Rural Prosperity
एक पहल जिसने हर घर में जगाई खुशहाली की ज्योतिः उज्ज्वला योजना
Posted On: 09 AUG 2025 11:37AM
"उज्ज्वला योजना ने गरीबों, वंचितों, दलितों और जनजातीय समुदायों के जीवन को मज़बूत बनाया है। यह पहल सामाजिक सशक्तिकरण में प्रमुख भूमिका निभा रही है।"
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
- प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के अंतर्गत जुलाई 2025 तक 10 करोड़ से अधिक एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध कराए जा चुके हैं, जिससे ग्रामीण परिवारों को स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन की उपलब्धता सुनिश्चित हुई है।
- महिलाओं के प्रतिदिन 2 से 3 घंटे बच जते हैं, जो पहले उन्हें चूल्हा जलाने की लकड़ी इकट्ठा करने में लगते थे। अब महिलाएं इस समय का उपयोग आय-अर्जित करने की गतिविधियों या परिवार की देखभाल के लिए करती हैं।
- सरकार ने पीएमयूवाई लाभार्थियों के लिए प्रति वर्ष 14.2 किलोग्राम के 9 सिलेंडर तक की रिफिल पर 300 रुपये की लक्षित सब्सिडी को स्वीकृति दी है।
परिचय: महिलाओं की रसोई को रोशन करना
पूरे भारत के 32.8 लाख वर्ग किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में, महिलाओं की शक्ति, त्याग और दृढ़ता की अनगिनत कहानियाँ अनसुनी रह जाती हैं।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के लाभार्थियों को वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान 12,000 करोड़ रुपये के व्यय पर प्रति वर्ष 14.2 किलोग्राम के 9 रिफिल सिलेंडर पर (और 5 किलोग्राम सिलेंडर के लिए आनुपातिक रूप से) 300 रुपये की लक्षित सब्सिडी को स्वीकृति दी है।
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शहरी घरों में, महिलाएँ अपने शाम के भोजन की योजना बनाती हैं, शायद एक स्वादिष्ट दाल या मीठी खीर के बारे में सोचती हैं और इस बात पर ध्यान केंद्रित करती हैं कि क्या परोसा जाए। लेकिन भारत के गाँवों में, महिलाओं को कभी अपने चूल्हे में ईंधन के लिए लकड़ी या गोबर इकट्ठा करने का कठिन काम करना पड़ता था। धुएँ से उनकी आँखें जलती रहती थीं, उनके बच्चे धुआं से भरे कमरों में खाँसते रहते थे। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) एक मधुर वादे की तरह आई, जिसने उनकी रसोई में स्वच्छ गैस की ज्योति प्रदान कर दी ताकि वे खुशी से खाना बना सकें, उनका भोजन कालिख से नहीं, बल्कि देखभाल से भरा हो।
सुक्शो की फसल
उसके घर की हवा धुएं से भरी थी और ऐसा महसूस होता था जैसे वह फंस गई है, समय में फंस गई है, एक संघर्ष में फंस गई है, एक ऐसे जीवन में जहां सांस लेने की भी जगह नहीं है।
फिर, 2019 में, उसे अपना एलपीजी कनेक्शन मिला। और इसके साथ ही, एक नया रास्ता खुल गया।
जिन घंटों को वह पहले ईंधन इकट्ठा करने में लगाती थी, अब उसे एक नया उद्देश्य मिल गया था। अन्य महिलाओं के साथ, उसने गाँव के खेतों में सब्ज़ियाँ उगाना शुरू कर दिया। वे सभी अपनी फसलें मिलकर बेचती थीं, जिससे न केवल आय होती थी, बल्कि सम्मान भी मिलता था। कभी भीड़ में अदृश्य रही सुक्शो अब अपने समुदाय में सिर उंचा कर खड़ी है, हालांकि वह अभी भी व्यस्त हैं, लेकिन विकास के साथ, कष्ट के साथ नहीं।
नदी किनारे बसे नारायणपुर चार गाँव में, सुक्शो चौधरी के दिन धुएँ और सन्नाटे से भरे होते थे।
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उज्ज्वला योजना को क्या विशेष बनाता है? यह योजना केवल महिलाओं के लिए बनाई गई है।
केवल एक पात्र परिवार की वयस्क महिला ही अपने नाम पर गैस कनेक्शन प्राप्त कर सकती है, यह एक छोटी सी रोशनी है जो उसके घर में उसकी भूमिका का सम्मान करती है।
एक पहल जिसने हर घर में जगाई खुशहाली की ज्योतिः: उज्ज्वला की कहानी
