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Farmer's Welfare

दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन

ग्रामीण समुदायों के सशक्तिकरण के लिए एक प्रारूप

Posted On: 23 OCT 2025 10:09AM

मुख्य बातें

  • भारत के विभिन्न भागों में 10,05 करोड़ परिवारों को 90.9 स्वयं सहायता समूहों में संगठित किया गया।
  • उद्यमिता कार्यक्रमों के जरिये 4.6 करोड़ महिला किसानों और 3.74 लाख उद्यमों को सहायता प्रदान की गयी।
  • डीडीयू-जीकेवाई के अंतर्गत 17.5 लाख ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षित किया गयाजिनमें से 11.48 लाख की नियुक्ति हो चुकी है।
  • 47,952 बैंक सखियों को वित्तीय समावेशन और ऋण पहुंच को बढ़ावा देने के लिए नियुक्त किया गया।
  • कृषिलकड़ी के बगैर वनोपजपशुघन और गैर-कृषि उद्यमों के जरिये स्थायी आजीविका को प्रोत्साहित किया गया।

परिचय

दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएमभारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा चलाया जा रहा एक प्रमुख गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य गरीब परिवारों को लाभकारी स्व-रोज़गार और कुशल वेतन रोजगार के अवसर प्रदान करके गरीबी को कम करना है ताकि गरीबों के लिए स्थायी और विविध आजीविका विकल्प उपलब्ध हो। डीएवाई-एनआरएलएम का उद्देश्य ग्रामीण गरीब परिवारों को स्वयं सहायता समूहों (एसएचजीमें संगठित करना और उन्हें आर्थिक गतिविधियों में तब तक निरंतर सहयोग और समर्थन देना है जब तक कि वे अपनी आय में उल्लेखनीय वृद्धि प्राप्त न कर लें और भयानक गरीबी से बाहर न आ जायें।

डीएवाई-एनआरएलएम ने जिस तरह ग्रामीण जीवन को बदला है उसी से इसकी सफलता स्पष्ट हो जाती है। ऐसी ही एक कहानी मेघालय की हीनीदमांकी कनाई की है,जिनके सफल उद्यमी बनने का सफर जनवरी 2020 में तब शुरू  हुआ जब वह किरशानलांग स्वयं सहायता समूह (एसएचजी)में शामिल हुई। स्वयं सहायता समूह के सहयोग और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम)के मार्गदर्शन से,हीनीदमांकी ने गुलाबएलोवेरासंतरा और लेमनग्रास से हाथ से साबुन बनाना शुरू किया। अप्रैल में अपना व्यवसाय शुरू करने के कुछ ही महीनों बाद अगस्त 2023 में उनकी कड़ी मेहनत रंग लाने लगी। उनकी क्षमता को देखते हुए बैंक ने उन्हें एसएचजी के माध्यम से 1.8 लाख रुपये का बैंक ऋण दे दिया। इससे उन्होंने नई मशीनरी और उपकरण खरीदे और अपने साबुन की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए प्रयोगशाला परीक्षण भी करवाया।

हीनीदमांकी का उद्यम धीरे-धीरे लेकिन लगातार प्रयासों से फलने-फूलने लगा। उनकी वार्षिक आय एक लाख रुपये को पार कर गई जिससे उनका जीवन बदल गया और उन्हें और भी बड़े सपने देखने का आत्मविश्वास मिला। वह अपनी सफलता पर ही नहीं रुकीं और उन्होंने अपने गांव के अन्य स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को साबुन बनाने का प्रशिक्षण देना शुरू किया। उन्होंने जागरूकता फैलाई और दूसरों को अपने उद्यमशीलता के सपनों को साकार करने के लिए प्रेरित किया।

