Economy
जीएसटी सुधार 2025: हरियाणा की अर्थव्यवस्था को विभिन्न क्षेत्रों में मिलेगा लाभ
Posted On:
26 SEP 2025 12:01 AM
प्रमुख बातें
- ऑटोमोबाइल और पुर्जों पर नई 18 प्रतिशत जीएसटी दरों ने वाहनों और पुर्जों को सस्ता बना दिया है, जिससे बिक्री, नौकरियों और निर्यात प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिला है।
- फरीदाबाद, मानेसर और पानीपत में इंजीनियरिंग, इस्पात और मशीनरी क्लस्टरों में लागत कम होने और प्रतिस्पर्धा मजबूत होने से औद्योगिक और बुनियादी ढांचे के विकास को समर्थन मिल रहा है।
- कृषि मशीनरी और उर्वरकों पर 5 प्रतिशत जीएसटी से किसानों की लागत कम हुई है, जिससे कृषि में मशीनों के उपयोग को बढ़ावा मिला है और ग्रामीण रोजगार का सृजन हुआ है।
- सौर उपकरण, ड्रोन और रक्षा विनिर्माण केन्द्रों को जीएसटी में 5 प्रतिशत की कटौती से लाभ होगा, जिससे निवेश, नवाचार और उच्च कौशल रोजगार सृजन को प्रोत्साहन मिलेगा।
- डेयरी उत्पाद, वस्त्र, जूते और हस्तशिल्प घरेलू उपयोग के लिए सस्ते हो गए हैं, जबकि विदेशों में ये और अधिक प्रतिस्पर्धी हो गए हैं, जिससे एमएसएमई की वृद्धि को बढ़ावा मिल रहा है।
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परिचय
नवीनतम जीएसटी सुधारों ने ऑटोमोबाइल और वस्त्र से लेकर उर्वरक, इस्पात, फार्मास्यूटिकल्स, नवीकरणीय ऊर्जा आदि विभिन्न क्षेत्रों में दरों को कम कर दिया है। इन सुधारों से हरियाणा की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि यहां लाखों श्रमिक विनिर्माण और संबद्ध उद्योगों पर निर्भर हैं। नई दरों से इनपुट सस्ते होंगे, निर्यात प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और मांग बढ़ेगी।
गुरुग्राम और मानेसर के ऑटोमोबाइल क्लस्टरों में कम करों से उपभोक्ता मांग में सुधार होगा और आपूर्ति श्रृंखला मजबूत होगी। पानीपत में वस्त्र और कालीन निर्माण पर जीएसटी कम होने से वे वैश्विक स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी बनेंगे। करनाल में डेयरी सहकारी समितियों के लिए, सस्ते दूध और दूध उत्पादों का मतलब उपभोक्ताओं के लिए अधिक किफायती उत्पाद और किसानों के लिए अधिक स्थिर आय है। इन सुधारों ने मिलकर हरियाणा की अर्थव्यवस्था को नई गति प्रदान की है।

मोटर वाहन के पुर्जे और भारी मशीनरी
ऑटोमोबाइल और ऑटो कम्पोनेंट
हरियाणा में गुरुग्राम-मानेसर-बावल क्षेत्र देश का ऑटो हब बनकर उभरा है। मारुति सुजुकी, हीरो मोटो कॉर्प, एस्कॉर्ट्स और टाटा मोटर्स जैसी प्रमुख कंपनियां इस उद्योग में लाखों श्रमिकों की सहायता कर रही हैं।
ऑटोमोबाइल और उसके पार्ट्स पर जीएसटी 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे कर का बोझ लगभग 10 प्रतिशत कम होने से, उपभोक्ताओं के लिए वाहन खरीद अब अधिक किफायती हो गई है। इससे घरेलू बिक्री की मात्रा बढ़ेगी। सहायक इकाइयों और आपूर्तिकर्ताओं के लिए इन सुधारों से लागत प्रतिस्पर्धा बेहतर होगी और कारखानों में अधिक रोजगार सृजित होंगे।
हरियाणा पहले से ही अफ्रीका, मध्य पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया के मोटर वाहन बाजारों को निर्यात कर रहा है, इससे विदेशों में वस्तुओं की कीमत अधिक प्रतिस्पर्धी होने से निर्यात क्षमता में भी सुधार होगा।
इंजीनियरिंग और भारी मशीनरी