खाना पकाने से गर्माहट मिलनी चाहिए, नुकसान नहीं। फिर भी, दशकों से, लाखों भारतीय महिलाएँ धुएँ वाले चूल्हों पर खाना बनाती रही हैं, जिससे प्रत्येक दिन उनका स्वास्थ्य और आराम खतरे में पड़ता रहा है। इस कठिनाई को समझते हुए, भारत सरकार ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) शुरू की, जो एक प्रमुख योजना है। इसने ग्रामीण महिलाओं के हाथों में स्वच्छ खाना पकाने का ईंधन पहुँचाया। समय के साथ, यह पहल उन लोगों तक पहुँचने के लिए विकसित हुई जो अब भी पीछे छूट गए थे। इसकी परिकल्पना का विस्तार हुआ और इसका प्रभाव गहरा हुआ। यहाँ बताया गया है कि कैसे दोनों चरणों, उज्ज्वला और उज्ज्वला 2.0, ने पूरे भारत में रसोई को धुएँ से भरे कोनों से सुरक्षित और स्वस्थ स्थानों में बदलने में मदद की है।
उज्ज्वला: पहली ज्योति
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उज्ज्वला 2.0: विस्तारित पहुंच
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- शुभारंभ की तिथि: 1 मई, 2016
- गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) जीवनयापन करने वाले परिवारों की महिलाओं को 5 करोड़ एलपीजी कनेक्शन प्रदान करने का लक्ष्य।
- एलपीजी कनेक्शन परिवार की एक वयस्क महिला के नाम पर जारी किया जाता है।
- सरकार द्वारा प्रति कनेक्शन 1,600 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की गई।
- इस योजना ने महिलाओं को घरों में प्राथमिक लाभार्थी और निर्णयकर्ता के रूप में मान्यता देकर उन्हें सशक्त बनाया।
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- शुभारंभ की तिथि: 10 अगस्त, 2021
- उज्ज्वला 2.0 का लक्ष्य शुरुआत में उन निम्न-आय वर्ग वाले परिवारों के लिए 1 करोड़ अतिरिक्त कनेक्शन प्रदान करना था, जो पीएमयूवाई के पहले चरण के अंतर्गत शामिल नहीं हो पाए थे।
- न्यूनतम कागजी कार्रवाई आवश्यक थी—अधिकतर मामलों में स्व-घोषणा ही पर्याप्त थी।
- मुफ़्त एलपीजी कनेक्शन, पहला भरा हुआ सिलेंडर और एक चूल्हा प्रदान किया गया।
- इसका उद्देश्य पहले चरण में रह गई कमियों को पूरा करना और स्वच्छ रसोई ईंधन की देश के की अंतिम महिला तक आपूर्ति सुनिश्चित करना था।
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वर्ष 2024 तक, उज्ज्वला 2.0 ग्रामीण भारत में स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन तक पहुंच के मिशन को आगे बढ़ा रही थी और इस योजना की पिछली सफलता से पहले से ही प्रभावित समुदायों तक मज़बूती से पहुंच रही थी। कई गाँवों में, धुएँ वाली आग की जगह साफ़ नीली लपटें आ गई थीं और रसोई में रौनक और ताज़गी का एहसास होने लगा था। एलपीजी पंचायत जैसे सामुदायिक समारोह ऐसे मंच बन गए जहाँ महिलाएँ सुरक्षित उपयोग के सुझाव साझा करती थीं, जैसे कि नली की जाँच करना, सिलेंडरों को सही तरीके से रखना। इसके अलावा, उन्होंने आसानी से खाना पकाने, सांस की कम समस्याओं और परिवार या काम के लिए ज़्यादा समय निकालने के अपने अनुभव भी साझा किए। उन्होंने इस योजना की कुछ उपयोगी विशेषताओं का भी पता लगाया, जैसे कि ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से गैस एजेंसी बदलने की सुविधा, जिससे उनका आत्मविश्वास और अपना दायित्व निभाने की क्षमता बढ़ी। पूरे देश के लाखों घरों की तरह, इन समुदायों ने भी एक शांत और स्वच्छ लय अपनाई: कम खाँसी, ज़्यादा मुस्कान।

इस योजना का प्रभाव उच्चतम स्तर पर सुनाई जाने वाली कहानियों के माध्यम से झलकता है। फरवरी 2018 में, नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में पीएमयूवाई की सफलता का सम्मान करने के लिए एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में महिला लाभार्थियों ने बताया कि कैसे स्वच्छ ईंधन ने उनके जीवन को बदल दिया। उन्होंने बताया कि कैसे लकड़ी इकट्ठा करने में लगने वाले समय का सदुपयोग अब बच्चों के साथ या आय अर्जित करने में होता है और अब रसोई घुटन भरे धुएँ से मुक्त हो गई है। ये कहानियाँ इस योजना के सम्मान और स्वास्थ्य के वादे को दर्शाती हैं। 30 दिसंबर, 2023 को, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अयोध्या में मीरा मांझी के घर का दौरा किया, जो 10 करोड़वीं पीएमयूवाई लाभार्थी हैं।
अतीत में ईंधन के रूप: उज्ज्वला से पहले का समय
