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ऑपरेशन सिंदूर: भारत की रणनीतिक स्पष्टता और सुनियोजित सेना
Posted On: 12 MAY 2025 5:05PM
परिचय:
पहलगाम में 22 अप्रैल, 2025 को एक आतंकवादी हमला हुआ था। पाकिस्तान से सहायता प्राप्त हमलावरों ने पहलगाम में घुसकर लोगों से उनका धर्म पूछा और उनकी हत्या कर दी। इस बर्बर आतंकी हमले के परिणामस्वरूप 26 लोगों की जान चली गई। यह स्पष्ट रूप से सांप्रदायिक हिंसा भड़काने का ही एक प्रयास था और सीमा पार से होने वाले हमलों से लेकर भारत को अंदर से विभाजित करने की दिशा में एक बदलाव था। इस हमले के खिलाफ अपने जवाब में भारत ने पाकिस्तान के इन दोषी आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया। लेकिन पाकिस्तान ने इस पर भी कड़ा पलटवार किया। पाकिस्तान ने भारतीय धार्मिक स्थलों को निशाना बनाने के लिए ड्रोन और गोलाबारी का इस्तेमाल किया। पाकिस्तान ने जम्मू में शंभू मंदिर, पुंछ में गुरुद्वारा और ईसाई कॉन्वेंट को भी अपना निशाना बनाया। ये कोई अचानक किये गए हमले नहीं थे। ये प्रतिक्रिया भारत की एकता को तोड़ने की पाकिस्तान की सुनियोजित कार्रवाई का हिस्सा थी।
भारत ने 7 मई को अपनी पहली प्रेस वार्ता के दौरान ही यह स्पष्ट कर दिया था कि उसकी प्रतिक्रिया लक्ष्य केन्द्रित, नपी-तुली तथा गैर-उकसावे वाली थी। भारत ने स्पष्ट रूप से प्रेस वार्ता में यह उल्लेख किया कि किसी भी पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान को निशाना नहीं बनाया गया था। यह भी दोहराया गया कि भारत में सैन्य ठिकानों पर किसी भी प्रकार के हमले का उचित जवाब दिया जाएगा। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 8, 9 और 10 मई को कई प्रेस वार्ताओं में भारत की कार्ययोजना तथा पाकिस्तान की साजिशों की पूरी जानकारी मीडिया के सामने रखी।
डिजिटल युग में युद्ध पारंपरिक लड़ाई के मैदानों से आगे निकल चुका है। सैन्य कार्रवाईयों के साथ-साथ ऑनलाइन माध्यम से एक भयंकर सूचना युद्ध भी चलाया गया है। भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के प्रारम्भ होने के बाद स्वयं को पाकिस्तान द्वारा शुरू किए गए एक आक्रामक अभियान के केंद्र में पाया - जो असत्य और भ्रामक सूचनाओं तथा गलत जानकारी से भरा पड़ा था। इसका उद्देश्य सत्य को तोड़-मरोड़ कर पेश करना, वैश्विक आबादी को गुमराह करना और गलत सूचनाओं के बवंडर के माध्यम से अपने खोए हुए नैरेटिव ग्राउंड को फिर से प्राप्त करना था। हालांकि, भारत सच पर आधारित तथ्यों, पारदर्शिता व सशक्त डिजिटल सतर्कता का प्रदर्शन करते हुए गलत सूचनाओं का सक्रिय रूप से जवाब दे रहा है और उन्हें तेजी से निष्क्रिय कर रहा है। भारत द्वारा भावनात्मक रूप से प्रतिक्रिया देने के स्थान पर इस सूचना युद्ध के प्रति एक संयमित और व्यवस्थित दृष्टिकोण अपनाया गया है:
• कार्रवाई की सफलता का विवरण: ऑपरेशन सिंदूर की प्रभावशीलता को सटीकता के साथ संप्रेषित किया गया और इसे सनसनीखेज बनाने के बजाय इसके रणनीतिक परिणामों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
• अविश्वसनीय स्रोत: भारतीय प्राधिकारी वर्ग ने पाकिस्तान स्थित सोशल मीडिया अकाउंटों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली हेराफेरी की रणनीति का पर्दाफाश किया है, जिनमें से कई अब अंतर्राष्ट्रीय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों की जांच के दायरे में आ चुके हैं।