फरीदाबाद और मानेसर में मजबूत इंजीनियरिंग, मशीन टूल्स और कृषि मशीनरी जैसे उद्योगों को भी औद्योगिक उपकरणों पर 28 प्रतिशत से 18 प्रतिशत की जीएसटी कटौती का लाभ मिला है। 2 लाख से अधिक कुशल और अर्ध-कुशल श्रमिकों को रोजगार देते हुए, यह उद्योग घरेलू औद्योगिक और कृषि बाजारों की जरूरतों को पूरा करता है। मुख्य रूप से पड़ोसी देशों को लक्षित करते हुए निर्यात मध्यम बना हुआ है, लेकिन इस क्षेत्र में विकास की संभावना है। हाल ही में जीएसटी में कटौती से लागत कम हुई है, प्रतिस्पर्धा बढ़ी है तथा घरेलू बिक्री और निर्यात दोनों की संभावनाएं बेहतर हुई हैं।
इस्पात और स्टेनलेस स्टील निर्माण
हरियाणा का इस्पात और स्टेनलेस-स्टील उद्योग फ़रीदाबाद, गुरुग्राम, यमुनानगर, पानीपत, करनाल, रेवाड़ी, रोहतक और सोनीपत जैसे प्रमुख जिलों में है। यह उद्योग 80,000 से अधिक श्रमिकों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करता है और जिंदल स्टेनलेस और संबंधित सहायक इकाइयों जैसे बड़े एकीकृत संयंत्रों द्वारा समर्थित है। मुख्य रूप से घरेलू निर्माण, विनिर्माण और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों के लिए उत्पादन के साथ, उद्योग एशिया और मध्य पूर्व को भी निर्यात करता है। जीएसटी में 28 प्रतिशत से 18 प्रतिशत की कमी से इनपुट लागत में कमी आएगी, प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और ढांचागत विकास में तेजी आने की उम्मीद है।
साइकिल निर्माण
सोनीपत का साइकिल उद्योग, मजबूत विरासत ब्रांडों सहित लंबे समय से स्थापित साइकिल निर्माण इकाइयों के साथ, 15,000 से अधिक श्रमिकों को रोजगार देता है। इस उद्योग को साइकल कंपोनेंट्स पर 18 प्रतिशत से 5 प्रतिशत तक की कटौती से और बढ़ावा दिया गया है। दर में परिवर्तन से अफ्रीका और मध्य पूर्व जैसे प्रमुख निर्यात बाजारों में इसकी निर्यात प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, साथ ही घरेलू बाजारों में उत्पाद सस्ते हो जाएंगे, जिससे मांग बढ़ेगी।
कृषि इनपुट और मशीनरी
कृषि मशीनरी निर्माण
फरीदाबाद और गुरुग्राम में कृषि मशीनरी विनिर्माण इकाइयों का एक समूह है, जो ट्रैक्टर, टिलर और विभिन्न कृषि उपकरण बनाते हैं। इन इकाइयों में कुल मिलाकर 20,000 से अधिक कुशल और अकुशल श्रमिक कार्यरत हैं। यह उद्योग मुख्य रूप से भारत के कृषक समुदाय और अर्गी डीलरों को सेवा प्रदान करता है तथा दक्षिण एशियाई बाजारों में मध्यम निर्यात करता है।
जीएसटी को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने से मशीनरी अधिक सस्ती हो गई है। इन सुधारों से कृषि में मशीनीकरण और उत्पादकता की एक नई तेजी आने की संभावना है। इससे हरियाणा में विनिर्माण इकाइयों को भी सीधे तौर पर लाभ होगा और ऑर्डर की मात्रा बढ़ेगी।
उर्वरक निर्माण और रिफाइनरी
पानीपत में उर्वरक उत्पादन सुविधाएं हैं, जहां 10,000 से अधिक तकनीकी और परिचालन कर्मचारी कार्यरत हैं। यहाँ उत्पादित उर्वरक मुख्य रूप से घरेलू बाजार को सेवा प्रदान करते हैं, हालाँकि सीमित निर्यात पड़ोसी दक्षिण एशियाई देशों तक भी फैला है। नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड और इंडियन ऑयल पानीपत रिफाइनरी जैसी कंपनियां इस उद्योग में प्रमुख खरीदार हैं।
जीएसटी को घटाकर 5 प्रतिशत करने से किसानों के लिए निवेश लागत कम हो गई है। इससे किसानों की लाभप्रदता में वृद्धि होती है मांग में वृद्धि के साथ, इससे इस क्षेत्र में अधिक रोजगार भी पैदा होगा।