भारत के रसोईघरों में पीएमयूवाई द्वारा रोशनी लाने से पहले, ग्रामीण महिलाएँ पारंपरिक ईंधन पर निर्भर थीं, जिससे घर धुएँ से भर जाते थे और उनके दिन भर की मेहनत का बोझ बढ़ जाता था। लकड़ी, कोयला और गोबर के उपले गाँव के भोजन का आधार थे, जिन्हें जंगलों या खेतों से इकट्ठा किया जाता था, इनका घना धुआँ फेफड़ों को बीमार कर देता था और सपनों को धूमिल कर देता था। हालाँकि ये ईंधन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध थे लेकिन घंटों की मेहनत और परिवारों को धुंधले, अस्वस्थ घरों के साथ छोड़ जाते थे। पीएमयूवाई ने इस कहानी को बदल दिया, धुएँ वाली लपटों की जगह स्वच्छ एलपीजी ने ले ली, जिससे महिलाएँ आसानी से खाना बनाने में सक्षम हो सकीं और गर्व से जी सकीं।

नीचे दी गई तालिका 2016 में पीएमयूवाई के शुभारंभ से पहले पूरे भारत में उपयोग किए जाने वाले प्राथमिक ईंधनों को सूचीबद्ध करती है, जो उज्ज्वला द्वारा बदले गए पुराने तरीकों पर प्रकाश डालती है।
ईंधन का प्रकार
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विवरण
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लकड़ी
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ग्रामीण घरों में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता था, जंगलों या स्थानीय क्षेत्रों से एकत्र किया जाता था, जिससे घना धुआं निकलता था और जो स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता था तथा इसे इकट्ठा करने में घंटों लग जाते थे।
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गोबर के उपले
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गोबर के उपले गांवों में आम बात है, सूखे गोबर से बनाया जाता है, धीरे-धीरे जलाया जाता है, जिससे भारी धुआं निकलता है, जो परिवार के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
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कोयला
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कुछ ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में, अक्सर खाना पकाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है, जिससे घना धुआं निकलता है, जो घर के अंदर वायु प्रदूषण में योगदान देता है।
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फसल के अवशेष
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ग्रामीण रसोईघरों में कृषि अपशिष्ट जैसे पुआल या भूसी को जलाया जाता है, जिससे धुआं बढ़ता है और उसे लगातार एकत्र करने की आवश्यकता होती है।
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केरोसीन ऑयल
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सीमित घरों में इसका उपयोग किया जाता है, अक्सर इसे अन्य ईंधनों के साथ मिलाकर धुआं उत्पन्न पैदा होता है, जिससे स्वास्थ्य को खतरा पैदा होता है।
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उज्ज्वला की पहुंच: पूरे देश के विभिन्न राज्यों की महिलाओं के जीवन में रोशनी
पीएमयूवाई ने भारत के हर कोने में आशा की किरण जगाई है। जिन राज्यों में ग्रामीण आबादी और गरीबी के संकेतक ज़्यादा हैं, वहाँ इस योजना को ज़्यादा अपनाया गया है, जिससे महिलाओं के लिए स्वच्छ रसोई समाधानों तक पहुँच में सुधार हुआ है।

नीचे दी गई तालिका, घरेलू एलपीजी ग्राहकों के रुझान के आधार पर, दिसंबर 2024 तक पीएमयूवाई योजना के लाभार्थियों की सबसे अधिक संख्या वाले राज्यों को दर्शाती है, जो इस योजना के व्यापक प्रसार को प्रदार्शित करती है।
राज्य
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योजना के लाभार्थियों की संख्या
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उत्तर प्रदेश
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1.85 करोड़ से अधिक परिवार, अपनी बड़ी ग्रामीण आबादी और उच्च एलपीजी अपनाने के कारण अग्रणी।
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बिहार
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लगभग 1.16 करोड़ परिवार, स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन के व्यापक ग्रामीण उपयोग से प्रेरित हैं।
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पश्चिम बंगाल
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वंचित समुदायों के लगभग 1.23 करोड़ परिवारों तक मजबूत पहुंच।
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मध्य प्रदेश