• मीडिया साक्षरता को बढ़ावा देना: फर्जी खबरों की पहचान करने के बारे में नागरिकों को जागरुक करने के अभियानों से अधिक लचीला डिजिटल वातावरण बनाने में सहायता मिली है।
पाकिस्तान को सैन्य और असैन्य तरीकों से दंडित किया गया
ऑपरेशन सिंदूर भारत की सैन्य एवं रणनीतिक सामर्थ्य का एक महत्वपूर्ण प्रदर्शन था, जिसे सैन्य और असैन्य साधनों के संयोजन के माध्यम से पूरा किया गया था। इस बहुआयामी कार्रवाई ने आतंकवादी खतरों को प्रभावी ढंग से निष्प्रभावी कर दिया, पाकिस्तानी आक्रामकता को रोका और आतंकवाद के प्रति भारत की कतई बर्दाश्त न करने की नीति को दृढ़ता से लागू किया। इस सैन्य अभियान में अंतर्राष्ट्रीय समर्थन व सहयोग के रणनीतिक संयम को बनाए रखा गया।

सैन्य उपाय
भारत ने अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए कई सटीक और सुनियोजित सैन्य कार्रवाइयां कीं।
भारतीय सशस्त्र बलों ने 9 आतंकवादी ठिकानों पर समन्वित और सटीक मिसाइल हमले किए। इनमें 4 पाकिस्तान में (बहावलपुर तथा मुरीदके सहित) और 5 पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर (जैसे मुजफ्फराबाद व कोटली) में स्थित थे। ये स्थान जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) और लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के प्रमुख कमांड सेंटर थे, जो पुलवामा (2019) तथा मुंबई (2008) जैसे बड़े हमलों के लिए जिम्मेदार थे।
पाकिस्तान द्वारा 7, 8 और 9 मई, 2025 को भारतीय शहरों और सैन्य ठिकानों पर ड्रोन तथा मिसाइल हमलों के जवाब में, भारत ने लाहौर की वायु रक्षा प्रणाली को निष्क्रिय करने सहित पाकिस्तान की वायु रक्षा क्षमताओं को बेअसर करने के उद्देश्य से कामिकेज ड्रोन तैनात किए।
भारत की वायु रक्षा प्रणालियों ने आने वाले सभी खतरों को सफलतापूर्वक बेअसर कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप जान-माल का न्यूनतम नुकसान हुआ। इसके विपरीत, पाकिस्तान की एचक्यू-9 वायु रक्षा प्रणाली साबित हुई। 9 और 10 मई, 2025 की रात को भारत का जवाबी हमला एक ऐतिहासिक मील का पत्थर बन गया, जब पहली बार किसी देश ने परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्र के हवाई ठिकानों पर सफलतापूर्वक हमला किया।
महज तीन घंटे के अंदर भारत ने नूर खान समेत 11 सैन्य ठिकानों रफीकी, मुरीद, सुक्कुर, सियालकोट, पसरूर, चुनियन, सरगोधा, स्कर्दू, भोलारी और जैकोबाबाद को निशाना बनाया।
जकोबाबाद में शाहबाज एयरबेस पर हमले से पहले और बाद की सैटेलाइट तस्वीरें विनाश के पैमाने को स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं।
इस हमले में सरगोधा और भोलारी जैसे प्रमुख गोला-बारूद डिपो तथा एयरबेस को निशाना बनाया गया, जहां एफ-16 व जेएफ-17 लड़ाकू विमान तैनात थे। परिणामस्वरूप, पाकिस्तान की वायु सेना का लगभग 20% बुनियादी ढांचा नष्ट हो गया।
भोलारी एयरबेस पर बमबारी में स्क्वाड्रन लीडर उस्मान यूसुफ और 4 वायुसैनिकों सहित 50 से अधिक मारे गए। कई पाकिस्तानी लड़ाकू विमान भी नष्ट कर दिए गए।
ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पाकिस्तान में कई आतंकवादी ठिकानों और सैन्य ठिकानों पर सटीक हमले किए।
