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Economy

स्वच्छता ही सेवा 2025: स्वच्छ भारत मिशन को नई ऊर्जा

Posted On: 25 SEP 2025 10:56AM

स्वच्छ भारत इस सदी का दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे सफल जन-नेतृत्व वाला, जन-संचालित जन अभियान है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी               

 

 

मुख्य बातें

  • स्वच्छ भारत मिशन के तहत, 12 करोड़ शौचालय बनाए गए हैं, जिससे खुले में शौच में कमी आई है और सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं स्वच्छता में एक बड़ी प्रगति हुई है।
  • स्वच्छता ही सेवा 2025, जिसका केन्द्रीय भाव "स्वच्छोत्सव" है, भारत को 2047 तक एक सतत, समावेशी और विकसित भारत की ओर ले जा रहा है।
  • 2,492 लाख टन पुराने कचरे में से, 1,437 लाख टन (58%) का पहले ही उपचार किया जा चुका है, जिससे बंजर भूमि को पुनर्जीवित करने में मदद मिली है।
  • 2024 में 8 लाख से ज़्यादा स्वच्छता लक्ष्य इकाइयों का कायाकल्प किया गया, जिससे कूड़े के ढेर और उपेक्षित कोनों को स्वच्छ और उपयोगी स्थानों में बदला गया।

 

 

जब स्वच्छता एक राष्ट्रीय संकल्प बन गया

 

2 अक्टूबर, 2014 की सुबह, धूल भरी गलियों को झाड़ू से साफ़ किया गया, नालियों से प्लास्टिक की बोतलें निकाली गईं और शहरों और गाँवों में दृढ़ संकल्प की गूँज सुनाई दी। यह सिर्फ़ एक और स्वच्छता अभियान नहीं था, बल्कि एक राष्ट्रीय जागृति की शुरुआत थी। महात्मा गांधी की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) का उद्देश्य सिर्फ़ सड़कों और नालियों को साफ़ करना ही नहीं था, बल्कि आदतों को शुद्ध करना, मानसिकता को नया आकार देना और दैनिक जीवन में गरिमा को फिर से स्थापित करना भी था। देश नए उत्साह के साथ तैयारी कर रहा है, स्वच्छता ही सेवा (एसएचएस) 2025 का इंतज़ार आखिरकार खत्म हो गया है, एक ऐसा अभियान जो स्वच्छता को नागरिकता के सामूहिक उत्सव में बदल देता है।

 

स्वच्छता ही सेवा - स्वच्छोत्सव की भावना

 

2017 में शुरू किया गया स्वच्छता ही सेवा कार्यक्रम स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) के प्रमुख स्तंभ के रूप में उभरा है। प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला यह अभियान देश भर के नागरिकों को घरों से बाहर आने और अपने परिवेश की ज़िम्मेदारी लेने के लिए प्रेरित करता है। स्वच्छता ही सेवा 2025, जिसका केन्द्रीय भाव (थीम) स्वच्छोत्सव है, उत्सव के आनंद को ज़िम्मेदारी की गंभीरता के साथ जोड़ता है। 17 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर को समाप्त होने वाला यह 15-दिवसीय अभियान पूरे भारत में लाखों लोगों को उच्च-प्रभावी स्वच्छता अभियानों में एकजुट कर रहा है। मूल रूप से यह "अंत्योदय से सर्वोदय" के सिद्धांत को मूर्त रूप देता है - राष्ट्र की प्रगति वंचित लोगों के सम्मान और कल्याण से शुरू होती है। यह अभियान अंतिम छोर पर निवास करने वाले लोगों को शामिल करने पर ज़ोर देता है, यह सुनिश्चित करते हुए कि भारत भर के गाँव और कस्बे सम्मान, अच्छे स्वास्थ्य और स्थायित्व के साथ आगे बढ़ें।

 

 

श्रमदान: एक राष्ट्र, एक घंटा सेवा

 