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लगभग 88.4 लाख परिवार, जनजातीय और ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को सशक्त बना रहे हैं।
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महाराष्ट्र
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इस योजना के माध्यम से लगभग 52.18 लाख परिवारों को स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन तक पहुंच प्राप्त हुई है।
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इस व्यापक स्वीकृति से पीएमयूवाई का मिशन प्रत्येक ग्रामीण रसोईघर को रोशन करना है, जिसमें उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्य स्वच्छ ईंधन के साथ महिलाओं को सशक्त बनाने में अग्रणी हैं।
महिला सशक्तिकरण: उज्ज्वला का केंद्र

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना चूल्हे जलाने से कहीं ज़्यादा है, यह सपनों को भी जगाती है। महिलाओं को ईंधन जुटाने की मुश्किलों से मुक्ति दिलाकर, यह शिक्षा, उद्यमिता और परिवार के साथ समय बिताने के रास्ते खोलती है। अब महिलाएं स्वयं सहायता समूहों में शामिल हो रही हैं, छोटे-मोटे व्यवसाय शुरू कर रही हैं या अपने बच्चों को पढ़ा रही हैं, और काम के बचे हुए घंटों और बेहतर स्वास्थ्य से उनका जीवन समृद्ध हो रहा है।
समय से पहले लक्ष्य प्राप्त किए गए
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना ने न केवल अपने प्रमुख लक्ष्यों को प्राप्त किया, बल्कि निर्धारित समय से काफी पहले ही उन्हें प्राप्त कर कर लिया - जो इसके तीव्र पैमाने, प्रभावी कार्यान्वयन और परिवर्तनकारी प्रभाव का प्रमाण है।
संकेतक
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उपलब्धि
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प्रारंभिक लक्ष्य
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सितंबर 2019 तक 8 करोड़ कनेक्शन प्रदान करना
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उज्ज्वला 2.0
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जनवरी 2022 तक अतिरिक्त 1 करोड़ कनेक्शन प्रदान किए जाएंगे; दिसंबर 2022 तक 1.60 करोड़ तक विस्तार किया जाएगा।
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उज्ज्वला 2.0 की विस्तारित पहुंच
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वित्त वर्ष 2023-24 से 2025-26 के चरण के अंतर्गत जुलाई 2024 तक 75 लाख और अतिरिक्त कनेक्शन स्वीकृत और प्रदान किए जाएंगे
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कुल चालू कनेक्शन
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1 जुलाई 2025 तक 10.33 करोड़ पीएमयूवाई कनेक्शन सक्रिय होंगे
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कुल एलपीजी रिफिल सिलेंडर वितरित
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फरवरी 2025 तक 234.02 करोड़ 14.2 किलोग्राम एलपीजी रिफिल सिलेंडर (इंस्टॉलेशन रिफिल सहित) वितरित किए गए
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दैनिक वितरण दर (2024)
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वित्त वर्ष 2024-25 (फरवरी 2025 तक) के दौरान लगभग 12.6 लाख एलपीजी रिफिल सिलेंडर प्रति दिन वितरित किए जाएंगे
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प्रति व्यक्ति उपभोग में वृद्धि
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3.01 सिलेंडर (वित्त वर्ष 2019-20) से बढ़कर 3.95 (वित्त वर्ष 2023-24), और 4.43 सिलेंडर (वित्त वर्ष 2024-25, 1 मार्च 2025 तक)
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ये उपलब्धियाँ एक बदलते भारत की कहानी बयां करती हैं। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की परिवर्तनकारी यात्रा को जारी रखते हुए, सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान लाभार्थियों को प्रति वर्ष 9 रिफिल सिलेंडर (और 5 किलोग्राम के सिलेंडर के लिए आनुपातिक रूप से) के लिए 14.2 किलोग्राम के सिलेंडर पर 300 रुपये की लक्षित सब्सिडी को मंजूरी दी है, जिस पर 12,000 करोड़ रुपये का व्यय होगा।