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएमको 2010 में पूर्ववर्ती स्वर्ण जयंती ग्रामीण स्वरोजगार योजना (एसजीएसवाईको नया रूप देकर एक मिशन-मोड योजना के रूप में शुरू किया गया था। 2016 में इस कार्यक्रम का नाम बदलकर दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएमकर दिया गया। केंद्र और राज्य सरकारें संयुक्त रूप से इस केंद्रीय प्रायोजित योजना को धन मुहैया कराती हैं। यह गरीबों की आजीविका में सुधार के लिए दुनिया की सबसे बड़ी पहलकदमियों में से एक है। मिशन चार मुख्य घटकों में निवेश करके अपने उद्देश्य को प्राप्त करना चाहता है:

ग्रामीण गरीब महिलाओं की स्व-प्रबंधित और आर्थिक रूप से स्थायी सामुदायिक संस्थानों की सामाजिक सक्रियता और प्रोत्साहन एवं सुदृढ़ीकरण;

वित्तीय समावेशन;

स्थायी आजीविकाऔर

एकीकरण के माध्यम से सामाजिक समावेशन,सामाजिक विकास और अधिकारों तक पहुँच

 

डीएवाई-एनआरएलएम के उद्देश्य

डीएवाई-एनआरएलएम गरीबोंविशेषकर महिलाओं के लिए स्वयं सहायता समूहों जैसी जबूत संस्थाओं के गठन को प्रोत्साहित करता है और इन संस्थाओं को विभिन्न प्रकार की वित्तीय सेवाओं और आजीविकाओं तक पहुंच प्रदान करने में सक्षम बनाता है। ये संस्थाएं उन्हें अपनी आजीविका में विविधता लाने,उनकी आय बढ़ाने और उनके जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए दीर्घकालिक सहायता प्रदान करती हैं। मिशन के अधिकांश कार्यों का क्रियान्वयन और विस्तार स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा ही किया जा रहा है जिन्हें सामुदायिक संसाधन व्यक्ति (सीआरपी) - जैसे कृषि सखीपशु सखीबैंक सखीबीमा सखीबैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट सखी आदि के रूप में प्रशिक्षित किया गया है। यह मिशन घरेलू हिंसा,महिला शिक्षा और अन्य लिंग-संबंधी चिंताओं,पोषण,स्वच्छता,स्वास्थ्य आदि जैसे मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने और व्यवहार परिवर्तन संचार के माध्यम से स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को सशक्त बनाने पर भी काम कर रहा है। इस योजना के तहत बनाए गए स्वयं सहायता समूहों का उद्देश्य निम्नलिखित को सुगम बनाना है:

औपचारिक ऋण तक पहुँच;

आजीविका के विविधीकरण और सुदृढ़ीकरण के लिए समर्थनऔर

अधिकारों और सार्वजनिक सेवाओं तक पहुँच।

डीएवाई-एनआरएलएम के माध्यम से महिला सशक्तिकरण

इस मिशन का मुख्य उद्देश्य गरीब परिवारों,विशेषकर महिलाओं को वित्तीय सेवाओं तक पहुंच प्रदान करके,उनकी आजीविका में विविधता लाकर और उनके जीवन स्तर में सुधार लाकर गरीबी कम करना है। आर्थिक रूप से,यह मिशन सामुदायिक संस्थाओं को बढ़ावा देकर महिलाओं को सशक्त बनाता है जिससे महत्वपूर्ण वित्तीय,तकनीकी और विपणन संसाधन हासिल होता है। दीन दयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएमके तहत औपचारिक वित्तीय संस्थानों के माध्यम से महिलाओं की स्वयं सहायता समूहों (एसएचजीको 11 लाख करोड़ रुपये से अधिक का ऋण वितरित करके एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की गई है। इस कार्य में बैंक सखियों और बैंकिंग कॉरेस्पॉन्डेंट सखियों के रूप में प्रशिक्षित महिलाओं ने सहायता प्रदान की है,जो एसएचजी और औपचारिक बैंकिंग संस्थानों के बीच संपर्क का काम करती हैं। 11 लाख करोड़ रुपये का यह कोलेटेरल-मुक्त ऋण,ब्याज अनुदान और अन्य वित्तीय सहायता द्वारा समर्थित है,और इसके पुनर्भुगतान की दर 98 प्रतिशत से अधिक है जो  इन कार्यक्रमों की प्रभावशीलता और स्थायित्व को दर्शाती है।