स्वच्छता ही सेवा 2025 के तहत, 25 सितंबर 2025 को विशाल राष्ट्रव्यापी स्वैच्छिक श्रमदान अभियान, "एक दिन, एक घंटा, एक साथ", आयोजित किया गया। शहरों और गाँवों में, लोग बड़ी संख्या में श्रमदान और टहलते हुए कूड़ा चुनने जैसी गतिविधियों में भाग लेने के लिए एकजुट हुए, जिससे स्वच्छता लक्ष्य इकाइयों (सीटीयू) को बदलने की उनकी प्रतिबद्धता और मज़बूत  हुई  । स्थानीय निवासी, राजनीतिक नेता, स्वच्छ भारत मिशन के दूत, युवा समूह, गैर सरकारी संगठन, नागरिक समाज संगठन, सहयोगी संस्थान और सामाजिक प्रभावक ज़मीनी स्तर पर इस आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल हुए । इस अभियान को और गति देते हुए, स्थानीय सफाई कर्मचारियों, जो इस मिशन के गुमनाम नायक हैं, को समर्पित शिविरों में सम्मानित किया गया, जिससे भारत को स्वच्छ रखने में उनके महत्वपूर्ण योगदान को मान्यता मिल रही है।

 

स्वच्छोत्सव के प्रमुख स्तंभ

स्वच्छोत्सव के मूल में इसके प्रमुख स्तंभ निहित हैं, जो केंद्रित पहलों के रूप में हैं तथा लोगों, स्थानों और उद्देश्यों को एकजुट करके एक स्वच्छ और हरित भारत के दृष्टिकोण को जमीनी स्तर पर क्रियान्वित करती हैं।

 

स्वच्छ क्रांति 2025: कचरे को अवसर में बदलना

 

स्वच्छ भारत मिशन के मूल में प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन है, जो भारत में अपशिष्ट संग्रहण, प्रसंस्करण और पुनर्ग्रहण के तरीके को बदलकर स्वच्छ, स्वस्थ और सतत समुदायों का निर्माण करता है।

 

स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत अपशिष्ट प्रबंधन शहरी

भारत के ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016, जैव-खनन और जैव-उपचार के माध्यम से पुराने कूड़ाघरों के पुनर्चक्रण, पुन: उपयोग और पुनर्ग्रहण को अनिवार्य बनाकर "लैंडफिल में शून्य अपशिष्ट" का लक्ष्य रखते हैं। इस रूपरेखा पर आधारित, शहरी भारत अब प्रतिदिन उत्पन्न 1,59,109.02 टन प्रतिदिन ठोस अपशिष्ट में से 1,29,206.87 टन (टीपीडी) ठोस अपशिष्ट का प्रसंस्करण करता है। यह 2014 में मात्र 16% अपशिष्ट प्रसंस्करण से आज 81% से अधिक तक की एक उल्लेखनीय वृद्धि है, जो कि सामग्री पुनर्प्राप्ति सुविधाएं (एमआरएफ), स्थानांतरण स्टेशन, खाद संयंत्र, निर्माण और विध्वंस (सी एंड डी), और अपशिष्ट से ऊर्जा संयंत्र, जिसमें अपशिष्ट से बिजली, जैव-मीथेनकरण संयंत्र, जैसे अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधाओं के बढ़ते नेटवर्क द्वारा संचालित है। साथ में, ये प्रयास एक स्वच्छ, चक्रीय अर्थव्यवस्था की ओर एक निर्णायक बदलाव को चिह्नित करते हैं जहां अपशिष्ट अब बोझ नहीं है, बल्कि भविष्य के लिए एक संसाधन है।

अपशिष्ट प्रबंधन, स्वच्छ भारत मिशन का एक केंद्रीय स्तंभ बनकर उभरा है, जो केवल निपटान के बदले संसाधनों के सतत उपयोग की ओर एक आदर्श बदलाव का प्रतीक है। स्वच्छ भारत मिशन-शहरी के अंतर्गत, भारत ने अपनी अपशिष्ट प्रसंस्करण क्षमता का विस्तार किया है। साथ ही, डंपसाइट उपचार ने पुराने लैंडफिल को पर्यावरण-अनुकूल और उत्पादक स्थानों में बदल दिया है। पुराने कचरे के खिलाफ भारत का युद्ध धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से इसके परिदृश्य की गाथा को फिर से लिख रहा है। 2,492 लाख टन जमा कचरे में से, 1,437 लाख टन (58%) का उपचार पहले ही किया जा चुका है, जिससे अवरुद्ध भूमि में नई जान आयी है। इस प्रयास से न केवल अपशिष्ट साफ हुआ है, बल्कि 7,646 एकड़ से अधिक भूमि का पुनर्ग्रहण भी हुआ है। वे स्थान, जो कभी कचरे के पहाड़ों से दबे हुए थे, अब हरियाली, सार्वजनिक सुविधाओं और नए शहरी जीवन का वादा करते हैं।

