पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय
संसद प्रश्न: मौसम पूर्वानुमान में सुधार की योजना
Posted On:
19 DEC 2024 1:19PM by PIB Delhi
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, भौतिकी-आधारित संख्यात्मक मॉडल के अलावा मौसम, जलवायु और महासागर पूर्वानुमान प्रणालियों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) तकनीकों की मदद ले रहा है। यह पहल मौसम संबंधी भविष्यवाणियों की सटीकता और दक्षता को बढ़ाने के लिए एक व्यापक रणनीति के अंतर्गत है जो कृषि, आपदा प्रबंधन और शहरी नियोजन सहित विभिन्न क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण है। इसके अंतर्गत प्रमुख पहलों में पुणे में भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) में एक विशेष वर्चुअल सेंटर की स्थापना शामिल है। यह केंद्र पृथ्वी विज्ञान में प्रगति के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग तकनीकों का लाभ उठाने पर ध्यान केंद्रित करता है। इसने पहले से ही स्थानीय पूर्वानुमानों और मौसम और जलवायु के विश्लेषण के लिए कई कृत्रिम बुद्धिमत्ता/मशीन लर्निंग आधारित एप विकसित किए हैं।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), राज्य कृषि विश्वविद्यालयों (एसएयू), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) आदि के सहयोग से मौजूदा 130 कृषि-मौसम विज्ञान क्षेत्र इकाइयों (एएमएफयू) के माध्यम से ग्रामीण कृषि मौसम सेवा (जीकेएमएस) परियोजना के अंतर्गत किसानों को मौसम पूर्वानुमान आधारित कृषि-सलाह सेवाएं प्रदान कर रहा है। एएमएफयू अपने-अपने जिलों के लिए कृषि-सलाह तैयार करते हैं और उन्हें मीडिया, मोबाइल ऐप, एसएमएस आदि सहित विभिन्न तरीकों से प्रसारित करते हैं।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
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