HtmlSanitizer+SanitizeResult
इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

एआई एक ऐसी क्षैतिज एवं व्यापक प्रौद्योगिकी है, जो जीवन को बदल सकती है और विकसित भारत 2047 की दिशा में देश की प्रगति को गति दे सकती है: श्री एस. कृष्णन, सचिव, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय

इंडियाएआई मिशन किफायती कंप्यूटिंग, गुणवत्तापूर्ण डेटासेट, आधारभूत मॉडल, स्टार्टअप सक्षमता और विश्वसनीय शासन के ढांचे के जरिए विश्वस्तरीय एआई इकोसिस्टम की नींव रख रहा है

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने उभरते विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार सम्मेलन (ईएसटीआईसी) 2025 में कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर पैनल चर्चा का आयोजन किया

ईएसटीआईसी 2025 में डीपटेक से जुड़ी अग्रणी हस्तियों ने बुनियादी ढांचे के विस्तार, स्वदेशी मॉडल, नैतिक शासन और वैश्विक साझेदारी के जरिए भारत के एआई इकोसिस्टम के जिम्मेदार एवं समावेशी विकास का आह्वान किया

Posted On: 05 NOV 2025 1:43PM by PIB Delhi

भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने उभरते विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार सम्मेलन (ईएसटीआईसी 2025) में कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर एक उच्चस्तरीय पैनल चर्चा का आयोजन किया।

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव श्री एस. कृष्णन की अध्यक्षता में आयोजित इस सत्र में सरकार, शिक्षा जगत और उद्योग जगत के प्रमुख लोगों ने एक मंच पर आकर नवाचार, समावेशन और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारत द्वारा एआई के जिम्मेदारीपूर्वक उपयोग के तौर- तरीकों पर विचार-विमर्श किया।

इस पैनल चर्चा ने आगामी इंडिया-एआई इम्पैक्ट समिट 2026 के लिए भी मंच तैयार किया। इंडिया-एआई इम्पैक्ट समिट में भारत के विकसित होते एआई इकोसिस्टम -  जिसमें डिजिटल बुनियादी ढांचे का विस्तार और स्वदेशी बड़े भाषा मॉडल को आगे बढ़ाने से लेकर नैतिक एआई शासन को मजबूत करने और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना शामिल है - पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा।

सत्र का उद्घाटन करते हुए, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव श्री एस. कृष्णन ने कहा, “सभी प्रौद्योगिकियों का महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इनका समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है, ये जीवन की गुणवत्ता को कैसे बेहतर बनाती हैं और ये देश के लोगों को क्या प्रदान करती हैं। भारत के लिए, यह वास्तव में एआई जैसी क्षैतिज एवं व्यापक प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने का एक अवसर है ताकि देश का 2047 तक ‘विकसित भारत’ बनने की राह पर दृढ़ता से अग्रसर होना सुनिश्चित हो सके।”

एक विश्वस्तरीय एआई इकोसिस्टम के निर्माण हेतु इंडियाएआई मिशन के एकीकृत दृष्टिकोण पर प्रकाश डालते हुए, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव तथा  राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र के महानिदेशक एवं इंडियाएआई मिशन के सीईओ श्री अभिषेक सिंह ने कहा, “एआई से जुड़े नवाचार के रास्ते खोलने हेतु, इंडियाएआई मिशन हमारी राह में मौजूद सभी कमियों को दूर कर रहा है। हमारी सबसे बड़ी खूबी हमारे पास उपलब्ध मानव पूंजी है, लेकिन एआई मॉडल एवं एप्लिकेशन बनाने हेतु हमें सुलभ कंप्यूटर, गुणवत्ता वाले डेटासेट और निरंतर निवेश की भी आवश्यकता है। इस मिशन की सात-स्तंभों वाली रणनीति, जिसमें कम लागत वाले कंप्यूटर, डेटा प्लेटफॉर्म, फाउंडेशन मॉडल, स्टार्टअप संबंधी समर्थन और सुरक्षित व भरोसेमंद एआई के लिए उपकरण शामिल हैं, के जरिए हम एक ऐसा इकोसिस्टम बना रहे हैं जो भारत को दुनिया में सर्वश्रेष्ठ के बराबर आने में सक्षम बनाता है।”

