समस्याओं को एक साथ दूर करेगा। डिजिटल विभाजन को पाटने के लिए सरकार द्वारा प्रधानमंत्री डिजिटल साझरता अभियान (पीएमजीडीआईएसएचए) शुरू किया गया है। इसके तहत ग्रामीण इलाकों में करीब 1.62 करोड़ लाभार्थियों को नामांकित किया गया है और 1.58 करोड़ लोगों को प्रशिक्षण दिया गया है। पीएमजीडीआईएसएचए के तहत कुल 6 करोड़ लाभार्थियों को प्रशिक्षित किया जाएगा।
- इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय रोजगार के अवसर सृजित करने, आईटी-आईटीईएस उद्योग को बढ़ावा देने और संतुलित क्षेत्रीय विकास सुनिश्चित करने के लक्ष्य के साथ छोटे शहरों में बीपीओ अभियान चला रहा है। बीपीओ प्रोत्साहन योजना के तहत 163 कंपनियों को 45, 840 सीटों का आवंटन किया गया है। परिणामस्वरूप 20 राज्यों और 2 केंद्रशासित प्रदेशों में 110 जगहों पर 240 इकाइयां स्थापित की गई हैं। बीपीओ स्थानीय उद्यमियों को बढ़ावा देते हुए महिलाओं एवं दिव्यांग जनों के लिए रोजगार के अवसर सृजित कर रहे हैं। बीपीओ का परिचालन कई जगहों पर शुरू हो चुका है जिनमें जम्मू-कश्मीर में भद्रवाड़ा, बडगाम, जम्मू, सोपोर एवं श्रीनगर, पूर्वोत्तर क्षेत्र में गुवाहाटी, कोहिमा एवं इंफाल, हिमाचल प्रदेश में बद्दी एवं शिमला, बिहार में पटना एवं मुजफ्फरपुर,ओडिशा में जलेश्वर शामिल हैं।
- भारत सरकार इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर विनिर्माण को उच्च प्राथमिकता देती है और यह सरकार के 'मेक इन इंडिया' और 'डिजिटल इंडिया' दोनों कार्यक्रमों का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। मेक इन इंडिया पहल के तहत मोबाइल फोन एवं कलपुर्जा विनिर्माण एक प्रमुख क्षेत्र के रूप में उभरा है।
o मोबाइल फोन विनिर्माण में वृद्धि: मोबाइल फोन का उत्पादन करीब 29% बढ़कर 22.5 करोड़ फोन हो गया जबकि पिछले साल 17.5 करोड़ मोबाइल फोन का उत्पादन हुआ था। एक अनुमान के अनुसार,मोबाइल फोन एवं पुर्जो/उपकरण की विनिर्माण इकाइयों में लगभग 6.7 लाख लोग (प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से) कार्यरत हैं।
§ उत्पादन के लिहाज से 29% का उछाल: मोबाइल फोन का उत्पादन वर्ष 2017-18 में 29% बढ़कर 22.5 करोड़ फोन हो गया जबकि वर्ष 2016-17 में 17.5 करोड़ मोबाइल फोन का उत्पादन हुआ था।
§ देश में लगभग 268 विनिर्माण इकाइयों में सेलुलर मोबाइल फोन और पुर्जो/उपकरणों का विनिर्माण हो रहा है।
§ मोबाइल फोन एवं पुर्जो/उपकरणों की निर्माण इकाइयों में लगभग 6.7 लाख व्यक्तियों को (प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से) रोजगार मिला है।
o संशोधित विशेष प्रोत्साहन पैकेज योजना (एमएसआईपीएस): इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण में अक्षमता को दूर करने और निवेश आकर्षित करने के लिए संशोधित विशेष प्रोत्साहन पैकेज योजना (एमएसआईपीएस) के तहत नई इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण इकाई की स्थापना अथवा मौजूदा इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण इकाई में क्षमता विस्तार के लिए पूंजीगत व्यय में निवेश के लिए 20-25% सब्सिडी प्रदान की गई है। यह प्रोत्साहन इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों एवं उपकरणों की 44 श्रेणियों के लिए उपलब्ध हैं। नवंबर 2018 तक कुल 6,82, 820 करोड़ रुपये के निवेश परिव्यय के साथ 272 सक्रिय आवेदन प्राप्त हुए हैं। इनमें से अब तक 190 आवेदनों को 41,341 करोड़ रुपये के कुल प्रस्तावित निवेश के साथ अनुमोदित किया गया है। इसके अलावा 144 इकाइयों में से 127 इकाइयों में उत्पादन शुरू हो चुका है। इन 127 इकाइयों ने कुल 64,000 रोजगार (प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष) सृजित किए हैं और सरकार को 8,211 करोड़ रुपये का कर भुगतान किया है। दो ऐसी मेगा परियोजनाएं हैं जहां 1 अरब अमेरिकी डॉलर यानी करीब 37,576 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित है। ये मेगा परियोजनाएं फिलहाल आकलन के प्रारंभिक चरण में हैं। अब तक 38 आवेदकों को 330 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन दिए गए हैं और 331 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन 33 दावे पर प्रक्रिया चल रही है।
o इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर (ईएमसी) योजना: ईएमसी इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन एवं विनिर्माण (ईएसडीएम) क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा तैयार करने में मदद करती है। इस योजना के तहत ग्रीनफील्ड इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर स्थापित करने के लिए 20 आवेदनों को और ब्राउनफील्ड क्लस्टर में सामान्य सुविधा केंद्र स्थापित करने के लिए 3 आवेदनों को अंतिम मंजूरी दी गई है। इन्हें देश के 15 राज्यों में 3,898 करोड़ रुपये की लागत से 3,565 एकड़ के क्षेत्र में स्थापित किए जाएंगे। इन ईएमसी द्वारा 54,800 करोड़ के निवेश आकर्षित किए जाने और लगभग 6.43 लाख रोजगार के अवसर सृजित होने का अनुमान है। फिलहाल 121 इकाइयों ने अपने विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने के लिए इन ईएमसी के भीतर भूमि की बुकिंग कराई है। जबकि 16 इकाइयों ने 4,366 करोड़ रुपये के निवेश के साथ वाणिज्यिक उत्पादन भी शुरू कर दिया है और ये 8,221 लोगों को रोजगार प्रदान कर रहे हैं।
o इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट फंड: एक संपन्न इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग के लिए नवाचार, उद्योग की सक्रिय भागीदारी के साथ अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) का एक जीवंत माहौल बनाना आवश्यक है। इसी उद्देश्य के साथ इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट फंड (ईडीएफ) की स्थापना 'फंड ऑफ फंड्स' के तौर पर की गई ताकि व्यावसायिक रूप से प्रबंधित 'डॉटर फंड्स' में भागीदारी की जा सके। बदले में यह 'डॉटर फंड्स' इलेक्ट्रॉनिक्स, नैनो इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के क्षेत्र में नई प्रौद्योगिकी विकसित करने वाली कंपनियों को जोखिम पूंजी प्रदान करेगा। केनरा बैंक की 100% हिस्सेदारी वाली सहायक कंपनी केनबैंक वेंचर कैपिटल फंड्स लिमिटेड (सीवीसीएफएल) निवेश प्रबंधक है और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय ईडीएफ का प्रमुख निवेशक है। वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही के अंत में ईडीएफ ने छह डॉटर फंडों में 53.52 करोड़ रुपये का निवेश किया और इसके बदले इन फंडों ने 47 वेंचर्स/ स्टार्टअप में 177.37 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इन स्टार्टअप से प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष तौर पर कुल लगभग 4,200 रोजगार के अवसर सृजित हुए।
