Social Welfare
हर घर तिरंगा: तिरंगे का जन-उत्सव
Posted On: 13 AUG 2025 6:13PM
आजादी का अमृत महोत्सव के तत्वावधान में शुरू किया गया हर घर तिरंगा अभियान, भारत के राष्ट्रीय ध्वज के साथ संबंधों को एक विशुद्ध रूप से औपचारिक और संस्थागत प्रतीक से बदलकर एक गहन व्यक्तिगत संबंध में बदलने के एक तरीके के रूप में परिकल्पित किया गया था। इसका विचार प्रत्येक नागरिक को तिरंगा घर लाने, उसे गर्व से फहराने और भारत की स्वतंत्रता का उत्सव एक साझा और हार्दिक अनुभव के रूप में मनाने के लिए प्रोत्साहित करने जैसा सरल किन्तु गहन है। संस्कृति मंत्रालय इस राष्ट्रव्यापी पहल का संचालन करने वाली नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है।
अपनी शुरुआत से ही, हर घर तिरंगा एक वार्षिक कार्यक्रम से आगे बढ़कर एक जन आंदोलन बन गया है। पिछले कुछ वर्षों में, इसने व्यस्त शहरों से लेकर दूरदराज के गांवों तक, कॉर्पोरेट कार्यालयों से लेकर स्कूलों तक, रक्षा बलों से लेकर स्वयं सहायता समूहों तक देश के हर कोने से अभूतपूर्व भागीदारी हासिल की है। इस अभियान को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, रेलवे, नागरिक उड्डयन, सशस्त्र बलों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों का समर्थन मिला है, जिससे यह सुनिश्चित हुआ है कि देशभक्ति का संदेश हर घर तक पहुंचे। स्वयं सहायता समूह बड़े पैमाने पर ध्वज उत्पादन में सहायक रहे हैं, जिससे यह सुनिश्चित हुआ है कि तिरंगा सभी के लिए उपलब्ध और सुलभ हो।
हर घर तिरंगा 2025 - राष्ट्र की भावना का उत्सव
तिरंगा सिर्फ एक झंडा नहीं है। यह भारत की एकता, विविधता और मजबूती का जीवंत प्रतीक है। हर घर तिरंगा 2025 अभियान पिछले वर्षों की शानदार सफलता को आगे बढ़ाते हुए, इसमें नई ऊर्जा, रचनात्मकता और नागरिकों को राष्ट्रीय ध्वज से गहराई से व्यक्तिगत और सामुदायिक रूप से जुड़ने के अवसर प्रदान करता है।

इस वर्ष का आयोजन कई चरणों में होगा। इससे स्वतंत्रता दिवस से पहले देश के हर कोने से भागीदारी सुनिश्चित होगी। यह समारोह 15 अगस्त 2025 को घरों, संस्थानों और सार्वजनिक स्थानों पर तिरंगे के एकीकृत आयोजन के साथ समाप्त होगा, जो राष्ट्रीय गौरव की सामूहिक पुष्टि का प्रतीक होगा।
चरण-वार उत्सव योजना1

[1] https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2025/aug/doc2025811605101.pdf
2025 की प्रमुख गतिविधियां
- तिरंगा स्वयंसेवक: नागरिकों से स्वयंसेवक बनने का आह्वान किया जा रहा है। इसके लिए 5 लाख से अधिक युवा पंजीकरण करा चुके हैं। स्वयंसेवक झंडे के इतिहास, महत्व और शिष्टाचार के बारे में जागरूकता फैला रहे हैं, झंडा फहरा रहे हैं, सेल्फी साझा कर रहे हैं और डिजिटल एम्बेसडर बैज और प्रमाणपत्र प्राप्त कर रहे हैं।
- हर घर तिरंगा, हर घर स्वच्छता: जन स्वास्थ्य के साथ-साथ देशभक्ति को बढ़ावा देने के लिए स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) और जल जीवन मिशन की पहलों को एक साथ जोड़ते हुए, अमृत सरोवरों में सफाई अभियान, जल संरक्षण गतिविधियां और ध्वजारोहण का आयोजन किया जा रहा है।
- तिरंगा प्रश्नोत्तरी, कला, बुनाई और धागे : MyGov पर ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी आयोजित की जा रही हैं, तिरंगे के धागों और कपड़ों से सार्वजनिक कला प्रतिष्ठान प्रदर्शित किए जा रहे है और नागरिकों को तिरंगा-थीम वाली पेंटिंग, पोस्टर, डिजिटल कलाकृतियां और शिल्प बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
- तिरंगा पत्र लेखन और राखी बनाना : छात्रों व युवाओं को सशस्त्र और पुलिस बलों के लिए आभार पत्र लिखने और तिरंगा-थीम वाली राखियां बनाने के लिए आमंत्रित किया जा रहा है, जिससे नागरिक-रक्षक बंधन मजबूत हो रहे हैं।
- तिरंगा यात्रा, रैलियां और दौड़: सामुदायिक ध्वज जुलूस, बाइक/साइकिल/कार रैलियां, और तिरंगा-थीम वाली दौड़ और मैराथन आयोजित की जा रही हैं, जो एकता, फिटनेस और राष्ट्रीय गौरव को बढ़ावा दे रही हैं।
- तिरंगा संगीत कार्यक्रम, सेल्फी, सम्मान और मेले: तिरंगा गान के साथ देशभक्ति संगीत समारोह आयोजित किए जा रहे हैं, नागरिकों को आधिकारिक वेबसाइट पर ध्वज के साथ सेल्फी लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में विशेष समारोह आयोजित किए जा रहे हैं, और स्थानीय कारीगरों और सामुदायिक उत्सवों का समर्थन करने के लिए झंडों, थीम वाले सामान और भोजन के स्टॉल वाले मेले आयोजित किए जा रहे हैं।

