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Farmer's Welfare

मृदा स्वास्थ्य कार्ड

“स्वस्थ धरा, खेत हरा” देश भर में 25 करोड़ से ज्यादा मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित हुए

Posted On: 16 AUG 2025 9:32AM

मुख्य बातें

  • जुलाई 2025 तक, किसानों को 25 करोड़ से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड (सॉइल हैल्थ कार्ड) वितरित किए जा चुके हैं।
  • फरवरी 2025 तक:-
  • इस योजना के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ₹1706.18 करोड़ जारी किए गए।
  • देश भर में 8,272 मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित की गईं। इनमें 1,068 स्थिर प्रयोगशालाएं, 163 मोबाइल प्रयोगशालाएं, 6,376 लघु प्रयोगशालाएं और 665 ग्राम-स्तरीय प्रयोगशालाएं शामिल हैं।
  • 40 आकांक्षी जिलों में 290 लाख हेक्टेयर भूमि पर मृदा मानचित्रण का कार्य पूरा हो चुका है।
  • 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 1,987 ग्राम-स्तरीय उर्वरता मानचित्र तैयार किए गए हैं।

 

परिचय

बिहार के नालंदा ज़िले के शांत मानपुर गाव में श्री महेंद्र कुमार सिंह रहते हैं। 25 एकड़ ज़मीन और 11 लोगों के परिवार के भरण-पोषण के लिए, खेती सिर्फ़ उनका पेशा नहीं, बल्कि उनकी जिंदगी जीने का तरीका है। सालों तक, उन्होंने चावल-गेहूं की फ़सल का एक ही चक्र अपनाया और ज्यादा पैदावार के लिए रासायनिक खादों पर ज्यादा निर्भर रहे। लेकिन सतह के नीचे, उनकी मिट्टी कमजोर होती जा रही थी और साथ ही उनकी मानसिक शांति भी। बढ़ती लागत, घटती उत्पादकता और मृदा स्वास्थ्य की चिंताएं उन पर भारी पड़ने लगीं।

श्री महेंद्र याद करते हैं, "मैं हमेशा खेती की बढ़ती लागत, इनपुट्स के बढ़ते इस्तेमा और अपनी मिट्टी को हो रहे धीरे-धीरे नुकसान को लेकर चिंतित रहता था।"

उनके जीवन में एक अहम मोड़ तब आया जब उनकी मुलाकात अमावां पंचायत में तैनात कृषि समन्वयक श्री अमित रंजन पटेल से हुई। फसल अवशेष जलाने और बढ़ती लागत के बारे में उनकी चिंताओं को सुनने के बाद, श्री पटेल ने एक आसान लेकिन कारगर सुझाव दिया - मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के तहत अपनी मिट्टी की जांच करवाना।

श्री महेंद्र सहमत तो हुए, लेकिन उन्हें यकीन नहीं था कि इसका कुछ फायदा होगा। उनकी एक हेक्टेयर ज़मीन पर एक प्रदर्शन किया गया। जब परीक्षण के नतीजे आए, तो पता चला कि मिट्टी में विद्युत चालकता बहुत ज्यादा थी और उसमें कार्बनिक कार्बन, नाइट्रोजन, फॉस्फेट और बोरॉन जैसे जरूरी पोषक तत्वों की कमी थी। सुझाए गए समाधान में प्रति एकड़ 1750 किलोग्राम कम्पोस्ट और गोबर की खाद डालना शामिल था, साथ ही उर्वरता बढ़ाने के लिए डीएपी और यूरिया की विशिष्ट मात्रा भी डाली जानी थी।

उन्होंने स्वीकार किया, "शुरू में मैं झिझक रहा था। इतनी ज्यादा जैविक सामग्री का इस्तेमाल करना जोखिम भरा लग रहा था।"

