Social Welfare
भारत में आकांक्षी जिलों का उदय
छाया से रोशनी तक
Posted On: 19 MAY 2025 6:28PM
सारांश:
डेटा-संचालित, समावेशी शासन के माध्यम से 112 अविकसित जिलों के उत्थान के लिए 2018 में आकांक्षी जिला कार्यक्रम (एडीपी) शुरू किया गया था।
सिंगापुर के राष्ट्रपति थर्मन शानमुगरत्नम ने एडीपी की सराहना करते हुए कहा कि यह एक वैश्विक रूप से प्रासंगिक मॉडल है। यह समुदायों को सशक्त बनाता है और स्थानीय स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत बनाता है।
चैंपियंस ऑफ चेंज डैशबोर्ड स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए एक अद्वितीय "डेल्टा रैंकिंग" प्रणाली का उपयोग करके 49 संकेतकों में वास्तविक समय प्रगति को ट्रैक करता है।
यह कार्यक्रम प्रभावी कार्यान्वयन और परिणाम-संचालित योजना के लिए “3सी” दृष्टिकोण - अभिसरण, सहयोग और प्रतिस्पर्धा पर केंद्रित है।
एडीपी भारत को विकेन्द्रित, समावेशी विकास में विश्व में अग्रणी भूमिका वाले देश के रूप में स्थापित कर रहा है तथा अन्य विकासशील देशों के लिए मूल्यवान उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है।
2018 में अपने शुभारंभ के बाद से, आकांक्षी जिला कार्यक्रम ने स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे और कृषि में उल्लेखनीय प्रगति के साथ प्रमुख क्षेत्रों में विकास को गति दी है।
बदलाव की कहानियां
हिमालय की तलहटी में बसा हिमाचल प्रदेश का चंबा जिला कभी भारत के दूरदराज के क्षेत्रों की चुनौतियों का प्रतीक था—अवकाशित बुनियादी ढांचा, सीमित कनेक्टिविटी और बुनियादी सुविधाओं के लिए रोज़ाना संघर्ष। कुछ साल पहले तक, पांच में से सिर्फ़ एक घर में नल का पानी उपलब्ध था। ज़्यादातर परिवारों के लिए, पानी लाने का मतलब था, पहाड़ी इलाकों में लंबी दूरी तय करना, यह काम अक्सर महिलाएं और छोटी लड़कियों के जिम्मे था, लेकिन आज चंबा की तस्वीर पूरी तरह बदल गई है।
फरवरी 2022 में, चंबा आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम (एडीपी) के तहत “हर घर जल” का दर्जा हासिल करने वाला भारत का 100वां ज़िला बन गया। अब हर घर में स्वच्छ नल का पानी उपलब्ध है—एक ऐसी उपलब्धि जिसने रोज़मर्रा की ज़िंदगी को बदल दिया है। महिलाओं को पानी इकट्ठा करने के बोझ से मुक्ति मिल गई है, बच्चे कम बीमार पड़ते हैं और परिवारों के पास शिक्षा, आजीविका और सामुदायिक जीवन में निवेश करने के लिए ज़्यादा समय और ऊर्जा है।

