जनजातीय कार्य मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

जनजातीय कल्याण हेतु निधि आवंटन एवं उपयोग

प्रविष्टि तिथि: 17 DEC 2025 4:39PM by PIB Delhi

आज राज्य सभा में एक अतारांकित प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री श्री दुर्गादास उइके ने जानकारी दी कि केरल के संबंध में विभिन्न जनजातीय विकास योजनाओं के अंतर्गत पिछले पाँच वर्षों के दौरान योजना-वार एवं वर्ष-वार आवंटित तथा उपयोग किए गए धन का विवरण निम्नानुसार है: -

(करोड़ रु. में)

क्रम संख्‍या

योजनाएँ/कार्यक्रम

2020-21

2021-22

2022-23

2023-24

2024-25 (अस्‍थाई)

1

संविधान के अनुच्छेद 275(1) की उपधारा के तहत अनुदान

...

...

8.18

19.10

3.96

2

अनुसूचित जनजातियों के कल्याण हेतु कार्यरत स्‍वयं-सेवी संगठनों को सहायता

1.21

1.43

1.29

0.08

1.87

3

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त और विकास निगम (एनएसटीएफडीसी)

2.99

6.37

7.21

4.47

6.85

4

जनजातीय उप-योजना हेतु विशेष केंद्रीय सहायता (एससीए टू टीएसएस) /प्रधान मंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना (पीएमएएजीवाई)

4.59

...

...

0.61

0.30

5

एसटी छात्रों के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति (कक्षा IX और X)

1.17

3.47

...

4.36

1.00

6

एसटी छात्रों के लिए पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति (कक्षा XI और उससे ऊपर)

32.85

25.16

...

46.89

29.00

7

एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय

...

2.30

15.16

2.49

12.52

8

प्रधान मंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम-जनमन) – एमपीसी के अंतर्गत

...

...

...

2.29

...

9

प्रधान मंत्री जनजातीय विकास मिशन (पीएमजेवीएम) / लघु वन उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य

2.01

...

...

...

...

10

राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए प्रशासनिक खर्च

...

...

...

0.31

...

 

सरकार देश में, केरल सहित, अनुसूचित जनजातियों तथा जनजातीय बहुल क्षेत्रों के विकास के लिए एक रणनीति के रूप में अनुसूचित जनजातियों हेतु विकास कार्य योजना (डीएपीएसटी) लागू कर रही है। जनजातीय कार्य मंत्रालय के अतिरिक्त, 41 मंत्रालयों/विभागों के लिए यह अनिवार्य किया गया है कि वे प्रत्येक वर्ष अपने कुल योजना बजट का एक निश्चित प्रतिशत डीएपीएसटी के अंतर्गत जनजातीय विकास के लिए आवंटित करें, जिससे अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और गैर-एसटी आबादी के बीच विकासात्मक अंतर को पाटा जा सके तथा शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सिंचाई, सड़क, आवास, विद्युतीकरण, रोजगार सृजन, कौशल विकास आदि से संबंधित विभिन्न जनजातीय विकास परियोजनाओं को क्रियान्वित किया जा सके। अनुसूचित जनजातियों के कल्याण हेतु दायित्वबद्ध मंत्रालयों/विभागों द्वारा संचालित योजनाओं सहित आवंटित निधियों का विवरण केंद्रीय बजट दस्तावेज के व्यय प्रोफाइल के विवरण 10बी में निम्नलिखित लिंक पर उपलब्ध है:
https://www.indiabudget.gov.in/doc/eb/stat10b.pdf

राज्य सरकारों से यह भी अपेक्षित है कि वे राज्य में अनुसूचित जनजाति जनसंख्या (जनगणना 2011) के अनुपात में, कुल योजना आवंटन के सापेक्ष, जनजातीय उप-योजना (टीएसपी) के लिए निधियों का पृथक्करण करें। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा अपने स्वयं के संसाधनों से, केरल सहित, टीएसपी के अंतर्गत किए गए आवंटन एवं व्यय का विवरण निम्नलिखित पोर्टल पर उपलब्ध है:
https://statetsp.tribal.gov.in

