प्रधानमंत्री कार्यालय
आईएनएस सूरत, आईएनएस नीलगिरि और आईएनएस वाघशीर की कमीशनिंग के मौके पर प्रधानमंत्री के भाषण का मूल पाठ
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15 JAN 2025 2:08PM by PIB Delhi
महाराष्ट्र के राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन जी, महाराष्ट्र के लोकप्रिय मुख्यमंत्री, देवेंद्र फडणवीस जी, मंत्री परिषद के मेरे वरिष्ठ साथी श्रीमान राजनाथ सिंह जी, संजय सेठ जी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, उनके साथ आज हमारे दोनों उपमुख्यमंत्री भी हैं, उपमुख्यमंत्री श्रीमान एकनाथ शिंदे जी, अजीत पवार जी, CDS, CNS, नेवी के सभी साथी, मझगांव डॉक्यार्ड में काम करने वाले सभी साथी, अन्य अतिथिगण, देवियों और सज्जनों।
15 जनवरी के दिन को आर्मी डे के रूप में भी मनाया जाता है। देश की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले प्रत्येक जांबाज को मैं नमन करता हूं, मां भारती की रक्षा में जुटे हर वीर-वीरांगना को मैं आज के दिन बधाई देता हूं।
साथियों,
आज भारत की समुद्री विरासत, नेवी के गौरवशाली इतिहास और आत्मनिर्भर भारत अभियान के लिए भी बहुत ब़ड़ा दिन है। छत्रपति शिवाजी महाराज ने भारत में नौसेना को नया सामर्थ्य दिया था, नया विजन दिया था। आज उनकी इस पावन धरती पर, 21वीं सदी की नेवी को सशक्त करने की तरफ हम एक बहुत बड़ा कदम उठा रहे हैं। ये पहली बार हो रहा है, जब एक डिस्ट्रॉयर, एक फ्रिगेट और एक सबमरीन, तीनों को एक साथ कमीशन किया जा रहा है। और सबसे गर्व की बात की ये तीनों Frontline Platforms मेड इन इंडिया हैं। मैं भारतीय नौसेना को, इनके निर्माण कार्य से जुड़े सभी साथियों को, इंजीनियर्स को, श्रमिकों को और पूरे देश को बधाई देता हूं।
साथियों,
आज का ये कार्यक्रम, हमारी गौरवशाली धरोहर को भविष्य की आकांक्षाओं से जोड़ता है। लंबी समुद्री यात्राएं, कॉमर्स, नेवल डिफेंस, शिप इंडस्ट्री, इसमें हमारा एक समृद्ध इतिहास रहा है। अपने इतिहास से प्रेरणा लेते हुए, आज का भारत, दुनिया की एक मेजर मेरीटाइम पावर बन रहा है। आज जो प्लेटफॉर्म लॉन्च हुए हैं, उनमें भी इसकी झलक है। अब जैसे हमारा नीलगिरी, चोल वंश के समुद्री सामर्थ्य के प्रति समर्पित है। सूरत वॉरशिप, उस कालखंड की याद दिलाता है, जब गुजरात के पोर्ट्स के जरिए भारत west asia से जुड़ा था। इन दिनों ये दोनों शिप्स, इसके साथ आज वाघशीर सबमरीन की कमीशनिंग भी हो रही है। कुछ वर्ष पूर्व मुझे P75 Class की पहली सबमरीन, कलवरी की कमीशनिंग में शामिल होने का अवसर मिला था। आज मुझे इस क्लास की छठवीं सबमरीन वाघशीर को, कमीशन करने का सौभाग्य मिला है। ये नए फ्रंटियर प्लेटफॉर्म भारत की सुरक्षा और प्रगति, दोनों को नया सामर्थ्य देंगे।
साथियों,