नियंत्रण रेखा पर पुंछ-राजौरी सेक्टर में पाकिस्तानी तोपखाने व मोर्टार हमलों ने नागरिक क्षेत्रों को निशाना बनाया, जिसके बाद भारतीय सेना ने जवाबी कार्रवाई की और नागरिकों को निशाना बना रहे आतंकवादी बंकरों तथा पाकिस्तानी सेना के ठिकानों को नष्ट कर दिया।
रहीमयार खान एयरबेस के सुलगते मलबे से बरामद आसिफ अली जरदारी की आधी जली हुई तस्वीर पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि के विनाश का प्रतीक है।
किये गए असैन्य उपाय
* भारत के नॉन-काइनेटिक अर्थात सीधे हमला न करने के प्रयासों ने रणनीतिक वातावरण को आकार देने और सार्वजनिक तथा अंतर्राष्ट्रीय समर्थन सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। रणनीतिक नीति निर्माण, सूचना प्रभुत्व और मनोवैज्ञानिक कार्रवाइयों के माध्यम से भारत ने पाकिस्तान को कूटनीतिक एवं आर्थिक रूप से अलग-थलग कर दिया है, जबकि घरेलू तैयारी तथा वैश्विक सहयोग को सशक्त किया है।
* ऑपरेशन सिंदूर के तहत एक निर्णायक कदम भारत द्वारा सिंधु जल संधि को समाप्त करना था। इसके पाकिस्तान पर दूरगामी परिणाम प्राप्त हुए, क्योंकि पाकिस्तान अपनी 16 मिलियन हेक्टेयर कृषि भूमि के 80% और कुल जल उपयोग के 93% हिस्से के लिए सिंधु नदी प्रणाली पर बहुत अधिक निर्भर करता है। सिंधु नदी प्रणाली 237 मिलियन लोगों को सहायता प्रदान करती है और गेहूं, चावल तथा कपास जैसी फसलों के माध्यम से पाकिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद में एक-चौथाई का योगदान देती है।
* मंगला और तरबेला बांधों की केवल 10% सक्रिय भंडारण क्षमता (14.4 एमएएफ) होने के कारण जल प्रवाह में किसी भी प्रकार की बाधा से कृषि क्षेत्र में विनाशकारी नुकसान, खाद्यान्नों की कमी, प्रमुख शहरों में पानी की कमी और बिजली कटौती हो सकती है। ये झटके पाकिस्तान की पहले से ही कमजोर अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव डालेंगे और उसे राजकोषीय तथा विदेशी मुद्रा संकट की ओर धकेल देंगे।
* भारत के लिए सिंधु जल संधि ने लंबे समय से जम्मू-कश्मीर में बुनियादी ढांचे के विकास में बाधा उत्पन्न की थी और विभिन्न परियोजनाओं को नदी के बहाव क्षेत्र तक ही सीमित रखा था। इस संधि के निलंबन से भारत को झेलम व चिनाब जैसी पश्चिमी नदियों पर पूरी तरह से नियंत्रण प्राप्त हो गया, जिससे जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, पंजाब तथा हरियाणा में नए जलाशयों का निर्माण संभव हो पाया है। इससे सिंचाई एवं जलविद्युत निर्माण को बढ़ावा मिला और एक कूटनीतिक साधन को विकासात्मक परिसंपत्ति में बदल दिया जाएगा। सिंधु जल संधि को निलंबित करके भारत ने एक निर्णायक संदेश दिया है - “रक्त और जल एक साथ नहीं बह सकते।”
* भारत ने अटारी-वाघा सीमा बंद कर दी और पाकिस्तान के साथ सभी द्विपक्षीय व्यापार निलंबित कर दिए हैं। इसने प्याज जैसी प्रमुख खाद्य वस्तुओं के निर्यात को रोक दिया और सीमेंट तथा वस्त्रों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस कार्रवाई से दोनों देशों के बीच प्राथमिक भूमि-आधारित व्यापार मार्ग टूट गया, जिससे आर्थिक संबंधों में बड़ी बाधा उत्पन्न हो रही है।
* इस निलंबन से पाकिस्तान पर तत्काल आर्थिक दबाव पड़ा है, जो पहले से ही मुद्रास्फीति और ऋण संकट से जूझ रहा था। प्रत्यक्ष सैन्य संघर्ष बढ़ाए बिना इन आर्थिक जीवन-रेखाओं को काटकर भारत ने अपनी शून्य-सहिष्णुता की नीति को सुदृढ़ किया है।
