शिक्षा मंत्रालय

दाखिले के दौरान छात्रों को सहूलियत देने की दिशा में उठाया गया एक कदमः फीस रीफंड और संस्थानों द्वारा मूल प्रमाण पत्रों को रखने संबंधी यूजीसी की अधिसूचना


एडमिशन फॉर्म जमा करते समय छात्रों को कोई भी असली दस्तावेज या प्रमाणपत्र देने की जरूरत नहीं होगी- श्री प्रकाश जावड़ेकर

अगर छात्र अपना एडमिशन वापस लेते हैं तो संस्थानों को उनकी फीस वापस करनी होगी- श्री प्रकाश जावड़ेक

Posted On: 10 OCT 2018 6:56PM by PIB Delhi

मानव संसाधन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। मीडिया से बातचीत करते हुए श्री जावड़ेकर ने बताया कि दाखिले के दौरान छात्रों को सहूलियत देने की दिशा में एक कदम उठाया गया है जिसके तहत फीस रीफंड और संस्थानों द्वारा मूल प्रमाण पत्रों को रखने संबंधी यूजीसी ने अधिसूचना जारी की है।

उन्होंने आगे कहा कि कुछ संस्थानों द्वारा जबरन और उनकी लोभ की नीयत की वजह से अपने देश के छात्रों को प्रवेश के दौरान कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। इसे देखते हुए छात्रों को सहूलियत देने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने फीस रीफंड करने और संस्थानों द्वारा मूल प्रमाण पत्रों को रखने संबंधी एक अधिसूचना जारी की है। अब एडमिशन फॉर्म जमा करते समय छात्रों को कोई भी असली दस्तावेज या प्रमाणपत्र देने की जरूरत नहीं होगी। साथ ही अगर छात्र अपना एडमिशन वापस लेते हैं तो संस्थानों को उनकी फीस वापस करनी होगी। श्री जावड़ेकर ने बताया कि यह अधिसूचना यूजीसी एक्ट की धारा 2(एफ) के तहत चलने वाले विश्वविद्यालयों द्वारा संचालित स्नातक, स्नातकोत्तर और शोध कार्यक्रमों के लिए लागू होगी। साथ ही यूजीसी एक्ट की धारा 3 के तहत आने वाले कॉलेजों और डीम्ड संस्थानों में भी यह अधिसूचना लागू होगी।

 

अधिसूचना की प्रमुख विशेषताएं :-

यह अधिसूचना निम्न शैक्षिक संस्थानों में प्रवेश की मांग करने वाले छात्रों को निम्नलिखित तरीके से सहायता करेगी:

  • संस्थान केवल उस सेमेस्टर/वर्ष के लिए शुल्क ले सकते हैं जिसमें एक छात्र अकादमिक गतिविधियों में शामिल होना चाहता है।
  • एडमिशन वापस लेने की स्थिति में संस्थानों को छात्रों की फीस वापस करनी होगी। यह काम निम्नलिखित तरीके से किया जाएगा।

I.      100 फीसदी- यदि कोई छात्र प्रवेश की औपचारिक रूप से अधिसूचित अंतिम तिथि से 15 दिन या उससे पहले एडमिशन वापस लेने का फैसला करता है तो उसकी पूरी फीस वापस कर दी जाएगी। प्रोसेसिंग फीस के तौर पर छात्र द्वारा दी गई फीस का 5% काटा जाएगा, जिसकी अधिकतम सीमा 5000 रुपये होगी।

II.      90 फीसदी- यदि कोई छात्र प्रवेश की औपचारिक रूप से अधिसूचित अंतिम तिथि से 15 दिन पहले दाखिला वापस लेने का फैसला करता है तो उसकी 90फीस लौटा दी जाएगी।

III.      80 फीसदी- यदि कोई छात्र प्रवेश की औपचारिक रूप से अधिसूचित अंतिम तिथि के 15 दिनों के अंदर दाखिला वापस लेता है।

 IV.      50 फीसदी- यदि कोई छात्र प्रवेश की औपचारिक रूप से अधिसूचित अंतिम तिथि के 16 दिनों या 30 दिनों के बीच दाखिला वापस लेने का फैसला करता है।