सतत विकास लक्ष्य कार्यान्वित: उज्ज्वला का प्रभाव
सतत विकास लक्ष्य दुनिया का साझा वादा है - गरीबी को समाप्त करना, ग्रह की देखभाल करना और इस मिशन का स्तंभ, लाखों लोगों तक स्वच्छ खाना पकाने का ईंधन पहुंचाना और जहां सबसे अधिक आवश्यकता है वहां जीवन को रोशन करना, वर्ष 2030 तक हर व्यक्ति को सम्मान के साथ जीने में सहायता करना है। भारत में, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना एक मजबूत योजना के रूप में काम कर रही है।

निष्कर्ष: आने वाले कल के लिए आशा की एक ज्योति
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना एक योजना से कहीं अधिक है। यह आशा की एक क्रांति है, जो दिलों को गर्माहट और भविष्य को उज्ज्वल बनाने वाली ज्योति जलाती है। उदार सब्सिडी से समर्थित प्रत्येक गैस सिलेंडर, गरिमा की एक चिंगारी है, जो महिलाओं को धुएँ से भरी रसोई से मुक्ति दिलाती है और स्वस्थ जीवन, सशक्त सपनों और समृद्ध समुदायों का मार्ग प्रशस्त करती है। उत्तर प्रदेश से लेकर महाराष्ट्र तक, लाखों महिलाएँ अब गर्व से खाना बनाती हैं, उनके बच्चे आज़ादी से साँस लेते हैं, उनके घर हँसी से भरे होते हैं।
कैमेलिया की रसोई
पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना में, कैमेलिया नस्कर एक शांत शत्रु—धुआं के साथ रहती थीं। यह उनकी रसोई में भरा रहता था और धुआं उनके बच्चों के फेफड़ों में भर जाता था, और उनके घर के हर कोने में समा जाता था। उनके दिन खाँसने-खखारने, सफाई करने और धुंध में खाना पकाने में बीतते थे।
लेकिन अब, हवा बदल गई है।
उनकी रसोई का चूल्हा अब रसोई गैस से चलता है, और उनकी रसोई अब उनके सपनों का गला नहीं घोंटती। दीवारें अब भी वैसी ही हैं, बस माहौल नया है। चूल्हे पर गरमागरम खाना पक रहा है और उनके बच्चे उनके बगल में पढ़ रहे हैं। उनका घर, जो कभी कालिख से भरा रहता था, अब खाने की खुशबू, पढ़ने की आवाज़ और उम्मीद की रोशनी से भर गया है।
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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2019 में इसी भावना को व्यक्त किया था: "उज्ज्वला योजना ने बहनों के स्वास्थ्य, सुविधा और सशक्तिकरण को सुनिश्चित करने के संकल्प पर ध्यान दिया है।"
उज्ज्वला का यही सार है, एक ऐसी ज्योति जो रसोई और मन, दोनों को रोशन करती है और भारत के कोने-कोने तक आशा का संचार करती है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना भारत की प्रगति का एक प्रकाश स्तंभ है, जहाँ स्वच्छ, सुलभ ईंधन न केवल चूल्हों को बल्कि आकांक्षाओं को भी ऊर्जा प्रदान करता है, समानता, स्वास्थ्य और अवसर का ताना-बाना बुनता है। जैसे-जैसे ये ज्योति देश के कोने-कोने में टिमटिमाती हैं, ये एक वादा लेकर आती हैं: एक उज्जवल, सशक्त भारत, जहाँ प्रत्येक महिला का प्रकाश साहस और स्वतंत्रता से रोशन होता है।
संदर्भ:
- पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय
https://pmuy.gov.in/about.html
https://pmuy.gov.in/about.html
https://pmuy.gov.in/faq.html
https://cag.gov.in/uploads/download_audit_report/2019/Report_No_14_of_2019_Performance_Audit_of_Pradhan_Mantri_Ujjwala_Yojana_Ministry_of_Petroleum_and_Natural_Gas_0.pdf
https://www.niti.gov.in/sites/default/files/2024-01/MPI-22_NITI-Aayog20254.pdf
https://www.niti.gov.in/sites/default/files/2023-08/India-National-Multidimentional-Poverty-Index-2023.pdf
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https://www.pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1957091
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https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1743813
https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/184/AS59_J9qBOS.pdf?source=pqals
https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2023/may/doc202351192201.pdf
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https://www.youtube.com/watch?v=Fr5SuKDvpZg&t=381s
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