आज भारत पूरे विश्व और खासकर ग्लोबल साउथ में एक भरोसेमंद और जिम्मेदार साथी के रूप में पहचाना जा रहा है। भारत विस्तारवाद नहीं, भारत विकासवाद की भावना से काम करता है। भारत ने हमेशा Open, secure, inclusive और prosperous...Indo- Pacific Region का समर्थन किया है। इसलिए जब समुद्र से सटे देशों के विकास की बात आई, तो भारत ने मंत्र दिया सागर। सागर का मतलब है- Security And Growth for All in the Region, हम सागर के विजन के साथ आगे बढ़े, जब भारत के सामने जी-20 की प्रेसिडेंसी संभालने का दायित्व आया, तो दुनिया को हमने मंत्र दिया- One Earth One Family One Future. जब दुनिया कोरोना से लड़ते हुए पस्त पड़ रही थी, तब भारत ने विजन दिया- One Earth One Health. हम पूरे विश्व को अपना परिवार मानकर चलते हैं, हम सबका साथ, सबका विकास उस सिद्धांत पर विश्वास करने वाले लोग हैं। और इसलिए, इस पूरे क्षेत्र की रक्षा-सुरक्षा भी भारत अपना दायित्व समझता है।
साथियों,
Global security, economics और geopolitical dynamics को दिशा देने में, भारत जैसे maritime nation की भूमिका बहुत बड़ी होने वाली है। आर्थिक प्रगति और Energy Security के लिए ये जरूरी है कि territorial Waters को protect किया जाए, Freedom of Navigation को Ensure किया जाए, और ट्रेड की Supply Line और Sea Routes सुरक्षित हों। हमें आतंकवाद, हथियारों और ड्रग्स की तस्करी से इस पूरे क्षेत्र को बचाकर रखना है। इसलिए आज जरूरी है कि समुद्र को Safe और Prosperous बनाने में हम global partner बनें, हम Logistics की Efficiency बढ़ाने और शिपिंग इंडस्ट्री के लिए काम करें। हम Rare Minerals, Fish stock जैसे Ocean Resources का दुरुपयोग रोकने में और इसे manage करने की capacity develop करें। हम New shipping routes और sea lanes of communication को खोजने में Invest करें। मुझे खुशी है कि आज भारत इस दिशा में लगातार कदम उठा रहा है। भारत, पूरे Indian Ocean Region में First Responder भी बनकर उभरा है। बीते कुछ महीनों में ही हमारी नौसेना ने सैकड़ों जानें बचाई हैं, हज़ारों करोड़ रुपए के नेशनल और इंटरनेशनल कार्गो की सुरक्षा की है। इससे दुनिया का भारत पर भरोसा बढ़ा है, आप सबके कारण बढ़ा है, और इसलिए मैं आज आप सबका भी अभिनंदन करता हूं। भारतीय नौसेना, कोस्ट गार्ड उन पर भी लगातार भरोसा बढ़ता जा रहा है। आज आप भी देख रहे हैं, आसियान हो, ऑस्ट्रेलिया हो, गल्फ हो, अफ्रीका के देश हों, सबके साथ, आज भारत का आर्थिक सहयोग लगातार मज़बूत हो रहा है। संबंधों की इस मजबूती में, Indian Ocean Region में भारत की उपस्थिति, भारत का सामर्थ्य एक बहुत बड़ा आधार है। और इसलिए आज का ये आयोजन सैन्य दृष्टि के साथ ही आर्थिक दृष्टि से भी उतना ही अहम है।
साथियों,
21वीं सदी के भारत का सैन्य सामर्थ्य भी अधिक सक्षम हो, आधुनिक हो, ये देश की प्राथमिकताओं में से एक है। जल हो, थल हो, नभ हो, डीप सी हो या फिर असीम अंतरिक्ष, हर जगह भारत अपने हितों को सुरक्षित कर रहा है। इसके लिए निरंतर रिफॉर्म्स किए जा रहे हैं। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का गठन, ऐसा ही एक रिफॉर्म है। हमारी सेनाएं और अधिक efficient हों, इसके लिए थियेटर कमांड्स की दिशा में भी भारत आगे बढ़ रहा है।