इसके अतिरिक्त, जनजातीय कार्य मंत्रालय देश में, केरल सहित, अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के कल्याण एवं विकास के लिए विभिन्न योजनाओं/कार्यक्रमों को कार्यान्वित कर रहा है। इन योजनाओं का विवरण परिशिष्ट-I में दिया गया है।

परिशिष्ट-I

देश में जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा क्रियान्वित की जा रही प्रमुख योजनाओं/कार्यक्रमों का संक्षिप्त विवरण:

धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान: माननीय प्रधानमंत्री ने 2 अक्टूबर, 2024 को धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान का शुभारंभ किया। यह अभियान 17 केंद्रीय मंत्रालयों द्वारा संचालित 25 हस्तक्षेपों से गठित है और इसका उद्देश्य 63,843 ग्रामों में अवसंरचनात्मक अंतर को समाप्त करना, स्वास्थ्य, शिक्षा, आंगनवाड़ी सुविधाओं तक पहुँच में सुधार करना तथा आजीविका के अवसर प्रदान करना है, जिससे 30 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 549 जिलों और 2,911 ब्लॉकों में 5 वर्षों के दौरान 5 करोड़ से अधिक आदिवासियों को लाभ मिलेगा। इस अभियान का कुल बजटीय आवंटन ₹79,156 करोड़ है (केंद्र का हिस्‍सा: ₹56,333 करोड़ एवं राज्य का हिस्‍सा: ₹22,823 करोड़)।

प्रधान मंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम-जनमन): सरकार ने 15 नवंबर 2023, जिसे जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जाता है, को प्रधान मंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम-जनमन) शुरू किया। इस मिशन का वित्तीय आवंटन लगभग ₹24,000 करोड़ है और इसका उद्देश्य तीन वर्षों में कमज़ोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के परिवारों और आवासों को सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल एवं स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण तक बेहतर पहुँच, सड़क एवं दूरसंचार कनेक्टिविटी, बिना बिजली वाले घरों का विद्युतीकरण और सतत् आजीविका के अवसरों जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्‍ध कराना है।

प्रधान मंत्री जनजातीय विकास मिशन (पीएमजेवीएम): जनजातीय कार्य मंत्रालय प्रधान मंत्री जनजातीय विकास मिशन (पीएमजेवीएम) को कार्यान्वित कर रहा है, जिसे जनजातीय आजीविका के संवर्द्धन हेतु दो पूर्ववर्ती योजनाओं के विलय के माध्यम से तैयार किया गया है, अर्थात् “न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के माध्यम से लघु वन उपज (एमएफपी) के विपणन की व्यवस्था एवं एमएफपी के लिए मूल्य श्रृंखला का विकास” और “जनजातीय उत्पादों/उपज के विकास एवं विपणन के लिए संस्थागत समर्थन”।

इस योजना के अंतर्गत चयनित लघु वन उपजों (एमएफपी) के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) निर्धारित और घोषित करने का प्रावधान है। यदि किसी विशेष एमएफपी का वर्तमान बाजार मूल्य निर्धारित एमएसपी से नीचे गिरता है, तो नामित राज्य एजेंसियों द्वारा पूर्व-निर्धारित एमएसपी पर खरीद एवं विपणन कार्य किया जाएगा। इसके साथ ही, सतत् संग्रह, मूल्य संवर्धन, अवसंरचना विकास, एमएफपी के ज्ञान आधार का विस्तार और बाजार सूचना तंत्र का विकास जैसे अन्य मध्यम और दीर्घकालिक मुद्दों को भी संबोधित किया जाएगा।

मंत्रालय “प्रधान मंत्री जनजातीय विकास मिशन (पीएमजेवीएम)” को भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन एवं विकास महासंघ (ट्राइफेड) के माध्यम से कार्यान्वित कर रहा है, जिसका उद्देश्य जनजातीय उद्यमशीलता पहलों को सशक्त करना और अधिक कुशल, समानतापूर्ण, स्व-प्रबंधित, प्राकृतिक संसाधनों, कृषि/लघु वन उपज (एमएफपी)/गैर-कृषि उत्पादों के अनुकूलतम उपयोग को बढ़ावा देकर आजीविका के अवसरों को सुलभ बनाना है। योजना के अंतर्गत, राज्य सरकारों को वन धन विकास केंद्रों (वीडीवीके) की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जो एमएफपी/गैर-एमएफपी की मूल्य संवर्धन गतिविधियों के केंद्र होते हैं।

एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस): एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) वर्ष 2018-19 में शुरू किए गए थे, जिससे जनजातीय बच्चों को उनके अपने वातावरण में नवोदय विद्यालय के समकक्ष गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जा सके। नई योजना के तहत, सरकार ने 440 ईएमआरएस स्थापित करने का निर्णय लिया है, अर्थात् प्रत्येक ब्लॉक, जिसमें एसटी जनसंख्या 50% से अधिक और कम से कम 20,000 जनजातीय लोग हों (जनगणना 2011 के अनुसार), उसमें एक ईएमआरएस। प्रारंभ में 288  ईएमआरएस को संविधान के अनुच्छेद 275(1) के तहत अनुदान से वित्तपोषित किया गया था, जिन्हें नए मॉडल के अनुसार उन्नत किया जा रहा है। इसके अनुसार, मंत्रालय ने पूरे देश में लगभग 3.5 लाख एसटी विद्यार्थियों को लाभान्वित करने के लिए कुल 728  ईएमआरएस स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

अनुच्छेद 275(1) के तहत अनुदान: संविधान के अनुच्छेद 275(1) की उपधारा के अंतर्गत, उन राज्यों को अनुदान जारी किए जाते हैं जिनमें अनुसूचित जनजातीय जनसंख्या है, जिससे अनुसूचित क्षेत्रों में प्रशासन के स्तर को उठाया जा सके और जनजातीय लोगों के कल्याण के लिए कार्य किया जा सके। यह एक विशेष क्षेत्र कार्यक्रम है और राज्यों को 100% अनुदान प्रदान किया जाता है। राज्य सरकारों को धन अनुसूचित जनजाति जनसंख्या की आवश्यकताओं के अनुसार जारी किया जाता है, जिससे शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास, आजीविका, पेयजल, स्वच्छता आदि क्षेत्रों में अवसंरचना गतिविधियों के बीच अंतर को पाटा जा सके।

अनुसूचित जनजातियों के कल्याण हेतु कार्यरत स्‍वयं-सेवी संगठनों को अनुदान: अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए कार्यरत स्‍वयं-सेवी संगठनों को अनुदान योजना के तहत, मंत्रालय शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्रों की परियोजनाओं को वित्तपोषित करता है, जिसमें आवासीय विद्यालय, गैर-आवासीय विद्यालय, छात्रावास, मोबाइल डिस्पेंसरी, दस या अधिक बिस्तरों वाले अस्पताल, आजीविका आदि शामिल हैं।

 एसटी छात्रों के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना: यह योजना उन छात्रों पर लागू होती है जो कक्षा IX–X में अध्ययनरत हैं। माता-पिता की सभी स्रोतों से वार्षिक आय ₹2.50 लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए। घर से स्‍कूल जाने वाले छात्रों (डे-स्कॉलर) को ₹225/- प्रति माह और छात्रावास में रहने वाले छात्रों (होस्टलर) को ₹525/- प्रति माह 10 माह की अवधि के लिए छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। छात्रवृत्ति राज्य सरकार/केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन के माध्यम से वितरित की जाती है। वित्तपोषण का अनुपात सभी राज्यों के लिए केंद्र और राज्य के बीच 75:25 है, सिवाय पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों, जैसे हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू एवं कश्मीर के, जहां यह 90:10 है। बिना विधानमंडल वाले केंद्र शासित प्रदेशों के लिए वित्तपोषण का अनुपात 100% केंद्रीय भाग है।

