Farmer's Welfare
कृषि अवसंरचना कोष
अधिक उत्पादकता के लिए कृषि अवसंरचना को बढ़ावा
Posted On: 09 AUG 2025 9:37AM
- बुनियादी ढांचे में वृद्धि: कृषि अवसंरचना कोष-एआईएफ के तहत 1.13 लाख कृषि परियोजनाओं के लिए 66,310 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए, जिससे फसल उत्पादन पश्चात के बुनियादी ढांचे को बढ़ावा मिलेगा।
- किसानों को लाभ: बेहतर भंडारण, अच्छी कीमतें, नुकसान में कमी और किसानों की आय में बढ़ोत्तरी।
- विस्तारित दायरा: इसमें अब एकीकृत प्रसंस्करण इकाईयां, सौर एकीकरण (पीएम-कुसुम घटक-ए) और राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी- एनएबी संरक्षण से किसान उत्पादक संगठन-एफपीओ के लिए विस्तारित ऋण गारंटी शामिल हैं।
- सहायक योजनाएं: कृषि विपणन अवसंरचना-एएमआई, जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन- एमओवीसीडीएनईआर, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना-डीपीआई, प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना-पीएमएमएसवाई, राष्ट्रीय कृषि बाज़ार- ई-एनएएम और सूक्ष्म सिंचाई कोष-एमआईएफ ग्रामीण कृषि-पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत बनाने में कृषि अवसंरचना कोष के पूरक हैं।
प्रस्तावना
ओडिशा के गजपति जिले के किडिगाम के मध्य में स्थित, श्री मां मज्जी गौरी काजू उद्योग एक सफल उद्यम के रूप में स्थापित है। 2022 में स्थापित, इस उद्यम की स्थापना साहसिक दृष्टिकोण से की गई है जिसका मकसद है - एक प्राथमिक काजू प्रसंस्करण इकाई स्थापित करना जिससे स्थानीय रोज़गार के अवसर उत्पन्न हो और किसानों को बाज़ार स्थिरता मिले। कुल 57 लाख रुपये की इस परियोजना लागत में उत्पादकों ने 42.75 लाख रुपये यूको बैंक से 5.5 प्रतिशत प्रति वर्ष की अत्यंत रियायती ब्याज दर पर ऋण प्राप्त किए, जो कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) के माध्यम से संभव हुआ है।
सामयिक और अल्प दर पर ऋण मिलने से समर्थित, यह इकाई आज 20 व्यक्तियों को प्रत्यक्ष रोजगार दे रही है और 40 स्थानीय किसानों को इससे सहायता मिल रही है जो अब अपनी उपज की सुनिश्चित खरीद होने से लाभान्वित हो रहे हैं। अनुमानत: 2.48 करोड़ रुपये वार्षिक राजस्व के साथ यह उद्यम सिर्फ आय का स्रोत ही नहीं, बल्कि सामुदायिक विकास और कृषि प्रगति की आधारशिला है।

यह कहानी कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) के व्यापक प्रभाव और उद्देश्यों को दर्शाती है, जो भारत सरकार द्वारा 2020-21 में आरंभ की गई प्रमुख योजना है, जिसका उद्देश्य कृषि क्षेत्र में फसल-उपरांत और फार्म-गेट अवसंरचना (कृषि उत्पादन को खेत से बाजार तक पहुंचाने और संसाधित करने के लिए आवश्यक सुविधाएं) को सुदृढ़ करना है। कृषि अवसंरचना उत्पादकता में सुधार, फसल-उपरांत नुकसान कम करने, बाज़ार पहुंच बढ़ाने और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में अहम है। कृषि अवसंरचना कोष का लक्ष्य मूल्य संवर्धन और संसाधन कुशलता से संचालित कर किसानों की आय में वृद्धि करना है।
कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) पूरे देश में कृषि अवसंरचना को सुदृढ़ करने के लिए आरंभ किया गया है। यह फसल-पश्चात प्रबंधन अवसंरचना और कृषि परिसंपत्तियों हेतु व्यवहार्य परियोजनाओं में निवेश के लिए ऋण पर ब्याज अनुदान और ऋण गारंटी सहायता द्वारा मध्यम-दीर्घकालिक ऋण वित्तपोषण सुविधा है। यह योजना फार्म-गेट भंडारण और संचालन सुविधाएं स्थापित किए जाने पर केंद्रित है जिससे किसान अपनी उपज का प्रभावी ढंग से भंडारण और कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम कर तथा बिचौलियों पर निर्भरता दूर कर उत्पाद बेहतर कीमतों पर बेच सकें। गोदाम, शीत गृह भंडार, छंटाई और ग्रेडिंग इकाइयां और उत्पाद पकाने वाले कक्ष जैसे बुनियादी ढांचे से किसानों की बाजार में व्यापक पहुंच और अच्छे मूल्य प्राप्त होने की क्षमता बढ़ाते हैं, जिससे उनकी आय में वृद्धि होती है। किसानों, कृषि उद्यमियों, सहकारी समितियों और उपभोक्ताओं सहित सभी हितपक्षों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से चलाई जा रही इस योजना का उद्देश्य कृषि क्षेत्र का समग्र विकास करना है।