आजीविका के संदर्भ में,डीएवाई-एनआरएलएम कृषि और गैर-कृषि दोनों गतिविधियों का समर्थन करता है। यह कृषि-पारिस्थितिक अभ्यासों को बढ़ावा देकर महिला किसानों को सशक्त बनाता है और इन कार्यों में 4.62 करोड़ महिलाओं को शामिल किया गया है। कृषि सखी और पशु सखी नामक प्रशिक्षित आजीविका सामुदायिक संसाधन व्यक्तियों का एक मजबूत नेटवर्क महिला किसानों को साल भर विस्तार सेवाएं प्रदान करने और सहायता प्रदान करने के लिए तैनात किया गया है।

यह मिशन स्टार्ट-अप ग्राम उद्यमिता कार्यक्रम (एसवीईपीजैसी उप-योजनाओं के माध्यम से हस्तशिल्प और खाद्य प्रसंस्करण जैसे क्षेत्रों में सूक्ष्म उद्यमों को भी बढ़ावा देता है,जिसने 3.74 लाख से अधिक उद्यमों की सहायता की  है। यह मिशन घरेलू हिंसा,महिला शिक्षा और अन्य लिंग-संबंधी चिंताओंपोषण,स्वच्छता,स्वास्थ्य आदि जैसे मुद्दों पर जागरूकता सृजन और व्यवहार परिवर्तन संचार के माध्यम से स्वयं सहायता समूह में शामिल महिलाओं को सशक्त बनाने पर भी काम कर रहा है।

डीएवाई-एनआरएलएम ने 28 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों में 10.05 करोड़ ग्रामीण महिला परिवारों को 90.90 लाख से अधिक स्वयं सहायता समूहों (एसएचजीमें संगठित किया है। अन्य उल्लेखनीय उपलब्धियों में शामिल हैं:

• 4.62 करोड़ स्वयं सहायता समूह सदस्य महिला किसानों के रूप में कार्यरत हैं।

• 3.5 लाख कृषि सखियों और पशु सखियों की नियुक्ति की गई है।

• 6,000 एकीकृत कृषि क्लस्टर बनाए गए हैं।

• 1.95 लाख उत्पादक समूह हैं जिनसे 50 लाख से अधिक ग्रामीण महिलाओं को लाभ हुआ है।

• 282 ब्लॉकों में 3.74 लाख उद्यमों को समर्थन दिया गया है।

• 2013-14 से महिला स्वयं सहायता समूहों को 11 लाख करोड़ रुपये का ऋण प्राप्त हुआ है।

• स्वयं सहायता समूहों के ऋण लिंकेज को सुगम बनाने के लिए बैंक शाखाओं में 47,952 बैंक सखियां तैनात की गई हैं।

      डीएवाई-एनआरएलएम के अंतर्गत उच्च प्रदर्शन करने वाले राज्य

• 30 जून,2025 तक,बिहार,उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश उन राज्यों में शामिल हैं जहां स्वयं सहायता समूहों (एसएचजीकी संख्या सबसे अधिक है और स्थापना के बाद से इन राज्यों ने सबसे अधिक संख्या में महिला परिवारों को स्वयं सहायता समूहों से जोड़ा गया है।

वित्तीय सहायता और समावेशन के संदर्भ में,कई राज्यों ने 28 फ़रवरी 2025 तक वित्त वर्ष 2024-25 में अनुकरणीय प्रदर्शन किया है। स्वयं सहायता समूहों (एसएचजीको प्रदान की गई पूंजीकरण सहायता के लिए,उत्तर प्रदेश और बिहार ने क्रमशः 1,23,326 लाख रुपये और 1,05,132 लाख रुपये वितरित किए हैं,जो दोनों के अपने लक्ष्यों से अधिक है। एसएचजी के लिए बैंक ऋण की सुविधा के मामले में,आंध्र प्रदेश 34,83,725 लाख रुपये के वितरण के साथ देश में अग्रणी है।