* भारत ने आतंकवाद के विरुद्ध दृढ़ संकल्प प्रदर्शित करते हुए पहलगाम आतंकवादी हमले के तुरंत बाद देश में आये हुए सभी पाकिस्तानियों के वीजा रद्द कर दिए और उन्हें निर्वासित कर दिया।
* पाकिस्तानी कलाकारों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया और सभी प्रदर्शन, स्क्रीनिंग, संगीत रिलीज तथा सांस्कृतिक आदान-प्रदान स्थगित कर दिए गए। यह प्रतिबंध स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म तक बढ़ा दिया गया है, जिससे भारत में पाकिस्तान का सांस्कृतिक प्रभाव मुख्य रूप से समाप्त हो चुका है।
* वैश्विक मंच पर भारत ने पाकिस्तान के आतंकवादी ढांचे को उजागर किया और कूटनीतिक रूप से उसे अलग-थलग कर दिया।
* सामूहिक रूप से, इन कार्रवाइयों ने पाकिस्तान को गंभीर आर्थिक और कूटनीतिक क्षति पहुंचाई है। इन कार्रवाइयों ने आतंकवाद के विरुद्ध शून्य सहिष्णुता की नीति के प्रति भारत की वचनबद्धता की जोरदार पुष्टि करते हुए इसके अंतर्राष्ट्रीय अलगाव को और बढ़ा दिया है।
वैश्विक स्तर पर नेतृत्व का प्रदर्शन:
इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय संकट के इस महत्वपूर्ण समय में न केवल समाधान की बल्कि उल्लेखनीय नेतृत्व की भी आवश्यकता थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस चुनौती का सामना करने के लिए आगे आए, जिनकी ऑपरेशन सिंदूर में निर्णायक भूमिका रही, जो हाल के इतिहास में भारत की सबसे साहसिक सैन्य प्रतिक्रियाओं में से एक थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी पूर्व-निर्धारित राजनयिक यात्रा पर विदेश में होने के बावजूद तेजी से कमान संभाली और एक ऐसी प्रतिक्रिया दी, जिसमें रणनीतिक संयम और मुखर कार्रवाई का गजब संतुलन देखने को मिला था। उन्होंने तीव्र कार्रवाई के लिए भारी दबाव के बावजूद उल्लेखनीय स्तर का संयम दिखाया और यह सुनिश्चित किया कि सिंधु जल संधि को निलंबित करने से लेकर सैन्य कार्रवाई तक हर कदम सुनियोजित व सटीक समय पर उठाया जाए।
• प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रणनीतिक योजना और लक्षित प्रतिक्रिया से भारतीय सैन्य ऑपरेशन के ढांचे को रेखांकित किया। उन्होंने भावनात्मक या प्रतिक्रियात्मक हमले में जल्दबाजी करने के स्थान पर पाकिस्तान और उसके आतंकी गुटों को जवाबी कार्रवाई की तैयारी करने से रोकने के हेतु रणनीतिक अप्रत्याशितता बनाई। भारतीय हमले सावधानीपूर्वक आतंकी ढांचे पर केंद्रित थे और उद्देश्य की इस स्पष्टता की सभी दलों द्वारा सराहना की गई, जिसमें विपक्षी नेता पी चिदंबरम भी शामिल थे, उन्होंने नागरिक क्षेत्रों को पूरी तरह से अलग-थलग छोड़कर केवल नुकसान पहुंचाने वाले आतंकी ठिकानों को निशाना बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा की।
• पाकिस्तान के साथ पूरे घटनाक्रम के दौरान आतंकवाद के खिलाफ केंद्रित उद्देश्य अपरिवर्तित रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दृढ़ और स्पष्ट कार्रवाई करने पर ही ध्यान केंद्रित किया। वैश्विक खतरे के रूप में देखे जाने वाले आतंकवाद के खिलाफ उनके निरंतर प्रयासों से भारत को व्यापक अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल करने में मदद मिली। उनके नेतृत्व में भारत ने इस सिद्धांत को मजबूती से रखा है कि आतंकवाद और उसके प्रायोजकों के साथ एक जैसा व्यवहार किया जाएगा।
