ग्रामीण विकास मंत्रालय
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प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के वाटरशेड विकास घटक (डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई) 2.0 के अंतर्गत 10 सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों के लिए 56 अतिरिक्त परियोजनाएं

Posted On: 13 JAN 2025 7:31PM by PIB Delhi

भूमि संसाधन विभाग (डीओएलआर), ग्रामीण विकास मंत्रालय (एमओआरडी) प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के वाटरशेड विकास घटक (डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई) को कार्यान्वित कर रहा है, जिसका उद्देश्य एकीकृत दृष्टिकोण में वाटरशेड विकास परियोजनाओं को शुरू करके देश के बंजर और वर्षा आधारित क्षेत्रों का विकास करना है।

इसके तहत की जाने वाली गतिविधियों में अन्य बातों के अलावा, रिज (टीला) क्षेत्र उपचार, जल निकासी लाइन उपचार, मिट्टी और नमी संरक्षण, वर्षा जल संचयन, नर्सरी की स्थापना, चारागाह विकास, संपत्तिहीन व्यक्तियों के लिए आजीविका आदि शामिल हैं।

डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई 1.0 के तहत पूरी की गई परियोजनाओं के मूल्यांकन से भूजल स्तर में उल्लेखनीय सुधार, सतही जल की उपलब्धता में वृद्धि, फसल उत्पादकता में सुधार और किसानों की आय में बढ़ोतरी का पता चला है। डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई इन हस्तक्षेपों के माध्यम से बेहतर प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन के प्रति किसानों की बेहतर लचीलेपन के माध्यम से सतत विकास सुनिश्चित करना चाहता है।

वर्ष 2021-22 में, डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई 2.0 के तहत 12303 करोड़ की लागत से लगभग 50 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करने वाली 1150 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।

इस पहल को आगे बढ़ाते हुए, भूमि संसाधन विभाग ने पीएमकेएसवाई-डब्ल्यूडीसी 2.0 पहले से जारी योजना के तहत 700 करोड़ की लागत से 56 नई वाटरशेड विकास परियोजनाओं को मंजूरी देने की घोषणा की है। ये परियोजनाएं 10 सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों अर्थात राजस्थान, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, ओडिशा, तमिलनाडु, असम, नागालैंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम से संबंधित हैं।

प्रत्येक परियोजना का क्षेत्रफल लगभग 5,000 हेक्टेयर होगा, लेकिन पहाड़ी राज्यों में यह क्षेत्रफल कम हो सकता है। यह पहल लगभग 2.8 लाख हेक्टेयर को कवर करने के लिए 700 करोड़ रुपये आवंटित करके क्षेत्र में स्पष्ट दिखने वाले प्रभावों को प्राथमिकता देती है, जिससे क्षरित भूमि की समय पर वसूली और धन का कुशल उपयोग सुनिश्चित होता है।

ये परियोजनाएं किसानों की आय बढ़ाने, भूमि क्षरण को संबोधित करने और जलवायु लचीलापन प्रयासों को मजबूत करने में मदद करेंगी।

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