स्थायी आजीविका को बढ़ावा देने के मामले में,विभिन्न राज्यों ने कृषि और गैर-कृषि क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। कृषि-आधारित पहलों में,महाराष्ट्र कृषि-पारिस्थितिक अभ्यासों के अंतर्गत सबसे अधिक 'महिला किसानों'को शामिल करने में अग्रणी है,जहां 12,97,051 महिलाएं शामिल हैंइसके बाद उत्तर प्रदेश (11,37,950) और आंध्र प्रदेश (10,43,085) का स्थान है। स्टार्ट-अप ग्राम उद्यमिता कार्यक्रम (एसवीईपीके तहत गैर-कृषि सूक्ष्म उद्यमों को बढ़ावा देने में,असम अग्रणी राज्य है,जिसने 9,557 उद्यमों को समर्थन दिया है,जबकि केरल (5,802) और पश्चिम बंगाल (4,933) ने भी अच्छा प्रदर्शन किया है।)

 

डीएवाई-एनआरएलएम के अंतर्गत कौशल विकास और रोज़गार कार्यक्रम

यह मंत्रालय डीएवाई-एनआरएलएम के अंतर्गत दो केंद्र प्रायोजित योजनाओं को लागू करता है,जिनका उद्देश्य ग्रामीण गरीब युवाओं को लाभकारी रोज़गार के लिए कौशल प्रदान करना और निम्नलिखित कार्यक्रमों के माध्यम से गरीबी उन्मूलन में योगदान देना है:

• दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (डीडीयू-जीकेवाई): 15-35 वर्ष की आयु के ग्रामीण युवाओं को प्लेसमेंट से जुड़ा कौशल प्रशिक्षण प्रदान करती है। यह कार्यक्रम नौकरी प्लेसमेंट के साथ व्यावहारिक कौशल विकास सुनिश्चित करता है,जिससे प्रतिभागियों को औपचारिक नौकरी बाजार में न्यूनतम मजदूरी के बराबर या उससे अधिक वेतन प्राप्त करने में सक्षम बनाया जाता है। जून 2025 तक कुल 17.50 लाख उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया जा चुका है और कुल 11.48 लाख युवाओं को नौकरी मिल चुकी है।

• ग्रामीण स्वरोज़गार प्रशिक्षण संस्थान (आरएसईटीआई): 18-50 आयु वर्ग के युवाओं के लिए बैंक-प्रायोजित केंद्र जो उद्यमिता प्रशिक्षण प्रदान करते हैं और बुनियादी ढांचे और प्रशिक्षण लागत के लिए वित्तीय सहायता के साथ स्व-रोजगार और वेतन-रोज़गार को बढ़ावा देते हैं। कुल 56.69 लाख उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया गया है और जून 2025 तक कुल 40.99 लाख उम्मीदवारों को बसाया गया है।

 

 डीडीयू-जीकेवाई के अंतर्गत उच्च प्रदर्शन करने वाले राज्य 2014-15 से जून 2025 तक

डीडीयू-जीकेवाई के अंतर्गत,उत्तर प्रदेश ने सबसे अधिक 2,44,528 उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया है,उसके बाद ओडिशा ने 2,15,409 और आंध्र प्रदेश ने 1,33,842 उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया है। रोजगार के मामले में,ओडिशा 1,77,165 उम्मीदवारों के साथ सबसे आगे है,जबकि आंध्र प्रदेश ने भी 1,17,881 नियुक्तियों के साथ अच्छा प्रदर्शन किया है।

  आरएसईटीआई में शीर्ष राज्य (2014-15 से जून 2025 तक)