हर घर तिरंगा अभियान के लिए जन भागीदारी
हर घर तिरंगा अभियान को समग्र समाज के दृष्टिकोण से शक्ति मिलती है, जो मंत्रालयों, विभागों, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और नागरिकों को एक एकीकृत प्रयास में एक साथ लाता है। यह समन्वित भागीदारी सुनिश्चित करती है कि उत्सव देश के हर हिस्से तक पहुंचे और सभी क्षेत्रों के लोगों के साथ प्रतिध्वनित हो।
जन भागीदारी की भावना के तहत देश भर के स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) ने हर घर तिरंगा अभियान को वास्तव में समावेशी आंदोलन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। महिलाओं के नेतृत्व वाले एसएचजी राष्ट्रीय ध्वज के निर्माण में सबसे आगे रहे हैं, न केवल गुणवत्ता मानकों का पालन सुनिश्चित करते हैं बल्कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में समय पर उपलब्धता भी सुनिश्चित करते हैं। उनके प्रयास झंडों के उत्पादन से आगे बढ़कर झंडों के वितरण में सक्रिय भागीदारी तक बढ़ गए हैं। इससे नागरिकों को दूरदराज के क्षेत्रों में भी समारोहों में शामिल होने की सुविधा मिल रही है।
उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में, राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन ने "हर घर तिरंगा 2025" अभियान के लिए लगभग 30,000 स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को 2 करोड़ राष्ट्रीय ध्वज बनाने के लिए प्रेरित किया है। इस बड़े पैमाने के प्रयास ने न केवल राज्य भर की हजारों महिलाओं को एक साथ लाया है, बल्कि उनमें गर्व और एकता की गहरी भावना भी जगाई है, क्योंकि वे अपने कौशल का उपयोग करके लाखों घरों की शोभा बढ़ाने वाले राष्ट्रीय प्रतीक का निर्माण कर रही हैं।


बिहार
बिहार में, हर घर तिरंगा अभियान ने 10-15 जिलों के लगभग 500 कुशल और पहली बार तिरंगा बनाने वाले कारीगरों को एकजुट किया है। ये कारीगर शिल्पग्राम और जानकी जैसी निर्माता कंपनियों के साथ-साथ अन्य स्थानीय संस्थानों के माध्यम से काम कर रहे हैं। उचित प्रशिक्षण के साथ, अनुभवी सदस्य (लगभग 70 प्रतिशत) और नए सदस्य (30 प्रतिशत) दोनों ही साटन और रोटो पॉलिएस्टर जैसी सामग्रियों का उपयोग करके तीनों अधिसूचित आकारों — 20x30, 16x24 और 6x9 इंच — में झंडों के बड़े पैमाने पर उत्पादन में योगदान दे रहे हैं। अब तक, राज्य के भीतर स्थानीय स्तर पर लगभग 3 लाख तिरंगे सिले और आपूर्ति किए जा चुके हैं। यह काम न केवल राष्ट्रीय गौरव की गहरी भावना पैदा करता है, बल्कि एक स्थिर