• एक संतुलित, लेकिन शक्तिशाली कार्रवाई के साथ यह भी सुनिश्चित किया गया कि पाकिस्तान की ओर से बार-बार उकसावे के बावजूद पाकिस्तानी नागरिकों को कोई नुकसान न पहुंचे। भारत की सैन्य गतिविधियां आतंकी शिविरों और आतंकवाद को सहायता देने वाली विशिष्ट सैन्य सुविधाओं तक ही सीमित थीं। इस तरह से सावधानीपूर्वक निर्धारित किये गए लक्ष्यों ने भारत की क्षमता और जिम्मेदारी के साथ युद्ध लड़ने के प्रति भारतीय प्रतिबद्धता को दर्शाया है।
• प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लंबे समय से चली आ रही चिंताओं को दूर करते हुए सिंधु जल संधि को निलंबित करने का फैसला लिया, जो एक ऐतिहासिक कदम था, जिससे न केवल पाकिस्तान के हितों को नुकसान पहुंचा बल्कि भारत को इससे लाभ हुआ। उन्होंने एक नया राष्ट्रीय सुरक्षा सिद्धांत स्थापित किया: भविष्य में होने वाले किसी भी आतंकवादी हमले को युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा। इससे आतंकवादियों और उनके राष्ट्रीय प्रायोजकों के बीच का झूठा भेद समाप्त हो गया है।
ऑपरेशन सिंदूर से क्या हासिल हुआ?
ऑपरेशन सिंदूर के परिणाम इसके प्रभाव के बारे में बहुत कुछ कहते हैं:

1. नौ आतंकवादी शिविर नष्ट किये गये: भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) में लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद तथा हिजबुल मुजाहिदीन के ठिकानों को निशाना बनाकर नौ प्रमुख आतंकी लॉन्चपैडों को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया।
2. सीमा पार सटीक हमले: भारत ने इंगेजमेंट के नियमों को पुनः परिभाषित किया, पाकिस्तान के अंदर घुस कर भीतर तक हमला किया, जिसमें पंजाब प्रांत और बहावलपुर भी शामिल हैं, जिन्हें कभी अमेरिकी ड्रोनों के लिए भी पहुंच से बाहर माना जाता था। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि आतंकवाद वहां से उत्पन्न होता है तो न तो नियंत्रण रेखा और न ही पाकिस्तानी क्षेत्र कार्रवाई से अछूता रहेगा।
3. एक नई रणनीतिक लाल रेखा: ऑपरेशन सिंदूर ने एक नई लाल रेखा खींच दी है- अगर आतंकवाद किसी देश की नीति है, तो इसका स्पष्ट और सशक्त जवाब दिया जाएगा। इसने निवारण से प्रत्यक्ष कार्रवाई की ओर बदलाव को चिह्नित किया।
4. आतंकवादियों और उनके प्रायोजकों के लिए समान दंड: भारत ने आतंकवादियों तथा उनके सहयोगियों के बीच कृत्रिम अलगाव को खारिज कर दिया और दोनों पर एक साथ प्रहार किया। इससे कई पाकिस्तानी आतंकवादियों को मिलने वाली दंडमुक्ति की सुविधा समाप्त हो गई।
5. पाकिस्तान की वायु रक्षा कमजोरियों का खुलासा: भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान की चीनी आपूर्ति वाली वायु रक्षा प्रणालियों को दरकिनार कर दिया और उन्हें जाम कर दिया, राफेल जेट, एससीएएलपी मिसाइलों तथा हैमर बमों का उपयोग करके केवल 23 मिनट में मिशन पूरा किया गया, जिससे भारत की तकनीकी बढ़त का प्रदर्शन हुआ।
6. भारत की वायु रक्षा श्रेष्ठता प्रदर्शित: भारत की बहुस्तरीय वायु रक्षा प्रणाली ने सैकड़ों ड्रोन और मिसाइलों को मार गिराया। जिसमें स्वदेशी आकाशतीर प्रणाली भी शामिल है। इस बहुस्तरीय व्यवस्था ने उन्नत रक्षा प्रणालियों के निर्यात में भारत की बढ़ती क्षमताओं को भी प्रदर्शित किया।