एआईएफ के तहत ऋण संस्थानों के माध्यम से 9 प्रतिशत के अधिकतम ब्याज दर के साथ एक लाख करोड़ रुपये के ऋण दिए गए हैं। यह योजना 2020-21 से 2032-33 तक, 13 वर्षों की अवधि के लिए क्रियान्वित है। हालांकि, इस योजना के तहत ऋण वितरण छह वर्षों में, अर्थात् वित्त वर्ष 2025-26 के अंत तक पूरा हो जाएगा। इस वित्तपोषण सुविधा के अंतर्गत सभी ऋणों पर 2 करोड़ रुपये तक की ऋण सीमा तक 3 प्रतिशत प्रति वर्ष की ब्याज सब्सिडी उपलब्ध है। यह ब्याज सब्सिडी अधिकतम 7 वर्षों की अवधि के लिए है। 2 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण पर भी ब्याज सब्सिडी केवल 2 करोड़ रुपये तक ही दी जाती है।
यह वित्तपोषण सुविधा सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के पात्र ऋणप्राप्तकर्ताओं को भी उपलब्ध है। उन्हें क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (सीजीटीएमएसई) योजना के अंतर्गत 2 करोड़ रुपये तक की ऋण गारंटी कवरेज मिलती है जिसका शुल्क सरकार द्वारा वहन किया जाता है।
इसके अतिरिक्त कृषि अवसंरचना विकसित किए जाने से यह प्राकृतिक अनिश्चितताओं के प्रभाव में कमी लाता है, क्षेत्रीय असमानताओं को पाटता है, कौशल विकास को बढ़ावा देता है तथा सीमित भू-संसाधनों का सतत उपयोग बढ़ाता है जिससे अंततः एक अधिक स्थिति अनुकूल और उत्पादक कृषि पारिस्थितिकी तंत्र में योगदान मिल रहा है।
30 जून, 2025 तक देश भर में कृषि अवसंरचना कोष से 1,13,419 परियोजनाओं के लिए 66,310 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। इन परियोजनाओं ने कृषि क्षेत्र में सफलतापूर्वक 1,07,502 करोड़ रुपये का निवेश जुटाया है। इसके अलावा, कृषि अवसंरचना कोष से कुल 2,454 शीत गृह भंडारण परियोजनाओं के लिए 8,258 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है। इस व्यापक स्तर पर बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने से भंडारण में वृद्धि, अपव्यय में कमी, मूल्य संवर्धन में सुधार और फलस्वरूप किसानों की आय में वृद्धि होने की संभावना है।

कृषि अवसंरचना कोष योजना का हितधारकों के लिए उद्देश्य
यह योजना कृषि पारिस्थितिकी तंत्र के सभी हितपक्षों - किसानों, किसान उत्पादक संगठनों, सहकारी समितियों, कृषि उद्यमियों और उपभोक्ताओं के लाभ के लिए तैयार की गई है, जो कुशल मूल्य श्रृंखला के लिए दीर्घकालीन, आवश्यकता अनुरूप बुनियादी ढांचा प्रदान करती है।

किसान (किसान उत्पादक संगठन-एफपीओ, प्राथमिक कृषि ऋण समितियां-पीएसीएस, विपणन और बहुउद्देशीय सहकारी समितियां, राज्य एजेंसियां, कृषि उपज बाजार समितियां (मंडियां), राष्ट्रीय और राज्य सहकारी संघ, एफपीओ संघ और स्वयं सहायता समूह संघ (एसएचजी) आदि सहित)
- को बेहतर विपणन अवसंरचना द्वारा व्यापक उपभोक्ता आधार बढ़ाकर प्रत्यक्ष बिक्री संभव बनाती है, जिससे आय में बढोतरी होती है।
- बेहतर रखरखाव संचालन सुविधा से फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान और बिचौलियों पर निर्भरता कम होती है।
- शीत भंडारण और पैकेजिंग सुविधा से किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्ति के लिए उचित बिक्री समय चुनने की सुविधा मिलती है।
- सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियां उत्पादकता बढ़ाती हैं और उत्पादन लागत कम करती हैं।
सरकार