फार्मास्यूटिकल्स और चिकित्सा उपकरण
फार्मास्यूटिकल्स और चिकित्सा उपकरण
हाल ही में जीएसटी में की गई कटौती से हरियाणा के मध्यम पैमाने की विनिर्माण इकाइयों वाले फार्मा क्लस्टरों को काफी लाभ होगा। यह उद्योग मुख्यतः अंबाला, करनाल और सोनीपत में स्थित है, जिसमें तकनीकी कर्मचारियों सहित 25,000 से अधिक श्रमिक कार्यरत हैं। ये इकाइयां मुख्य रूप से भारत के विशाल घरेलू स्वास्थ्य सेवा बाजार को सेवा प्रदान करती हैं, साथ ही अफ्रीका और लैटिन अमेरिका जैसे क्षेत्रों में जेनेरिक दवाओं का निर्यात भी करती हैं।
फार्मास्यूटिकल्स पर जीएसटी 18 प्रतिशत से घटाकर मात्र 5 प्रतिशत कर दिए जाने से निर्माताओं पर बोझ काफी हद तक कम हो गया है। इससे न केवल स्वास्थ्य सेवाएं अधिक किफायती होंगी, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य सेवा बाजारों में प्रतिस्पर्धी आपूर्तिकर्ता के रूप में हरियाणा की भूमिका भी मजबूत होगी।
वैज्ञानिक और चिकित्सा उपकरण
अंबाला जिला चिकित्सा उपकरणों और प्रयोगशाला उपकरण निर्माण के लिए जाना जाता है। इसकी लघु और मध्यम स्तर की इकाइयों में लगभग 4,000 कुशल कारीगर और तकनीशियन कार्यरत हैं, जो घरेलू अस्पतालों और प्रयोगशालाओं में उपयोग किए जाने वाले चिकित्सा उपकरणों की एक विस्तृत श्रृंखला का उत्पादन करते हैं, साथ ही मध्य पूर्व और अफ्रीका के निर्यात बाजारों को भी सेवाएं प्रदान करते हैं।
जीएसटी को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने से उनकी लागत प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जिससे निर्यात अधिक आकर्षक हो जाएगा। इससे घरेलू अस्पतालों को भी कम कीमत पर उपकरण उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी।
नव-अर्थव्यवस्था और रणनीतिक उद्योग
सौर और नवीकरणीय ऊर्जा विनिर्माण
हरियाणा लगातार नए युग के उद्योगों के केंद्र के रूप में उभर रहा है जो स्थिरता, प्रौद्योगिकी और आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत के प्रयास के अनुरूप है। सोनीपत औद्योगिक गलियारा सौर और नवीकरणीय ऊर्जा उपकरण निर्माण के लिए एक समर्पित क्षेत्र के रूप में विकसित हो रहा है। 5, 000 से अधिक कुशल श्रमिकों को रोजगार देते हुए, यह क्षेत्र सौर पैनलों और नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणों का उत्पादन करता है, जो घरेलू सौर परियोजनाओं को पूरा करते हैं और साथ ही निर्यात क्षमता का निर्माण भी करते हैं।
जीएसटी दरों को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने से उत्पादन लागत में कमी आई है, जिससे ग्रीन मैन्युफैक्चरिंग में निवेश को प्रोत्साहन मिला है और भारत के नवीकरणीय ऊर्जा परिवर्तन में हरियाणा के योगदान को समर्थन मिला है।
ड्रोन प्रौद्योगिकी और विनिर्माण
भारत का पहला समर्पित ड्रोन विनिर्माण प्रौद्योगिकी हब हिसार जिले के सिसई गांव में स्थापित किया जा रहा है, जो दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा हब होगा। 1,000 से अधिक कुशल तकनीकी कर्मचारियों को रोजगार प्रदान करने वाला यह क्षेत्र रक्षा, कृषि और निगरानी संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। निर्यात अभी भी तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इसमें संभावनाएं बहुत अधिक हैं। जीएसटी में 18 प्रतिशत से 5 प्रतिशत की कटौती से ड्रोन और उनके कलपुर्जे अधिक सुलभ हो गए हैं, जिससे व्यापक रूप से इन्हें प्राप्त किया जा सकता है और इस क्षेत्र में विकास हो सकता है।