लेकिन उन्होंने विज्ञान पर भरोसा किया और सुझावों पर अमल किया। जब फसल का समय आया, तो वे हैरान रह गए। प्रदर्शन वाले खेत में प्रति हेक्टेयर 32 क्विंटल उपज हुई जो उनके सामान्य खेत से 16% ज्यादा था, जहां प्रति हेक्टेयर सिर्फ़ 27.5 क्विंटल उपज होती थी।

आज, श्री महेंद्र मिट्टी परीक्षण के एक गौरवशाली समर्थक हैं।

वे पूरे विश्वास के साथ कहते हैं, "हर किसान को अपनी मिट्टी की जांच करवानी चाहिए और आने वाली पीढ़ियों के लिए मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखना चाहिए।"

उनकी कहानी ऐसी कई कहानियों में से एक हैजो यह दर्शाती हैं कि कैसे मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना एक-एक खेत में भारतीय कृषि को बदल रही है।

वर्ष 2015 को अंतर्राष्ट्रीय मृदा वर्ष (इंटरनेशनल ईयर ऑफ सॉइल्स) के रूप में चिह्नित किया गया था। इसी दिन भारत ने 19 फरवरी को अपनी ऐतिहासिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य देश भर के प्रत्येक खेत की पोषक स्थिति का आकलन करना था। इस योजना का आधिकारिक शुभारंभ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राजस्थान के सूरतगढ़ में किया था। यह योजना राज्य सरकारों को किसानों को मृदा स्वास्थ्य पर विस्तृत रिपोर्ट उपलब्ध कराने में सहायता करती है। ये कार्ड मृदा उर्वरता में सुधार के लिए सुझाव देते हैं और किसानों को स्थायी पद्धतियां अपनाने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। वर्ष 2022-23 से, इस योजना को राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के एक घटक के रूप में शामिल किया गया है और अब इसे 'मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता' (सॉइल हैल्थ फर्टिलिटी) के नाम से जाना जाता है।

जुलाई 2025 तक, देश भर में उर्वरकों के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देने और बेहतर मृदा प्रबंधन को समर्थन देने के लिए किसानों को 25 करोड़ से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए गए हैं। फरवरी 2025 तक, मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना का समर्थन करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कुल ₹1706.18 करोड़ प्रदान किए गए हैं। इसके प्रभाव को आगे बढ़ाते हुए, भारतीय मृदा और भूमि उपयोग सर्वेक्षण ने बड़े पैमाने पर मृदा मानचित्रण भी किया है। 40 आकांक्षी जिलों की भूमि सहित लगभग 290 लाख हेक्टेयर में 1:10,000 के पैमाने पर मानचित्रण पूरा हो गया है। किसानों को उर्वरकों का बुद्धिमानी से उपयोग करने में मार्गदर्शन करने के लिए, 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 1,987 ग्राम-स्तरीय मृदा उर्वरता मानचित्र बनाए गए हैं।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड को समझना

मृदा स्वास्थ्य कार्ड एक मुद्रित रिपोर्ट है जो किसानों को उनकी प्रत्येक भूमि के लिए दी जाती है। यह नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, सल्फर (वृहद पोषक तत्व); जिंक, आयरन, कॉपर, मैंगनीज, बोरॉन (सूक्ष्म पोषक तत्व); और पीएच (अम्लता या क्षारीयता), ईसी (विद्युत चालकता) और ओसी (कार्बनिक कार्बन) जैसे 12 प्रमुख मापदंडों का परीक्षण करके मिट्टी की स्थिति दर्शाता है। यह योजना किसानों को नियमित परीक्षण के माध्यम से उनकी मिट्टी की जरूरतों को समझने में मदद करती है और हर 2 साल में मार्गदर्शन प्रदान करती है। प्रत्येक कार्ड किसानों को उनकी भूमि की पोषक स्थिति की स्पष्ट तस्वीर देता है। यह समय के साथ उनकी मिट्टी की बेहतर देखभाल करने में मदद करने के लिए उर्वरकों, जैव-उर्वरकों, जैविक आदानों और मृदा उपचार की सही मात्रा का भी सुझाव देता है।