- ब्याज अनुदान और ऋण गारंटी द्वारा पहले की अव्यवहार्य कृषि परियोजनाओं में प्राथमिकता क्षेत्र में ऋण देना सक्षम बना रही है।
- राष्ट्रीय खाद्य अपव्यय कम करने में सहायक है और भारतीय कृषि क्षेत्र को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाता है।
- केंद्रीय, राज्य और स्थानीय स्तर पर कृषि-बुनियादी ढांचे के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी-पीपीपी मॉडल के विकास की सुविधा मिलती है।
कृषि-उद्यमी और स्टार्टअप
- समर्पित वित्तपोषण सहायता – नवाचार और डेटा आदान-प्रदान करने की सुविधा युक्त इंटरनेट ऑफ थिंग्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी प्रौद्योगिकियों को अपनाने को बढ़ावा देती है।
- सम्पूर्ण कृषि-मूल्य श्रृंखला में उद्यमियों और किसानों के बीच सहयोग को बढ़ावा मिलता है।
बैंकिंग पारिस्थितिकी तंत्र
- ब्याज अनुदान, अभिसरण और ऋण गारंटी के कारण ऋण जोखिम में कमी।
- बैंकों को अपने कृषि ऋण पोर्टफोलियो और ग्राहक आधार विस्तारित करने में सहायता मिलती है।
- पुनर्वित्त सुविधा से सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) की उपयोगिता बढ़ती है।
उपभोक्ताओं
- आपूर्ति श्रृंखला में कुशलता के कारण अधिक उत्पाद बाज़ारों तक पहुंचते हैं।
- बेहतर कीमत पर अच्छी गुणवत्ता के कृषि उत्पादों की उपलब्धता।
कृषि अवसंरचना कोष योजना का विस्तार
देश के कृषि क्षेत्र में बदलाव लाने के मिशन में महत्वपूर्ण साबित हुई कृषि अवसंरचना कोष योजना को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 28 अगस्त, 2024 को विस्तार को मंजूरी दी। इसमें कृषि निवेश कोष (एआईएफ) को और अधिक आकर्षक, प्रभावी और समावेशी बनाने के कई उपाय किए गए हैं जो कृषि उत्पादकता और बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करने की सरकार की प्रतिबद्धता दर्शाती है। इसका लक्ष्य एक मज़बूत कृषि-बुनियादी ढांचा स्थापित करना है जो देश भर में किसानों और कृषि उद्यमों को सीधे तौर पर सहायता प्रदान करे।
योजना को अधिक प्रभावी और समावेशी बनाने के लिए निम्नलिखित उपाय किए गए हैं:
- सामुदायिक कृषि अवसंरचना के लिए व्यवहार्य परियोजनाएं अब कृषि अवसंरचना कोष - एआईएफ के पात्र हैं।
- एकल इकाई के रूप में एकीकृत प्राथमिक और द्वितीयक प्रसंस्करण परियोजनाएं इसके पात्र हैं, जबकि एकल द्वितीयक प्रसंस्करण परियोजनाएं इसके अंतर्गत नहीं आएंगी।
- कृषि उत्पादक संगठन, सहकारी समितियों और पंचायतों जैसी पात्र संस्थाओं द्वारा पीएम-कुसुम घटक-ए की सौर परियोजनाओं को कृषि अवसंरचना कोष से सहायता।
- सरकार ने सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के लिए गारंटी निधि ट्रस्ट के अतिरिक्त, एनएबी संरक्षण ट्रस्टी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किसान उत्पादक संगठनों के लिए कृषि अवसंरचना कोष ऋण गारंटी कवरेज को विस्तारित किया है। इसका उद्देश्य वित्तीय सुरक्षा और साख में सुधार लाना, ऋण तक उनकी पहुंच बढ़ाना और कृषि अवसंरचना में निवेश को प्रोत्साहित करना है।
- सौर ऊर्जा चालित एवं जलवायु-अनुकूल कृषि सुविधाओं को प्रोत्साहित करना।
कृषि अवसंरचना को बढ़ावा देने की सरकारी की प्रमुख पहल
भारत सरकार ने कृषि अवसंरचना के विकास एवं आधुनिकीकरण, फसल के बाद होने वाले नुकसान कम करने, मूल्य संवर्धन में सुधार लाने तथा किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई लक्षित योजनाएं आंरभ की हैं।
एकीकृत शीत श्रृंखला, खाद्य प्रसंस्करण और संरक्षण अवसंरचना योजना
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय- एकीकृत शीत श्रृंखला, खाद्य प्रसंस्करण और संरक्षण अवसंरचना योजना कार्यान्वित करता है, जो प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना का प्रमुख घटक है। इस योजना का उद्देश्य बागवानी और गैर-बागवानी दोनों प्रकार की फसलों की कटाई-तोड़ाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करना है। साथ ही भंडारण, परिवहन और प्रसंस्करण अवसंरचना में सुधार कर किसानों के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करना है।