o इंडियन कंडिशनल एक्सेस सिस्टम (आईसीएएस) का विकास एवं कार्यान्वयन: प्रसारण क्षेत्र की व्यापक स्वदेशी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए आईसीएएस नाम से कंडिशनल एक्सेस सिस्टम विकसित की जा रही है ताकि सेट टॉप बॉक्स (एसटीबी) के स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा दिया जा सके। आईसीएएस के साथ 14,00,000 से अधिक एसटीबी 150 से अधिक ऑपरेटरों को दिए गए हैं। दूरदर्शन अपना डिश डीटीएच प्लेटफॉर्म को अपग्रेड करने के लिए इस तकनीक का फायदा उठा रहा है।
o शुल्क दर ढांचे को तर्कसंगत बनाना: इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए शुल्क दर ढांचे को तर्कसंगत बनाया गया है। इन इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं सेल्युलर मोबाइल हैंडसेट, टेलीविज़न, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, सेट टॉप बॉक्स, एलईडी उत्पाद, मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स, माइक्रोवेव अवन इत्यादि शामिल हैं। सेल्युलर मोबाइल हैंडसेट्स और सब-असेंबली/ कलपुर्जो/ सहायक उपकरण के स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए एक चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (पीएमपी) लागू किया जा रहा है।
परिणामस्वरूप वर्ष 2016-17 में एलसीडी/ एलईडी टीवी का उत्पादन 1.5 करोड़ सेट से बढ़कर 2017-18 में 1.6 करोड़ सेट हो गया है। लाइट एमिटिंग डायोड (एलईडी) उत्पाद का उत्पादन मूल्य 2016-17 में 7,134 करोड़ रुपये था जो बढ़कर 2017-18 में 9,630 करोड़ रुपये हो गया।
o सार्वजनिक खरीद (मेक इन इंडिया को प्राथमिकता) आदेश 2017: सरकार ने आय एवं रोजगार में वृद्धि के मद्देनजर 'मेक इन इंडिया' को प्रोत्साहित करने और भारत में वस्तुओं एवं सेवाओं के विनिर्माण एवं उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक खरीद (मेक इन इंडिया को प्राथमिकता) आदेश 2017 जारी किया है।
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय ने उपर्युक्त आदेश 11 इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों जैसे डेस्कटॉप पीसी, लैपटॉप पीसी, टैबलेट पीसी, डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर, कॉन्टैक्ट एवं कॉन्टैक्टलेस स्मार्ट कार्ड, एलईडी उत्पाद, बॉयोमीट्रिक एक्सेस कंट्रोल/ प्रमाणीकरण उपकरण, बॉयोमीट्रिक फिंगर प्रिंट सेंसर, बायोमेट्रिक आईरिस सेंसर, सर्वर और सेलुलर मोबाइल फोन के लिए क्रमश: अधिसूचना संख्या 33(1)/ 2017-आईपीएचडब्ल्यू दिनांक 14.09.2017 और अधिसूचना संख्या 33(5)/ 2017-आईपीएचडब्ल्यू दिनांक 01.08.2018 के तहत अधिसूचित किया है। इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद अधिसूचना से वस्तु एवं प्रौद्योगिकी के प्रवाह को प्रोत्साहित करने, रोजगार के अवसर पैदा करने, देश में विनिर्मित इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों में उच्च मूल्यवृद्धि को बढ़ावा देने और आयात पर निर्भरता को कम करने में मदद मिलेगी।
o इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी वस्तु (अनिवार्य पंजीकरण के लिए आवश्यकताएं) आदेश, 2012: भारतीय उपभोक्ताओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए और घटिया इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के प्रवाह को रोकने के लिए 'इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी वस्तु (अनिवार्य पंजीकरण के लिए आवश्यकताएं) आदेश, 2012 को बीआईएस अधिनियम, 1986 की अनिवार्य पंजीकरण योजना के प्रावधानों के तहत 3 अक्टूबर 2012 को अधिसूचित किया गया था। यह आदेश 3 जुलाई 2013 से लागू हुआ। अब तक 44 उत्पाद श्रेणियों को इस आदेश के तहत जोड़ा गया है और सभी अधिसूचित उत्पादों/ मानकों के लिए यह आदेश प्रभावी हो चुका है।