आजीविका भी प्रदान करता है, जिससे इसमें जुटे सदस्य हर दिन 300-400 रुपये कमा पाते हैं। प्रत्येक सिलाई के साथ, ये महिलाएं और पुरुष तिरंगे के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हैं तथा ऐसे अवसरों का लाभ उठाने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं जिनमें कौशल, आय और देशभक्ति का मिश्रण होता है।
असम
असम में, हर घर तिरंगा अभियान ने जिला प्रशासन, असम राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एएसआरएलएम) की ब्लॉक मिशन प्रबंधन इकाइयों और अन्य विभागों के समन्वित प्रयास से विभिन्न स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को एक साथ लाया। सिलाई और कपड़ा उद्योग में सिद्ध विशेषज्ञता वाले एसएचजी को प्राथमिकता दी गई, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे तुरंत बड़े पैमाने पर झंडे का उत्पादन शुरू कर सकें। असम में, एसएचजी के सदस्य भारतीय ध्वज संहिता के अनुरूप खादी, सूती, पॉलिएस्टर और अन्य स्वीकृत सामग्रियों का उपयोग करके 20"x30", 16"x24", और 12"x18" जैसे मानक आकारों में झंडे बना रहे हैं। स्वतंत्रता


दिवस से पहले मांग को पूरा करने के लिए उत्पादन में लगातार वृद्धि की गई है और वितरण जिला, ब्लॉक एवं राज्य स्तर पर किया जा रहा है। एसएचजी से जुड़ी कई महिलाओं के लिए, यह पहल मौसमी रोजगार से कहीं बढ़कर रही है—इसने उन्हें आय का एक सम्मानजनक स्रोत प्रदान किया है, उद्यमशीलता के प्रति उनके आत्मविश्वास को मजबूत किया है और एक राष्ट्रीय उत्सव में योगदान देने पर गर्व की भावना पैदा की है।
विभिन्न मंत्रालय और विभाग इस अभियान में सक्रिय रूप से योगदान दे रहे हैं:

यह सामूहिक प्रयास सुनिश्चित करता है कि ‘हर घर तिरंगा’ महज एक प्रतीकात्मक आयोजन ही नहीं है, बल्कि एक ऐसा सच्चा राष्ट्रीय उत्सव है जो पूरे राष्ट्र की भागीदारी और गौरव को दर्शाता है।
अब तक का सफर: 2022–2024
2022
वर्ष 2022 में, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जनभागीदारी की भावना के साथ शुरू किए गए “हर घर तिरंगा” अभियान के पहले संस्करण में भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने का उत्सव मनाया गया। विभिन्न राज्यों/केन्द्र-शासित प्रदेशों, मंत्रालयों, गैर-सरकारी संगठनों और सामुदायिक समूहों ने मिलकर देश भर में त्योहार जैसा माहौल बनाया। इस अभियान ने कई उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल कीं, जिनमें चंडीगढ़ में 5,885 प्रतिभागियों के साथ लहराते राष्ट्रीय ध्वज की सबसे बड़ी तस्वीर का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड, 23 करोड़ से अधिक घरों में तिरंगा फहराना और आधिकारिक पोर्टल पर 6 करोड़ से अधिक सेल्फी अपलोड किया जाना शामिल है।
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2023
वर्ष 2023 में, इस अभियान के दूसरे संस्करण के दौरान यह उत्साह और भी बढ़ गया। राष्ट्रीय ध्वज के साथ 10 करोड़ से अधिक सेल्फी अपलोड की गईं, जिससे यह अभियान देशभक्ति के डिजिटल उत्सव में बदल गया। 2022 और 2023, दोनों ही वर्षों में, इस कार्यक्रम के हाइब्रिड स्वरूप ने घर पर ध्वज के साथ व्यक्तिगत भावनात्मक जुड़ाव को प्रोत्साहित किया और इसके साथ-साथ ऑनलाइन जुड़ाव के माध्यम से सामूहिक उत्सव को भी बढ़ावा दिया।
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2024
वर्ष 2024 में, इस अभियान का तीसरा संस्करण 9 से 15 अगस्त तक मनाया गया। इसमें सभी राज्यों, केन्द्र-शासित प्रदेशों और उद्योग जगत के प्रमुख भागीदारों ने भाग लिया। 13 अगस्त को आयोजित तिरंगा बाइक रैली इस कार्यक्रम का एक मुख्य आकर्षण रही। इस रैली में सांसदगण प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम से मोटरसाइकिल चलाकर ऐतिहासिक इंडिया गेट से गुजरते हुए मेजर ध्यानचंद स्टेडियम तक गए। देशव्यापी गतिविधियों ने एक बार फिर लाखों लोगों को एकसूत्र में बांधा, जिससे यह पुष्ट हुआ कि तिरंगे को घर लाना केवल प्रतीकात्मक नहीं है - यह राष्ट्र के आदर्शों के प्रति एक साझा प्रतिबद्धता है।
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भारतीय ध्वज संहिता
हर घर तिरंगा भारतीय ध्वज संहिता के अनुसार मनाया जाता है, जो नागरिकों को राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा, सम्मान और प्रतीकात्मकता को समझने और बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करता है। हर साल, यह राष्ट्रव्यापी पहल तिरंगा फहराने के साधारण कार्य को एकता और देशभक्ति के सामूहिक उत्सव में बदल देती है, जहाँ पूरे भारत में घरों, स्कूलों, कार्यालयों और सार्वजनिक स्थानों को जीवंत केसरिया, सफेद और हरे रंग से सजाया जाता है।


