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एनआईईपीवीडी, देहरादून में 'अंतर दृष्टि' डार्क रूम का उद्घाटन और अमर सेवा संगम के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर

Posted On: 07 APR 2025 8:41PM by PIB Delhi

राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान, देहरादून ने राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ (एनएबी), नई दिल्ली के सहयोग से दिनांक 07 अप्रैल, 2025 को ‘अंतर दृष्टि’, एक अद्वितीय संवेदी अंधेरा कक्ष, का उद्घाटन किया। इस सुविधा का औपचारिक उद्घाटन केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (डीईपीडब्ल्यूडी) के सचिव, श्री राजेश अग्रवाल ने किया। इस अवसर पर दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की संयुक्त सचिव सुश्री मनमीत कौर नंदा और एनआईईपीवीडी के निदेशक श्री प्रदीप अनिरुद्धन भी उपस्थित थे।

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'अंतर दृष्टि' एक विशेष रूप से डिजाइन किया गया संवेदी अनुभव स्थान है जिसका उद्देश्य दृष्टिबाधित व्यक्तियों के सामने आने वाली चुनौतियों के प्रति जागरूकता बढ़ाना एवं समाज को संवेदनशील बनाना है। इस अंधेरे कमरे में, लोग पूर्ण अंधकार का अनुभव करते हैं और ऐसी गतिविधियों में संलग्न होते हैं जो अंधे या कम दृष्टि वाले लोगों को रोजमर्रा के अनुभवों का अनुकरण करने में मदद करती हैं। यह पहल धारणा एवं जीवित वास्तविकता के बीच की खाई को पाटकर सहानुभूति, समझ एवं समावेश को बढ़ावा देने की कोशिश करती है।

उद्घाटन के अतिरिक्त, एनआईईपीवीडी देहरादून ने अमर सेवा संगम के साथ एक एमओयू पर हस्ताक्षर किया है, जो दिव्यांगता पुनर्स्थापन एवं समावेशी विकास के क्षेत्र में एक अग्रणी संगठन है। इस एमओयू पर श्री राजेश अग्रवाल, सचिव, डीईपीडब्ल्यूडी, और सुश्री मनमीत कौर नंदा, संयुक्त सचिव, डीईपीडब्ल्यूडी की उपस्थिति में हस्ताक्षर किया गया।

इस सहयोग के माध्यम से, एनआईईपीवीडी ‘इनेबल इंक्लूजन’ ऐप को लागू करेगा, जो कि अमर सेवा संगम द्वारा विकसित एक डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है, जो विकासात्मक दिव्यांग बच्चों की शुरुआती पहचान, मध्यवर्तन और ट्रैकिंग के लिए है। बौद्धिक और विकासात्मक आवश्यकताओं का समर्थन करने के लिए इस ऐप का विभिन्न समुदायों में सफलतापूर्वक उपयोग किया गया है।

समझौते के अंतर्गत, एनआईईपीवीडी अपनी दृष्टि विकारों में विशेषज्ञता को एकीकृत करेगा जिससे ऐप के दायरे का विस्तार किया जा सके, जिससे यह दृष्टिहीन लोगों की आवश्यकताओं को ज्यादा सुलभ एवं प्रतिक्रियाशील बन सके। यह पहल डिजिटल माध्यमों से व्यक्तिगत समर्थन एवं सेवाओं को सुगम बनाएगी, जिससे पुनर्वास मध्यवर्तनों की पहुंच एवं प्रभावशीलता को बढ़ावा मिलेगा।

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