रक्षा एवं एयरोस्पेस विनिर्माण
हिसार और करनाल में रक्षा और एयरोस्पेस क्लस्टरों का विस्तार हो रहा है, जिसमें 10,000 से अधिक कुशल श्रमिकों को रोजगार देने की योजना है। भारतीय रक्षा बलों और निजी एयरोस्पेस कंपनियों को सेवा प्रदान करने वाले इन केन्द्रों को नई 5 प्रतिशत जीएसटी दरों से लाभ मिलेगा। कम कीमतें घरेलू उत्पादन को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएंगी तथा सामरिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करेंगी। रोजगार के मोर्चे पर, इस क्षेत्र में इंजीनियरों और तकनीशियनों के लिए उच्च कौशल, उच्च वेतन वाली नौकरियां पैदा करने की क्षमता है, जो आत्मनिर्भर रक्षा निर्माण की दिशा में सरकार की मजबूत पहलों के अनुरूप है।

डेयरी उद्योग
सोनीपत, करनाल और पानीपत में लघु और मध्यम कृषि-आधारित प्रसंस्करण इकाइयां और डेयरी सहकारी समितियां हैं। ये उद्योग मिलकर प्रसंस्करण, पैकेजिंग और लॉजिस्टिक्स में 1 लाख से अधिक श्रमिकों को रोजगार देते हैं, जहां ग्रामीण महिलाओं की भागीदारी महत्वपूर्ण है।
जिन बाजारों में सेवाएँ दी जाती हैं, उनमें घरेलू खुदरा श्रृंखलाओं और संस्थागत खरीदारों से लेकर खाद्य सेवा उद्योग शामिल हैं, जबकि डेयरी उत्पादों का निर्यात लगातार बढ़ रहा है। उल्लेखनीय खरीदारों में मजबूत वितरण नेटवर्क के साथ नेस्ले और अमूल शामिल हैं, जो पैमाने और पहुंच दोनों को सुनिश्चित करते हैं।
हाल के जीएसटी सुधारों में पनीर, दही, लस्सी और यूएचटी दूध पर जीएसटी से छूट दी गई है। इसके अतिरिक्त, मक्खन और घी जैसे डेयरी उत्पादों पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। आम नागरिकों के घरों के लिए, यह उत्पाद के किफायती होने में बदल जाता है।
उद्योगों के दृष्टिकोण से इसे देखें तो दूध उत्पादों की उच्च मांग, कम लागत और बेहतर मार्जिन में बदल जाती है। इससे सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास को प्रोत्साहन मिलेगा और घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय खाद्य बाजारों में हरियाणा की छवि और प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। इसका अर्थ यह भी है कि अनेक कृषि-आधारित प्रसंस्करण इकाइयों और डेयरी सहकारी समितियों के प्रसंस्करण संयंत्रों में अब और अधिक नौकरियां उपलब्ध होंगी।
वस्त्र, चमड़ा और हस्तशिल्प
वस्त्र और कालीन निर्माण
हरियाणा में हथकरघा और विद्युतकरघा उद्योग फल-फूल रहा है। पानीपत को राष्ट्रीय स्तर पर "बुनकरों का शहर" के रूप में जाना जाता है। यह उपभोक्ता के लिए पहले और बाद के वस्त्र पुनर्चक्रण प्रक्रिया के दुनिया के सबसे बड़े केंद्र के रूप में उभरा है, जो सतत विनिर्माण में भारत के नेतृत्व को सुदृढ़ करता है। आज यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रीसाइकिल्ड फाइबर उत्पादक है। यह क्षेत्र राज्य में 8-10 लाख लोगों को रोजगार देता है।