आईएस 16333 (भाग 3) के अनुसार मोबाइल फोन के लिए भारतीय भाषा समर्थन को 24 अक्टूबर 2016 को इस आदेश के अनुसूची में जोड़ा गया है। मानक अंग्रेजी, हिंदी और कम से कम एक अतिरिक्त आधिकारिक भारतीय भाषा में टेक्स्ट इनपुट करने की सुविधा और इन भाषाओं को सपोर्ट करने वाली सभी 22 भारतीय आधिकारिक भाषाओं एवं लिपियों के लिए फोन में पढ़ने की सुविधा के साथ यह आदेश 1 मई 2018 से प्रभावी है।
अनिवार्य पंजीकरण योजना के परिणामस्वरूप भारतीय सुरक्षा मानकों के लिए अधिसूचित इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं का अनुपालन बेहतर हुआ है और लगभग 75,000 उत्पाद मॉडलों/ श्रृंखलाओं को कवर करने वाली विनिर्माण इकाइयों को बीआईएस द्वारा 15,000 से अधिक पंजीकरण आवंटित गए हैं।
- स्वास्थ्य सेवा, कृषि, ऊर्जा एवं पर्यावरण, परिवहन, बचाव एवं सुरक्षा, संचार एवं कंप्यूटिंग में इलेक्ट्रॉनिक्स के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स एंड हेल्थ इन्फॉर्मेटिक्स (एमई एंड एचआई), इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन एंड एप्लिकेशन (ईएसडीए), इलेक्ट्रॉनिक्स मेटेरियल एंड कंपोनेंट डेवलपमेंटट (ईएमसीडी), माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट, नैनोटेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में नैनो इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कंप्यूटर सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करते हुए आरएंडडी परियोजनाएं शुरू की गई हैं। वर्ष 2018 की प्रमुख उपलब्धियां इस प्रकार हैं -
o एससीएल मोहाली के 180 एनएम प्रौद्योगिकी नोड पर ओपन सोर्स इंस्ट्रक्शन सेट आर्किटेक्चर (आईएसए) फैब्रिकेटेड के सफलतापूर्वक इस्तेमाल से आईटी मद्रास द्वारा 64-बिट माइक्रोप्रोसेसर को डिजाइन एवं विकसित किया गया और आईआईटी बॉम्बे द्वारा 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर को डिजाइन किया गया।
o कैंसर के इलाज के लिए चार 6 एमवी एलआईएनएसी विकसित किए गए हैं। उनमें से तीन इंदौर के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हेड एंड नेक ओन्कोलॉजी, अमरावती के अमरावती कैंसर फाउंडेशन और चिपलुन के बीकेएल वालवाल्कर अस्पताल में तैनात किए गए हैं। इन मशीनों पर प्रतिदिन औसतन 30 रोगियों का इलाज किया जा रहा है। यह प्रौद्योगिकी उद्योग को स्थानांतरित कर दी गई है।
o दिव्यांगों के लिए टैक्टाइल ग्राफिक्स यानी स्पर्श चित्रों के विकास के लिए आईआईटी दिल्ली में टैक्टाइल ग्राफिक्स पर उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किया गया है। टैक्टाइल ग्राफिक्स दृष्टिहीन बच्चों के लिए ग्रेड 6 से 10 के लिए विज्ञान एवं गणित, भारतीय मानचित्र पुस्तक आदि पाठ्य पुस्तकों के लिए बनाए गए हैं। टेक्टाइल ग्राफिक्स के उत्पादन के लिए 'टेक्टाइल ग्राफिक्स में उत्कृष्टता केंद्र'परियोजना के तहत एक स्टार्टअप कंपनी तैयार की जा रही है।
o नैनोइलेक्ट्रॉनिक्स सेटअप में उत्कृष्टता केंद्र के तहत विभिन्न डिवाइस विकसित किए गए हैं अथवा विकसित किए जा रहे हैं।