इस योजना के अंतर्गत, भंडारण एवं परिवहन बुनियादी ढ़ांचे हेतु सामान्य क्षेत्रों के लिए 35 प्रतिशत और पूर्वोत्तर, हिमालयी राज्यों, अनुसूचित जनजाति विकास परियोजना क्षेत्रों-आईटीडीपी और द्वीपसमूहों के लिए 50 प्रतिशत की दर से अनुदान सहायता प्रदान की जाती है। मूल्य संवर्धन और प्रसंस्करण अवसंरचना के लिए, सहायता क्रमशः 50 प्रतिशत और 75 प्रतिशत तक बढ़ाई जाती है, जिसकी अधिकतम सीमा प्रति परियोजना 10 करोड़ रुपए है। इस योजना में (खाद्य पदार्थों, चिकित्सा उपकरणों, और अन्य उत्पादों को कीटाणुरहित करने के लिए।) विकिरण सुविधाओं सहित एकीकृत शीत श्रृंखला परियोजनाओं के लिए सहायता मिलती है, हालांकि एकल शीत भंडारणों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है। यह पहल खेत से बाज़ार तक उत्पादन को कुशलता से पहुंचाने में सक्षम बनाने और कृषि-मूल्य श्रृंखला में अपव्यय कम करने में अहम भूमिका निभाती है।
शीतगृहों और बागवानी उत्पादों के भंडारण के आधुनिकीकरण के लिए पूंजी निवेश सब्सिडी
इस योजना का उद्देश्य ऋण-आधारित बैक-एंडेड सब्सिडी (एकमुश्त सब्सिडी) प्रदान कर बागवानी उत्पादों के लिए शीत भंडारण अवसंरचना को सुदृढ़ बनाना है। यह सब्सिडी सामान्य क्षेत्रों में पूंजीगत लागत के 35 प्रतिशत और पूर्वोत्तर, पहाड़ी और अनुसूचित क्षेत्रों में 50 प्रतिशत की दर से प्रदान की जाती है। यह 5,000 मीट्रिक टन से 20,000 मीट्रिक टन क्षमता वाले शीत गृहों और नियंत्रित वातावरण (सीए) भंडारण के निर्माण, विस्तार और आधुनिकीकरण में सहायता प्रदान करती है। यह योजना कटाई-तोड़ाई के बाद होने वाले नुकसान कम करने, जल्द खराब होने वाले उत्पादों की गुणवत्ता बनाए रखने तथा बागवानी उत्पादों के दीर्घ जीवन और विपणन क्षमता में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
कृषि विपणन अवसंरचना (एएमआई)
केंद्र सरकार कृषि विपणन अवसंरचना (एएमआई) योजना लागू कर रही है, जो एकीकृत कृषि विपणन योजना (आईएसएएम) का एक प्रमुख घटक है। इस योजना का उद्देश्य गोदामों और भंडार गृहों के निर्माण और आधुनिकीकरण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर ग्रामीण भारत में कृषि विपणन ढांचे को मजबूती प्रदान करना है।
30 जून, 2025 तक, भारत के 27 राज्यों में कुल 49,796 भंडारण अवसंरचना परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। ये परियोजनाएं सकल तौर पर 982.94 लाख मीट्रिक टन की भंडारण क्षमता प्रदान करती हैं। इस पहल की मदद के लिए कुल 4,829.37 करोड़ रुपये की सब्सिडी प्रदान की गई है।
एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच)
एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) के अंतर्गत कटाई-तोड़ाई के बाद उत्पादों को सुरक्षित रखने के लिए पैक हाउस, शीत भंडार गृह, तापमान नियंत्रित रेफ्रिजरेटेड परिवहन और प्रसंस्करण इकाइयों जैसे बुनियादी ढांचे की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है। पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों को खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के लिए विशेष रूप से सहायता दी जाती है। सामान्य क्षेत्रों में परियोजना लागत का 35 प्रतिशत और पहाड़ी एवं अनुसूचित क्षेत्रों में प्रति लाभार्थी 50 प्रतिशत सहायता प्रदान की जाती है।
पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन
2015-16 में 400 करोड़ रुपये के आरंभिक परिव्यय के साथ शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य पूर्वोत्तर राज्यों में जैविक कृषि को बढ़ावा देना और वहां, प्रमाणित जैविक उत्पादन क्लस्टर स्थापित करना है। इसका लक्ष्य इनपुट से लेकर उपभोक्ता बाज़ारों तक एक व्यापक मूल्य श्रृंखला निर्मित करना और निर्यात को बढ़ावा देना है।
पूर्वोत्तर क्षेत्र जैविक मूल्य शृंखला विकास मिशन के तहत किसानों और किसान उत्पादक संगठन को जैविक कृषि को बढ़ावा देने तथा 3 वर्षों में प्रति हेक्टेयर 46,500 रुपये दिए जाते हैं। इसमें से 32,500 रुपये प्रति हेक्टेयर जैविक लागत सहायता दी जाती है तथा प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के रूप में रुपये किसानों को 15,000 दिए जाते हैं। 2024-25 में, इस योजना के तहत 18,539 लाख रुपये की धनराशि जारी की गई, जिससे 2,69,200 किसान लाभान्वित हुए। यह मिशन पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र में जैविक कृषि में लगे किसानों को बेहतर आय सुनिश्चित करते हुए संधारणीय कृषि को बढ़ावा देता है।
डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई)
डीपीआई भौतिक नेटवर्क का निर्माण करती है, जो लोगों को एक-दूसरे से जुड़ने तथा वस्तुओं और सेवाओं की एक विशाल श्रृंखला तक पहुंच के लिए आवश्यक है। यह एक परिवर्तनकारी पहल है जिसका नेतृत्व केंद्र सरकार, राज्य सरकारों के सहयोग से कर रही है। इसका लक्ष्य कृषि क्षेत्र में एकीकृत डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करना है। डीपीआई का लक्ष्य तीन वर्षों के भीतर सभी किसानों और उनकी कृषि भूमि को अपने दायरे में लाना है, जिससे इनपुट लागत, ऋण, बीमा, बाज़ार पहुंच, परामर्श और कल्याणकारी योजनाओं की निर्बाध सेवा मिल सके। भू-अभिलेखों, फ़सल पैटर्न और किसान प्रोफ़ाइल के आंकड़े समेकित कर डीपीआई लक्षित सहायता, पारदर्शिता और कृषि-मूल्य श्रृंखला में दक्षता बढ़ा रहा है। आंकड़ों के आधार पर निर्णय लेने और संसाधनों तक बेहतर पहुंच के साथ किसान सशक्त हुए हैं।
प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना
वर्ष 2020 में आरंभ की गई इस प्रमुख योजना का उद्देश्य मत्स्य पालन और मछली उत्पादन बढ़ाना, मछली पकड़ने के बाद उन्हें सुरक्षित रखने तथा प्रसंस्करण के बुनियादी ढांचे और मत्स्य पालन क्षेत्र के समग्र विकास में प्रमुख चुनौतियों का निवारण करना है।
इस योजना में 21,274.16 करोड़ रुपये के निवेश लक्ष्य में पांच वर्ष में 20,050 करोड़ रुपये के परिव्यय की परिकल्पना है। जिसमें केंद्रीय हिस्सेदारी 9,189.79 करोड़ रुपये है। जुलाई 2025 तक केंद्रीय हिस्से के कुल 5,587.57 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। इससे मत्स्य पालन मूल्य श्रृंखला में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 46.86 लाख रोजगार सृजन की संभावना है।
राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-एनएएम)
यह वर्चुअल प्लेटफ़ॉर्म विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की थोक मंडियों/बाज़ारों को एकीकृत कर कृषि और बागवानी वस्तुओं के ऑनलाइन व्यापार को सुगम बनाता है। इसका उद्देश्य पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी बाज़ार पहुंच सुविधा प्रदान कर किसानों को बेहतर लाभकारी मूल्य दिलाने में सहायता प्रदान करना है।
ई-एनएएम पोर्टल पर 30 जून 2025 तक 1.79 करोड़ किसान और 2.67 लाख व्यापारी पंजीकृत हैं। प्लेटफॉर्म पर लगभग 4.39 लाख करोड़ रुपये के 12.03 करोड़ मीट्रिक टन और 49.15 करोड़ इकाइयों (बांस, पान, नारियल, नींबू और स्वीट कॉर्न जैसी वस्तुओं) का व्यापार दर्ज किया गया है।
सूक्ष्म सिंचाई कोष
सूक्ष्म सिंचाई कोष (एमआईएफ) योजना के तहत राज्यों को नवीन सिंचाई परियोजनाओं के लिए ऋण पर 2 प्रतिशत ब्याज छूट प्रदान की जाती है। योजना में अब तक 4,709 करोड़ रुपये स्वीकृत और 3,640 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं।
