उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय
उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय
Posted On:
14 DEC 2018 2:20PM by PIB Delhi
वर्ष 2018 के लिए उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग की गतिविधियों की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
1. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 (एनएफएसए) का कार्यान्वयन
i. निरंतर प्रयास के कारण, देश के सभी 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 80.72 करोड़ लोगों के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 (एनएफएसए) को सार्वभौमिक रूप से लागू कर दिया गया है, जिसके परिणामस्वरूप खाद्यान्नों को अत्यधिक सब्सिडी वाले भाव से लोगों तक पहुंचाया जा रहा है, मोटे अनाज/ गेहूं/ चावल को क्रमशः 1/2/3 रुपये प्रति किलोग्राम की कीमत पर दिया जा रहा है।
ii. एनएफएसए के अंतर्गत अनाजों की कीमत का निर्धारण किया गया है- एनएफएसए के लागू होने के साथ, शुरूआती रूप में, तीन साल के लिए चावल के लिए 3 रुपये प्रति किलोग्राम, गेहूं के लिए 2 रुपये प्रति किलोग्राम और मोटे अनाज के लिए 1 रूपये प्रति किलोग्राम निर्धारित किए गए थे। इन दरों को समय-समय पर जून, 2018 तक बढ़ाया गया। अब इन्हें जून, 2019 तक के लिए बढ़ा दिया गया है।
iii. वित्तीय वर्ष 2018-19 (05.12.2018 तक) के दौरान, अंतर्राज्यीय गतिविधियों, खाद्यान्नों के संचालन और उचित मूल्य दुकान के डीलरों के लाभ के लिए होने वाले व्यय को पूरा करने के लिए केन्द्रीय सहायता के रूप में राज्य सरकारों को 2575 करोड़ रूपया जारी किया गया है। पहली बार इस प्रकार की व्यवस्था एनएफएसए के अंतर्गत की गई है। पहले टीपीडीएस के अंतर्गत, राज्य सरकारों को इस खर्च का वहन या तो स्वंय करना पड़ता था या इसे लाभार्थियों (एएवाई लाभार्थियों को छोड़कर) के उपर डाल देना पड़ता था।
2. टीपीडीएस संचालन का शुरू से लेकर अंत तक कंप्यूटरीकरण
i. राशन कार्ड/ लाभार्थी रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण होने के परिणामस्वरूप, आधार लिंकिंग के कारण डी-डुप्लिकेशंस, स्थानांतरण/ प्रवासन/ मौत, लाभार्थियों की आर्थिक स्थिति में परिवर्तन और एनएफएसए के संचालन और कार्यान्वयन के की प्रक्रिया में, वर्ष 2013 से लेकर 2017 तक (नवंबर 2017 तक) राज्यों/ संघ शासित प्रदेशों द्वारा कुल 2.75 करोड़ राशन कार्ड को समाप्त/ रद्द कर दिया गया है। इसके माध्यम से सरकार प्रति वर्ष लगभग 17,500 करोड़ रुपये की 'खाद्य सब्सिडी का उचित लक्ष्यीकरण' प्राप्त करने में सक्षम हो सकी है।
ii. लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के आधुनिकीकरण और उसमें पारदर्शिता लाने के लिए यह विभाग राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों के साथ मिलकर, लागत सहभागिता के आधार पर, 884 करोड़ रूपये की कुल लागत पर टीपीडीएस संचालन के लिए पूर्ण कंप्यूटरीकरण योजना को लागू कर रहा है। यह योजना राशन कार्ड और लाभार्थी रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधनों का कंप्यूटरीकरण, पारदर्शी पोर्टलों और शिकायत निवारण तंत्रों की स्थापना के लिए है।
iii. इस योजना के अंतर्गत मुख्य उपलब्धियां निम्नलिखित हैं: -
क्रम सं.
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योजनाबद्ध गतिविधि
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उपलब्धि
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1.
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राशन कार्ड/ लाभार्थियों के आंकड़ों का डिजिटाइजेशन
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सभी राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों में काम पूरा।
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2.
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अनाजों का ऑनलाइन आवंटन
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सभी राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों में काम पूरा, चंडीगढ़ और पुदूचेरी को छोड़कर जहां पर डीबीटी/ नकद हस्तांतरण योजना का प्रावधान है।
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3.
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आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन का कम्प्यूटरीकरण
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25 राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों में काम पूरा, और शेष राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों में काम प्रगति पर।
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4.
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पारदर्शी पोर्टल
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सभी राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों में स्थापना
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5.