 

कूड़ास्थल मुक्ति अभियान: लैंडफिल से आजीविका तक:

 

भारत भर में, विशाल लैंडफिल की जगह स्वच्छ और हरित स्थान ले रहे हैं क्योंकि एसएचएस 2025 कूड़ास्थल (डंपसाइट) उपचार के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान को गति दे रहा है। अब तक, एसबीएम- शहरी के तहत देश भर में पहचाने गए 2,476 कूड़ास्थलों में से 1,041 का उपचार किया जा चुका है, जबकि 1,020 अन्य पर कार्य स्वीकृत हो चुके हैं या प्रगति पर हैं।

  • कचरे के पहाड़ों को पुनः प्राप्त करने के अपने मिशन को तेज़ करते हुए, दिल्ली का भलस्वा लैंडफिल, जो 70 एकड़ में फैला है, अपशिष्ट से संपत्ति बनाने के नवाचार का एक प्रतीक बनकर उभर रहा है। स्वच्छता ही सेवा 2025 अभियान के तहत, इस स्थल को उपचार और एक स्वच्छ, अधिक स्थायी शहरी स्थान में बदलने के लिए अपनाया गया है। इस स्थल पर 25 एकड़ पुराने कचरे का उपचार पहले ही किया जा चुका है, जिसमें 5 एकड़ में अब बांस के बागान लगे हैं और 20 एकड़ को स्वच्छता सुविधाओं और अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाइयों के लिए अलग रखा गया है।
  • राजकोट ने 16 लाख टन क्षमता वाले पुराने कूड़ास्थल को 20 एकड़ के फलते-फूलते शहरी जंगल में बदल दिया है, जो इस बात का एक शानदार उदाहरण है कि कैसे स्वच्छ भारत मिशन-शहरी कचरे से भरे लैंडफिल को शहर के लिए हरित फेफड़ों में बदल रहा है।

 

ये उपलब्धियाँ देश भर में कूड़ास्थलों को स्वच्छ और रहने योग्य स्थानों में बदलने से जुड़े स्वच्छ भारत मिशन के व्यापक प्रयास को दर्शाती हैं।

 

स्वच्छता कार्य: मंत्रालय एक साथ आए

 

भारत भर में, विभिन्न मंत्रालय और उनके संगठन स्वच्छता ही सेवा 2025 के तहत बोर्डरूम से बाहर निकलकर सड़कों पर आ रहे हैं और नीतियों को व्यवहार में बदल रहे हैं। प्रमुख प्रयासों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय और उसके देश भर के संगठन कार्यालयों, स्कूलों और सार्वजनिक स्थानों पर स्वच्छता अभियान के साथ एसएचएस 2025 में शामिल हुए, जिसमें दिल्ली के वाणिज्य भवन से लेकर कोच्चि, इंदौर और अन्य स्थानों के विशेष आर्थिक क्षेत्रों तक सामूहिक कार्रवाई की गयी।
  • कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने कृषि भवन में स्वच्छता शपथ, अपने देशव्यापी संस्थानों में निरीक्षण और सफ़ाई अभियान के साथ इस अभियान की शुरुआत की। साथ ही, सफ़ाई मित्रों के लिए विशेष पहल की गई, जिसमें उनके बच्चों के लिए चित्रकला प्रतियोगिता और स्वास्थ्य जाँच शिविर का आयोजन शामिल थे।
  • सहकारिता मंत्रालय ने स्वच्छ भारत मिशन से जुड़ी पहल "एक पेड़ माँ के नाम" के तहत वृक्षारोपण में भाग लिया, साथ ही सीटीयू सफ़ाई अभियान, सफ़ाई कर्मचारी स्वास्थ्य शिविर और पर्यावरण-अनुकूल उत्सवों का आयोजन किया।
  • संसदीय कार्य मंत्रालय ने इस अभियान के तहत कई गतिविधियाँ आयोजित कीं, जैसे स्वच्छ वायु के लिए हरित पहल, कर्मचारी गतिविधियाँ, सामुदायिक श्रमदान और स्वास्थ्य शिविर, जिससे स्वच्छता, श्रम की गरिमा और स्वच्छ भारत के दृष्टिकोण के प्रति मंत्रालय की प्रतिबद्धता की पुष्टि हुई।
  • पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने स्वच्छता शपथ ली तथा पत्तनों, डॉकयार्ड और तटीय क्षेत्रों में सफाई अभियान के साथ स्वच्छता उत्सव की थीम शुरू की, जिसमें कर्मचारियों, छात्रों, नागरिक समाज समूहों और स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित किया गया।