डिजिटल सशक्तिकरण
किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को राष्ट्रीय कृषि बाज़ार (ई-एनएएम), ओपन नेटवर्क फ़ॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी), और सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) जैसे प्रमुख डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म से संबद्ध किया गया है ताकि उन्हें व्यापक और अधिक सक्रिय बाज़ारों तक पहुंच प्रदान की जा सके। डिजिटल एकीकरण से एफपीओ को खरीदारों, संस्थानों और उपभोक्ताओं से सीधे जुड़ने में सहायता मिलती है, जिससे उत्पादों के बेहतर मूल्य, बिचौलियों पर कम निर्भरता और व्यापार पारदर्शिता में वृद्धि होती है।
निष्कर्ष
भारत का कृषि क्षेत्र सरकार के सुदृढ़ और समावेशी बुनियादी ढांचे निर्माण केंद्रित पहल से महत्वपूर्ण बदलाव के दौर से गुज़र रहा है। कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ), कृषि विपणन अवसंरचना (एएमआई), पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन (एमओवीसीडीएनईआर), डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई), प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई), और सूक्ष्म सिंचाई कोष (एमआईएफ) जैसी प्रमुख योजनाएं फसल-उपरांत हानि से बचाने, बाज़ार पहुंच बढ़ाने, मूल्य संवर्धन, सिंचाई कुशलता और प्रौद्योगिकी अपनाने से जुड़ी दीर्घकालिक चुनौतियों के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस पहल से कृषि-स्तर और फसल-पश्चात उत्पाद के लिए बुनियादी ढांचा विकसित किए जाने के साथ ही सामुदायिक - परिसंपत्तियों को भी बढ़ावा मिला है। इससे नवाचार बढ़ने के साथ ऋण गारंटी द्वारा कृषि-परियोजनाओं की वित्तीय व्यवहार्यता में सुधार हुआ है।
ये योजनाएं किसानों को सशक्त बना रही हैं तथा निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित कर रही हैं। ये संधारणीय एवं प्रतिस्पर्धी कृषि पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण में भी सहायक सिद्ध हो रही हैं। इन प्रयासों के बढ़ने के साथ ही इनसे ग्रामीण आजीविका में उल्लेखनीय बढोतरी, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चितता तथा देश के आर्थिक विकास में सार्थक योगदान की उम्मीद है।
संदर्भ
पीआईबी
https://www.pib.gov.in/PressNoteDetails.aspx?NoteId=152061&ModuleId=3#:~:text=योजना का उद्देश्य निवेश को आकर्षित करना है, बैंकों और वित्तीय संस्थानों के माध्यम से वितरित, 202025-26 तक.
https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2024/aug/doc2024827380701.pdf
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2101845
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2097882
लोकसभा
https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/185/AU291_cXeIjE.pdf?source=pqals
https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/185/AS36_72du7j.pdf?source=pqals
https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/185/AU1475_271MSn.pdf?source=pqals
https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/185/AU446_fhLSzV.pdf?source=pqals
https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/185/AU1544_qOtuDn.pdf?source=pqals
https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/185/AU2673_S2SzDz.pdf?source=pqals
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय
https://agriinfra.dac.gov.in/Home/Objectives
https://agriinfra.dac.gov.in/Documents/Publication/06_AIFप्रतिशत20Bulletin_Sepप्रतिशत202024.pdf
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