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शिकायत निवारण सुविधाएं
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सभी राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों में टोल-फ्री हेल्पलाइन/ ऑनलाइन पंजीकरण की सुविधा उपलब्ध।
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iv. डुप्लिकेट/ अपात्र लाभार्थियों की पहचान करने और उन्हें बाहर करने और खाद्य सब्सिडी को उचित लक्षित उपभोक्ता तक पहुंचाने के लिए, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा लाभार्थियों के राशन कार्ड के साथ उनके आधार कार्ड के नंबर को जोड़ा जा रहा है। वर्तमान समय में, 85.61 प्रतिशत राशन कार्डों को जोड़ा जा चुका है।
v. इस योजना के अंतर्गत, प्रमाणीकरण और बिक्री लेनदेन के इलेक्ट्रॉनिक रखरखाव रिकॉर्ड के माध्यम से खाद्यान्नों के वितरण के लिए उचित दर दुकानों (एफपीएस) में इलेक्ट्रॉनिक बिक्री केंद्र (ईपीओएस) उपकरणों को लगाया जा रहा है। अब तक, 29 राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों में कुल 5.34 लाख एफपीएस में से 3.61 लाख एफपीएस में ईपीओएस उपकरण लगाए जा चुके हैं।
vi. राशन कार्ड की अंतर्राज्यीय पोर्टेबिलिटी: पीडीएस लाभार्थियों को अपने राज्य में किसी भी उचित दर की दुकान से अपने हिस्से का अनाज प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करने के लिए इस योजना को आंध्र प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, त्रिपुरा, केरल में पूर्ण रूप से तथा मध्य प्रदेश में आंशिक रूप से लागू कर दिया गया है।
vii. पीडीएस का एकीकृत प्रबंधन (आईएम-पीडीएस): सार्वजनिक वितरण प्रणाली नेटवर्क (पीडीएसएन) में राष्ट्रीय स्तर पर पोर्टेबिलिटी को लागू करने, केंद्रीय आंकड़ों का भंडारण और पीडीएस संचालन के लिए केंद्रीय निगरानी प्रणाली की स्थापना के लिए वित्त वर्ष 2018-19 और वित्त वर्ष 2019-20 के लिए एक नई केंद्रीय योजना का अनुमोदन किया गया है।
viii. ईपीओएस लेनदेन पोर्टल की शुरूआत: ईपीओएस उपकरणों के माध्यम से लाभार्थियों को सब्सिडी वाले खाद्यान्नों के वितरण को इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रदर्शित करने के लिए अन्नवितरण पोर्टल (www.annavitran.nic.in) की शुरूआत की गई है। यह पोर्टल जिला स्तर तक खाद्यान्नों के आवंटन और वितरण मात्रा के प्रदर्शन के साथ ही, लाभार्थियों के आधार प्रमाणीकरण की अखिल भारतीय तस्वीर को भी दिखाता है।
3. किसानों की सहायता
केएमएस 2017-18 के दौरान, 381.84 लाख मीट्रिक टन (चावल के संदर्भ में) की रिकॉर्ड मात्रा में खरीद की गई। केएमएस 2016-17 में यह 381.07 लाख मीट्रिक टन था। आरएमएस 2018-19 के दौरान, 357.95 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई, जो कि पिछले पांच वर्षों में सर्वाधिक है। आरएमएस 2017-18 में यह मात्रा 308.24 लाख मीट्रिक टन था।
4. खाद्यानों के प्रबंधन में सुधार
एफसीआई द्वारा, पूरे देश में एक साल में लगभग 40 मिलियन टन अनाज की ढुलाई की जाती है। रेल, सड़क, समुद्र, तटीय और नदी प्रणालियों के माध्यम से अनाज का स्थानांतरण किया जाता है। 2017-18 में, एफसीआई ने लक्षित 100 के मुकाबले 134 कंटेनर रेकों का स्थानांतरण किया है, जिससे माल ढुलाई के भाड़े में 662 लाख रुपये की बचत हुई है। 2018-19 के दौरान (15.10.2018 तक), 77 रेकों का स्थानांतरण किया जा चुका है, जिसके कारण माल ढुलाई के भाड़ें में लगभग 352 लाख रूपये की बचत हुई है।
5. वेयरहाउस डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी अथॉरटी (वडरा)