7. बिना किसी प्रसार के सटीकता: भारत ने नागरिक या गैर-आतंकवादी सैन्य स्थलों को लक्ष्य बनाने से परहेज किया, जिससे आतंकवाद के प्रति उसकी शून्य-सहिष्णुता का प्रदर्शन हुआ और साथ ही स्थिति को शुद्ध रूप से युद्ध में बदलने से रोका गया।
8. प्रमुख आतंकवादी कमांडरों का खात्मा: भारत की मोस्ट वांटेड सूची में शामिल कई हाई-प्रोफाइल आतंकवादियों को एक ही रात में ढेर कर दिया गया, जिससे प्रमुख ऑपरेशनल मॉड्यूल चरमरा गए हैं।
9. पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों पर हवाई हमले: भारत 9-10 मई को एक ही ऑपरेशन में परमाणु हथियार संपन्न देश पाकिस्तान के 11 एयरबेसों पर हमला करने वाला पहला देश बन गया, जिससे पाकिस्तानी वायुसेना की 20% संपत्ति नष्ट हो गई। भूलारी एयरबेस को भारी नुकसान पहुंचा है, जिसमें स्क्वाड्रन लीडर उस्मान यूसुफ की मौत और प्रमुख लड़ाकू विमानों का नष्ट होना शामिल है।
10. समन्वित त्रि-सैन्य कार्रवाई – भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना ने पूर्ण समन्वय के साथ काम किया, जिससे भारत की बढ़ती संयुक्त सैन्य शक्ति का प्रदर्शन हुआ।
11. एक वैश्विक संदेश प्रसारित – भारत ने दुनिया को दिखा दिया है कि उसे अपने देशवासियों की रक्षा के लिए किसी की अनुमति की आवश्यकता नहीं है। इसने इस तथ्य को पुष्ट किया है कि आतंकवादी व उनके मास्टरमाइंड कहीं भी छिप नहीं सकते हैं और यदि पाकिस्तान जवाबी कार्रवाई करता है, तो भारत निर्णायक जवाबी हमले के लिए बिलकुल तैयार है।
12. व्यापक वैश्विक समर्थन – पिछले संघर्षों के विपरीत, इस बार कई वैश्विक नेताओं ने संयम बरतने का आह्वान करने के स्थान पर भारत का समर्थन किया। इस बदलाव ने भारत की बेहतर वैश्विक स्थिति और नैरेटिव कंट्रोल को दर्शाया है।
13. कश्मीर के कथानक को नए सिरे से गढ़ा गया – पहली बार भारत की कार्रवाइयों को पूरी तरह से आतंकवाद विरोधी नजरिए से देखा गया, जिसमें कश्मीर मुद्दे को पूरी तरह से हमले की विषय-वस्तु से अलग रखा गया। यह ऑपरेशन सिंदूर की सटीकता और स्पष्टता से ही संभव हुआ है।
निष्कर्ष:
पहलगाम हमले पर भारत की कार्रवाई कानूनी और नैतिक आधार पर पूरी तरह से स्पष्ट थी। इतिहास इसे एक सैद्धांतिक व संतुलित जवाबी कार्रवाई के तौर पर याद रखेगा, जो नेतृत्व, नैतिकता एवं रणनीतिक सटीकता से प्रेरित थी। ऑपरेशन सिंदूर ने दक्षिण एशिया के भू-राजनीतिक और सामरिक परिदृश्य को एक नया आकार दिया है। यह केवल एक सैन्य अभियान नहीं था, बल्कि भारत की संप्रभुता, संकल्प और वैश्विक प्रतिष्ठा का बहुआयामी प्रस्ताव था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्णायक नेतृत्व में भारत ने एक नया उदाहरण प्रस्तुत किया है, जिसमें संयम के साथ सामर्थ्य और सटीकता के साथ उद्देश्य का मिश्रण देखने को मिलता है। भारत ने आतंकी नेटवर्क और उनके राष्ट्रीय प्रायोजकों को अभूतपूर्व स्पष्टता के साथ निशाना बनाकर एक कड़ा संदेश दिया है: आतंकवाद का त्वरित और आनुपातिक जवाब दिया जाएगा, चाहे सीमाएं या कूटनीतिक जटिलताएं कुछ भी हों।
ऑपरेशन सिंदूर: भारत की रणनीतिक स्पष्टता और सुनियोजित सेना
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एमजी/ केसी/ एनएस /डीके
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