कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

डिजिटल प्लेटफॉर्मों के माध्यम से किसानों की आय में वृद्धि

Posted On: 22 JUL 2025 6:13PM by PIB Delhi

सरकार ने वर्ष 2016 में राष्ट्रीय कृषि मार्केट (ई-नाम) नामक योजना की शुरुआत की थी, ताकि किसान विभिन्न बाजारों तक पहुंच प्राप्त करते हुए इलेक्ट्रॉनिक रूप से पारदर्शी तरीके से अपनी उपज को बड़ी संख्या में खरीदारों को बेच सकें।

डिजिटल मार्केट तक पहुंच बढ़ाने के लिए किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को ई-नाम, ओएनडीसी (ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स) और जीईएम (गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस) जैसे डिजिटल प्लेटफार्मों पर शामिल किया गया है।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपने कर्मचारियों के चल रहे शोध को प्रस्तुत करने के लिए आरबीआई वर्किंग पेपर सीरीज प्रारंभ की है और इसे टिप्पणियाँ लेने और आगे की चर्चा के लिए प्रसारित किया जाता है। "भारत में सब्जियों की मुद्रास्फीति: टमाटर, प्याज और आलू (टीओपी) का एक अध्ययन" शीर्षक वाले वर्किंग पेपर में अनुमान लगाया गया है कि उपभोक्ता रुपये में किसानों की हिस्सेदारी टमाटर के लिए लगभग 33%, प्याज के लिए 36% और आलू के लिए 37% है। आरबीआई के एक अन्य वर्किंग पेपर "भारत में फलों की मूल्य गतिशीलता और मूल्य श्रृंखला" में, घरेलू मूल्य श्रृंखला में उपभोक्ता रुपये में किसानों की हिस्सेदारी केले के लिए लगभग 31%, अंगूर के लिए 35% और आम के लिए 43% होने का अनुमान है। मार्केटिंग चैनलों की संख्या, हायर मार्केटिंग कॉस्ट और मार्जिन, और उत्पाद के खराब होने जैसे कारक किसानों को प्राप्त होने वाली कीमत को प्रभावित करते हैं।

सरकार की प्राथमिकता उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के साथ-साथ, कृषि उपज की मार्केटिंग में सुधार और फसलोपरांत होने वाले नुकसान को कम करने के लिए विभिन्न उपाय करने की है ताकि किसानों की उपज का लाभकारी मूल्य सुनिश्चित हो सके।

एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फण्ड (एआईएफ) के अंतर्गत, छोटे और सीमांत किसानों के साथ-साथ बड़े व्यवसायों, एपीएमसी/मंडियों के लिए, कृषि-निर्यात समूहों में खेत स्तर पर शीतगृहों को सहायता प्रदान की जाती है ताकि फसलोपरांत होने वाले नुकसान को कम किया जा सके और किसानों का लाभ बढ़ाया जा सके। उद्यमी, सहकारी समितियाँ, पैक्स और स्वयं सहायता समूह, अक्सर ग्रेडिंग, छंटाई और पैकेजिंग इकाइयों के साथ एकीकृत किए जाने वाले शीतगृह रसद स्थापित करने के लिए एआईएफ सहायता का सक्रिय रूप से लाभ उठा रहे हैं। दिनांक 30.06.2025 तक, एआईएफ के अंतर्गत 8258 करोड़ रूपये की स्वीकृत राशि से 2454 शीतगृह परियोजनाओं को मंजूरी दी जा चुकी है।

इसके अतिरिक्त, एमआईडीएच के अंतर्गत, बागवानी क्षेत्र के समग्र विकास के लिए, जिसमें कटाई और फसलोपरांत होने वाले नुकसान को कम करना शामिल है, विभिन्न बागवानी गतिविधियों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इनमें पैक हाउस, एकीकृत पैक हाउस, कोल्ड स्टोरेज, रीफर ट्रांसपोर्ट, राइपनिंग चैंबर आदि की स्थापना शामिल है। यह घटक मांग/उद्यमी आधारित है, जिसके लिए सामान्य क्षेत्रों में परियोजना लागत के 35% की दर से और संबंधित राज्य बागवानी मिशनों (एसएचएम) के माध्यम से पहाड़ी और अनुसूचित क्षेत्रों में परियोजना लागत के 50% की दर से ऋण-आधारित बैक-एंडेड सब्सिडी के रूप में सरकारी सहायता उपलब्ध है।

यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

*****

एमजी/आरपीएम/केसी/डीवी/डीए



(Release ID: 2146990)


Read this release in: English , Urdu , Punjabi