संसाधनों की कमी के बावजूद एआई से जुड़ी स्वदेशी क्षमताओं के निर्माण की भारत की अद्वितीय क्षमता के बारे में अंतर्दृष्टि साझा करते हुए, जोहो कॉरपोरेशन के सह-संस्थापक और मुख्य वैज्ञानिक डॉ. श्रीधर वेम्बू ने कहा, “हमें बजट और संसाधन संबंधी बाधाओं को दूर करने के लिए एक अलग रास्ता खोजना होगा। एक प्रौद्योगिकीविद् के रूप में, मैं इस प्रक्रिया में गहराई से शामिल रहा हूं और मेरा सचमुच मानना ​​है कि आगे बेहतर व वैकल्पिक रास्ते मौजूद हैं। वास्तव में, जब आपके पास सभी संसाधन उपलब्ध नहीं होते हैं, तो यही बाधाएं आपको बेहतर समाधान खोजने के लिए प्रेरित करती हैं। मेरा सचमुच मानना ​​है कि एक नया विज्ञान उभरने की प्रतीक्षा में है, एक पूरी तरह से अलग आधार जो इन समस्याओं से निपटने के हमारे तरीके को बदल सकता है।”

सत्र की शुरुआत प्रमुख नवप्रवर्तकों और शोधकर्ताओं के व्याख्यानों से हुई, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में एआई की परिवर्तनकारी क्षमता पर अपने विचार साझा किए। निरामई हेल्थ एनालिटिक्स की संस्थापक, सीईओ और सीटीओ डॉ. गीता मंजूनाथ ने बताया कि कैसे एआई-संचालित नवाचार स्तन कैंसर की पहचान को अधिक किफायती और सुलभ बना रहे हैं और स्वास्थ्य सेवा में व्याप्त असमानताओं को कम कर रहे हैं। आईबीएम रिसर्च (एआई) के उपाध्यक्ष डॉ. श्रीराम राघवन ने एआई की प्रगति को गति देने में खुले नवाचार इकोसिस्टम की शक्ति पर जोर दिया। एनसीआर के अध्यक्ष एवं प्रोफेसर तथा साउथ कैरोलिना विश्वविद्यालय में एआई संस्थान के संस्थापक निदेशक डॉ. अमित शेठ ने ऊर्जा, बिजली और मैन्यूफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों में उत्पादकता बढ़ाने वाली जेनेरिक एआई से लेकर उद्देश्य-संचालित व क्षेत्र-विशिष्ट प्रणालियों के विकास के बारे में बात की।

इसके बाद “नवाचार और समावेशन के लिए जिम्मेदार एआई” विषय पर एक पैनल चर्चा हुई, जिसका संचालन डीपटेक फॉर भारत फाउंडेशन के सह-संस्थापक तथा प्रसार भारती के पूर्व सीईओ श्री शशि शेखर वेम्पति ने किया। चर्चा में मुंबई स्थित टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के सीटीओ डॉ. हैरिक मयंक विन, आईआईटी मद्रास के डेटा साइंस और एआई विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर बलरामन रवींद्रन, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव तथा राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र के महानिदेशक एवं इंडियाएआई मिशन के सीईओ श्री अभिषेक सिंह, बेंगलुरु स्थित ब्रेनसाइटएआई की सह-संस्थापक एवं सीटीओ डॉ. रिमझिम अग्रवाल, नीति आयोग की प्रतिष्ठित फेलो एवं नैसकॉम की पूर्व अध्यक्ष श्रीमती देबजानी घोष और कोयंबटूर स्थित अमृता विश्व विद्यापीठम के कुलपति प्रोफेसर पी. वेंकट रंगन जैसे प्रतिष्ठित पैनलिस्टों के बीच विचारों का सार्थक आदान-प्रदान हुआ।

पैनल ने भारत के विकसित होते एआई इकोसिस्टम पर चर्चा की। चर्चा में डिजिटल बुनियादी ढांचे का विस्तार और स्वदेशी बड़े भाषा मॉडल विकसित करने से लेकर नैतिक एआई शासन को आगे बढ़ाने और वैश्विक साझेदारी को बढ़ावा देने तक की समग्र तकनीकी प्रगति को देश की विकासात्मक प्राथमिकताओं एवं सामाजिक समावेशन के लक्ष्यों के अनुरूप ढालने की आवश्यकता पर बल दिया गया।

****

पीके/ केसी/ आर



(Release ID: 2186648)


Read this release in: English , Gujarati , Urdu , Tamil