यह उपलब्धि चंबा के प्रेरक बदलाव की शुरुआत मात्र है। जिला अब प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) के तहत 100 प्रतिशत घरेलू कवरेज का दावा करता है और सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक परिवार की बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं तक पहुंच हो। रणनीतिक प्रोत्साहन और करोड़ों रुपये के कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) निवेश के मिश्रण से प्रेरित होकर, चंबा ने न केवल बुनियादी ढांचे में बल्कि स्वास्थ्य और पोषण संकेतकों में भी विकास देखा है। एकीकृत प्रयासों से एक मजबूत, अधिक लचीला समुदाय सामने आया है, जहां विकास दिखाई देता है और समावेशी है। अभाव से परिभाषित एक जिले से हटकर चंबा एक मॉडल के रूप में उभरा है जो बताता है कि केंद्रित शासन, सामुदायिक भागीदारी और डेटा-संचालित योजना क्या हासिल कर सकती है। यह उल्लेखनीय परिवर्तन काफी हद तक आकांक्षी जिला कार्यक्रम (एडीपी) में इसके शामिल होने से उत्प्रेरित हुआ है। भारत के सबसे अविकसित जिलों के उत्थान के लिए 2018 में नीति आयोग द्वारा शुरू की गई एक पहल सरकार सभी नागरिकों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। यह "सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास" के सिद्धांत द्वारा निर्देशित है। प्रत्येक व्यक्ति की पूरी क्षमता को उजागर करने के लिए, यह कार्यक्रम लोगों की बढ़ती अर्थव्यवस्था में सक्रिय रूप से शामिल होने और उससे लाभ उठाने की क्षमता बढ़ाने पर जोर देता है।
एडीपी की वैश्विक मान्यता
यह सिर्फ़ एक कहानी है, आकांक्षी जिलों की गलियों में ऐसी कई कहानियां छिपी हैं जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नवाचार की मिसाल बन रही हैं। हाल ही में, फिलैंथ्रोपी एशिया समिट 2025 के दौरान, सिंगापुर के राष्ट्रपति थर्मन शानमुगरत्नम ने इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए इसे “नवाचार का दिलचस्प उदाहरण बताया जो भारत के साथ-साथ विकासशील दुनिया में कहीं भी दिलचस्पी का विषय बन सकता है।
उन्होंने कहा कि अगर आप भारत को देखें, तो एक अनसुनी सफलता का नाम है आकांक्षी जिला कार्यक्रम - भारत के सबसे अविकसित जिलों के लिए एक बढ़िया नाम। यह प्रधानमंत्री मोदी की पहल थी। मेरा मानना है कि गेट्स फाउंडेशन ने इसे वित्तपोषित करने में पीरामल फाउंडेशन और टाटा ट्रस्ट्स के साथ मिलकर मदद की। यह समुदाय को स्वामित्व देता है - सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, पैरा-नर्सों और डेटा सिस्टम का विकास, जिसे केंद्र सरकार से सहायता मिलती है। यह विशेष रूप से शुरुआती वर्षों में मातृ स्वास्थ्य और बच्चे के स्वास्थ्य पर लक्षित है यानी विकास की निगरानी, महीने दर महीने, पोषण सेवन की निगरानी और यह सुनिश्चित करना कि स्थानीय स्तर पर कार्रवाई और उपायों का चक्र बंद हो। सिंगापुर के राष्ट्रपति थर्मन शनमुगरत्नम ने कहा, “मैंने उनमें से कुछ जिलों का दौरा किया है और देखा है कि वे कैसे काम कर रहे हैं क्योंकि वे गांव के लोगों को जमीनी स्तर पर स्वामित्व और एजेंसी देते हैं।”
संतुलित विकास के लिए एक साहसिक दृष्टिकोण
2018 में, भारत सरकार ने आकांक्षी जिला कार्यक्रम शुरू किया, यह देश के सबसे अधिक सामाजिक-आर्थिक रूप से चुनौतीपूर्ण 112 जिलों को विकास और अवसर के इंजन में बदलने के लिए तैयार की गई एक साहसिक पहल है। कार्यक्रम का मूल दर्शन सरल लेकिन गहरा है: स्थिति को "पिछड़ेपन" से "आकांक्षा" में बदलना और डेटा-संचालित शासन, सहयोग और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के माध्यम से जिलों को उनकी छिपी क्षमता का एहसास कराने के लिए सशक्त बनाना।


एडीपी का संचालन नीति आयोग द्वारा किया जाता है और इसे "3सी": कन्वर्जेंस, कोलाबोरेशन और कॉम्पिटिशन पर आधारित एक अद्वितीय मॉडल के माध्यम से संचालित किया जाता है।