आरएसईटीआई कार्यक्रम के अंतर्गत,उत्तर प्रदेश शीर्ष प्रदर्शन करने वाला राज्य रहा है,जहां सबसे अधिक उम्मीदवारों (7,55,966) को प्रशिक्षित किया गया है और सबसे अधिक उद्यमियों (5,54,877) को सफलतापूर्वक स्थापित किया  गया है। प्रशिक्षण और स्थापना दोनों में महत्वपूर्ण उपलब्धियों वाले अन्य राज्यों में राजस्थान (4,34,478 प्रशिक्षित3,19,948 स्थापना)मध्य प्रदेश (4,36,835 प्रशिक्षित3,08,280 स्थापनाऔर कर्नाटक (4,19,299 प्रशिक्षित3,05,397 स्थापनाशामिल हैं।

डीएवाई-एनआरएलएम के अंतर्गत उन्नत एवं विपणन प्रशिक्षण

स्वयं सहायता समूह (एसएचजीके सदस्यों,विशेषकर महिलाओं को उन्नत प्रशिक्षण और विपणन कौशल प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम इस प्रकार हैं:

• राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय सरस आजीविका मेले प्रतिवर्ष आयोजित किए जाते हैं,जिनमें विपणन और संबंधित दक्षताओं के लिए विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। सबसे नया मेला 5 से 22 सितंबर 2025 तक नई दिल्ली में आयोजित किया गया था।

(सरस आजीविका मेला 2025 के बारे में अधिक जानकारी के लिए

https://www.pib.gov.in/FeaturesDeatils.aspx?NoteId=155247&ModuleId=पर क्लिक करें)

• राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडी एंड पीआर) डीएवाई-एनआरएलएम के अंतर्गत सहायता प्राप्त स्वयं सहायता समूह (एसएचजीके सदस्यों और ग्रामीण उद्यमियों की क्षमता निर्माण के लिए विपणन कौशल पर प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण आयोजित करता है। पिछले तीन वर्षों में,एनआईआरडी&पीआर ने 44 प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित किए हैं।

निष्कर्ष

डीएवाई-एनआरएलएम भारत में ग्रामीण गरीबी उन्मूलन और महिला सशक्तिकरण की आधारशिला बन गया है। इसने औपचारिक ऋण,कौशल और बाज़ार के अवसरों तक पहुंच का विस्तार किया है,जिससे स्थायी आजीविका और वित्तीय लचीलापन संभव हुआ है। कौशल विकास,उद्यमिता और प्रमुख सरकारी योजनाओं के साथ तालमेल बिठाने में केंद्रित पहलकदमियों के माध्यम से,एनआरएलएम ने आय के स्रोतों में विविधता लाई है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूत किया है। इसकी मज़बूत निगरानी प्रणाली,मज़बूत स्वयं सहायता समूह-बैंक संपर्क और क्षमता निर्माण उपाय पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करते हैं,जिससे यह ग्रामीण समुदायों में समावेशी विकास और बेहतर जीवन स्तर का एक सशक्त वाहक बन गया है।

संदर्भ

ग्रामीण विकास मंत्रालय

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2023/dec/doc2023126279701.pdf https://aajeevika.gov.in/home https://aajeevika.gov.in/what-we-do/institutional-capacity-building https://darpg.gov.in/sites/default/files/National%20Rural%20Livilihood%20Mission.pdf https://aajeevika.gov.in/about/goal https://nrlm.gov.in/dashboardForOuter.do?methodName=dashboard https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/185/AU380_bavCuN.pdf?source=pqals https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/185/AU2551_O3P2KL.pdf?source=pqals https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/185/AS138_slGOkB.pdf?source=pqals https://sansad.in/getFiles/loksabhaquestions/annex/185/AU3714_fGFnWZ.pdf?source=pqals https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/185/AU380_bavCuN.pdf?source=pqals https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/185/AU4171_T2uTD0.pdf?source=pqals https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/185/AU2591_TWzqam.pdf?source=pqals https://www.pib.gov.in/FactsheetDetails.aspx?Id=149112 https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2043778 https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2112203 https://msrls.nic.in/sites/default/files/pldsuccess-storiesmeghalaya.pdf

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_66/portlet/level_2/Guidance%20Note_Pashu%20Sakhi.pdf https://lakhpatididi.gov.in/about-lakhpati-didi/

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2149656

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