V.      शून्य- यदि कोई छात्र प्रवेश की औपचारिक रूप से अधिसूचित अंतिम तिथि के 30 दिनों के बाद एडमिशन वापस लेने का निर्णय लेता है तो उसे फीस लौटाई नहीं जाएगी।

 VI.      संपूर्ण कॉशन मनी और सिक्यूरिटी डिपॉजिटजो फीस का हिस्सा नहीं हैवह पूरी तरह से वापस कर दी जाएगी।

 VII.      छात्र द्वारा एडमिशन वापस लेने का आवेदन देने के 15 दिनों के भीतर संस्थानों को उनकी फीस वापस करनी होगी।

 

एडमिशन फॉर्म भरते समय किसी भी छात्र को ओरिजिनल एकेडमिक या पर्सनल प्रमाणपत्र मसलन मार्कशीट, स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट आदि जमा करने की जरूरत नहीं होगी। यदि आवश्यक होतो संबंधित संस्थान केवल मूल प्रमाण पत्र के साथ सत्यापन सुनिश्चित करेगा और इन प्रमाणपत्रों को तुरंत छात्रों को वापस कर दिया जाएगा। कोई भी संस्थान इन प्रमाणपत्र को अपने कब्जे में नहीं रख सकता है।

·         कोई भी संस्थान आवेदकों को अध्ययन के दौरान किसी भी समय संस्थागत प्रॉस्पेक्टस खरीदना अनिवार्य नहीं बना सकता है।

·         सभी संस्थानों को अपनी वेबसाइट और प्रॉस्पेक्टस में संस्थानों की स्थितिइसकी संबद्धतामान्यता की स्थितिभौतिक संपत्तियों और सुविधाओंपाठ्यक्रमविभिन्न कार्यक्रमों के लिए देय विभिन्न प्रकार की फीस के बारे में जानकारी देने की आवश्यकता होगी। साथ ही आवेदक के लिए एक पूरे कार्यक्रम के लिए देय कुल शुल्कप्रवेश की अंतिम तिथिसंकायों का विवरणगवर्निंग निकायों के सदस्यों और निकायों की बैठक के मिनटआय के स्रोतवित्तीय स्थिति और इसके कार्यकलाप के बारे में कोई अन्य जानकारी आदि वेबसाइट और प्रॉस्पेक्टस में पूरी तरह से होना चाहिए।

·         यूजीसी (शिकायत निवारण) अधिनियम2012 के प्रावधानों के अनुसार सभी संस्थानों में शिकायतों के निवारण की व्यवस्था होनी चाहिए। इसका विवरण संस्थान की वेबसाइट पर होना चाहिए। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि आवेदन करने के बाद सभी शिकायतों का निपटारा 30 दिनों के भीतर कर दिया जाए।

·         यह अधिसूचना संस्थानों की चूक के खिलाफ सख्त दंडकारी कार्रवाइयों का अधिकार प्रदान करती है।

  I.        यूजीसी से अनुदान प्राप्त करने के लिए फिटनेस की घोषणा की वापसी।

  II.        संस्थानों को जारी अनुदान को रोका जा सकता है।

 III.        सामान्य या विशेष कार्यक्रमों के लिए यूजीसी से घोषित सहायता प्राप्त करने से संस्थानों को वंचित किया जा सकता है।

 IV.        अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए संस्थानों को अखबारों, मीडिया और आयोग की वेबसाइट पर में नोटिस देना होगा ताकि सभी को सूचना मुहैया कराई जा सके।

  V.        विश्वविद्यालयों से कॉलेजों या संस्थानों की संबद्धता समाप्त करने की सिफारिश की जा सकती है।

 VI.        संस्थान के डीम्ड होने की स्थिति में केंद्र सरकार से डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा वापस लेने की सिफारिश की जा सकती है।

 VII.        राज्य सरकारों के अधिनियम के तहत स्थापित विश्वविद्यालय के मामले में उचित कार्रवाई के लिए उपयुक्त राज्य सरकारों से सिफारिश की जाएगी।

 

*****

 

आर.के.मीणा/एएम/वीएस-10657



(Release ID: 1549535) Visitor Counter : 121


Read this release in: English , Urdu