संस्‍कृति मंत्रालय
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महाकुंभ 2025 में मकर संक्रांति के अवसर पर प्रथम अमृत स्नान में आज शाम 5:30 बजे तक 3.5 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच संगम में डुबकी लगाई

मेला क्षेत्र में 50,000 से अधिक सुरक्षाकर्मी तैनात; घाटों पर सफाई बनाए रखने के लिए गंगा सेवा दूत तैनात

महाकुंभ 2025 में असम के पारंपरिक त्योहार भोगली बिहू का पहला उत्सव आयोजित किया गया

अंतरराष्ट्रीय भागीदारी के साथ महाकुंभ वैश्विक मंच पर भारत की सांस्कृतिक विरासत को प्रचारित करता है, जिससे दुनिया भर में राष्ट्र की सांस्कृतिक ब्रांडिंग को बढ़ावा मिलता है 

Posted On: 14 JAN 2025 8:39PM by PIB Delhi

महाकुंभ 2025 में 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति के पावन अवसर पर प्रथम 'अमृत स्नान' में शाम 5:30 बजे तक 3.5 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम में डुबकी लगाई।  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से यह जानकारी साझा करते हुए इस आयोजन को आस्था, एकता और सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक  बताया।


इस आयोजन में केवल भारतीय श्रद्धालु ही नहीं, अपितु अमेरिका, फ्रांस, इजरायल, ईरान और पुर्तगाल जैसे देशों से अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभागी भी शामिल हुए, जो भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता से बेहद प्रभावित हुए।

उपस्थित लोगों की सुरक्षा और सुख-सुविध सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन ने पुलिस, अर्धसैनिक बलों और स्थानीय सुरक्षा कर्मियों सहित 50,000 से अधिक सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया है। इसके अतिरिक्त, नदी से चढ़ावा और अन्य सामग्री को तुरंत हटाकर सफाई बनाए रखने के लिए घाटों पर 'गंगा सेवा दूततैनात किए गए।

इस साल के कुंभ में एक उल्लेखनीय आयोजन मेला परिसर में असम का पारंपरिक त्योहार भोगली बिहू मनाया जाना रहा। असम से पधारे संतों और भक्तों ने पारंपरिक नृत्य, भजन प्रस्तुत किए और चावल से बने व्यंजन वितरित करते हुए पूर्वोत्तर भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की झलक प्रस्तुत की।

महाकुंभ में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया। इनके अंतर्गत विभिन्न राज्यों के कलाकारों और भक्तों ने पारंपरिक नृत्य और संगीत प्रस्तुत कर भारत की सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित किया। प्रशासन ने सभी उपस्थित लोगों के लिए आरामदायक अनुभव सुनिश्चित करने के लिए निःशुल्क चिकित्सा सेवाएं, पेयजल और परिवहन जैसी सुविधाएं प्रदान कीं।

अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी और आयोजन की भव्यता ने वैश्विक मंच पर भारत की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिससे दुनिया भर में देश की सांस्कृतिक ब्रांडिंग को बढ़ावा मिला है।

 

संक्षेप में, महाकुंभ 2025 आस्था, एकता और विविधता का प्रतीक है, जो विश्व को भारतीय संस्कृति और परंपराओं की भव्यता की झलक दिखाता है।

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