स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय
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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जेपी नड्डा ने मध्य प्रदेश के सांसदों से जमीनी स्तर पर टीबी-मुक्त भारत अभियान को गति देने का आह्वान किया


मध्य प्रदेश के सांसदों ने टीबी उन्मूलन के लिए अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्र में ठोस कार्रवाई करने का संकल्प लिया

मध्य प्रदेश में टीबी मुक्त भारत के लिए जन आंदोलन को मजबूत करने हेतु सांसद एकजुट हुए

मध्य प्रदेश के सांसदों के साथ बैठक में टीबी उन्मूलन में भारत के वैश्विक नेतृत्व पर प्रकाश डाला गया

मध्य प्रदेश के सांसदों के साथ केंद्रित संवाद से मिशन-मोड टीबी उन्मूलन प्रयासों को मजबूती मिली

प्रविष्टि तिथि: 18 DEC 2025 7:43PM by PIB Delhi

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जेपी नड्डा ने टीबी मुक्त भारत अभियान को गति देने के उद्देश्य से राज्यवार आयोजित की जा रही बैठकों की श्रृंखला के अंतर्गत आज मध्य प्रदेश के सांसदों के साथ एक बैठक की। यह बैठक विभिन्न राज्यों के सांसदों के साथ चल रहे संवाद का हिस्सा है, जो इस महीने की शुरुआत में उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात और तमिलनाडु के सांसदों के साथ आयोजित इसी तरह की बैठकों के बाद हो रही है।

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मध्य प्रदेश भवन में ‘‘संसद सदस्य टीबी मुक्त भारत के लिए प्रतिबद्ध’’ विषय के तहत आयोजित इस संवाद में टीबी उन्मूलन के राष्ट्रीय लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निर्वाचन क्षेत्र स्तर पर कार्रवाई करने और अंतरदलीय सहयोग को बढ़ावा देने में निर्वाचित प्रतिनिधियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया गया। आज के सत्र में राज्य के सांसदों के साथ-साथ केंद्रीय संचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल और केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री श्री दुर्गादास उइके भी उपस्थित थे।

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सांसदों को संबोधित करते हुए श्री नड्डा ने तपेदिक के खिलाफ लड़ाई में भारत की महत्वपूर्ण प्रगति पर प्रकाश डाला। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की वैश्विक टीबी रिपोर्ट 2025 का हवाला देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने 2015 और 2024 के बीच टीबी की घटनाओं में 21 प्रतिशत की कमी का उल्लेख किया जो वैश्विक औसत कमी से लगभग दोगुनी है, साथ ही टीबी से संबंधित मृत्यु दर में 25 प्रतिशत की कमी आई है। भारत ने उपचार की सफलता दर में 90 प्रतिशत की उपलब्धि हासिल की है, जो वैश्विक औसत 88 प्रतिशत से कहीं अधिक है। उन्होंने इन उपलब्धियों का श्रेय निरंतर राजनीतिक नेतृत्व, सशक्त कार्यक्रम कार्यान्वयन और मजबूत जन भागीदारी को दिया, जिसने भारत को टीबी उन्मूलन प्रयासों में विश्व नेता के रूप में स्थापित किया है।

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श्री नड्डा ने इस बात को दोहराया कि जन आंदोलन भारत की टीबी उन्मूलन रणनीति की आधारशिला बना हुआ है, उन्होने सांसदों से अपने अपने निर्वाचन क्षेत्रों में समुदायों को संगठित करना जारी रखने, जागरूकता को मजबूत करने और रोगियों एवं उनके परिवारों के लिए व्यापक मनोसामाजिक सहायता सुनिश्चित करने का आग्रह किया।

मध्य प्रदेश के सक्रिय दृष्टिकोण की सराहना करते हुए, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने आदिवासी और दुर्गम क्षेत्रों सहित राज्य द्वारा चलाए जा रहे समुदाय-आधारित जांच के प्रयासों को सराहा। उन्होंने कहा कि टीबी के मामलों का सामने आना कार्यक्रम की बेहतर पहुंच और निजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के साथ बेहतर सहयोग को दर्शाता है। मंत्री ने एआई-आधारित सीने के एक्स-रे, मोबाइल डायग्नोस्टिक वैन और एनएएटी मशीनों जैसे उन्नत नैदानिक उपकरणों की अधिक से अधिक उपलब्धता और निक्षय पोषण योजना के तहत टीबी रोगियों को प्रदान की जा रही 1,000 रुपये मासिक पोषण सहायता में वृद्धि पर भी प्रकाश डाला, जिससे उपचार के परिणामों में सुधार हो रहा है।

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राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की अपर सचिव और मिशन निदेशक, श्रीमती आराधना पटनायक ने भारत के नवोन्मेषी और रोगी-केंद्रित टीबी उन्मूलन ढांचे पर प्रकाश डालते हुए कहा कि देश के व्यापक निदान अवसंरचना में अब 9,300 से अधिक एनएएटी मशीनें शामिल हैं, जो देशभर के सभी ब्लॉक में कवरेज सुनिश्चित करती हैं। उन्होंने टीबी के खिलाफ भारत की निरंतर प्रगति को लेकर मिली वैश्विक मान्यता पर भी जोर दिया। उन्होंने मध्य प्रदेश के प्रमुख संकेतकों पर प्रदर्शन का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया, जिनमें संवेदनशील आबादी की जांच, मामलों की सूचना, उपचार सफलता दर और पोषण संबंधी सहायता कवरेज शामिल हैं। श्रीमती पटनायक ने टीबी उन्मूलन को और अधिक गति देने के लिए अंतर-विभागीय समन्वय के महत्व पर जोर दिया।

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मध्य प्रदेश के सांसदों ने टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत प्रयासों को तेज करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने शीघ्र निदान हेतु निक्षय शिविरों को बढ़ावा देने का संकल्प लिया, जिसमें लक्षणहीन व्यक्ति भी शामिल हैं, जिला स्तरीय टीबी सेवाओं के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने और टीबी रोगियों को समग्र सहायता प्रदान करने के लिए निक्षय मित्रों, एमवाईभारत स्वयंसेवकों और पंचायती राज संस्थाओं को सक्रिय रूप से शामिल करने का भी संकल्प लिया। सांसदों ने ‘दिशा’ की बैठकों में टीबी को प्राथमिकता देने, स्वास्थ्य सुविधाओं का दौरा करने और जमीनी चुनौतियों का समाधान करने के लिए सीधे मरीजों से जुड़ने की भी प्रतिबद्धता जताई।

दिसंबर 2024 में शुरू किए गए और बाद में पूरे देश में विस्तारित किए गए टीबी मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत भारत शीघ्र निदान, समय पर उपचार की शुरुआत, उच्च जोखिम वाले रोगियों के लिए अनुकूलित देखभाल और व्यापक मनोसामाजिक सहायता सुनिश्चित करने के लिए मिशन मोड में काम कर रहा है। जन आंदोलन के अंतर्गत, दो लाख से अधिक मायभारत स्वयंसेवकों, 67 लाख से अधिक निक्षय मित्रों और 30,000 से अधिक निर्वाचित प्रतिनिधियों ने टीबी मुक्त भारत के राष्ट्रीय मिशन को साकार करने में सहयोग देने के लिए आगे कदम बढ़ाया है।

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पीके/केसी/एसएस/एसएस


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