पंचायती राज मंत्रालय
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भूमि प्रशासन पर छह दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला हरियाणा के गुरुग्राम में संपन्न हुई

"भारत का लक्ष्य भूमि प्रशासन प्रौद्योगिकियों तक वैश्विक पहुंच सुनिश्चित करना है; स्वामित्व वैश्विक नीति निर्माण में सहायता कर सकता है": श्री विवेक भारद्वाज

Posted On: 29 MAR 2025 7:28PM by PIB Delhi

भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (आईटीईसी) कार्यक्रम के अंतर्गत विदेश मंत्रालय के सहयोग से पंचायती राज मंत्रालय द्वारा आयोजित भूमि प्रशासन पर छह दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला आज हरियाणा के गुरुग्राम में हरियाणा लोक प्रशासन संस्थान (एचआईपीए) में संपन्न हुईकार्यशाला में अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और दक्षिण-पूर्व एशिया के 22 देशों के वरिष्ठ अधिकारियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। कार्यशाला के दौरान, प्रतिभागियों ने भूमि प्रशासन पर केंद्रित विस्तृत चर्चा और व्यावहारिक सत्रों में भाग लिया, जिसमें प्रतिनिधियों ने पंचायती राज मंत्रालय के तत्वावधान में अपने-अपने देशों में इसी तरह की कार्यशालाओं के आयोजन का सुझाव दिया। इस अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला में भूमि प्रशासन के आधुनिकीकरण के लिए नवीन समाधानों की खोज की गई और ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए एक वैश्विक मंच के रूप में कार्य किया गया। इसमें भारत ने स्वामित्व योजना के अंतर्गत ड्रोन-आधारित भूमि सर्वेक्षण, डिजिटल संपत्ति रिकॉर्ड और पारदर्शी शासन व्यवस्था में अपनी तकनीकी प्रगति का प्रदर्शन किया।

पंचायती राज मंत्रालय के सचिव श्री विवेक भारद्वाज ने आज एचआईपीए में समापन भाषण में भूमि प्रशासन में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और ज्ञान-साझाकरण के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर बल दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भूमि प्रशासन में सर्वोत्तम अभ्यास, जैसे कि स्वामित्व योजना, दुनिया भर में बेहतर नीति निर्माण में कैसे सहायता कर सकती है। उन्होंने दक्षिण-दक्षिण सहयोग में भारत का विश्वास व्यक्त करते हुए साझेदार देशों के लाभ के लिए अपनी तकनीकी प्रगति को साझा करने के लिए देश की तत्परता व्यक्त की। श्री भारद्वाज ने भाग लेने वाले देशों से प्रतिक्रिया और सुझाव लेते हुए कहा कि कार्यशाला का लक्ष्य वैश्विक सहयोग को प्रोत्साहन देना और स्वामित्व योजना के परिवर्तनकारी प्रभाव को प्रदर्शित करते हुए आपसी सीख की सुविधा प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि भारत का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि भूमि प्रशासन में तकनीकी प्रगति का लाभ व्यापक रूप से वैश्विक समुदाय तक पहुंचे। पंचायती राज मंत्रालय में संयुक्त सचिव श्री आलोक प्रेम नागर और एचआईपीए के महानिदेशक श्री रमेश चंद्र बिधान भी समापन सत्र में उपस्थित थे।

 

भूमि प्रशासन पर छह दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला: एक अवलोकन

भूमि प्रशासन पर अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला में भूमि प्रशासन प्रणालियों के आधुनिकीकरण पर ध्यान केंद्रित किया गया, संपत्ति के अधिकारों में सुधार और भूमि विवादों को कम करने में प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा की गई। विशेषज्ञों ने भूमि कानूनों, प्रशासनिक ढांचे और सर्वोत्तम प्रथाओं पर विचार साझा किए। इसमें भारत के अग्रणी प्रयासों, जैसे कि ग्रामीण भूमि पार्सल के मानचित्रण के लिए ड्रोन-आधारित सर्वेक्षण का उपयोग पर विशेष बल दिया गया। एक महत्वपूर्ण आकर्षण गुरुग्राम जिले के सोहना प्रखंड में अलीपुर ग्राम पंचायत में ड्रोन सर्वेक्षण तकनीक का ऑन-ग्राउंड प्रदर्शन था, जिससे अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों को स्वामित्व योजना के अंतर्गत भारत के भूमि सर्वेक्षण दृष्टिकोण की सटीकता और समुदाय-केंद्रित कार्यप्रणाली को देखने का अवसर प्राप्त हुआ। [स्वामित्व योजना के अंतर्गत, अब तक 2.43 करोड़ संपत्ति कार्ड जारी किए गए हैं और 67,000 वर्ग किलोमीटर में 3.2 लाख गांवों में ड्रोन सर्वेक्षण पूरा हो चुका है, जो 1162 बिलियन डॉलर (जनवरी 2025 डॉलर की दर के अनुसार) का अनुमानित परिसंपत्ति आधार दर्शाता है, जो योजना की मापनीयता और प्रभाव को प्रदर्शित करता है। स्वामित्व योजना को कुशल भूमि प्रशासन के लिए एक वैश्विक मॉडल के रूप में मान्यता प्राप्त है]