मृदा के नमूने लेना एवं परीक्षण की प्रक्रिया

  • मिट्टी के नमूने वी-आकार के कट का उपयोग करके 15-20 सेमी की गहराई से लिए जाते हैं और खेत के चारों कोनों और केंद्र से एकत्र किए जाते हैं।
  • नमूने सिंचित क्षेत्रों में 2.5 हेक्टेयर और वर्षा आधारित क्षेत्रों में 10 हेक्टेयर के ग्रिड में जीपीएस उपकरणों और राजस्व मानचित्रों का उपयोग करके एकत्र किए जाते हैं।
  • नमूनाकरण रबी और खरीफ फसलों की कटाई के बाद, या जब खेत में कोई खड़ी फसल न हो, किया जाता है।
  • प्रशिक्षित कर्मचारी, कृषि विभाग के कर्मचारी, या कृषि महाविद्यालयों के छात्र नमूने एकत्र करते हैं।

गुणवत्ता का भरोसा और लागत

  • गुणवत्ता के भरोसे के लिए 1% नमूनों की रेफरल प्रयोगशालाओं में जांच की जाती है।
  • केंद्र सरकार संग्रहण, परीक्षण, मृदा स्वास्थ्य कार्ड निर्माण और वितरण की लागत को कवर करने के लिए प्रति नमूना ₹190 प्रदान करती है।

कार्ड की वैधता

  • मृदा स्वास्थ्य कार्ड हर 3 साल में एक बार जारी किया जाता है।
  • अगले चक्र में अगला कार्ड समय के साथ मृदा स्वास्थ्य में हुए परिवर्तनों को दर्शाता है।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के उद्देश्य:

  • प्रत्येक किसान को हर दो साल में एक बार मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान करना। इससे मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी का पता लगाने और उर्वरक प्रयोग में सुधार लाने में मदद मिलती है।
  • क्षमता निर्माण, कृषि छात्रों को शामिल करके और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद तथा राज्य कृषि विश्वविद्यालयों जैसे संस्थानों के साथ जुड़कर मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं के कामकाज को मजबूत करना।
  • राज्यों में एक समान नमूनाकरण विधियों का पालन करके मृदा उर्वरता संबंधी समस्याओं की पहचान करना। इसमें चयनित जिलों में तालुका या ब्लॉक स्तर पर उर्वरक संबंधी सुझाव तैयार करना भी शामिल है।
  • मृदा परीक्षण के परिणामों पर आधारित पोषक तत्व प्रबंधन पद्धतियों के उपयोग को प्रोत्साहित करना। इससे फसलों द्वारा पोषक तत्वों के कुशल उपयोग में सुधार लाने में मदद मिलती है।
  • किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना ताकि वे पोषक तत्वों की कमी को दूर कर सकें और अपनी फसल पद्धति के अनुकूल संतुलित एवं एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन अपना सकें।
  • प्रगतिशील किसानों के साथ-साथ जिला और राज्य स्तर के अधिकारियों को प्रशिक्षित करना, ताकि वे जमीनी स्तर पर पोषक तत्वों के उचित उपयोग को बढ़ावा दे सकें।

आवेदन की प्रक्रिया

सॉइल हैल्थ कार्ड पोर्टल

मृदा स्वास्थ्य कार्ड पोर्टल (सॉइल हैल्थ कार्ड पोर्टल), भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा बनाया गया एक ऑनलाइन और मोबाइल-आधारित प्लेटफॉर्म है। यह देश भर में उपयोग किए जा सकने वाले मानक प्रारूप में मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाने में मदद करता है। ये कार्ड 22 भाषाओं, 5 बोलियों और स्थानीय इकाइयों में उपलब्ध हैं ताकि किसानों को इन्हें समझने में आसानी हो।