 

एसएचएस 2024: प्रगति को स्वरुप देने वाली उपलब्धियाँ

 

स्वच्छता ही सेवा 2024 ने असाधारण नागरिक भागीदारी के साथ एक अमिट छाप छोड़ी है।

एसएचएस 2024 की उपलब्धियाँ इस बात का प्रमाण हैं कि केवल एक स्वच्छता अभियान से कहीं बढ़कर, एसएचएस नागरिक भागीदारी का एक राष्ट्रव्यापी आह्वान बन गया है, जो इस विचार को पुष्ट करता है कि एक स्वच्छ और स्वस्थ भारत तभी प्राप्त किया जा सकता है जब प्रत्येक व्यक्ति इस मिशन में शामिल हो।

 

सफलता की लहर पर सवार, स्वच्छता ही सेवा (एसएचएस) 2025 स्वच्छता लक्ष्य इकाइयों (सीटीयू) और उन अँधेरे स्थानों व कचरे से भरे क्षेत्रों पर प्रकाश डालता है जो शहरों के स्वरूप और अनुभव को आकार देते हैं। अकेले 2024 में, 8 लाख से अधिक सीटीयू को उपयोगी सार्वजनिक स्थानों में बदल दिया गया, जिससे यह साबित होता है कि जहाँ कभी उपेक्षा पनपती थी, वहाँ अब देखने लायक परिवर्तन की शुरुआत होती है। इस वर्ष, यह अभियान और तेज़ी से आगे बढ़ेगा, जिसके तहत उपेक्षित कोनों और कूड़ास्थलों की पहचान, सफाई और सौंदर्यीकरण का काम न केवल अभियान के दौरान, बल्कि उसके बाद भी जारी रहेगा।

 

परिवर्तन की कहानियाँ: स्वच्छ भारत अभियान

 

एक जन अभियान के रूप में शुरू किया गया, स्वच्छ भारत मिशन एक ऐतिहासिक अभियान बन गया है जिसने स्वच्छता और जन स्वास्थ्य के प्रति भारत के दृष्टिकोण को नई परिभाषा दी है। इसका प्रभाव देश भर में हुए परिवर्तनकारी बदलावों में परिलक्षित होता है। सितंबर 2025 तक, देश भर में 12 करोड़ से ज़्यादा शौचालयों का निर्माण हो चुका है, जिससे खुले में शौच में भारी कमी आई है और महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान में वृद्धि हुई है। विश्व स्वास्थ्य रिपोर्ट के अनुसार, इस बदलाव ने पाँच साल से कम उम्र के लगभग 3 लाख बच्चों को खराब स्वच्छता से होने वाली बीमारियों से बचाने में मदद की है, जो जन स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता में एक बड़ी प्रगति है।

भारत भर में, विभिन्न राज्य बदलाव के अपने-अपने अध्याय लिख रहे हैं। स्वच्छ भारत मिशन की ये सफलता की कहानियाँ, नवाचार और सामुदायिक भावना को दर्शाती हैं।

 