साथियों,
पिछले 10 साल में जिस तरह भारत की तीनों सेनाओं ने आत्मनिर्भरता के मंत्र को अपनाया है, वो बहुत ही सराहनीय है। संकट के समय दूसरे देशों पर भारत की निर्भरता कम से कम हो, इस गंभीरता को समझते हुए आप सभी इस काम को आगे बढ़ा रहे हैं, नेतृत्व दे रहे हैं। हमारी सेनाओं ने 5 हजार से ज्यादा ऐसे साजो-सामान और उपकरणों की लिस्ट तैयार की है, जो अब वो विदेशों से नहीं मंगाएगी। जब भारत का सैनिक, भारत में बने साजो-सामान के साथ आगे बढ़ता है, तो उसका आत्मविश्वास भी कुछ अलग ही होता है। पिछले 10 साल में, कर्नाटक में देश की सबसे बड़ी हेलीकॉप्टर बनाने वाली फैक्ट्री शुरु हुई है। सेनाओं के लिए ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट बनाने वाली फैक्ट्री शुरु हुई। तेजस फाइटर प्लेन ने भारत की साख को आसमान की नई ऊंचाई पर पहुंचाया है। यूपी और तमिलनाडु में बन रहे डिफेंस कॉरिडोर्स, डिफेंस प्रोडक्शन को और गति देने वाले हैं। और मुझे खुशी है कि हमारी नेवी ने भी मेक इन इंडिया अभियान का बहुत अधिक विस्तार किया है। इसमें मझगांव डॉक्यार्ड के आप सभी साथियों की भी बहुत बड़ी भूमिका है। पिछले 10 साल में नेवी में 33 ships और 07 सबमरीन्स को शामिल किया गया है। इन 40 Naval Vessels में से 39, भारतीय शिपयार्ड्स में ही बने हैं। हमारा इसमें, हमारा भव्य-विराट INS Vikrant एयरक्राफ्ट कैरियर, और INS अरिहंत और INS अरिघात जैसी न्यूक्लियर सबमरीन भी शामिल हैं। मेक इन इंडिया को ऐसी गति देने के लिए मैं देश की तीनों सेनाओं को ह्दय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आज भारत का डिफेंस प्रोड्क्शन, सवा लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो चुका है। हम 100 से ज्यादा देशों को डिफेंस इक्विपमेंट एक्सपोर्ट कर रहे हैं। मुझे विश्वास है, आपके सहयोग से, आज भारत तेजी से अपने डिफेंस सेक्टर का कायाकल्प करके दिखाएगा।
साथियों,
मेक इन इंडिया से भारत की सेनाओं का सामर्थ्य बढ़ने के साथ ही, आर्थिक प्रगति के नए द्वार भी खुल रहे हैं। जैसे एक उदाहरण शिप बिल्डिंग इकोसिस्टम का है। आप में से बहुत से लोगों को पता होगा, एक्सपर्ट भी कहते हैं, शिप बिल्डिंग में जितना इंवेस्ट किया जाए, उसका दोगुना पॉजिटिव इंपैक्ट इकोनॉमी पर पड़ता है। यानि अगर हम शिप बिल्डिंग में 1 रुपये लगाते हैं, तो इकोनॉमी में एक रुपए 82 पैसे के आसपास सर्कुलेशन होता है। आप सोचिए, अभी देश में 60 बड़े शिप्स Under Construction हैं। इनकी वैल्यू डेढ़ लाख करोड़ रुपये के आसपास है। यानि इतना पैसा लगाने से करीब 3 लाख करोड़ रुपए का सर्कुलेशन हमारी इकोनॉमी में होगा। और रोजगार के मामले में तो इसका 6 गुणा multiplier effect होता है। जहाजों का ज्यादातर सामान, ज्यादातर पार्ट्स, देश के MSMEs से ही आता है। इसलिए अगर 2000 वर्कर एक जहाज़ बनाने के काम में लगते हैं, तो दूसरी इंडस्ट्री में, जो MSME सप्लायर है, उस MSME सेक्टर में करीब 12 हज़ार रोजगार बनते हैं।