 

मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं

इस योजना के अंतर्गत, विभिन्न खेतों से मृदा के नमूने एकत्र किए जाते हैं और अनुमोदित मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं (एसएलटी) में उनका परीक्षण किया जाता है। ये परीक्षण योजना के तहत निर्धारित दिशानिर्देशों का पालन करते हैं। इसके बाद, परिणामों को राष्ट्रीय मृदा स्वास्थ्य कार्ड पोर्टल पर अपलोड किया जाता है। इस पोर्टल का उपयोग नमूनों को पंजीकृत करने, परीक्षण रिपोर्ट संग्रहीत करने और मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाने के लिए किया जाता है। यह उर्वरक संबंधी सुझाव भी प्रदान करता है और कार्यक्रम की समग्र प्रगति पर नज़र रखने में मदद करता है।

फरवरी 2025 तक, देश भर में 8,272 मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित की जा चुकी हैं। इनमें 1,068 स्थिर प्रयोगशालाए, 163 मोबाइल इकाइयां, 6,376 लघु प्रयोगशालाएं और 665 ग्राम स्तर की प्रयोगशालाएं शामिल हैं।

ग्राम स्तरीय मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं (वीएलएसटीएल) स्थापित करने के लिए दिशानिर्देश 22.06.2023 को जारी किए गए थे।

  • ये प्रयोगशालाएं ग्रामीण युवाओं या समुदाय-आधारित समूहों जैसे स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी), स्कूलों और कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा स्थापित की जा सकती हैं।
  • आवेदन करने वाले व्यक्ति की आयु 18 से 27 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
  • स्वयं सहायता समूह और किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) भी आवेदन करने के पात्र हैं।
  • आवेदनों की समीक्षा और अनुमोदन जिला स्तरीय कार्यकारी समिति द्वारा किया जाता है।
  • फरवरी 2025 तक, भारत के 17 राज्यों में कुल 665 ग्राम-स्तरीय मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित की जा चुकी हैं।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना का वर्ष 2022-23 सेमृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरतानाम से राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) में एक घटक के रूप में विलय कर दिया गया है।

 

 

स्कूल मृदा स्वास्थ्य कार्यक्रम (स्कूल सॉइल हैल्थ प्रोग्राम)

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने एक पायलट कार्यक्रम के तहत ग्रामीण क्षेत्रों के 20 स्कूलों में मृदा स्वास्थ्य प्रयोगशालाएं स्थापित कीं। कक्षा 6 से 12 तक के छात्रों और शिक्षकों के लिए शिक्षण मॉड्यूल तैयार किए गए। इसका उद्देश्य छात्रों को स्थायी कृषि पद्धतियों के लिए मृदा स्वास्थ्य के बारे में जागरूक करना है। प्रशिक्षण प्रक्रिया को सहयोग देने के लिए इन्हें स्कूलों के साथ साझा किया गया।

छात्रों और शिक्षकों, दोनों को इस कार्यक्रम के लिए विशेष रूप से विकसित एक मोबाइल ऐप का उपयोग करके मिट्टी के नमूने एकत्र करने, परीक्षण करने और मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। स्कूली छात्रों ने मिट्टी एकत्र की, प्रयोगशाला में उसका परीक्षण किया और स्वास्थ्य कार्ड बनाए। उन्होंने इन कार्डों की सिफारिशों को किसानों के साथ साझा करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे उन्हें उर्वरकों का बुद्धिमानी से उपयोग करने और सही फसलों का चयन करने में मदद मिली।

24 जुलाई 2025 तक, 1,021 स्कूलों में स्कूल मृदा स्वास्थ्य कार्यक्रम लागू किया जाएगा, 1,000 मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी तथा 132,525 छात्र नामांकित होंगे।

 