भारतीय ध्वज संहिता की मुख्य विशेषताएं, 2002
- भारतीय ध्वज संहिता, 2002 में 30 दिसम्बर, 2021 के आदेश से संशोधन किया गया और पॉलिएस्टर या मशीन से बने राष्ट्रीय ध्वज को अनुमति दी गई। अब राष्ट्रीय ध्वज हाथ से काते और बुने हुए या मशीन से बने सूती, पॉलिएस्टर, ऊनी या रेशमी खादी बंटिंग से बनाया जाएगा।
ख. कोई भी सार्वजनिक व्यक्ति, निजी संगठन या शैक्षणिक संस्थान, राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा और सम्मान के अनुरूप, सभी दिनों और अवसरों पर, चाहे वे औपचारिक हों या अन्यथा, राष्ट्रीय ध्वज फहरा/प्रदर्शित कर सकता है।
ग. भारतीय ध्वज संहिता, 2002 को 19 जुलाई, 2022 के आदेश के तहत संशोधित किया गया और भारतीय ध्वज संहिता के भाग-II के पैराग्राफ 2.2 के खंड (xi) को निम्नलिखित खंड द्वारा प्रतिस्थापित किया गया:- (xi) "जहां ध्वज खुले में प्रदर्शित किया जाता है या किसी आम आदमी के घर पर प्रदर्शित किया जाता है, वहां इसे दिन-रात फहराया जा सकता है।"
घ. राष्ट्रीय ध्वज का आकार आयताकार होगा। ध्वज किसी भी आकार का हो सकता है, लेकिन ध्वज की लंबाई और ऊँचाई (चौड़ाई) का अनुपात 3:2 होगा।
ङ. जब भी राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाए, उसे सम्मानपूर्वक रखा जाना चाहिए और वह ऐसे स्थान पर लगा हो जहां से स्पष्ट दिखाई दे।
च. क्षतिग्रस्त या मैला-कुचैला ध्वज प्रदर्शित नहीं किया जाएगा।
छ. झंडा किसी अन्य ध्वज या झंडों के साथ एक ही मास्टहेड से नहीं फहराया जाना चाहिए।
ज. ध्वज संहिता के भाग III की धारा IX में उल्लिखित गणमान्य व्यक्तियों, जैसे राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल आदि के वाहन को छोड़कर किसी भी वाहन पर ध्वज नहीं लहराना चाहिए।
झ. किसी अन्य ध्वज या पताका को राष्ट्रीय ध्वज से ऊंचा या ऊपर या उसके साथ-साथ नहीं रखा जाना चाहिए।
निष्कर्ष
2022 में अपनी ऐतिहासिक शुरुआत से लेकर उसके बाद के वर्षों में उत्साहपूर्ण उपलब्धियों तक, हर घर तिरंगा अभियान सामूहिक गौरव की एक सशक्त अभिव्यक्ति के रूप में विकसित हुआ है। इसने अनेक कीर्तिमान स्थापित होते देखे हैं, अभूतपूर्व संख्या में समुदायों को एकजुट होते देखा है, और राष्ट्र के प्रति समर्पण की अनगिनत व्यक्तिगत कहानियाँ देखी हैं। 2025 में, जब तिरंगा एक बार फिर हर घर, स्कूल, कार्यालय और गली में लहराएगा, तो यह इन साझा पलों की विरासत को आगे बढ़ाते हुए एकता और सेवा के नए अध्याय खोलेगा। यह हमें याद दिलाता है कि हमारी स्वतंत्रता एक जीवंत विरासत है, जिसका सम्मान न केवल प्रतीकात्मक भावों से होता है, बल्कि तिरंगे के आदर्शों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता से भी होता है। इसके रंगों के नीचे एक साथ खड़े होकर, हम त्याग, दृढ़ता और आशा की भावना से बंधे एक राष्ट्र और एक व्यक्ति के रूप में अपनी पहचान की पुष्टि करते हैं।
पीके/केसी/एसकेएस/आर/केपी
संदर्भ:
- https://harghartiranga.com/
- https://amritkaal.nic.in/har-ghar-tiranga-2023.htm
- https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2025/aug/doc2025811605101.pdf
- https://www.pib.gov.in/PressReleseDetailm.aspx?PRID=2155193
- https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2044847
- https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2043288
- https://x.com/AmritMahotsav?lang=en
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