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राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी)
“भारतीय सहकारी इकोसिस्टम का सशक्तिकरण”
Posted On:
05 NOV 2025 3:24PM by PIB Delhi
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प्रमुख बिंदु
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- एनसीडीसी ने वित्तीय वर्ष 2025-26 में अक्टूबर 2025 तक 49799.06 करोड़ रूपये का वितरण किया है।
- एनसीडीसी ने 2024-25 में 95,182.88 करोड़ रूपये का वितरण किया जो 2014-15 में 5735.51 करोड़ रूपये के वितरण से काफी ज्यादा है जो उल्लेखनीय वृद्धि प्रदर्शित करता है।
- एनसीडीसी ने पिछले तीन वर्षों के दौरान (वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2024-25) अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की सहकारी समितियों को 57.78 करोड़ रूपये का ऋण का वितरण किया है।
- महिलाओं द्वारा संचालित सहकारी समितियों को वर्ष 2022-2025 के बीच विशेष तौर पर अवसंरचना संबंधी परियोजनाओं के लिए 2.37 करोड़ रूपये दिए गये।
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रिचय
गुजरात राज्य सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (जीयूजेसीओएमएएसओएल), हिमाचल प्रदेश में लाहौल आलू उत्पादक सहकारी समिति, झारखंड महिला स्वावलंबी कुक्कुट सहकारी संघ और महाराष्ट्र में विट्ठलराव शिंदे सहकारी साखर कारखाना- ये सफल सहकारी मॉडल भारत के सहकारी आंदोलन की ताकत और पहुंच के उदाहरण हैं।
उनकी सफलता के पीछे राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) का योगदान है, जो भारत सरकार के सहकारिता मंत्रालय के अंतर्गत एक वैधानिक संगठन है जिसकी स्थापना 1963 में हुई थी। एनसीडीसी के उद्देश्यों और कार्यों में शामिल हैं:
- उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने और पैदावार-पश्चात सुविधाएं तैयार करने के लिए किसान सहकारी समितियों को प्रोत्साहन देना, उनका सशक्तिकरण करना और उनका विकास करना।
- कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण, भंडारण, कोल्ड चेन और विपणन तथा बीज, उर्वरक और अन्य कृषि संबंधी सुविधाओं की आपूर्ति आदि क्षेत्रों में सहकारी समितियों को बढ़ावा देने के लिए सहायता प्रदान करना।
- कृषि संबंधी पहलकदमियों के अलावा, एनसीडीसी विभिन्न गैर-कृषि क्षेत्रों में आय वृद्धि से जुड़ी सहकारी समितियों को सहायता प्रदान करता है जिनमें कमजोर वर्ग की गतिविधियां जिनमें डेयरी, पशुपालन, हथकरघा, रेशम उत्पादन, मुर्गी पालन, मत्स्य पालन, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति, महिला सहकारी समितियां आदि शामिल हैं।
- एनसीडीसी सहकारी क्षेत्र को उनके आर्थिक विकास और सामाजिक उत्थान के लिए एनसीडीसी प्रायोजित योजनाओं और एनसीडीसी द्वारा कार्यान्वित विभिन्न भारत सरकार की योजनाओं के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
पिछले कुछ वर्षों में, राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) ने निरंतर वित्तीय सहायता प्रदान करके भारत के सहकारी इकोसिस्टम के सशक्तिकरण के लिए एक मजबूत और स्थायी संकल्प का प्रदर्शन किया है। निगम द्वारा वितरित की गई कुल राशि 2014-15 में 5,735.51 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 95,182.88 करोड़ रुपये हो गई है, जो विभिन्न क्षेत्रों में इसके बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है। एनसीडीसी ने इस वृद्धि को जारी रखते हुए, 2025-26 के दौरान, अक्टूबर 2025 तक 49799.06 करोड़ रुपये वितरित किया है, जो मौजूदा वित्त वर्ष में ठोस प्रगति का संकेत है। इसके अलावा, एनसीडीसी ने समावेशिता और समानता को बढ़ावा देने के लिए, पिछले चार वर्षों (वित्त वर्ष 2021-22 से वित्त वर्ष 2024-25) में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति सहकारी समितियों को 57.78 करोड़ रुपये का ऋण दिया है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि सहकारी विकास का लाभ समाज के हर वर्ग तक पहुंचे।