साथियों,
आज भारत दुनिया की तीसरी बड़ी इकोनॉमी बनने की तरफ तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। हमारी मैन्युफेक्चरिंग, हमारी एक्सपोर्टिंग कैपेसिटी भी लगातार बढ़ रही है। आने वाले सालों में सैकड़ों नए शिप्स की, नए कंटेनर्स की ज़रूरत भारत को होगी। इसलिए पोर्ट लेड डेवलपमेंट का ये मॉडल, हमारी इकोनॉमी को गति देने वाला है, रोजगार के हजारों नए मौके बनाने वाला है।
साथियों,
इस क्षेत्र में कैसे रोजगार बढ़ रहा है, इसका एक उदाहरण सी-फेरर्स की संख्या भी है। 2014 में भारत में सी-फेरर्स की संख्या सवा लाख से भी कम थी। आज ये दोगुने से भी अधिक बढ़कर लगभग 3 लाख तक पहुंच चुकी है। आज भारत सी-फेरर्स की संख्या में विश्व में टॉप-फाइव में आ गया है।
साथियों,
हमारी सरकार का तीसरा कार्यकाल, अनेक बड़े निर्णयों के साथ शुरु हुआ है। तेज गति से हमने नई नीतियां बनाईं हैं, देश की जरूरत को देखते हुए नए कार्य शुरु किए हैं। देश के हर कोने, हर सेक्टर का विकास हो, इस लक्ष्य के साथ हम चल रहे हैं, पोर्ट सेक्टर का विस्तार भी इसका ही हिस्सा है। हमारे तीसरे टर्म के पहले बड़े फैसलों में से था, महाराष्ट्र के वाढवण पोर्ट को मंजूरी। पचहत्तर हजार करोड़ रुपए के खर्च से इस आधुनिक पोर्ट के निर्माण का काम शुरू भी हो चुका है। इससे भी महाराष्ट्र में रोजगार के हजारों नए अवसर बनने वाले हैं।
साथियों,
बहुत लंबे समय तक बॉर्डर औऱ कोस्ट लाइन से जुड़े कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर पर उतना ध्यान नहीं दिया गया। बीते दस सालों में इसके लिए भी अभूतपूर्व काम हुआ है। दो दिन पहले ही मुझे जम्मू कश्मीर में सोनमर्ग टनल का लोकार्पण करने का अवसर मिला है। इससे कारगिल, लद्दाख जैसे हमारे सीमावर्ती इलाकों तक पहुंचना, उसमें बहुत आसानी होगी, सुलभ होगी। पिछले साल अरुणाचल प्रदेश में सेला टनल का लोकार्पण हुआ है। ये LAC तक हमारी सेना की पहुंच को आसान बना रही है। आज शिंकुन ला टनल और जोजिला टनल जैसे अनेक क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर पर तेज़ी से काम चल रहा है। भारतमाला परियोजना से बॉर्डर एरिया में शानदार नेशनल हाईवेज़ का नेटवर्क बनाया जा रहा है। वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम, आज बॉर्डर के गांवों के विकास में अहम भूमिका निभा रहा है। बीते दशक में अपने दूर-सुदूर के आयलैंड्स पर भी हमने फोकस किया है। जहां कोई भी नहीं रहता, उन आयलैंड्स की भी रेगुलर मॉनीटरिंग की जा रही है, इतना ही नहीं, अब उस आयलैंड की नई पहचान भी बनाई जा रहा है, उन्हें नया नाम दिया जा रहा है। इतना ही नहीं, हिंद महासागर में समुद्र तल पर भी जो समुद्री पर्वत या सीमाउंट हैं, उनका भी नामकरण किया जा रहा है। पिछले साल भारत की पहल पर इंटरनेशनल संस्था ने 5 ऐसे स्थानों को नाम दिए हैं। हिंद महासागर में अशोक सीमाउंट, हर्षवर्धन सीमाउंट, राजा राजा चोल सीमाउंट, कल्पतरु रिज और चंद्रगुप्त रिज भारत का गौरव बढ़ा रहे हैं।