जम्मू और कश्मीर: अमरनाथ यात्रा 2025 में आस्था और स्वच्छता का संगम

अमरनाथ यात्रा 2025 न केवल एक आध्यात्मिक यात्रा थी, बल्कि स्थायित्व के लिए भी एक आदर्श थी। हिमालय में स्थित पवित्र गुफा तक चार लाख से ज़्यादा श्रद्धालुओं के पहुँचने के साथ, यह तीर्थयात्रा एक शून्य-लैंडफिल, प्लास्टिक-मुक्त मिशन में बदल गई, जो स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (एसबीएम-यू) 2.0 के लक्ष्यों को प्रतिध्वनित करती है। एक मज़बूत अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली ने प्रतिदिन लगभग 11.67 मीट्रिक टन कचरे का निपटान किया। 1,000 से ज़्यादा कचरे के दोहरे डब्बे से युक्त स्टेशन, 65 कचरा संग्रहण वाहन और 1,300 सफाई मित्रों ने पूरे मार्ग को चौबीसों घंटे साफ़-सुथरा रखा। लंगरों से एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक को हटा दिया गया और उनकी जगह कपड़े और जूट के थैलों का इस्तेमाल किया गया। तीर्थयात्रियों ने 1,600 मोबाइल शौचालयों, क्यूआर-आधारित फ़ीडबैक और 100% मल उपचार के साथ बेहतर स्वच्छता का भी अनुभव किया। 70,000 से ज़्यादा यात्रियों ने हरित प्रतिज्ञा ली, जिससे व्यक्तिगत समर्पण नागरिक ज़िम्मेदारी में बदल गया। आस्था और स्थायित्व का संगम करके, 2025 की अमरनाथ यात्रा ने साबित कर दिया कि बड़े पैमाने पर होने वाले धार्मिक आयोजन पर्यावरण के प्रति जागरूकता, शून्य-अपशिष्ट तीर्थयात्राओं के लिए एक मानक स्थापित कर सकते हैं, जो स्वच्छ भारत के तहत एक सच्ची सफलता की कहानी है।

 

असम ने हरित स्वच्छता अभियान का नेतृत्व किया

 

असम के बाढ़-ग्रस्त मोरीगांव जिले में, बोरचिला गाँव की 60 महिलाओं ने अत्यधिक जलकुंभी की समस्या को अवसर में बदल दिया है, और पर्यावरण-अनुकूल हस्तशिल्प तैयार किए हैं जिनसे अब उनमें से प्रत्येक को कम से कम 10,000 प्रति माह की आय हो रही है। जो कभी एक आक्रामक खरपतवार था, नदियों को अवरुद्ध कर रहा था तथा मछली पकड़ने, परिवहन और मनोरंजन जैसी गतिविधियों में बाधा डाल रहा था, जिससे इन जल स्रोतों का कम उपयोग हो रहा था, अब आजीविका और सम्मान का स्रोत बन गए हैं। इस बीच, गुवाहाटी में, दो युवा नवोन्मेषक, रूपांकर भट्टाचार्य और अनिकेत धर ने कुंभी कागज़ नामक एक उद्यम शुरू किया, जो उसी पौधे से 100% जैव-निम्नीकरण के लायक, रसायन-मुक्त कागज़ का उत्पादन करता है। उनका स्टार्टअप, जो अब लगभग 40 महिलाओं को रोज़गार देता है, ने अपशिष्ट प्रबंधन के लिए एक व्यापक, हरित समाधान प्रस्तुत करने हेतु ज़ीरो वेस्ट सिटीज़ चैलेंज जीता है। ये सभी पहल मिलकर दिखाती हैं कि कैसे पूर्वोत्तर राज्य पारिस्थितिक चुनौतियों को स्थायी आजीविका में बदलकर स्वच्छता और चक्रीय अर्थव्यवस्था को पुनर्परिभाषित कर रहे हैं।

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उत्तर प्रदेश: आगरा के विषैले कूड़ास्थल को इको-हब में बदलना

 