एनसीडीसी ने वित्तीय सहायता को लगातार बढ़ाते हुए अपने विकास संबंधी दायरे का विस्तार किया है, जिससे सहकारी समितियों को बुनियादी ढांचे को उन्नत करने, वैल्यू चेन के सशक्तीकरण और उच्च-विकास वाले क्षेत्रों में विविधता लाने में मदद मिली है। राशि के वितरण में उल्लेखनीय वृद्धि न केवल सहकारी समितियों के नेतृत्व वाले विकास की बढ़ती मांग को दर्शाती है, बल्कि समय पर और लक्षित ऋण प्रदान करने की एनसीडीसी की बढ़ी हुई संस्थागत क्षमता को भी प्रदर्शित करती है। कुल मिलाकर, इस तरह की गतिविधियां भारत में एक समावेशी, बाज़ार के मामले में संवेदनशील और आत्मनिर्भर सहकारी इको सिस्टम को आगे बढ़ाने में एनसीडीसी की महत्वपूर्ण भूमिका को प्रदर्शित करती हैं।

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सहकारिता क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था का एक मजबूत स्तंभ है जो सामाजिक और आर्थिक विकास, ग्रामीण अवसंरचना और रोजगार उत्पन्न करने में प्रमुख भूमिका निभाता है। सहकारी समितियां ऋण देने, उर्वरक, चीनी, डेरी, मार्केटिंग, उपभोक्ता सामग्री, हथकरघा, हस्तशिल्प, मत्स्यपालन और आवास निर्माण के क्षेत्रों में सक्रिय हैं। भारत में आज 8.44 लाख सहकारी समितियां सक्रिय हैं जिसके सदस्यों की संख्या 30 करोड़ से ज्यादा है। करीब 94 प्रतिशत किसान किसी न किसी रूप में सहकारी समितियों से जुड़े हैं। ग्रामीण आजीविका को सहारा देने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के कारण डेरी, मुर्गी पालन, पशुपालन, मत्स्य पालन, चीनी, वस्त्र, प्रसंस्करण, भंडारण और श्रम के क्षेत्र में सहकारी समितियों को बढ़ावा देना जरूरी है। इन सहकारी समितियों को दीर्घकालिक एवं कार्यकारी पूंजी ऋण प्रदान किये जाने से उनकी गतिविधियां तेज होंगी, आय बढ़ेगी और ग्रामीण इलाकों में विकास सुनिश्चित होगा।
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एनसीडीसी के समर्पित प्रयास
राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) ने सहकारी क्षेत्र के विभिन्न क्षेत्रों को सशक्त करने और नवाचार, समावेशिता और आधुनिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए कई लक्षित योजनाएँ शुरू की हैं।

युवा सहकार-सहकारी उद्यम समर्थन एवं नवाचार योजना
वित्त वर्ष 2019-20 में शुरू की गई यह योजना, नये विचारों वाली नवगठित सहकारी समितियों को समर्थन प्रदान करके विविध क्षेत्रों में सहकारी स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई है। यह योजना उन युवा उद्यमी सहकारी समितियों को प्रोत्साहित करती है जो कम से कम 3 महीने से कार्यरत हैं। यह एनसीडीसी द्वारा स्थापित सहकारी स्टार्ट-अप एवं नवाचार फंड से जुड़ी है, जिसमें पूर्वोत्तर क्षेत्र की सहकारी समितियों, नीति आयोग द्वारा चिन्हित आकांक्षी जिलों में कार्यरत सहकारी समितियों और केवल महिलाओं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति या दिव्यांगजन सदस्यों वाली सहकारी समितियों को बेहतर सहायता प्रदान की जाती है।
पात्रता:
- किसी भी प्रकार की सहकारी समिति जिसमें नई, नवाचार-युक्त और वैल्यू चेन संवर्धन संबंधी परियोजनाएं हों।
- यह कम से कम तीन महीने से कार्यरत हो।
- इसका नेट-वर्थ ज्यादा होना चाहिए।
- संचालन के पिछले वर्ष (वर्षों) के दौरान नकद हानि नहीं हुई होनी चाहिए तथा पिछले तीन वर्षों में कोई नकद हानि नहीं हुई हो (यदि समिति 3 वर्ष से अधिक समय से संचालन में है)।
2019 से युवा सहकार योजना के अंतर्गत परियोजनाओं के कार्यान्वयन हेतु एनसीडीसी से सहायता प्राप्त करने वाली सहकारी समितियों की संख्या इस प्रकार है:
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कार्यान्वयन करने वाली सहकारी समितियों की संख्या
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स्वीकृत राशि (करोड़ रुपये में)
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जारी राशि
(करोड़ रुपये में)
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32
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49.35
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3.71
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आयुष्मान सहकार
वित्त वर्ष 2020-21 में शुरू की गई, आयुष्मान सहकार योजना सहकारी संस्थाओं के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा इको सिस्टम को मजबूत करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाती है।