एसटी छात्रों के लिए पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति: इस योजना का उद्देश्य पोस्ट-मैट्रिक या पोस्ट-सेकेंडरी स्तर पर अध्ययनरत अनुसूचित जनजाति के छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है, जिससे वे अपनी शिक्षा पूरी कर सकें। माता-पिता की सभी स्रोतों से वार्षिक आय ₹2.50 लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए। शैक्षणिक संस्थानों द्वारा लगाए गए अनिवार्य शुल्कों की प्रतिपूर्ति  संबंधित राज्य शुल्क निर्धारण समिति द्वारा निर्धारित सीमा के अनुसार की जाती है  और अध्ययन पाठ्यक्रम के आधार पर ₹230 से ₹1,200 प्रति माह तक की छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। योजना को राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन द्वारा लागू किया जाता है। वित्तपोषण का अनुपात सभी राज्यों के लिए केंद्र और राज्य के बीच 75:25 है, सिवाय पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों, जैसे हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू एवं कश्मीर के, जहां यह 90:10 है। बिना विधानमंडल वाले केंद्र शासित प्रदेशों के लिए वित्तपोषण का अनुपात 100% केंद्रीय भाग है।

राष्ट्रीय विदेश छात्रवृत्ति योजना (एसटी उम्मीदवार): इस योजना के अंतर्गत चयनित छात्रों को विदेश में स्‍नातकोत्‍तर, पीएचडी और पोस्ट-डॉक्टोरल अध्ययन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। प्रत्येक वर्ष कुल 20 पुरस्कार दिए जाते हैं, जिनमें से 17 पुरस्कार एसटी छात्रों के लिए और 3 पुरस्कार कमज़ोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के छात्रों के लिए हैं। माता-पिता/परिवार की सभी स्रोतों से वार्षिक आय ₹6.00 लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए।

उच्च शिक्षा हेतु राष्ट्रीय फैलोशिप एवं छात्रवृत्ति योजना (एसटी छात्र):

राष्ट्रीय छात्रवृत्ति–(टॉप क्लास) योजना [स्नातक स्तर]: इस योजना का उद्देश्य योग्य एसटी छात्रों को देश भर के 265 उत्कृष्ट संस्थानों जैसे आईआईटी, एम्‍स, आईआईएम, एनआईआईटी आदि में निर्धारित पाठ्यक्रमों का अध्ययन करने के लिए प्रोत्साहित करना है, जिन्हें मंत्रालय द्वारा चिन्हित किया गया है। परिवार की सभी स्रोतों से वार्षिक आय ₹6.00 लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए। छात्रवृत्ति में शिक्षाशुल्क, जीवनयापन खर्च और पुस्तक एवं कंप्यूटर भत्ते शामिल हैं।

एसटी छात्रों के लिए राष्ट्रीय फैलोशिप: एसटी छात्रों को भारत में परास्नातक स्तर (एमफिल और पीएचडी) की उच्च शिक्षा हेतु हर वर्ष 750 फैलोशिप प्रदान की जाती हैं। फैलोशिप यूजीसी मानदंडों के अनुसार प्रदान की जाती है।

 जनजातीय अनुसंधान संस्थानों (टीआरआई) को समर्थन: मंत्रालय इस योजना के माध्यम से राज्य सरकारों को सहायता प्रदान करता है, जिससे नए टीआरआई स्थापित किए जा सकें जहाँ यह पहले से मौजूद नहीं हैं और मौजूदा टीआरआई के कार्यों को सुदृढ़ किया जा सके, जिससे वे अनुसंधान एवं दस्तावेजीकरण, प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण, समृद्ध जनजातीय धरोहर के संवर्द्धन जैसी अपनी मुख्य जिम्मेदारियाँ पूरी कर सकें। जनजातीय कला और संस्कृति के संरक्षण के लिए, टीआरआई को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जिससे वे देशभर में अनुसंधान और दस्तावेजीकरण, कला एवं कलाकृतियों के रख-रखाव एवं संरक्षण, जनजातीय संग्रहालय की स्थापना, जनजातीय लोगों के लिए राज्‍य के अन्य हिस्सों में आदान-प्रदान दौरे, जनजातीय महोत्सवों का आयोजन आदि गतिविधियाँ संचालित कर सकें। इस योजना के तहत वित्तपोषण मंत्रालय द्वारा टीआरआई को आवश्यकता के आधार पर 100% अनुदान के रूप में दिया जाता है, जिसमें शीर्ष समिति की स्वीकृति अनिवार्य है।

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पीके/केसी/पीके


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