आगरा ने अपने विशाल कुबेरपुर कूड़ास्थल को आगरा के एकीकृत अपशिष्ट प्रबंधन शहर में बदलकर एक उल्लेखनीय परिवर्तन की पटकथा लिखी है, जिसने स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम-यू) के तहत एक राष्ट्रीय मानक स्थापित किया है। कभी लगभग 19 लाख मीट्रिक टन जमा कचरे वाले इस स्थल का दिसंबर 2024 तक बड़े पैमाने पर जैव-खनन और जैव-उपचार के माध्यम से पूरी तरह से सुधार किया गया, जिसके तहत 320 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 47 एकड़ भूमि का पुनर्ग्रहण हुआ। पुनर्ग्रहण की गई इस जगह को मियावाकी वनरोपण तकनीक का उपयोग करके 10 एकड़ के हरे-भरे क्षेत्र, 5 एकड़ के आधुनिक सैनिटरी लैंडफिल और एक पर्यावरण-अनुकूल क्षेत्र में बदल दिया गया है, साथ ही 10 एकड़ के एक और शहरी वन पर काम चल रहा है। जनवरी 2025 में, शहर में 65 टन प्रतिदिन क्षमता वाली सामग्री पुनर्प्राप्ति सुविधा और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित किया गया, जहाँ फेंके गए प्लास्टिक को किसानों के लिए किफायती पानी के पाइपों में पुनर्चक्रित किया जाता है, जिससे अपशिष्ट प्रबंधन को आजीविका के लाभों से जोड़ा जा रहा है। अवसंरचना के अलावा, यह स्थल एक शैक्षिक केंद्र के रूप में उभरा है, जो देश भर से छात्रों, शोधकर्ताओं और नवोन्मेषकों को स्थायी तौर-तरीकों का अध्ययन करने के लिए आकर्षित करता है। आगरा की यह साहसिक पहल दर्शाती है कि कैसे तकनीक, शासन और नागरिक जागरूकता मिलकर भूमि पुनः प्राप्त कर सकते हैं, प्रदूषण कम कर सकते हैं और एक हरित, सुदृढ़ शहरी भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।

 

 

अभियान से संस्कृति तक

 

स्वच्छ भारत मिशन अपने प्रारंभिक प्रतीकवाद से बहुत आगे निकल गया है। गलियों को साफ करने के आह्वान के रूप में शुरू हुआ यह अभियान अब भारत के जन स्वास्थ्य, महिलाओं के सम्मान और पर्यावरण ज़िम्मेदारी के प्रति दृष्टिकोण को आकार दे रहा है। कूड़े के ढेरों और पिछली गलियों से लेकर भीड़-भाड़ वाले रेलवे स्टेशनों, नदी तटों और बंजर भूमि तक, शहर उन जगहों का मानचित्रण और समाधान कर रहे हैं, जो शहरी जीवन को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं। संदेश स्पष्ट है: स्वच्छता का अर्थ केवल अपशिष्ट हटाना नहीं है, बल्कि यह रोजमर्रा के परिवेश में सुंदरता को पुनः प्राप्त करना है। स्वच्छता ही सेवा 2025, स्वच्छोत्सव के बैनर तले लाखों लोगों को एकजुट कर रहा है। यह अभियान हमें याद दिलाता है कि स्वच्छता कोई मौसमी गतिविधि नहीं, बल्कि एक उभरती हुई राष्ट्रीय संस्कृति है। यदि इसे इसी भावना के साथ जारी रखा जाए, तो यह स्वतंत्र भारत की सबसे स्थायी विरासतों में से एक बन सकती है और एक सच्चे विकसित भारत 2047 की आधारशिला रख सकती है।

 

संदर्भ

 

आवास और शहरी कार्य मंत्रालय

 

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2166814

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2157950

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2167622

https://sbmurban.org/swachh-bharat-mission-progess

https://swachhatahiseva.gov.in/

https://swachhatahiseva.gov.in/campaign-dashboard

https://www.pib.gov.in/PressReleseDetailm.aspx?PRID=2137594

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2118321

जल शक्ति मंत्रालय

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2166952

https://www.pib.gov.in/PressReleseDetailm.aspx?PRID=2162878

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय

https://www.pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=2168070

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय

https://www.pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=2167733

सहकारिता मंत्रालय

https://www.pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=2167644

संसदीय कार्य मंत्रालय

https://www.pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=2167640

पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय

https://www.pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=2167625

 

प्रधानमंत्री कार्यालय

https://www.pmindia.gov.in/en/news_updates/pm-participates-in-swachh-bharat-diwas-2024

https://www.pmindia.gov.in/en/major_initiatives/swachh-bharat-abhiyan/

https://www.pib.gov.in/PressReleseDetailm.aspx?PRID=2061214

पत्र सूचना कार्यालय

https://www.pib.gov.in/PressNoteDetails.aspx?NoteId=153227&ModuleId=3

 

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