इसका उद्देश्य सहकारी समितियों की सहायता करना है:
- सहकारी समितियों द्वारा अस्पतालों/स्वास्थ्य सेवा/शिक्षा सुविधाओं के माध्यम से सस्ती और समग्र स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना।
- सहकारी समितियों द्वारा आयुष सुविधाओं को बढ़ावा देना,
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के उद्देश्यों को पूरा करना।
- राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन में भाग लेना।
- शिक्षा, सेवाओं, बीमा और उससे संबंधित गतिविधियों सहित समग्र स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना।
पात्रता:
देश में किसी भी राज्य/बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत कोई भी सहकारी समिति, जिसके उपनियमों में अस्पताल/स्वास्थ्य सेवा/स्वास्थ्य शिक्षा से संबंधित सेवाएँ प्रदान करने हेतु उपयुक्त प्रावधान हो।
आयुष्मान सहकार योजना के अंतर्गत परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए एनसीडीसी से वित्तीय वर्ष 2024-25 तक सहायता प्राप्त करने वाली सहकारी समितियों की संख्या इस प्रकार है:
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कार्यान्वयन सहकारी समितियों की संख्या
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स्वीकृत राशि (करोड़ रुपये में)
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जारी राशि (करोड़ रुपये में)
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9
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161.90
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43. 19
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डेयरी सहकार
वित्त वर्ष 2021-22 में शुरू की गई, डेयरी सहकार का उद्देश्य नई परियोजनाओं और मौजूदा बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण या विस्तार, दोनों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करके डेयरी सहकारी समितियों को सशक्त करना है। यह योजना गोवंश विकास, दूध खरीद और प्रसंस्करण, गुणवत्ता आश्वासन, मूल्य संवर्धन, ब्रांडिंग, पैकेजिंग, मार्केटिंग, परिवहन, भंडारण और डेयरी उत्पादों के निर्यात सहित डेयरी क्षेत्र की सभी गतिविधियों का समर्थन करती है।
इसके अतिरिक्त, एनसीडीसी संबंधित सेवाओं और गतिविधियों जैसे नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग, आईसीटी समाधान, पशु आहार और संबंधित सामग्री उत्पादन, अनुसंधान और विकास, पैकेजिंग सामग्री विनिर्माण, डेयरी उपकरण और मशीनरी का विनिर्माण, डेयरी से संबंधित रखरखाव सेवाएं, पशु चिकित्सा दवाओं का विनिर्माण, पशु चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाओं का वितरण, साथ ही पशु चिकित्सा/डेयरी शिक्षा में शिक्षा और क्षमता विकास के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
पात्रता:
देश में किसी भी राज्य/बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत कोई भी सहकारी समिति, जिसके नियमों में उपयुक्त प्रावधान हो।
डेयरी सहकार के अंतर्गत स्वीकृत और वितरित सहायता (31.10.2021 से 2024-25 तक):
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कार्यान्वयन सहकारी समितियों की संख्या
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स्वीकृत राशि (करोड़ रुपये में)
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जारी राशि (करोड़ रुपये में)
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16
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162.28
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177.72
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डिजिटल सहकार
2021-22 से संचालित यह योजना डिजिटल इंडिया के विज़न के अनुरूप है। यह डिजिटल रूप से सशक्त सहकारी समितियों को बढ़ावा देने, बेहतर ऋण पहुंच सुनिश्चित करने और सरकारी अनुदानों, सब्सिडी और प्रोत्साहनों के साथ बाधारहित जुड़ाव के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करती है।
पात्रता:
किसी भी राज्य/बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत कोई भी सहकारी समिति इस योजना के अंतर्गत वित्तीय सहायता के लिए पात्र है। एफपीओ, एफएफपीओ और संघ से जुड़ी स्वयं सहायता समूह सहकारी समितियां भी पात्र हैं। एनसीडीसी द्वारा सहकारी समितियों को सीधे या राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों के माध्यम से सहायता प्रदान की जाती है।
दीर्घावधि कृषक पूँजी सहकार योजना
वर्ष 2022-23 में शुरू की गई दीर्घावधि कृषक पूँजी सहकार योजना, कृषि ऋण सहकारी समितियों को दीर्घकालिक वित्तीय सहायता प्रदान करती है। यह उन्हें एनसीडीसी के अंतर्गत आने वाली कृषि गतिविधियों, वस्तुओं और सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए ऋण प्रदान करने में सक्षम बनाती है:
- सहकारी समितियों और उनके सदस्यों को बढ़ा हुआ और अवरोधरहित ऋण प्रवाह सुनिश्चित करना।
- कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में पूंजी निर्माण को बढ़ावा देना।
- गैर-कृषि क्षेत्र की गतिविधियों का समर्थन करना, जिससे ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में वैकल्पिक रोजगार के अवसरों को बढ़ावा मिले।
पात्रता:
निम्नलिखित प्रकार की कृषि ऋण सहकारी समितियां इस योजना के अंतर्गत एनसीडीसी के ऋण के लिए पात्र होंगी:
- प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी समितियाँ (पीएसीएस)
- जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (डीसीसीबी)
- राज्य सहकारी बैंक (एसटीसीबी)
- प्राथमिक सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (पीसीएआरडी)
- राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (एससीएआरडी)
दीर्घावधि कृषक पूंजी सहकार योजना के अंतर्गत वर्ष 2024-25 तक स्वीकृत एवं वितरित सहायता:
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कार्यान्वयन सहकारी समितियों की संख्या
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स्वीकृत राशि (करोड़ रुपये में)
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जारी राशि (करोड़ रुपये में)
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5
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5400.76
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2137.00
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महिला सहकारी समितियों को सहायता
इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) महिला सहकारी समितियों के लिए विशेष योजनाएं भी लागू कर रहा है - (क) स्वयं शक्ति सहकार योजना, और (ख) नंदिनी सहकार। ये पहल महिलाओं को सशक्त बनाने और ग्रामीण आर्थिक विकास में उनके योगदान को मज़बूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
स्वयं शक्ति सहकार योजना
वित्त वर्ष 2022-23 में शुरू की गई यह योजना, महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को ऋण और अग्रिम राशि प्रदान करने के उद्देश्य से कृषि ऋण सहकारी समितियों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है। इस योजना के अंतर्गत, प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (पीएसीएस), जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (डीसीसीबी), राज्य सहकारी बैंक (एसटीसीबी) और एसएचजी संघ से जुड़ी सहकारी समितियां/सहकारी संघ एनसीडीसी से ऋण के लिए पात्र हैं। यह योजना ऋण तक पहुंच बढ़ाकर ग्रामीण आर्थिक गतिविधियों में महिलाओं की भागीदारी को मज़बूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
नंदिनी सहकार
इसका उद्देश्य सहकारी समितियों में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देकर उन्हें सशक्त बनाना है। यह महिलाओं के नेतृत्व वाली सहकारी समितियों को व्यवसाय की योजना बनाने, उद्यम विकास, क्षमता निर्माण और अन्य सरकारी योजनाओं से ऋण, सब्सिडी और ब्याज सहायता के माध्यम से वित्त तक पहुंच प्रदान करके सहायता प्रदान करता है। यह योजना वित्तीय वर्ष 2020-21 से लागू है।
पात्रता:
देश में किसी भी राज्य/बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत कोई भी महिला सहकारी समिति इसकी पात्र होगी। कोई भी सहकारी समिति जिसमें प्राथमिक स्तर पर महिलाओं की संख्या न्यूनतम 50 प्रतिशत हो वो भी इसकी पात्र होंगी। अगर परियोजना नयी हो या नवाचार से संबंथित गतिविधियों से जुड़ी हो ऐसी महिला सहकारी समितियां भी संचालन के तीन महीने में पात्र हो जायेगी।
