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विकास आयुक्त (हथकरघा) ने “सौ दिन के कार्यक्रम” में विभिन्न पहल की

Posted On: 19 SEP 2024 6:41PM by PIB Delhi

वस्त्र मंत्रालय के तत्वावधान में विकास आयुक्त (हथकरघा) के कार्यालय ने अपने “सौ दिन के कार्यक्रम के अंतर्गत 10वें राष्ट्रीय हथकरघा दिवस समारोह में शरण (हिमाचल प्रदेश) और कनिहामा (जम्मू-कश्मीर) में  सौ क्लस्टरों में कौशल उन्नयन और शिल्प हथकरघा गांवों के निर्माण पूरा करने की पहल की।

10वां “राष्ट्रीय हथकरघा दिवस” 7 अगस्त 2024 को मनाया गया, जिसका उद्घाटन उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में किया। कार्यक्रम के दौरान उपराष्ट्रपति ने 2023 के लिए 5 संत कबीर हथकरघा पुरस्कार और 17 राष्ट्रीय हथकरघा पुरस्कार प्रदान किए।

इसके बाद निफ्ट द्वारा हथकरघा क्षेत्र पर एक फैशन शो की प्रस्तुति हुई। केंद्रीय कपड़ा मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने पुरस्कार विजेताओं के विवरण वाली पुरस्कार सूची और “परंपरा और पर्यावरण” नामक एक कॉफी टेबल बुक का अनावरण किया। इसके बाद डीसी (हथकरघा) कार्यालय की योजनाओं के अंतर्गत विभिन्न लाभार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए तथा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले 5 बुनकर सेवा केंद्रों (डब्ल्यूएससी) को सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम का समापन साड़ी के रुझान और बाजार की मांग, “इंडियाहैंडमेड” पोर्टल पर कार्यशाला के साथ हुआ। इसके साथ ही देश भर में डब्ल्यूएससी, आईआईएचटी, एनएचडीसी कार्यालयों और राज्य सरकारों द्वारा राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया गया।

एचईपीसी द्वारा वाराणसी में एक विशेष हथकरघा सोर्सिंग शो भी शुरू किया गया जो 9 अगस्त तक जारी रहा। अन्य कार्यक्रम में नई दिल्ली के जनपथ में हथकरघा हाट में “विरासत-एक विशिष्ट हथकरघा प्रदर्शनी”, शिल्प संग्रहालय में “अपनी बुनाई को जानो” अभियान और दिल्ली हाट में “विरासत-मेरा हथकरघा मेरा गौरव प्रदर्शनी 2024” का आयोजन किया गया है। MyGov पोर्टल पर हथकरघा पर एक प्रश्नोत्तरी भी आयोजित की गई है।

देश भर के सौ हथकरघा और हस्तशिल्प क्लस्टरों में बुनकरों और कारीगरों के कौशल को बढ़ाने के लिए “बुनकर और कारीगर उत्थान कार्यक्रम” शुरू किया गया। इस कार्यक्रम का उद्घाटन 27 जुलाई 2024 को कपड़ा राज्य मंत्री श्री पबित्रा मार्गेरिटा ने किया। इस कार्यक्रम के अंतर्गत पहचाने गए हथकरघा क्लस्टरों में 1527 बुनकरों ( सौ प्रतिशत सैचरेशन के साथ) को प्रशिक्षण देने के लिए 56 डिजाइन और कौशल उन्नयन प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए गए। बुनकरों को बुनाई के हुनर को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया गया, जिससे अंततः उनके उत्पादन और आय में वृद्धि हुई।

भारत सरकार की 12 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी के साथ बिहार के भागलपुर में  रेशम उद्योग का विकास नामक एक विशेष परियोजना के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दी गई है। अरुणाचल प्रदेश, बिहार और मणिपुर राज्य में 14 हथकरघा समूहों की 4,513 लाभार्थियों को  26  करोड़ 6 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है।

अंत में दो महत्वपूर्ण अवसंरचना परियोजनाओं शरण (हिमाचल प्रदेश) और कनिहामा (जम्मू-कश्मीर) में शिल्प हथकरघा गांवों का काम पूरा हो गया है। अवसंरचना परियोजनाओं को हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के पारंपरिक बुनकरों का समर्थन करने, स्थायी आजीविका को बढ़ावा देने और बुनकरों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को बढ़ाने के लिए तैयार किया गया था। शिल्प हथकरघा गांव पर्यटन के साथ जीवंत शिल्प पारिस्थितिकी तंत्र को जोड़ने की एक नई अवधारणा है। इन गांवों में लगभग तीन सौ बुनकर रहते हैं, जो एक ही स्थान पर काम करते हैं और अपने उत्पाद बेचते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य बुनकरों को आजीविका सुरक्षा सुनिश्चित करना है, जबकि गांव को पर्यटन सर्किट से जोड़ना है ताकि शिल्प की बिक्री बढ़ सके। गांव को सामान्य प्रदर्शन और प्रदर्शनी क्षेत्रों, कार्यस्थानों और बेहतर आवास सहित उन्नत बुनियादी ढांचे प्रदान किए गए हैं।

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