साथियों,
हम सब जानते हैं, भविष्य में असीम अंतरिक्ष और डीप सी, दोनों का कितना महत्व है। इसलिए आज स्पेस और डीप सी, दोनों जगह भारत अपनी क्षमताओं को बढ़ा रहा है। हमारा समुद्रयान प्रोजेक्ट, वैज्ञानिकों को समंदर में 6 हजार मीटर की उस गहराई तक ले जाने वाला है, जहां कुछ ही देश पहुंच पाए हैं। यानि भविष्य की किसी भी संभावना पर काम करने में हमारी सरकार कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रही है।
साथियों,
21वीं सदी का भारत पूरे आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़े, इसके लिए ये बहुत जरूरी है कि हम गुलामी के प्रतीकों से भी मुक्त हों। और हमारी नौसेना ने इस में भी नेतृत्व दिखाया है। नौसेना ने अपने ध्वज को छत्रपति शिवाजी महाराज की गौरवशाली परंपरा से जोड़ा है। नेवी ने एडमिरल रैंक के एपोलेट्स भी, छत्रपति शिवाजी महाराज की परंपरा के अनुसार रि-डिजाइन किए हैं। मेक इन इंडिया का अभियान, भारत की आत्मनिर्भरता का अभियान भी गुलामी की मानसिकता से मुक्ति को बढ़ावा देता है। मुझे विश्वास है, आप सभी ऐसे ही देश को गौरव से भरे पल देते रहेंगे, हर वो काम, जो भारत को विकसित बनाने में योगदान दे, वो हमें मिलकर करना है। हमारे दायित्व अलग हो सकते हैं, लेकिन सबका ध्येय एक ही है- विकसित भारत। आज जो ये नए फ्रंटियर प्लेटफॉर्म देश को मिले हैं, इनसे हमारे संकल्प को मजबूती मिलेगी।
और साथियों,
जरा हल्की-फुल्की बात करनी है तो, मेरा अनुभव रहा है, मैं सेना के जितने भी कार्यक्रमों में गया हूं, और खाने में सबसे उत्तम व्यवस्था किसी की है, तो नेवी की है, विविधताओं से भरपूर। अब आज उसमें सूरत सिर्फ जुड़ गया है, और हम लोगों को एक कहावत मालूम होगी, बड़ी पॉपुलर कहावत है, और मैं कैप्टन संदीप को कहूंगा कि इस बात को जरा गौर से सुने, वो कहावत है- सूरत का जमण और काशी का मरण, यानी सूरत का जो भोजन होता है, वो उतना ही महान होता है, श्रेष्ठ होता है, अब जब सूरत लॉन्च हो रहा है, तो मुझे विश्वास है कैप्टन संदीप सूरती खाना भी लोगों को खिलाएंगे।
साथियों,
यह बहुत ही उत्तम अवसर है, पूरा देश आपको शुभकामनाएं दे रहा है, पूरा देश गौरव से भर रहा है, और इसीलिए, एक नए विश्वास के साथ, नई उमंग और उत्साह के साथ, नए संकल्प के साथ विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए हम पूरे सामर्थ्य से जुड़े। आज के अवसर पर इन तीनों महत्वपूर्ण कदम के लिए, महत्वपूर्ण सौगात के लिए आप सबको बधाई देते हुए, मैं मेरी वाणी को विराम देता हूं। आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं। पूरी ताकत से मेरे साथ बोलिए-
भारत माता की जय।
कम से कम इस कार्यक्रम में यह आवाज़ सबसे ज्यादा गूंजनी चाहिए।
भारत माता की जय।
भारत माता की जय।
भारत माता की जय।
बहुत-बहुत धन्यवाद।
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MJPS/ST/RK
(Release ID: 2093026)
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