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वित्त वर्ष 2021-22 से वित्त वर्ष 2024-25 तक एनसीडीसी द्वारा सहायता प्राप्त महिला सहकारी समितियों की संख्या
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वित्त वर्ष 2021-22 से वित्त वर्ष 2024-25 तक स्वीकृत राशि
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वित्त वर्ष 2021-22 से वित्त वर्ष 2024-25 तक जारी राशि (करोड़ रुपये में)
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34
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6283.71
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4823.68
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- 2022 - 2025 के बीच महिला सहकारी समितियों को कुल 4823.68 करोड़ रुपये का वितरण हुआ जिससे सहकारिता क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी
- 2022-2025 के बीच महिला सहकारी समितियों को विशेषकर अवसंरचना परियोजनाओं के लिए 2.37 करोड़ रुपये दिये गये
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राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम को अनुदान सहायता हेतु पूर्ववर्ती केंद्रीय क्षेत्र योजना
सहकारी चीनी मिलों के सशक्तीकरण के लिए एनसीडीसी को अनुदान सहायता योजना के अंतर्गत, सरकार ने 2022-23 और 2024-25 के दौरान राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम को 1,000 करोड़ रुपये का अनुदान प्रदान किया है। इस सहायता का उपयोग करते हुए, एनसीडीसी सहकारी चीनी मिलों को इथेनॉल या सह-उत्पादन संयंत्र स्थापित करने और कार्यशील पूंजी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 10,000 करोड़ रुपये तक का ऋण प्रदान करता है। ऋण को और अधिक सुलभ बनाने के लिए, एनसीडीसी ने अपने वित्तपोषण पैटर्न को 70:30 से संशोधित कर 90:10 कर दिया है, जिससे समितियों को परियोजना लागत का केवल 10 प्रतिशत ही योगदान करना होगा, शेष राशि एनसीडीसी द्वारा वित्तपोषित की जाएगी। सावधि ऋणों की ब्याज दर भी घटाकर 8.5 प्रतिशत कर दी गई है।
इस योजना के माध्यम से, एनसीडीसी ने देश भर की 56 सहकारी चीनी मिलों को 10,005 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता वितरित की है।
अन्य मंत्रालयों की योजनाएं
समग्र दृष्टिकोण के लिए, अतिरिक्त पहलकदमियों में एनसीडीसी की भागीदारी को उजागर करना महत्वपूर्ण है। निगम भारत सरकार की कई केंद्रीय और केंद्र प्रायोजित योजनाओं को भी क्रियान्वित करता है, जो कृषि, बागवानी, मत्स्य पालन, डेयरी, पशुधन, खाद्य प्रसंस्करण, विपणन, भंडारण और कोल्ड चेन अवसंरचना सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहकारी संस्थाओं के पूरे विकास में सहायता प्रदान करती हैं।

सहकारिता क्षेत्र में हाल के घटनाक्रम
सहकारी क्षेत्र के विकास के लिए एनसीडीसी को अनुदान सहायता
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2025-26 से 2028-29 की अवधि के लिए 2,000 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय वाली एक केंद्रीय योजना "राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) को अनुदान सहायता" को मंजूरी दे दी है। इस योजना के तहत, प्रतिवर्ष 500 करोड़ रुपये जारी किए जाएँगे, जिससे एनसीडीसी इन अनुदानों का लाभ उठाकर चार वर्षों की अवधि में खुले बाजार से लगभग 20,000 करोड़ रुपये जुटा सकेगा।
इस बढ़ी हुई वित्तीय क्षमता से एनसीडीसी को सहकारी समितियों को नए उद्यम स्थापित करने, मौजूदा संयंत्रों का विस्तार करने और उनकी कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ऋण प्रदान करने में मदद मिलेगी। देश भर में डेयरी, पशुपालन, मत्स्य पालन, चीनी, कपड़ा, खाद्य प्रसंस्करण, भंडारण और शीतगृह, श्रम और महिला-नेतृत्व वाली सहकारी समितियों जैसे विविध क्षेत्रों की 13,288 सहकारी समितियों के लगभग 2.9 करोड़ सदस्यों को लाभ होने की उम्मीद है।
राष्ट्रीय सहकारी समिति नीति