वस्त्र और कालीनों पर जीएसटी घटाकर 5 प्रतिशत कर दिए जाने तथा मानव निर्मित फाइबर/धागे पर जीएसटी 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिए जाने से, उत्पाद घरेलू स्तर पर अधिक किफायती और वैश्विक स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी हो गए हैं। पहले 5 प्रतिशत जीएसटी दर केवल 1,000 रुपये तक की कीमत वाली वस्तुओं पर लागू थी, लेकिन अब यह सीमा बढ़ाकर 2,500 रुपये कर दी गई है। इसका मतलब यह है कि कई मध्यम श्रेणी के वस्त्र अब 5 प्रतिशत की सस्ती कर की दर के अंतर्गत आ जाएंगे। इससे मध्यम श्रेणी के कपड़ों का एक बड़ा हिस्सा काफी सस्ता हो जाएगा, जिससे अमेरिका, यूरोप और मध्य पूर्व के देशों में निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। अधिक मांग के कारण बुनकरों और श्रमिकों के रोजगार में वृद्धि और आय में अधिक स्थिरता प्राप्त होगी।
पीतल के बर्तन और हस्तशिल्प
रेवाड़ी और भिवानी में पीतल के बर्तनों और हस्तशिल्प के छोटे पैमाने के कारीगर समूह हैं, जो 10,000 से अधिक श्रमिकों को रोजगार प्रदान करते हैं। जीएसटी को घटाकर 5 प्रतिशत कर दिए जाने से पारंपरिक शिल्पों को, विशेष रूप से यूरोप और अमेरिका जैसे निर्यात बाजारों में नई प्रतिस्पर्धा की तरफ बढ़े हैं। इससे न केवल कारीगरों की आय मजबूत होती है बल्कि सांस्कृतिक विरासत का भी संरक्षण होता है।
चमड़ा और फुटवियर उद्योग
हरियाणा का चमड़ा और फुटवियर उद्योग मुख्य रूप से बहादुरगढ़ और पंचकूला में फैला हुआ है, जिसमें 30,000 से अधिक श्रमिक कार्यरत हैं, जिनमें महिला श्रमिकों का एक मजबूत आधार भी शामिल है। जीएसटी में 12 प्रतिशत से 5 प्रतिशत की कटौती से एमएसएमई के विकास में सहायता मिलती है और यूरोप और अमेरिका को निर्यात बढ़ने के साथ वैश्विक पहुंच बढ़ती है।
कागज और लकड़ी उत्पाद
यह उद्योग मुख्य रूप से घरेलू बाजारों को सेवा प्रदान करता है, जिसमें पैकेजिंग कंपनियां, स्टेशनरी उत्पादक और प्रिंटिंग हाउस इसके प्रमुख उपभोक्ता हैं। यमुना नगर, हरियाणा के कागज और लकड़ी उद्योग के केंद्र में स्थित है, जो भारत के कुल प्लाईवुड उत्पादन में लगभग 50 प्रतिशत का योगदान देता है। 20, 000 से अधिक श्रमिकों को रोजगार देते हुए, यह क्षेत्र आजीविका और औद्योगिक विकास के सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
हाल ही में जीएसटी दर को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने से लागत कम करने और टिकाऊ स्थिरता सुनिश्चित करते हुए बहुत आवश्यक राहत प्रदान की गई है। यह सुधार प्रतिस्पर्धा को मजबूत करता है और यह सुनिश्चित करता है कि यह क्षेत्र स्थानीय रोजगार और भारत की पैकेजिंग अर्थव्यवस्था दोनों का समर्थन करना जारी रखे।

निष्कर्ष
नए जीएसटी सुधार जनोन्मुखी विकास और जन हितैषी वित्तीय दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करते हैं। कर संरचना को सरल बनाकर और विभिन्न प्रकार की वस्तुओं पर करों को कम करके, ये सुधार हरियाणा की अर्थव्यवस्था में विकास, निवेश और रोजगार सृजन को बढ़ावा देंगे। ऑटोमोबाइल से लेकर परिधान और डेयरी से लेकर रक्षा क्षेत्र तक, कम लागत और बेहतर प्रतिस्पर्धा के साथ एक समान सूत्र देखा जा सकता है।
रोजगार के अधिक अवसरों और विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ती मांग के साथ, हरियाणा को न केवल एक मजबूत कर आधार प्राप्त होगा, बल्कि एक अधिक समावेशी और भविष्य के लिए तैयार अर्थव्यवस्था भी मिलेगी।
संदर्भ:
पीआईबी:
https://blogs.pib.gov.in/blogsdescr.aspx?feaaid=227
सीएमओ (हरियाणा):
https://haryanacmoffice.gov.in/08-september-2025-2
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