कार्यशाला में प्रौद्योगिकी-संचालित भूमि प्रशासन पर भी चर्चा की गई, जिसमें सतत संचालन संदर्भ स्टेशन (सीओआरएस) नेटवर्क की तैनाती और भूमि अभिलेखों को अद्यतन करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) का उपयोग शामिल है। ये प्रगति भूमि डेटा की वास्तविक समय निगरानी का वादा करती है, जो विकासशील देशों के लिए महत्वपूर्ण क्षमता प्रदान करती है। प्रतिभागियों ने भू-स्थानिक मानचित्रण और संपत्ति अधिकार ढांचे पर अनुभव साझा किए और अपनी भूमि प्रशासन प्रणालियों को बढ़ाने के लिए भारत के मॉडल को अपनाने में रुचि व्यक्त की। लाइव ड्रोन सर्वेक्षण और जीआईएस अनुप्रयोगों और स्वामित्व मंच के प्रदर्शनों सहित व्यावहारिक प्रशिक्षण ने डिजिटल भूमि प्रशासन प्रक्रिया के लिए व्यावहारिक प्रदर्शन किया। कार्यशाला का समापन भूमि प्रशासन में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के भविष्य पर चर्चा के साथ हुआ, जिसमें डिजिटल भूमि प्रशासन में भारत के नेतृत्व और नीति सहयोग, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और क्षमता निर्माण के माध्यम से अन्य देशों की सहायता करने की इसकी प्रतिबद्धता पर बल दिया गया। इसके अलावा, विदेशी प्रतिनिधियों को आगरा में ताजमहल और नई दिल्ली में कई संस्थागत स्थलों, जिनमें भारतीय सर्वेक्षण प्रयोगशाला, प्रधानमंत्री संग्रहालय और इंडिया गेट की यात्रा शामिल हैं। यात्रा के दौरान विदेशी प्रतिनिधियों को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत देखने का अवसर भी प्राप्त हुआ।

स्वामित्व योजना के बारे में: पंचायती राज मंत्रालय द्वारा शुरू की गई स्वामित्व (गांवों का सर्वेक्षण और ग्रामीण क्षेत्रों में उन्नत तकनीक के साथ मानचित्रण) योजना, ग्रामीण संपत्ति मालिकों को संपत्ति कार्ड जारी करके 'अधिकारों का रिकॉर्ड' प्रदान करती है, जो भूमि स्वामित्व को स्पष्ट करती है और संपत्ति विवादों को कम करती है। इस योजना के अंतर्गत पहले ही 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 3.2 लाख गांवों का सर्वेक्षण किया जा चुका है, जिसके परिणामस्वरूप 1.61 लाख गांवों में 2.43 करोड़ संपत्ति कार्ड जारी किए गए हैं। 567 सतत संचालन संदर्भ स्टेशनों (सीओआरएस) और उच्च-रिज़ॉल्यूशन जीआईएस मैपिंग के समर्थन से, यह 5 सेमी तक की सटीकता के साथ सटीक भूमि सीमांकन सुनिश्चित करता है। उच्च-रिज़ॉल्यूशन 1: 500 स्केल मानचित्रों के निर्माण ने भूमि सर्वेक्षण और संपत्ति सीमांकन की प्रभावशीलता को और अधिक बढ़ा दिया है।

स्वामित्व योजना ग्रामीण आर्थिक संभावनाओं का पता लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, क्योंकि यह संपत्ति के स्वामित्व को मान्यता प्रदान करती है, भूमि मालिकों को बैंक ऋण प्राप्त करने और औपचारिक वित्तीय प्रणाली में एकीकृत करने में सक्षम बनाती है, साथ ही स्थानीय बुनियादी ढांचे के विकास के लिए संपत्ति कर राजस्व में वृद्धि से ग्राम पंचायतों को भी लाभ प्रदान करती है। यह योजना बेहतर ग्राम पंचायत विकास योजनाओं (जीपीडीपी) का समर्थन करके और डिजीलॉकर एकीकरण के माध्यम से भूमि स्वामित्व सत्यापन की सुविधा प्रदान करके पंचायती राज संस्थाओं को मजबूत करती है। स्वामित्व योजना भारत के ड्रोन प्रौद्योगिकी इकोसिस्टम को भी प्रोत्साहित करती है, जिससे संबंधित क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा होते हैं। इसके अतिरिक्त, यह ग्रामीण परिवारों के लिए बाढ़ जोखिम मूल्यांकन, बुनियादी ढांचे और आपातकालीन योजना तथा सौर क्षमता मूल्यांकन का समर्थन करती है। अंतर्राष्ट्रीय मोर्चे पर, स्वामित्व योजना भूमि प्रशासन में एक मानदंड स्थापित करती है, जो समान चुनौतियों का सामना करने वाले अन्य देशों के लिए बडे पैमाने पर एक मॉडल पेश करती है।

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