राष्ट्रीय सहकारिता नीति (एनसीपी) 2025, राष्ट्र के 2047 तक विकसित भारत बनने के लक्ष्य के अनुरूप भारत के सहकारी आंदोलन को सशक्त करने के लिए एक स्पष्ट दृष्टिकोण निर्धारित करती है। सहकार-से-समृद्धि की भावना से प्रेरित, यह नीति सहकारी ढांचे को मजबूत करने, समावेशी आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और सामूहिक भागीदारी के माध्यम से ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाने का प्रयास करती है। इसका ध्यान कानूनी, आर्थिक और संस्थागत माहौल बनाने पर केंद्रित है जो सहकारी समितियों को पारदर्शी, प्रौद्योगिकी-संचालित और पेशेवर रूप से प्रबंधित उद्यम बनने में सक्षम बनाता हो। यह पहल राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) द्वारा सात प्रमुख सहकारी संस्थाओं - इफको, नेफेड, अमूल, कृभको, एनडीडीबी, एनसीईएल और नाबार्ड के सहयोग से कार्यान्वित की जा रही है, जिसका उद्देश्य स्थायी विकास को बढ़ावा देने के लिए सहकारी समितियों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है।
निष्कर्ष
राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम भारत के सहकारी विकास की नींव बना हुआ है, जो वित्तीय क्षेत्र में लगातार अपने कामकाज के माध्यम से समावेशी आर्थिक विकास को गति प्रदान कर रहा है। युवा सहकार, आयुष्मान सहकार, डेयरी सहकार, डिजिटल सहकार, स्वयं शक्ति सहकार और नंदिनी सहकार जैसी व्यापक वित्तीय सहायता और प्रभावशाली योजनाओं ने कृषि और डेयरी से लेकर स्वास्थ्य सेवा, डिजिटल सशक्तिकरण और महिला-नेतृत्व वाले उद्यमों तक के विविध क्षेत्रों को मज़बूत किया है।
एनसीडीसी ने चीनी, डेयरी, मत्स्य पालन और अन्य प्रमुख क्षेत्रों में सहकारी समितियों को निरंतर सहायता प्रदान करके, आत्मनिर्भरता और समावेशी विकास को बढ़ावा देने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हाल ही में शुरू की गई अनुदान सहायता योजना और राष्ट्रीय सहयोग नीति 2025 ने एक पारदर्शी, प्रौद्योगिकी-संचालित और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी सहकारी क्षेत्र के निर्माण के लिए सरकार के संकल्प को और मजबूत किया है। जैसे-जैसे सहकारी समितियां देश भर में अपनी उपस्थिति का विस्तार कर रही हैं, सुलभ वित्त प्रदान करने, क्षमता निर्माण और रणनीतिक क्षेत्रीय हस्तक्षेप में एनसीडीसी की भूमिका महत्वपूर्ण बनी रहेगी। अपने निरंतर प्रयासों के माध्यम से, एनसीडीसी न केवल सहकारी संस्थाओं को सशक्त बना रहा है, बल्कि आत्मनिर्भरता और सतत ग्रामीण समृद्धि की दिशा में भारत की यात्रा में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
संदर्भ
सहकारिता मंत्रालय
https://www.ncdc.in/index.jsp
राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम
https://www.ncdc.in/index.jsp?page=successful-cooperatives
https://www.ncdc.in/documents/booklet/2609240524English-Compendium-as-on-22.05.2024.pdf
लोक सभा
https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/185/AU4216_29yz87.pdf?source=pqals#:~:text=5.,%2C%20subsidy%2C%20incentives%2C%20etc.
राज्य सभा
https://sansad.in/getFile/annex/268/AU2591_4ZHE2g.pdf?source=pqars
https://sansad.in/getFile/annex/268/AU1129_3OlIvD.pdf?source=pqars
पीआईबी प्रेस रिलीज
https://www.pib.gov.in/PressReleseDetailm.aspx?PRID=2152473
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2155612
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2150641
https://www.pib.gov.in/FactsheetDetails.aspx?Id=149229#:~:text=The%20National%20Cooperation%20Policy%20(NCP,driver%2C%20especially%20in%20rural%20India.
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2153188
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https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2112725
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https://www.pib.gov.in/FactsheetDetails.aspx?Id=149229
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2157873
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2082789
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पीके/केसी/एमएस
(Release ID: 2186645)