तकनीकी प्रगति

  • मृदा स्वास्थ्य कार्ड पोर्टल को बेहतर बनाया गया है और अब इसमें एक भौगोलिक सूचना प्रणाली (जिओग्राफिकल इन्फोर्मेशन सिस्टम) भी शामिल है। इससे सभी मृदा परीक्षण परिणामों को एक इंटरैक्टिव मानचित्र पर देखा जा सकता है।
  • किसानों और कार्यान्वयन एवं निगरानी में शामिल अधिकारियों, दोनों के लिए प्रक्रिया को आसान बनाने के उद्देश्य से एक मोबाइल एप्लिकेशन (एसएचसी मोबाइल ऐप) शुरू किया गया है।
  • यह ऐप मृदा नमूना संग्रहण को ग्राम-स्तरीय ऑपरेटर के निर्दिष्ट क्षेत्र तक सीमित रखता है। इससे सटीकता और जवाबदेही सुनिश्चित होती है।
  • यह अक्षांश और देशांतर का उपयोग करके सटीक स्थान को स्वचालित रूप से कैप्चर करता है, जिससे मैन्युअल प्रविष्टि की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।
  • प्रत्येक नमूने को एक विशिष्ट क्यूआर कोड दिया जाता है। यह नमूने को पोर्टल पर उसके परीक्षण परिणामों से सीधे जोड़ता है।
  • जियो-टैग की गई प्रयोगशालाओं से परीक्षण परिणाम स्वचालित रूप से केंद्रीय प्रणाली पर अपलोड हो जाते हैं, जिससे प्रक्रिया पारदर्शी और छेड़छाड़-मुक्त हो जाती है।
  • उन्नत प्रणाली अप्रैल 2023 से उपयोग में है। सभी मिट्टी के नमूने अब मोबाइल ऐप के माध्यम से एकत्र किए जाते हैं और नए डिजिटल पोर्टल पर मृदा स्वास्थ्य कार्ड तैयार किए जाते हैं।

संपूर्ण प्रणाली को राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) द्वारा एक वेब-आधारित वर्कफ्लो एप्लिकेशन के रूप में विकसित किया गया है, जिसे देश भर में मृदा स्वास्थ्य कार्डों के निर्माण को डिजिटल बनाने और सुव्यवस्थित करने के लिए डिजाइन किया गया है।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना भारत के सभी किसानों के लिए लागू है।

निष्कर्ष

मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना ने किसानों की अपनी जमीन के बारे में सोच बदल दी है। इसने लाखों किसानों के हाथों में वैज्ञानिक समझ ला दी है, जिससे उन्हें बेहतर निर्णय लेने और अपनी आजीविका बेहतर बनाने में मदद मिली है। इस योजना के डेटा-आधारित दृष्टिकोण ने इनपुट लागत कम की है, उत्पादकता बढ़ाई है और लंबे समय में मृदा की देखभाल को बढ़ावा दिया है। परीक्षण प्रयोगशालाओं, डिजिटल उपकरणों, स्कूलों और समुदायों को जोड़कर, इस योजना ने एक मज़बूत प्रणाली बनाई है जो किसान को केंद्र में रखती है। जैसे-जैसे भारत जलवायु-अनुकूल और टिकाऊ कृषि की ओर बढ़ रहा है, मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना इस लिहाज से आदर्श बनी हुई है कि कैसे डेटा, जागरूकता और जमीनी समर्थन मिलकर वास्तविक बदलाव ला सकते हैं। इस योजना के तहत निरंतर निवेश और नवाचार एक ऐसे भविष्य के निर्माण की कुंजी होंगे जहां भारतीय मिट्टी आने वाली पीढ़ियों के लिए उपजाऊ, स्वस्थ और उत्पादक बनी रहे।

संदर्भ:

Press Release: Ministry of Agriculture & Farmers Welfare

Soil Health Card Portal

Niti Aayog

NIC Portal

myscheme Portal

Soil Health Card App  

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