चैम्पियंस ऑफ चेंज डैशबोर्ड
एडीपी को अलग बनाता है इसका इनपुट से ज़्यादा नतीजों पर ज़ोर देना। प्रगति को एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स डैशबोर्ड के ज़रिए ट्रैक किया जाता है। यह एक वास्तविक समय सार्वजनिक प्लेटफ़ॉर्म है जो पांच प्रमुख क्षेत्रों में 49 संकेतकों के आधार पर जिलों को स्कोर करता है। ये संकेतक स्पष्ट रूप से मीट्रिक हैं; ये वास्तविक दुनिया के मुद्दे हैं जो लोगों को रोज़ाना प्रभावित करते हैं- शिशु मृत्यु दर, स्कूल छोड़ने वालों का स्तर, बिजली और स्वच्छता तक पहुंच, फसल उत्पादकता, और भी बहुत कुछ।

समर्पित पोर्टल, चैंपियंस ऑफ चेंज डैशबोर्ड, 'डेल्टा रैंकिंग' का उपयोग करता है - एक मीट्रिक जो पूर्ण प्रदर्शन के बजाय प्रगति की रफ्तार को उजागर करता है। यह जिलों को बेहतर स्थिति वाले जिलों को देखकर हतोत्साहित होने के बजाय उन्हें तरक्की करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

एडीपी की सफलता और उपलब्धियां
जनवरी 2018 में शुरू होने के बाद से, आकांक्षी जिला कार्यक्रम ने भारत के कुछ सबसे अविकसित क्षेत्रों में विकास को बेहतर बनाने में कई महत्वपूर्ण परिणाम हासिल किए हैं। कार्यक्रम में शामिल अधिकांश जिलों ने स्पष्ट प्रगति दिखाई है, और विकास पहले की तुलना में तेज़ी से हो रहा है। स्वच्छ भारत और सौभाग्य जैसी योजनाओं से मदद से सबसे बड़ा सुधार स्वास्थ्य, पोषण और बुनियादी ढांचे जैसे कि स्वच्छता, बिजली और स्वच्छ पानी में देखा गया है।
2019 के अंत तक, कार्यक्रम की शुरुआत के सिर्फ़ एक साल में, 8 जिले टियर IV से टियर I श्रेणी में आ गए हैं। ये जिले बिहार, असम और छत्तीसगढ़ के हैं। कृषि और जल संसाधन के क्षेत्र में, सबसे ज़्यादा सुधार दिखाने वाले शीर्ष दस जिलों में से सिर्फ़ दो को ही विकास भागीदार संगठन से सहायता मिली। इससे पता चलता है कि कई जिलों ने अपने दम पर प्रगति हासिल की है। विशेष रूप से, आंध्र प्रदेश इस विश्लेषण में सबसे आगे है। आंध्र प्रदेश के तीन आकांक्षी जिलों में से दो शीर्ष दस की सूची में शामिल हैं, जो इस क्षेत्र में राज्य के महत्वपूर्ण सुधार को दर्शाता है।

निष्कर्ष: परिवर्तनकारी विकास के लिए एक मॉडल
आकांक्षी जिला कार्यक्रम भारत की “सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास” के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण है - सभी के लिए विकास, सभी के विश्वास और भागीदारी के साथ। अपने सबसे हाशिए पर आने वाले क्षेत्रों की क्षमता को नई उड़ान देकर भारत न केवल आंतरिक कमियों को दूर कर रहा है, बल्कि समावेशी, डेटा-संचालित विकास के लिए एक वैश्विक उदाहरण भी स्थापित कर रहा है। जैसे-जैसे एडीपी विकसित होता जाएगा, इससे मिली शिक्षा के सूत्र सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने और भारत की विकास कहानी में कोई भी पीछे न छूट जाए, यह सुनिश्चित करने के उद्देश्य से भविष्य की नीतियों को आकार देने के लिए महत्वपूर्ण होंगे।
संदर्भ:
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