इस्‍पात मंत्रालय
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इस्पात उत्पादन और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देना

Posted On: 28 MAR 2025 3:32PM by PIB Delhi

इस्पात एक विनियमन-मुक्त क्षेत्र है और किसी कंपनी की स्थिरता, आयात और निर्यात बाजार की शक्तियों सहित विभिन्न कारकों द्वारा निर्धारित होते हैं। सरकार घरेलू प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार के लिए अनुकूल नीतिगत वातावरण बनाकर एक सुविधाकर्ता के रूप में कार्य करती है, इसके लिए कुछ पहल की गई हैं:-

  1. आयातित इस्पात उत्पादों पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी (एडीडी) और काउंटरवेलिंग ड्यूटी (सीवीडी) लगाना जो घरेलू इस्पात उत्पादकों की प्रतिस्पर्धात्मकता का अवमूल्यन करते हैं।
  2. देश में पूरी तरह से उपलब्ध नहीं होने वाले फेरोएलॉय, फेरस स्क्रैप जैसे कच्चे माल पर मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) का आवधिक अंशांकन।
  3. आयात की प्रभावी निगरानी के लिए इस्पात आयात निगरानी प्रणाली (एमआईएमएस) 2.0 का पुनरुद्धार और घरेलू इस्पात उत्पादकों को आयात पर विस्तृत डेटा प्रदान करना।
  4. सरकारी खरीद के लिए ‘मेड इन इंडिया’ स्टील को बढ़ावा देने के लिए घरेलू रूप से निर्मित लौह एवं इस्पात उत्पाद (डीएमआई एंड एसपी) नीति का कार्यान्वयन।
  5. देश के भीतर ‘स्पेशलिटी स्टील’ के विनिर्माण को बढ़ावा देने और आयात को कम करने के लिए स्पेशलिटी स्टील के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना का शुभारंभ।
  6. घरेलू रूप से उत्पन्न लौह स्क्रैप की उपलब्धता बढ़ाने के लिए स्टील स्क्रैप रीसाइक्लिंग नीति की अधिसूचना।
  7. सरकार ने भारत में इस्पात क्षेत्र को हरित बनाने के लिए प्रारूप पर रिपोर्ट जारी करके स्टील उद्योग में डीकार्बोनाइजेशन की दिशा में पहल की है और ‘द टैक्सोनॉमी फॉर ग्रीन स्टील’ भी जारी की है।

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