वेयरहाउस डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी अथॉरटी के माध्यम से गोदामों के पंजीकरण की प्रक्रिया को आसान बना दिया गया है। नए नियम से वरडा से पंजीकृत गोदामों की संख्या में बढ़ोत्तरी होगी। इससे किसानों को नेगोशिएबल वेयरहाउस रसीद (एनडब्लूआर) प्रणाली के माध्यम से जमानती वित्त प्राप्त करने में आसानी होगी। इस वर्ष, 31 अक्टूबर, 2018 तक, एनडब्लूआर के अंतर्गत 51.45 करोड़ रूपये का ऋण प्रदान किया जा चुका है।
नेगोशिएबल वेयरहाउस रसीद (एनडब्लूआर) प्रणाली और वेयरहाउस डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी अथॉरटी (वडरा) की शुरूआत गोदामों के पंजीकरण की प्रक्रिया को ऑनलाईन करने और पेपर-एनडब्लूआर के बदले ई-एनडब्लूआर जारी करने के लिए किया गया है, जो कि अधिक विश्वसनीय वित्त पोषित उपकरण साबित होगा।
6. चीनी क्षेत्र
चीनी के उत्पादन में अधिकता और चीनी के पूर्व-मिल कीमतों में उदासीनता के कारण चीनी मिलों की द्रव्यता की स्थिति प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुई, जिससे गन्ना मूल्य का बकाया मई, 2018 के आखिरी सप्ताह में बढ़कर लगभग 23,232 करोड़ रुपये के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। चीनी मिलों के द्रव्यता की स्थिति में सुधार करने के लिए जिससे कि वे किसानों के गन्ना मूल्य बकाया चुकाने में सक्षम हो सकें, सरकार ने पिछले कुछ महीनों में कुछ निम्नलिखित उपाय किए हैं: -
i. नकदी नुकसान को रोकने और चीनी मिलों द्वारा समय पर किसानों को गन्ना के बकाया राशि प्रदान के लिए, सरकार ने घरेलू बाजार में चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य 29 रुपये प्रति किलो निर्धारित किया है। इससे कम कीमत पर कोई चीनी मिल चीनी नहीं बेच सकता है।
ii. चीनी मिलों को गन्ना से चीनी बनाने हेतु सीजन 2017-18 के लिए सहायता राशि को 5.50 रुपये/ क्विंटल किया गया है जिससे कि गन्ने की लागत को लगभग 1540 करोड़ रुपये किया जा सके;
iii. मौसम 2017-18 में, 30 लाख मीट्रिक टन का बफर स्टॉक बनाया गया, जिसके रख-रखाव के लिए सरकार 1,7575 करोड़ रुपये वहन करेगी।
iv. मिलों में इथेनॉल के उत्पादन की क्षमता को बढ़ाने के लिए नए आसवनों और भट्ठी बॉयलरों की स्थापना के लिए बैंकों के माध्यम से दिए जा रहे सॉफ्ट लोन का विस्तार 6139 करोड़ रुपये तक किया गया है, जिसका ब्याज चुकाने में सरकार 1332 करोड़ रुपये की वित्तीय मदद करेगी;
v. चीनी मिलों को सीजन 2018-19 में गन्ने से चीनी बनाने हेतु सहायता के लिए सहायता राशि को 13.88 रुपये/ क्विंटल गन्ना किया गया है, जिससे शुगर केन की लागत को लगभग 4163 करोड़ रुपये तक लाया जा सके।
vi. सीजन 2018-19 में देश से चीनी निर्यात को सुगम बनाने के लिए चीनी मिलों को 1375 करोड़ रूपये की सहायता प्रदान की जा रही है जिससे कि आंतरिक परिवहन, माल ढुलाई, संचालन और अन्य शुल्कों के व्यय को चुकाने आसानी हो।
vii. सरकार ने बायो-ईंधन, 2018 के लिए नई राष्ट्रीय नीति को भी अधिसूचित किया है, जिसके अंतर्गत इथेनॉल के उत्पादन में गन्ना रस के उपयोग की अनुमति प्रदान की गई है। इसके अलावा, सरकार ने इथेनॉल सीजन 2018-19 के लिए ईबीपी के अंतर्गत आपूर्ति के लिए सी-हेवी शीरा और बी-हेवी शीरा/ गन्ना रस से उत्पादित इथेनॉल का अलग-अलग लाभकारी मूल्य निर्धारित किया है।
उपरोक्त सभी उपायों के परिणामस्वरूप, पूरे देश में किसानों के गन्ना उत्पादन के बकाया राशि में भारी कमी आयी है और यह राज्य सलाहकृत मूल्य (एसएपी) के आधार पर, सीजन 2017-18 में 23232 करोड़ रुपये से घटकर 5465 करोड़ रुपये रह गया है। एफआरपी के आधार पर, पूरे भारत में किसानों के गन्ना मूल्य बकाया राशि में कमी आयी है और यह 14538 करोड़ रुपये के उच्चस्तर से घटकर लगभग 1924 करोड़ रुपये रह गया है।
आर.के.मीणा/अर्चना/अभय
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