o लोगों के व्यक्तिगत स्वास्थ्य रिकॉर्ड के भंडारण के लिए हेल्थ रिकॉर्ड मैनेजमेंट सिस्टम (पीएचआरएमएस) एप्लिकेशन को डिजाइन किया गया है। इस प्रणाली को राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल सर्वर पर तैनात किया गया है।
o विशेषीकृत जनशक्ति सृजन-
§ सिस्टम-ऑन-चिप/ सिस्टम के विकास और वीएलएसआई डिजाइन के क्षेत्र में विशेषीकृत जनशक्ति के सृजन के उद्देश्य से एक व्यापक कार्यक्रम 'सपेशल मैनपावर डेवपमेंट प्रोग्राम इन चिप्स टू सिस्टम डिजाइन (एसएमडीपी- सी2एसडी)' शुरू किया गया है। पिछले 3 वर्षों में 28,000 विशेषीकृत जनशक्ति सृजित किए गए और 70 एप्लिकेशन स्पेसिफिक इंटीग्रेटेड सर्किट (एएसआईसी) और 30 फील्ड प्रोग्राममेबल गेट ऐरे (एफपीजीए) आधारित बोर्ड स्तर के डिजाइन के विकास के लिए 15 परियोजनाएं शुरू की गईं। 60 संस्थानों में अत्याधुनिक वीएलएसआई डिजाइन प्रयोगशालाएं स्थापित की गईं। एससीएल मोहाली एवं अन्य फाउंड्री में लगभग 30 चिप्स फैब्रिकेटेड बनाए गए।
§ आईआईएससी, बैंगलोर और आईआईटी बॉम्बे में स्थापित आरएंडडी केंद्रों का उपयोग करते हुए नैनोइलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में विशेष शोध जनशक्ति को प्रशिक्षित करने के लिए एक संयुक्त कार्यक्रम 'इंडियन नैनोइलेक्ट्रॉनिक्स यूजर्स प्रोग्राम (आईएनयूपी)' शुरू किया गया है। देश भर के शोधकर्ता अपने विचारों को अवधारणा के आधार पर स्त्यापित करने के लिए इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। इस कार्यक्रम के तहत लगभग 410 प्रकाशन और 30 पेटेंट किए गए हैं।
o साइबर जगत को सुरक्षित करने के लिए निम्नलिखित प्रमुख पहल की गई हैं-
§ देश में मालवेयर/ बोटनेट से संक्रमित सिस्टम की पहचान करने और अंतिम उपयोगकर्ता तक सिस्टम की सफाई एवं सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा फरवरी 2017 में साइबर स्वच्छता केन्द्र (बोटनेट क्लीलिंग एंड मालवेयर एनालिसिस सेंटर) शुरू किया गया है। साथ ही आगे मालवेयर संक्रमण से बचाव के लिए अंतिम उपयोगकताओं को वेब पोर्टल के जरिये मुफ्त में बोट रीमुवल टूल उपलब्ध कराया गया है।
§ वर्ष 2017 में 4,78,508 मुफ्त बोट रीमुवल टूल डाउनलोड किए गए। वर्ष 2018 में डाउनलोड किए गए मुफ्त बोट रीमुवल टूल की संख्या 8,18,910 है।
§ सरकार ने मौजूदा एवं संभावित साइबर सुरक्षा खतरों के प्रति आवश्यक परिस्थितिजन्य जागरूकता फैलाने और संस्थानों द्वारा व्यक्तिगत तौर पर समय पर सूचना साझा करने में तत्परता, सुरक्षात्मक पहल करने के लिए राष्ट्रीय साइबर समन्वय केंद्र (एनसीसीसी) की स्थापना की गई है। एनसीसीसी का पहला चरण चालू हो चुका है।
- यह सब सुनिश्चित करता है कि न्यूनतम सरकार अधिकतम शासन के उद्देश्य से नागरिकों के लिए जीवन सुगमता डिजिटल इंडिया का मूलमंत्र है। डिजिटल बदलाव में भारत को अग्रणी स्थिति में रखने के लिए इन सबने एक मजबूत नींव रखी है।
स्रोत:
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1 - https://dbtbharat.gov.in/
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2 - https://gem.gov.in/#
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3 - https://www.enam.gov.in/enam/dashboard/stakeholder-data
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4 - https://www.enam.gov.in/enam/stakeholders-Involved/Apmcs
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आरकेमीणा/एएम/एसकेसी
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